प्रत्यय MCQ Quiz in বাংলা - Objective Question with Answer for प्रत्यय - বিনামূল্যে ডাউনলোড করুন [PDF]
Last updated on Apr 18, 2025
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प्रत्यय Question 1:
निम्नलिखिते 'क्तवतु' प्रत्ययान्त पद: क: अस्ति?
Answer (Detailed Solution Below)
प्रत्यय Question 1 Detailed Solution
स्पष्टीकरण -
- गच्छन्ती पद क्तवतु प्रत्ययान्त पद है, जो स्त्रीलिंग में बनता है।
सूत्र - क्तक्तवतू निष्ठा।
- नियम - समाप्त हो चुकी (भूतकालिक) क्रियाओं के अर्थ में क्त (त) और क्तवतू (तवत्) इन दोनों प्रत्ययों का प्रयोग किया जाता है। जहाँ क्त में त एवं क्तवतू में से तवत् शेष बचता है। इन दोनों प्रत्ययों से बने शब्द तीनों लिंगों में चलते हैं।
उदाहरण -
- पठ् + क्तवतु - पठितवान् (पु.), पठितवत् (नपुं.), पठितवती (स्त्री.)
- इसी नियमानुसार यहाँ क्तवतु प्रत्ययान्त पद प्रारब्धवती है, जो स्त्रीलिंग शब्द है। इसके ही पुल्लिंग में प्रारब्धवान् और नपुंसकलिंग में प्रारब्धवत् रूप बनता है।
अतः स्पष्ट है कि दिये गये विकल्पों में प्रारब्धवती क्तवतु प्रत्ययान्त स्त्रीलिंग शब्द है।
Additional Informationअन्य विकल्प
- गच्छन्ती = शतृ प्रत्यय के योग में स्त्रीलिङ्ग में यह रूप बनता है।
- शक्नुवती - अशुद्ध शब्द है। शतृ प्रत्यय के योग में स्त्रीलिङ्ग में शक्तुवती रूप बनता है।
प्रत्यय Question 2:
'पठनीय∶' पद में कौन-सा प्रत्यय है ?
Answer (Detailed Solution Below)
प्रत्यय Question 2 Detailed Solution
'तव्यततव्यानीयरः' इस सूत्र के ‘चाहिए’ या योग्यता के अर्थ में प्रयोग ‘तव्यत्’ और ‘अनीयर्’ यह दो प्रत्यय मिलते है
जैसे –
- तव्यत् से पठितव्यम्
- अनीयर् से पठनीयम्
इनके तिनों लिङ्गों में रूप मिलते हैं -
जै पठनीयः(पु), पठनीयम्(नपु.), पठनीया(स्त्री)
अतः पठनीयः इस पद में 'अनीयर्' इस प्रत्यय का प्रयोग हुआ है
प्रत्यय Question 3:
'दत्त' इत्यस्य प्रत्ययं भवति -
Answer (Detailed Solution Below)
प्रत्यय Question 3 Detailed Solution
प्रश्न का हिन्दी अनुवाद - 'दत्त' में कौन-सा प्रत्यय है?
स्पष्टीकरण -
शब्द – दत्तः
प्रकृति – 'दा' धातु
प्रत्यय – क्त
- भूतकाल के अर्थ में धातु से 'क्त' प्रत्यय होता है, 'क्तक्तवतु निष्ठा' से निष्ठा संज्ञा होती है।
- यह सकर्मक धातुओं से कर्म अर्थ में तथा अकर्मक धातुओं से भाव अर्थ में जुड़ता है।
- 'लशक्वतद्धिते' से 'क्त' के 'क्' का लोप हो जाता है और केवल 'त' शेष बचता है।
'दा + क्त' यहाँ कृदन्त प्रत्यय जुड़ने पर तिनो लिङ्गो में रूप प्राप्त होता है।
जैसे - दत्तः - पुंल्लिङ्ग, दत्ता - स्त्रीलिङ्ग, दत्तम् - नपुंसकलिङ्ग।
अतः स्पष्ट है कि दत्तः में क्त प्रत्यय है।
Additional Information
प्रत्यय:- ‘प्रति’ उपसर्ग पूर्वक ‘इण्’ धातु से ‘अच्’ प्रत्यय होकर प्रत्यय पद निष्पन्न होता है। जिसका अर्थ होता है वे शब्द या शब्दांश जो अन्य शब्द के अन्त में जुड़कर नये सार्थक शब्दों का निर्माण करते हैं, प्रत्यय कहलाते हैं। जैसे- गम् + क्त्वा = गत्वा। प्रत्यय पाँच प्रकार के होते हैं-
नाम |
परिभाषा |
उदाहरण |
विभक्ति |
मूल धातु या प्रातिपदिक से पद बनाने के लिये जुड़ते है। सुप् और तिङ्ग इनके अन्तर्गत आते हैं। |
पठ् + तिप् = पठति राम + सु = रामः |
कृत् |
धातु के अन्त में जुड़ते हैं। |
धृ + क्तिन् = धृति |
तद्धित |
शब्दों के अन्त में जुड़ते हैं। |
श्रेष्ठ + तमप् = श्रेष्ठतम् |
स्त्रीप्रत्यय |
पुल्लिंग शब्द को स्त्रीलिंग में परिवर्तित करने के लिए स्त्रीप्रत्यय जुड़ता है। |
बालक + टाप् = बालिका |
धातु-अवयव |
प्रत्यय से पूर्व जुड़ने वाला प्रत्यय होता है। |
पठ् + णिच् + तिप् = पाठयति पठ् + णिच् + शतृ = पाठयन् |
प्रत्यय Question 4:
"पच् + क्तः" इत्यत्र प्रत्यययुक्तपदं भवति
Answer (Detailed Solution Below)
प्रत्यय Question 4 Detailed Solution
प्रश्न अनुवाद - 'पच् + क्तः' यहाँ प्रत्यययुक्त पद होता है।
स्पष्टीकरण -
'पच् + क्तः' यहाँ 'क्तक्तवतू निष्ठा सूत्र से निष्ठासंज्ञक क्त प्रत्यय लगाया हुआ है। 'क्त' प्रत्यय में 'क्' इत्संज्ञक है। जहाँ त शेष बचता है।
- 'पचो वः' इस सूत्र से निष्ठा के तकार को वकार होता है। पच् + त = पच् + व
- 'चोः कुः' इस सूत्र से चकार को ककार होता है। पच् + व = पक् + व = पक्वः
अतः यह स्पष्ट होता है कि 'पच् + क्तः' यहाँ 'पक्वः' यह प्रत्यययुक्त पद होता है।
प्रत्यय Question 5:
'अवसादनम्' शब्द के प्रकृति प्रत्यय हैं
Answer (Detailed Solution Below)
प्रत्यय Question 5 Detailed Solution
स्पष्टीकरण -
'अवसादनम्' शब्द का प्रकृति प्रत्यय - अव + सद् + णिच् + ल्युट्
ल्युट् प्रत्यय -
- 'नपुंसके भावे क्त:' और 'ल्युट्' सूत्रों से नपुंसकत्व में भाववाचक अर्थ में ल्युट् प्रत्यय लगता है।
- इनसे बने शब्द नपुंसकलिङ्ग में होते हैं।
- ल्युट् प्रत्यय के 'ल' और 'ट' की इत्संज्ञा होकर लोप होता है और 'यु' शेष रहता है।
- य को 'युवोरनाकौ' सूत्र से 'अन्' आदेश होता है।
Key Pointsणिच् प्रत्यय
- धातु (क्रियावाची शब्द) से प्रेरणा अर्थ को कहने में णिच् प्रत्यय लगता है।
- जहां कर्ता स्वयं कार्य न करके दूसरे से कार्य करवाता है, वहाँ प्रेरणा अर्थ होता है।
उदाहरण
- नन्द् + णिच् + ल्युट् = नन्दनः
- सिध् + णिच् + ल्युट् = साधनः
- वृध् + णिच् + ल्युट् = वर्धनः
अतः स्पष्ट है यहाँ अव + सद् + णिच् + ल्युट् सही उत्तर है।
प्रत्यय Question 6:
'मति' इत्यस्य क: प्रत्यय: अस्ति?
Answer (Detailed Solution Below)
प्रत्यय Question 6 Detailed Solution
शब्द – मति
विग्रह – मन् + क्तिन्
क्तिन् प्रत्यय-
- ‘स्त्रियां क्तिन्’ सूत्र से स्त्रीलिंग शब्द बनाने के लिए धातुओं से क्तिन् प्रत्यय होता है।
- इस प्रत्यय के ‘क’ का लशक्वतद्धिते से तथा ‘न्’ का हलन्त्यम् से लोप हो जाता है और शेष बचता है ‘ति’।
- क्तिन् प्रत्यय से स्त्री प्रत्यय हि बनते है।
अतः 'मति' का विग्रह 'मन् + क्तिन्' तथा 'क्तिन् प्रत्यय' होता है।
Additional Information
प्रत्यय:- ‘प्रति’ उपसर्ग पूर्वक ‘इण्’ धातु से ‘अच्’ प्रत्यय होकर ‘प्रत्यय’ पद निष्पन्न होता है। जिसका अर्थ होता है वे शब्द या शब्दांश जो अन्य शब्द के अन्त में जुड़कर नये सार्थक शब्दों का निर्माण करते हैं, प्रत्यय कहलाते हैं।जैसे- गम् + क्त्वा = गत्वा। प्रत्यय पाँच प्रकार के होते हैं-
नाम |
परिभाषा |
उदाहरण |
विभक्ति |
मूल धातु या प्रातिपदिक से पद बनाने के लिये जुड़ते है। सुप् और तिङ्ग इनके अन्तर्गत आते हैं। |
पठ् + तिप् = पठति राम + सु = रामः |
कृत् (कृदन्त प्रत्यय) |
धातु के अन्त में जुड़ते हैं। |
धृ + क्तिन् = धृति |
तद्धित |
शब्दों के अन्त में जुड़ते हैं। |
श्रेष्ठ + तमप् = श्रेष्ठतम् |
स्त्रीप्रत्यय |
पुं. स्त्री. में परिवर्तित करने के लिए जुड़ता है। |
बालक + टाप् = बालिका |
धातु-अवयव |
प्रत्यय से पूर्व जुड़ने वाला प्रत्यय होता है। |
पठ् + णिच् + तिप् = पाठयति पठ् + णिच् + शतृ = पाठयन् |
विकल्पानुशीलन:-
प्रत्यय |
प्रत्यय का नाम |
प्रत्ययांश |
उदाहरण |
क्तिन् |
कृदन्त प्रत्यय |
ति |
मन् + क्तिन् = मति |
ङीप् |
स्त्रीप्रत्यय |
ई (आनागम) |
इन्द्र + ङीप् = इन्द्राणी |
शतृ |
कृदन्त प्रत्यय |
अत् |
पठ् + शतृ = पठत् |
क्त |
कृदन्त प्रत्यय |
त |
गम् + क्त = गतः |
प्रत्यय Question 7:
तल् प्रत्ययान्तं पदं वर्तते -
Answer (Detailed Solution Below)
प्रत्यय Question 7 Detailed Solution
प्रश्न का हिंदी भाषांतर : तल् प्रत्ययान्त पद कौन सा है?
स्पष्टीकरण :
- “तस्य भावः त्व – तलौ” - विशेषणवाची शब्दों से भाववाचक संज्ञाएँ बनाने के लिए त्व तथा तल प्रत्यय प्रयुक्त होते हैं।
- त्व प्रत्ययान्त शब्द नपुंसकलिंग होते हैं तथा उनके रूप ‘फल’ शब्द के समान बनते हैं।
- तद्धित ‘तल’ प्रत्यय में शब्द के अन्त में ‘ता’ लगता है तथा वे स्त्रीलिङ्ग होते हैं एवं उनके रूप ‘लता’ के समान चलते हैं।
- अतः स्पष्ट है, लघुता यह इस प्रश्न का सही उत्तर है।
Additional Information
अन्य उदाहरण :
पद | त्व प्रत्ययान्त रूप | तल् प्रत्ययान्त रूप |
मनुष्य | मनुष्यत्व | मनुष्यता |
शिशु | शिशुत्व | शिशुता |
गुरु | गुरुत्व | गुरुता |
देव | देवत्व | देवता |
जड | जडत्व | जडता |
प्रत्यय Question 8:
'धृतिः' इत्यत्र प्रकृतिः प्रत्ययश्च अस्ति -
Answer (Detailed Solution Below)
प्रत्यय Question 8 Detailed Solution
प्रश्नानुवाद - 'धृतिः' यहाँ प्रकृति और प्रत्यय है -
स्पष्टीकरण -
- शब्द – धृतिः
- विग्रह – धृ + क्तिन्
क्तिन् प्रत्यय-
- ‘स्त्रियां क्तिन्’ सूत्र से स्त्रीलिंग शब्द बनाने के लिए धातुओं में क्तिन् प्रत्यय होता है।
- इस प्रत्यय के ‘क’ का लशक्वतद्धिते से तथा ‘न्’ का हलन्त्यम् से लोप हो जाता है और शेष बचता है ‘ति’।
- क्तिन् प्रत्यय से स्त्री प्रत्यय ही बनते हैं।
अतः 'धृतिः' में 'धृ' प्रकृति तथा 'क्तिन्' प्रत्यय होता है। (धृ + क्तिन्)
Additional Information
- प्रत्यय:- ‘प्रति’ उपसर्ग पूर्वक ‘इण्’ धातु से ‘अच्’ प्रत्यय होकर ‘प्रत्यय’ पद निष्पन्न होता है। जिसका अर्थ होता है वे शब्द या शब्दांश जो अन्य शब्द के अन्त में जुड़कर नये सार्थक शब्दों का निर्माण करते हैं, प्रत्यय कहलाते हैं। जैसे- गम् + क्त्वा = गत्वा। प्रत्यय पाँच प्रकार के होते हैं-
नाम |
परिभाषा |
उदाहरण |
विभक्ति |
मूल धातु या प्रातिपदिक से पद बनाने के लिये जुड़ते है। सुप् और तिङ्ग इनके अन्तर्गत आते हैं। |
पठ् + तिप् = पठति राम + सु = रामः |
कृत् (कृदन्त प्रत्यय) |
धातु के अन्त में जुड़ते हैं। |
धृ + क्तिन् = धृति |
तद्धित |
शब्दों के अन्त में जुड़ते हैं। |
श्रेष्ठ + तमप् = श्रेष्ठतम् |
स्त्रीप्रत्यय |
पुं. स्त्री. में परिवर्तित करने के लिए जुड़ता है। |
बालक + टाप् = बालिका |
धातु-अवयव |
प्रत्यय से पूर्व जुड़ने वाला प्रत्यय होता है। |
पठ् + णिच् + तिप् = पाठयति पठ् + णिच् + शतृ = पाठयन् |
प्रत्यय Question 9:
'गङ्गा' 'पद में स्त्री प्रत्यय है?
Answer (Detailed Solution Below)
प्रत्यय Question 9 Detailed Solution
स्पष्टीकरण - प्रत्यय शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है- प्रति + अय = प्रत्यय। प्रति का अर्थ है- साथ में परन्तु बाद में और अय का अर्थ है- चलने वाला।
प्रत्यय तीन प्रकार के होते हैं- कृत् प्रत्यय, तध्दित प्रत्यय, स्त्री प्रत्यय। स्त्रीलिंग बनाने वाले प्रत्ययों को ही स्त्री प्रत्यय कहते हैं।
- स्त्री प्रत्यय धातुओं को छोड़कर अन्य शब्दों, संज्ञा, विशेषण आदि सभी के अंत में जुड़े होते हैं।
- अजाघतष्टाप् इस सूत्र से 'टाप्' सूत्र पदों को लगता है, जिसके प्रयोग से पुल्लिंग शब्द स्त्रीलिंग शब्द बन जाते हैं।
- टाप् प्रत्यय का अंत में आ शेष रहता है।
- उदाहरण -
- शब्द - गङ्ग
- प्रत्यय - टाप्
- सिद्ध रूप - गङ्ग + टाप् = गङ्गा
अतः गङ्गा इस रूप में 'टाप्' प्रत्यय होता है यहाँ स्पष्ट होता है।
प्रत्यय Question 10:
त्यज् धातोः क्त्वा प्रत्यये रुपं किम्?
Answer (Detailed Solution Below)
प्रत्यय Question 10 Detailed Solution
प्रश्नार्थ- त्यज् धातु के क्त्वा प्रत्यय में कौनसा रूप होता है?
उत्तर- त्यक्त्वा।
- स्पष्टीकरण-
- शब्द- त्यक्त्वा।
- प्रकृति- त्यज्
- प्रत्यय- क्त्वा
Important Pointsक्त्वा प्रत्यय-
सूत्र = "समानकर्तृकयो: पूर्वकाले"
सूत्रार्थ
- जब दो क्रियाये एक साथ हो रही हो और दोनो का कर्ता एक ही होI
- जो क्रिया पूर्वकाल की हो उसे अभिव्यक्त करने वाली धातु से 'क्त्वा' प्रत्यय होता हैI
- पूर्वकालिक कियाये दो, तीन आदि भी हो सकती हैI
क्त्वा का प्रयोग-
- क्त्वा प्रत्यय मे 'क्' का लोप होकर 'त्वा' शेष रहता हैI
- क्त्वा से पहले 'इ' का प्रयोग होता हैI यदि अन्तिम वर्ण मे स्वर की मात्रा न होI
- दा + क्त्वा = दत्वा
- धा + क्त्वा = धात्वा
- लिख् + क्त्वा = लिखित्वा
- त्यज् + क्त्वा = त्यक्त्वा