उपसर्ग MCQ Quiz in বাংলা - Objective Question with Answer for उपसर्ग - বিনামূল্যে ডাউনলোড করুন [PDF]

Last updated on Apr 5, 2025

পাওয়া उपसर्ग उत्तरे आणि तपशीलवार उपायांसह एकाधिक निवड प्रश्न (MCQ क्विझ). এই বিনামূল্যে ডাউনলোড করুন उपसर्ग MCQ কুইজ পিডিএফ এবং আপনার আসন্ন পরীক্ষার জন্য প্রস্তুত করুন যেমন ব্যাঙ্কিং, এসএসসি, রেলওয়ে, ইউপিএসসি, রাজ্য পিএসসি।

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उपसर्ग Question 1:

शिष्यः अध्ययनात् ______ जयते। उचित उपसर्गेण रिक्तस्थानं पूरयत  

  1. निर् 
  2. दुर् 
  3. प्र 
  4. परा 

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : परा 

उपसर्ग Question 1 Detailed Solution

प्रश्न का हिंदी भाषांतर : शिष्यः अध्ययनात् ______ जयते। उचित उपसर्ग से रिक्तस्थान की पूर्ति कीजिए। 

स्पष्टीकरण : 

  • शब्दांश जो किसी मूल शब्द के पहले लगकर नये शब्द का निर्माण करते है, उन्हें उपसर्ग कहते है। स्वतंत्र रुप से इनका कोई अर्थ नहीं होता लेकिन किसी अन्य शब्द के साथ जुडकर ये अर्थ में विशेष परिवर्तन ला देते है।
  • संस्कृत में 22 उपसर्ग होते है। 
  • इन में से एक परा यह उपसर्ग है, जिसका अर्थ विरुद्ध, पीछे यह होता है
  • परा + जयते इस क्रियापद का अर्थ हरना या निवृत्त होना यह होगा।
  • शिष्यः अध्ययनात् पराजयते इस वाक्य का अर्थ "शिष्य अध्ययन नहीं सह सकता" यह बनता है।
  • अतः स्पष्ट है, 'परा' यह इस प्रश्न का सही उत्तर है। 

Additional Information

संस्कृत भाषा में उपसर्गोंं को प्रादि यह संज्ञा है। उपसर्गोंं के अर्थ इस प्रकार है - 

उपसर्ग अर्थ उदाहरण
अति अधिक/परे अत्यन्त, अतीव
अधि मुख्य/श्रेष्ठ। अधिकृत, अध्यक्ष
अनु पीछे/ समान अनुज, अनुरूप
अप विपरीत/बुरा अपव्यय, अपकर्ष
अभि पास/सामने अभिभूत, अभ्युदय
अव बुरा/ हीन अवज्ञा, अवतार
तक/से आघात, आगार
उत् ऊपर/ श्रेष्ठ उज्जवल, उदय
उप समीप उपवन, उपेक्षा
दुर् बुरा/ कठिन दुर्गुण, दुरवस्था
दुस् बुरा/ कठिन दुस्साहस, दुष्कर,
नि बिना/विशेष न्यून, न्याय
निर् बिना/बाहर निर्धन, नीरोग
निस् बिना/बाहर निष्काम, निष्फल
प्र आगे/अधिक प्रयत्न, प्रारम्भ,
परा पीछे/अधिक परावर्तन,पराकाष्ठा
प्रति प्रत्येक प्रतीक्षा, प्रत्युत्तर
परि चारों ओर पर्यन्त, परिमाण
वि विशेष/भिन्न व्यवहार, व्यायाम
सु अच्छा/सरल स्वागत, स्वल्प
सम् पूर्ण शुद्ध संयोग, संलग्न
अन नहीं/बुरा अनुचित, अनन्य

Key Points

पराजेरसोढः इस सूत्र से परा उपसर्ग पूर्वक जि धातु का अर्थ न सह सकना होता है। 

परा यह उपसर्ग लगने से मूल रूप से परस्मैपद के जि धातु को आत्मनेपद के प्रत्यय लगते हैंं। 

उपसर्ग Question 2:

'विचरति' इत्यत्र उपसर्गः धातुश्च अस्ति -

  1. प्र + चर
  2. वि + चर्
  3. अव + तर्
  4. अप + चर्

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : वि + चर्

उपसर्ग Question 2 Detailed Solution

प्रश्नानुवाद - 'विचरति' यहाँ उपसर्ग तथा धातु है -

स्पष्टीकरण -

  • शब्द - विचरति
  • अर्थ - घूमता है
  • विग्रह - वि + चर् धातु

उपसर्ग - उपसर्ग वे पद होते हैं, जो किसी शब्द के पहले लगकर उसका अर्थ बदल देते हैं अथवा उस शब्द का विशेष अर्थ हो जाता है। 

  • उदाहरण - हार - इस शब्द का अर्थ होता है - हार जाना। परन्तु हार शब्द में उपसर्ग लगने पर इसका अर्थ पूरी तरह से बदल गया। उप + हार - उपहार (तोहफा)
  • विचरति शब्द में - वि उपसर्ग + चर् धातु है। चर् धातु में तिप् प्रत्यय लगने से चरति बना। वि + चरति - विचरति

 

अतः यहाँ वि उपसर्ग और चर् धातु है।

Additional Information

  • संस्कृत में 22 उपसर्गों की गणना की गयी है। इन उपसर्गों से बने शब्द निम्नलिखित हैं -

क्र.सं.

उपसर्ग

उपसर्ग से बने शब्द

1.

अति

अति + रिक्त - अतिरिक्त

2.

अधि

अधि + गम - अधिगम

3.

अनु

अनु + सार - अनुसार

4.

अप

अप + कार - अपकार

5.

अपि

अपि + धान - अपिधान

6.

अभि

अभि + मान - अभिमान

7.

अव

अव + गुण - अवगुण

8.

आ + हार - आहार

9.

उत्

उत् + कर्ष - उत्कर्ष

10.

उप

उप + कार - उपकार

11.

दुर्

दुर् + बुद्धि - दुर्बुद्धि

12.

दुस्

दुस् + साहस - दुस्साहस

13.

निर्

निर् + धन - निर्धन

14.

निस्

निस् + फल - निष्फल

15.

नि

नि + षेध - निषेध

16.

परा

परा + जय - पराजय

17.

परि

परि + नाम - परिणाम

18.

प्र

प्र + बल - प्रबल

19.

प्रति

प्रति + कुल - प्रतिकूल

20.

वि

वि + जय - विजय

21.

सम्

सम् + भव - सम्भव

22.

सु

सु + नीति - सुनीति

उपसर्ग Question 3:

उपसर्गः नैव वर्तते-

  1. अधि
  2. प्रति
  3. अनु
  4. अवि

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : अवि

उपसर्ग Question 3 Detailed Solution

प्रश्न अनुवाद - उपसर्ग नहीं है-

स्पष्टीकरण - प्रस्तुत विकल्पों में अधि, प्रति, अनु यह उपसर्ग है, परन्तु अवि उपसर्ग नहीं है।

उपसर्ग -​ 

उपसर्गेण धात्वर्थः बलादन्यः प्रतीयते।
प्रहाराहारसंहारविहारपरिहारवत्॥

अर्थात् उपसर्ग से धातु के अर्थ में परिवर्तन होता है। यथा - हार अर्थात् माला अथवा  पराजय​, लेकिन उसके पूर्व उपसर्ग प्रयुक्त होने पर उसका अर्थ परिवर्तित होता है।

उदाहरण -

  • प्र + हार = प्रहार - मार, चोट
  • आ + हार = आहार - भोजन
  • सम् + हार = संहार - विनाश
  • वि + हार = विहार - भ्रमण

 

संस्कृत में कुल २२ उपसर्ग है। 

उपसर्गाः उदाहरण​
प्र प्रभवति, प्रणमति
परा पराभवति, पराजयते
अप अपकरोति, अपसरति
सम् संस्करोति, सम्भवति
अनु अनुगच्छति, अनुभवति
अव अवगच्छति, अवतरति
निस् निस्सरति, निश्चिनोति
निर् निरीक्षते, निर्वहति
दुस् दुष्करोति
दुर् दुर्लभते, दुर्बोधति
वि विजयते, विहरति
आङ् आनयति, आगच्छति
नि निपतति, निवर्तते
अधि अधिराजते, अधिवसति
अपि अपिदधति
अति अतिक्रामति, अत्याचार
सु सुशोभते
उत् उद्भवति, उत्तिष्ठति
अभि अभिमन्यते, अभिगच्छति
प्रति प्रतिवदति, प्रतिगृह्णाति
परि परिवर्तते
उप उपविशति

उपसर्ग Question 4:

'अनुकूलम्' अत्र कः उपसर्गो वर्तते?

  1. अनु
  2. घञ्
  3. कूलः

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : अनु

उपसर्ग Question 4 Detailed Solution

प्रश्न अनुवाद - 'अनुकूलम्' यहाँ कौन-सा उपसर्ग है?

स्पष्टीकरण - प्रस्तुत रेखाङ्कित पद में अनु यह उपसर्ग है और कूलम् शब्द है।

उपसर्ग -​ 

उपसर्गेण धात्वर्थः बलादन्यः प्रतीयते।
प्रहाराहारसंहारविहारपरिहारवत्॥

अर्थात्, उपसर्ग से धातु के अर्थ में परिवर्तन होता है। यथा - हार अर्थात् माला अथवा  पराजय​, लेकिन उसके पूर्व उपसर्ग प्रयुक्त होने पर उसका अर्थ परिवर्तित होता है।

उदाहरण -

  • प्र + हार = प्रहार - मार, चोट
  • आ + हार = आहार - भोजन
  • सम् + हार = संहार - विनाश
  • वि + हार = विहार - भ्रमण

संस्कृत में कुल २२ उपसर्ग है।

उपसर्गाः उदाहरण​
प्र प्रभवति, प्रणमति
परा पराभवति, पराजयते
अप अपकरोति, अपसरति
सम् संस्करोति, सम्भवति
अनु अनुगच्छति, अनुभवति
अव अवगच्छति, अवतरति
निस् निस्सरति, निश्चिनोति
निर् निरीक्षते, निर्वहति
दुस् दुष्करोति
दुर् दुर्लभते, दुर्बोधति
वि विजयते, विहरति
आङ् आनयति, आगच्छति
नि निपतति, निवर्तते
अधि अधिराजते, अधिवसति
अपि अपिदधति
अति अतिक्रामति, अत्याचार
सु सुशोभते
उत् उद्भवति, उत्तिष्ठति
अभि अभिमन्यते, अभिगच्छति
प्रति प्रतिवदति, प्रतिगृह्णाति
परि परिवर्तते
उप उपविशति

 

उपसर्ग Question 5:

'निश्छलः' अस्मिन् पदेऽयमुपसर्गः -

  1. निर्
  2. निष्
  3. निस्
  4. निश्

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : निस्

उपसर्ग Question 5 Detailed Solution

प्रश्नानुवाद - 'निश्चलः' इस पद में उपसर्ग है-

स्पष्टीकरण -

शब्द - निश्छलः

अर्थ - जिसके मन में कोई छल न हो 

  • विग्रह - निस् + छलः (यहाँ स्तोः श्चुना श्चुः सूत्र से स् को श हो गया च वर्ग परे रहते। इसलिए निश्चल शब्द बना।)
  • उपसर्ग - उपसर्ग वे पद होते हैं, जो किसी शब्द के पहले लगकर उसका अर्थ बदल देते हैं अथवा उस शब्द का विशेष अर्थ हो जाता है। 

उदाहरण -

  • हार - इस शब्द का अर्थ होता है - हार जाना। परन्तु हार शब्द में उपसर्ग लगने पर इसका अर्थ पूरी तरह से बदल गया। उप + हार - उपहार (तोहफा)
  • निश्छल शब्द में - निस् उपसर्ग + छल शब्द है। (स्तोः श्चुना श्चुः सूत्र से स् को श् हो गया)

 

अतः यहाँ निस् प्रत्यय सही उत्तर है।

 

Additional Information

संस्कृत में 22 उपसर्गों की गणना की गयी है। इन उपसर्गों से बने शब्द निम्नलिखित हैं -

क्र.सं.

उपसर्ग

उपसर्ग से बने शब्द

1.

अति

अति + रिक्त - अतिरिक्त

2.

अधि

अधि + गम - अधिगम

3.

अनु

अनु + सार - अनुसार

4.

अप

अप + कार - अपकार

5.

अपि

अपि + धान - अपिधान

6.

अभि

अभि + मान - अभिमान

7.

अव

अव + गुण - अवगुण

8.

आ + हार - आहार

9.

उत्

उत् + कर्ष - उत्कर्ष

10.

उप

उप + कार - उपकार

11.

दुर्

दुर् + बुद्धि - दुर्बुद्धि

12.

दुस्

दुस् + साहस - दुस्साहस

13.

निर्

निर् + धन - निर्धन

14.

निस्

निस् + फल - निष्फल

15.

नि

नि + षेध - निषेध

16.

परा

परा + जय - पराजय

17.

परि

परि + नाम - परिणाम

18.

प्र

प्र + बल - प्रबल

19.

प्रति

प्रति + कुल - प्रतिकूल

20.

वि

वि + जय - विजय

21.

सम्

सम् + भव - सम्भव

22.

सु

सु + नीति - सुनीति

उपसर्ग Question 6:

न हि प्रतीक्षते कालः। रेखाङ्कितपदे उपसर्गः धातुश्च स्तः।

  1. प्र + तीक्ष्
  2. प्रति + ईक्ष्
  3. प्र + तिक्ष्
  4. प्र + ईक्ष्

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : प्रति + ईक्ष्

उपसर्ग Question 6 Detailed Solution

प्रश्न का अनुवाद - न हि प्रतीक्षते कालः।रेखाङ्कित पद में उपसर्ग और धातु है।

स्पष्टीकरण -

प्रस्तुत रेखाङ्कित पद में प्रति उपसर्ग है, और ईक्षते (ईक्ष् - मूल धातु) है, जिसका अर्थ होता है - प्रतीक्षा करना। 

उदाहरण -

  • प्रतिवदति  - चोरी करता है।
  • प्रतिजानाति  - दूर हटता है।

Additional Information

उपसर्ग -

उपसर्गेण धात्वर्थः बलादन्यः प्रतीयते।
प्रहाराहारसंहारविहारपरिहारवत्॥

अर्थात्, उपसर्ग से धातु के अर्थ में परिवर्तन होता है। यथा - हार अर्थात् माला अथवा  पराजय​, लेकिन उसके पूर्व उपसर्ग प्रयुक्त होने पर उसका अर्थ परिवर्तित होता है।

उदाहरण -

  • प्र + हार = प्रहार - मार, चोट
  • आ + हार = आहार - भोजन
  • सम् + हार = संहार - विनाश
  • वि + हार = विहार - भ्रमण

 

संस्कृत में कुल २२ उपसर्ग है।

उपसर्गाः उदाहरण​
प्र प्रभवति, प्रणमति
परा पराभवति, पराजयते
अप अपकरोति, अपसरति
सम् संस्करोति, सम्भवति
अनु अनुगच्छति, अनुभवति
अव अवगच्छति, अवतरति
निस् निस्सरति, निश्चिनोति
निर् निरीक्षते, निर्वहति
दुस् दुष्करोति
दुर् दुर्लभते, दुर्बोधति
वि विजयते, विहरति
आङ् आनयति, आगच्छति
नि निपतति, निवर्तते
अधि अधिराजते, अधिवसति
अपि अपिदधति
अति अतिक्रामति, अत्याचार
सु सुशोभते
उत् उद्भवति, उत्तिष्ठति
अभि अभिमन्यते, अभिगच्छति
प्रति प्रतिवदति, प्रतिगृह्णाति
परि परिवर्तते
उप उपविशति
 

उपसर्ग Question 7:

'दुष्कर्मः' पदेे उपसर्गः अस्ति-

  1. दुर्
  2. दुस्
  3. दुष्
  4. दूर

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : दुस्

उपसर्ग Question 7 Detailed Solution

प्रश्न अनुवाद - 'दुष्कर्मः'। में उपसर्ग है -

स्पष्टीकरण - प्रस्तुत रेखाङ्कितपद में दुस् यह उपसर्ग है और दुष्कर्मः शब्द है।

उपसर्ग -​ 

उपसर्गेण धात्वर्थः बलादन्यः प्रतीयते।
प्रहाराहारसंहारविहारपरिहारवत्॥

अर्थात्, उपसर्ग से धातु के अर्थ में परिवर्तन होता है। यथा - हार अर्थात् माला अथवा  पराजय​, लेकिन उसके पूर्व उपसर्ग प्रयुक्त होने पर उसका अर्थ परिवर्तित होता है।

Important Points 

उदाहरण -  

  • प्र + हार = प्रहार - मार, चोट
  • आ + हार = आहार - भोजन
  • सम् + हार = संहार - विनाश
  • वि + हार = विहार - भ्रमण

संस्कृत में कुल २२ उपसर्ग है।

उपसर्गाः उदाहरण​
प्र प्रभवति, प्रणमति
परा पराभवति, पराजयते
अप अपकरोति, अपसरति
सम् संस्करोति, सम्भवति
अनु अनुगच्छति, अनुभवति
अव अवगच्छति, अवतरति
निस् निस्सरति, निश्चिनोति
निर् निरीक्षते, निर्वहति
दुस् दुष्करोति
दुर् दुर्लभते, दुर्बोधति
वि विजयते, विहरति
आङ् आनयति, आगच्छति
नि निपतति, निवर्तते
अधि अधिराजते, अधिवसति
अपि अपिदधति
अति अतिक्रामति, अत्याचार
सु सुशोभते
उत् उद्भवति, उत्तिष्ठति
अभि अभिमन्यते, अभिगच्छति
प्रति प्रतिवदति, प्रतिगृह्णाति
परि परिवर्तते
उप उपविशति

उपसर्ग Question 8:

उपसर्गः अस्ति-

  1. पि
  2. उपु
  3. अपि
  4. अमि

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : अपि

उपसर्ग Question 8 Detailed Solution

प्रश्न अनुवाद - उपसर्ग है-

उपसर्ग -​ 

उपसर्गेण धात्वर्थः बलादन्यः प्रतीयते।
प्रहाराहारसंहारविहारपरिहारवत्॥

अर्थात्, उपसर्ग से धातु के अर्थ में परिवर्तन होता है। यथा - हार अर्थात् माला अथवा  पराजय​, लेकिन उसके पूर्व उपसर्ग प्रयुक्त होने पर उसका अर्थ परिवर्तित होता है।

उदाहरण -

  • प्र + हार = प्रहार - मार, चोट
  • आ + हार = आहार - भोजन
  • सम् + हार = संहार - विनाश
  • वि + हार = विहार - भ्रमण

संस्कृत में कुल २२ उपसर्ग है।

उपसर्गाः उदाहरण​
प्र प्रभवति, प्रणमति
परा पराभवति, पराजयते
अप अपकरोति, अपसरति
सम् संस्करोति, सम्भवति
अनु अनुगच्छति, अनुभवति
अव अवगच्छति, अवतरति
निस् निस्सरति, निश्चिनोति
निर् निरीक्षते, निर्वहति
दुस् दुष्करोति
दुर् दुर्लभते, दुर्बोधति
वि विजयते, विहरति
आङ् आनयति, आगच्छति
नि निपतति, निवर्तते
अधि अधिराजते, अधिवसति
अपि अपिदधति
अति अतिक्रामति, अत्याचार
सु सुशोभते
उत् उद्भवति, उत्तिष्ठति
अभि अभिमन्यते, अभिगच्छति
प्रति प्रतिवदति, प्रतिगृह्णाति
परि परिवर्तते
उप उपविशति

 

अतः 'अपि' यह उपसर्गो में से है।

उपसर्ग Question 9:

'अपगच्छति' इत्यत्र उपसर्ग अस्ति-

  1. अ उपसर्ग
  2. उप उपसर्ग
  3. अप उपसर्ग
  4. आप उपसर्ग

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : अप उपसर्ग

उपसर्ग Question 9 Detailed Solution

प्रश्न अनुवाद - 'अपगच्छति' में उपसर्ग है -

स्पष्टीकरण - प्रस्तुत पद में अप यह उपसर्ग है और गच्छति यह शब्द  है।

उपसर्ग -​ 

उपसर्गेण धात्वर्थः बलादन्यः प्रतीयते।
प्रहाराहारसंहारविहारपरिहारवत्॥

अर्थात् उपसर्ग से धातु के अर्थ में परिवर्तन होता है। यथा - हार अर्थात् माला अथवा  पराजय​, लेकिन उसके पूर्व उपसर्ग प्रयुक्त होने पर उसका अर्थ परिवर्तित होता है।

उदाहरण -

  • प्र + हार = प्रहार - मार, चोट
  • आ + हार = आहार - भोजन
  • सम् + हार = संहार - विनाश
  • वि + हार = विहार - भ्रमण

संस्कृत में कुल २२ उपसर्ग है।

उपसर्गाः उदाहरण​
प्र प्रभवति, प्रणमति
परा पराभवति, पराजयते
अप अपकरोति, अपसरति
सम् संस्करोति, सम्भवति
अनु अनुगच्छति, अनुभवति
अव अवगच्छति, अवतरति
निस् निस्सरति, निश्चिनोति
निर् निरीक्षते, निर्वहति
दुस् दुष्करोति
दुर् दुर्लभते, दुर्बोधति
वि विजयते, विहरति
आङ् आनयति, आगच्छति
नि निपतति, निवर्तते
अधि अधिराजते, अधिवसति
अपि अपिदधति
अति अतिक्रामति, अत्याचार
सु सुशोभते
उत् उद्भवति, उत्तिष्ठति
अभि अभिमन्यते, अभिगच्छति
प्रति प्रतिवदति, प्रतिगृह्णाति
परि परिवर्तते
उप उपविशति

उपसर्ग Question 10:

उपसर्ग है    

  1. परा 
  2. कुत्र
  3. यदा 
  4. यत्र

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : परा 

उपसर्ग Question 10 Detailed Solution

स्पष्टीकरण :-

शब्दों तथा धातुओं के पूर्व में संयुक्त हो नये सार्थक शब्दों का निर्माण करने वाले शब्दों को उपसर्ग कहते हैं-

'उपसर्गेण धात्वर्थो बलादन्यत्र नीयते।

प्रहाराहार-संहार-विहार-परिहारवत्॥’

जैसे- हार शब्द से संयुक्त प्र आदि उपसर्गों से निर्मित शब्द -

उपसर्ग

निर्मित शब्द

प्र

प्रहार

वि

विहार

सं

संहार

आहार

परि

परिहार

 

संस्कृत में कुल 22 उपसर्ग माने गये हैं-

उपसर्ग

अर्थ

उदाहरण

प्र

प्रकृष्ट

प्रगति, प्रतिष्ठा

परा

निषेध, विपरित

पराजितं पराभवति

अप

न्यूनता या हीनता

अपकरोति, अपहरति

सम्

अच्छा

संगच्छति, संस्करोति

अपि ढ़कना अप्यस्ति

अनु

अनुकरण

अनुगमनं अनुकरोति

अव

निचे

अवगच्छति, अवजानन्ति

निर्

निषेध

निर्गच्छति, निराकरोति

निस्

निषेध

निष्कारणं, निस्सरति

दुस्

कठिन, दुष्कर

दुष्टः, दुष्प्रयोजन

दुर्

कठिन, दुष्कर

दुर्गति, दुर्बोध्य

वि

विशिष्ट

विजयते, विगत

आङ्

सिमा

आजिवनम्, आकण्ठम्

नि

निचे

निगदति, निपतति

अधि

प्रधानता या आधार

अधिराजते, अधिहरि

अति

अतिशय

अत्यन्त, अत्याचारः

सु

अच्छा

स्वागतं, सुशोभते

उत्

ऊँचा

उत्कर्षं, उत्पतति

अभि

समीप

अभ्यागतः, अभ्यासः

प्रति

विपरित

प्रत्युपकारः, प्रत्यवदत्

परि

चारो ओर

पर्यावरणं, परिवर्तनम्

उप

समीप

उपकार, उपहार

 

उपर्युक्त विवेचन से स्पष्ट होता है कि केवल `परा' ही उपसर्ग है।

Additional Information

  • कुत्र:- तद्धित त्रल् प्रत्ययान्त क्रियाविशेषण अव्यय पद है।
  • यदा:- अव्यय पद क्रियाविशेषण है।
  • यत्र:- तद्धित त्रल् प्रत्ययान्त क्रियाविशेषण अव्यय पद है।

Important Points

जो तीनों लिङ्गों, सभी विभक्तियों, सभी वचनों में एक् जैसा रहता है कोई परिवर्तन नही होता उसे अव्यय कहते है। अव्यय 4 प्रकार के होते है-

  • उपसर्ग:- सभी उपसर्ग अव्यय होते हैं।
  • क्रियाविशेषण:- अद्य, अधुना, अत्र, तत्र इत्यादि।
  • समुच्चय बोधक:- च,इति, तथा, अपि, तु इत्यादि।
  • मनोविकार (विस्मयबोधक):- अहो, हन्त, धिक् इत्यादि।

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