सुनना MCQ Quiz in मराठी - Objective Question with Answer for सुनना - मोफत PDF डाउनलोड करा
Last updated on Apr 7, 2025
Latest सुनना MCQ Objective Questions
Top सुनना MCQ Objective Questions
सुनना Question 1:
भाषा शिक्षण का पहला कौशलात्मक सामान्य उद्देश्य है-
Answer (Detailed Solution Below)
सुनना Question 1 Detailed Solution
- भाषा-प्रयोगशाला, वाद-विवाद तथा दृश्य-श्रव्य सहायक सामग्री श्रवण कौशल के विकास के लिए आवश्यक साधन है।
- श्रवण कौशल- सुनकर अर्थ ग्रहण करनें का कौशल श्रवण कौशल कहलाता है। यह भाषा विकास का प्रथम कौशल है।
- वाचन कौशल- भावों और विचारों की अभिव्यक्ति वाचन कौशल कहलाती है।
- पठन कौशल- पढ़कर अर्थ ग्रहण करने के कौशल को पठन कौशल कहतें हैं।
- लेखन कौशल- विचारों को लिखित रूप देना अथार्त लिखने संबंधी कौशल लेखन कौशल कहलाता है।
अतः हम कह सकते है कि भाषा शिक्षण का पहला कौशलात्मक सामान्य उद्देश्य सुनकर अर्थ ग्रहण करना है।
सुनना Question 2:
भाषा कौशलों में सबसे पहले किस कौशल का विकास करना चाहिए?
Answer (Detailed Solution Below)
सुनना Question 2 Detailed Solution
मानव अपने विचारों का आदान प्रदान मुख्य रूप से चार प्रक्रियाओं यथा सुनना, बोलना, पढ़ना और लिखना द्वारा करता है। भाषा से संबंधित इन चारो प्रक्रियाओं को प्रयोग करने की क्षमता ही भाषा कौशल कहलाती है।
- ये चारो कौशल एक दूसरे से अतःसंबंधित होते हैं तथा मानव में भाषाई विकास को विस्तार देते हैं।
- यहां सुनना और पढ़ना विचारों को ग्रहण करने से तथा बोलना और लिखना विचारों को अभिव्यक्त करने से संबंधित है।
- इन चारों भाषाई कौशलों में से सबसे पहले श्रवण कौशल का विकास करना चाहिए।
श्रवण भाषा कौशल, विकास का प्रथम और महत्वपूर्ण चरण है।
श्रवण कौशल बच्चे को किसी कथन को सुनकर उस पर चिंतन मनन करने योग्य बनाता है।
श्रवण कौशल बच्चे को कथन से संबंधित उचित और सहज प्रतिक्रिया देने या निर्णय लेने योग्य बनाता है।
श्रवण कौशल बच्चे द्वारा प्रतिक्रिया देने के दौरान उनकी तर्किक क्षमता तथा चिंतन कौशल को भी सही दिशा देता है।
नोट: उच्चारण भाषा शिक्षण का एक अभिन्न अंग है जो अक्षरों को मुख से बोलने की प्रक्रिया से संबंधित है। इसमें शुद्धता का स्थान प्रमुख होता है।
अतः स्पष्ठ है कि भाषा कौशलों में सबसे पहले श्रवण कौशल का विकास करना चाहिए।
सुनना Question 3:
सुनने की कुशलता में एक महत्वपूर्ण उद्देश्य है -
Answer (Detailed Solution Below)
सुनना Question 3 Detailed Solution
मानव अपने विचारों का आदान प्रदान मुख्य रूप से चार प्रक्रियाओं यथा सुनना, बोलना, पढ़ना और लिखना द्वारा करता है। भाषा से संबंधित इन चारो प्रक्रियाओं को प्रयोग करने की क्षमता ही भाषा कौशल कहलाती है।
Important Points
श्रवण कौशल (सुनने) से जुड़ी विशेषताये-
- सुनना अर्थात श्रवण कौशल चारो भाषा कौशलों में सबसे प्रथम चरण है।
- यह बच्चों द्वारा दूसरों की बातों को रुचि तथा धैर्यपूर्वक सुनने तथा सहज प्रतिक्रिया देने से सम्बन्धित है।
- बच्चों में इस कौशल का विकास वार्तालाप, कहानी कथन, घटना वर्णन आदि द्वारा होता है। श्रवण कौशल बच्चों में भाषाई विकास को आवश्यक गति प्रदान करता है।
- जब बच्चे सुनी हुई बात को समझ कर उसपर प्रतिक्रिया देते हैं तो उनकी तर्किक क्षमता तथा चिंतन कौशल को भी सही दिशा मिलती है जिससे बच्चों में एक साथ श्रवण और वाचन कौशल दोनो का विकास होता है।
अतः निष्कर्ष निकलता है कि सुनने में रूचि और धैर्य सुनने की कुशलता में एक महत्वपूर्ण उद्देश्य है।
सुनना Question 4:
किसी श्रवण से जुड़ी गतिविधि की योजना बनाते समय कौन-सा कारक महत्वपूर्ण नहीं है ?
Answer (Detailed Solution Below)
सुनना Question 4 Detailed Solution
श्रवण पाठ एक अनुदेशात्मक गतिविधि है जिसे छात्रों की बोली जाने वाली भाषा को समझने की क्षमता में सुधार करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
- इस प्रकार के पाठ में, शिक्षार्थियों को बातचीत, भाषण या ऑडियो रिकॉर्डिंग जैसे बोले गए पाठों से अवगत कराया जाता है, और उन्हें अभ्यास के माध्यम से निर्देशित किया जाता है जो उनकी सुनने की समझ और श्रवण कौशल विकसित करते हैं।
Key Points
- श्रवण से जुड़ी गतिविधि की योजना बनाते समय, ध्यान आम तौर पर उन कारकों पर होता है जो सीधे तौर पर प्रभावित करते हैं कि छात्र ऑडियो सामग्री को कितने प्रभावी ढंग से समझ सकते हैं और उससे जुड़ सकते हैं।
- श्रवण से जुड़ी गतिविधि की योजना बनाने में महत्वपूर्ण कारकों में शामिल हैं:
- वक्ताओं की संख्या: यह निर्धारित करती है कि छात्रों को विभिन्न आवाजों और दृष्टिकोणों के साथ कैसे तालमेल बिठाने की जरूरत है।
- रिकॉर्डिंग को रोकना: यह छात्रों को जानकारी संसाधित करने और प्रश्नों का उत्तर देने की अनुमति देता है।
- बोलने की गति: यह प्रभावित करता है कि छात्र कितनी आसानी से ऑडियो का अनुसरण कर सकते हैं और समझ सकते हैं।
Hint
- आमतौर पर पाठ की योजना बनाने में वक्ताओं का लिंग/जेन्डर कोई महत्वपूर्ण कारक नहीं होता है। हालाँकि वक्ता की आवाज़ में विविधता सुनने के अनुभवों की एक श्रृंखला प्रदान करने के लिए फायदेमंद हो सकती है, लेकिन यह उल्लेखित अन्य कारकों की तरह महत्वपूर्ण नहीं है।
इसलिए, श्रवण से जुड़ी गतिविधि की योजना बनाने में वक्ताओं का जेन्डर (बोलने वाले महिला हैं या पुरुष) एक महत्वपूर्ण कारक नहीं है।
सुनना Question 5:
श्रवण कौशल के विकास में सबसे कम प्रभावी है-
Answer (Detailed Solution Below)
सुनना Question 5 Detailed Solution
श्रवण कौशल के विकास में सुनने की दक्षता का विकास किया जाता है। इसका उद्देश्य उच्चारण की शुद्धता को समझना होता है।
भाषा-प्रयोगशाला, वाद-विवाद तथा दृश्य-श्रव्य सहायक सामग्री श्रवण कौशल के विकास के लिए आवश्यक साधन है, जबकि चित्र वर्णन के दौरान बच्चे की केवल मौखिक अभिव्यक्ति होती है और यह वाचन कौशन के विकास में अधिक प्रभावी है।
अतः हम कह सकते है कि श्रवण कौशल के विकास में सबसे कम प्रभावी चित्र-वर्णन है।
Hint
भाषा-प्रयोगशाला- यह शिक्षण की पारंपरिक तरीके से अलग भाषा कौशल प्रदान करने की तकनीकी विधि है। इसमें बालक अपनी सूविधा अनुसार भाषा प्रयोगशाला में जाकर टेप सुन सकता है तथा अपनी गति से सही उच्चारण सीख सकता है।
दृश्य-श्रव्य सहायक सामग्री- दृश्य के साथ श्रव्य ज्ञानेन्द्रियों का उपयोग कर श्रवण कौशल का विकास करने में सहायक।
वाद-विवाद- वाद-विवाद में वाचन के साथ-साथ श्रवण कौशल का भी विकास होता है।
सुनना Question 6:
श्रवण के पाठ में निम्नलिखित में से कौन-सा चरण सही नहीं है?
Answer (Detailed Solution Below)
सुनना Question 6 Detailed Solution
सुनने पर एक पाठ छात्रों के सुनने के कौशल को विकसित करने के लिए डिज़ाइन किए गए एक विशिष्ट निर्देशात्मक सत्र या गतिविधि को संदर्भित करता है। इसमें शिक्षार्थियों को अभ्यास करने और बोली जाने वाली भाषा को समझने की उनकी क्षमता में सुधार करने के अवसर प्रदान करना शामिल है।
Important Points
- वास्तविक समय में सुनने के अभ्यास के लिए प्रामाणिक सामग्रियों का उपयोग करना महत्वपूर्ण है क्योंकि यह छात्रों को प्राकृतिक भाषा के उपयोग से अवगत कराता है और उन्हें वास्तविक दुनिया के संदर्भों में सुनने के कौशल विकसित करने में मदद करता है।
- सटीक सुनने के लिए विशिष्ट शब्दावली वस्तुओं का उच्चारण करना सीखना महत्वपूर्ण है। उचित उच्चारण विद्यार्थियों को शब्दों को सुनते समय सही ढंग से पहचानने और समझने में सक्षम बनाता है।
- आवश्यकता पड़ने पर श्रवण मार्ग को बजाने से छात्रों को पर्याप्त अभ्यास और समझ के अवसर मिलते हैं। गद्यांश को दोबारा दोहराने से छात्रों को विभिन्न पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करने, छूटे हुए विवरणों को पकड़ने और सामग्री की उनकी समझ को मजबूत करने की अनुमति मिलती है।
Hint
- "पैपृष्ठभूमि के शोर के साथ श्रवण सामग्री सुनाना" गलत है। पृष्ठभूमि का शोर ध्यान भटका सकता है और सुनने की सामग्री को सटीक रूप से सुनने और समझने की शिक्षार्थियों की क्षमता में बाधा उत्पन्न कर सकता है।
- आम तौर पर समझ और एकाग्रता बढ़ाने के लिए स्पष्ट और केंद्रित सुनने का माहौल प्रदान करना पसंद किया जाता है।
इसलिए, 'पृष्ठभूमि के शोर के साथ श्रवण सामग्री सुनाना' गलत है।
सुनना Question 7:
निम्नलिखित में से कौन-सा श्रवण के बारे में सही नहीं है?
Answer (Detailed Solution Below)
सुनना Question 7 Detailed Solution
श्रवण का अर्थ" सुनना" होता है अतः श्रवण कौशल का संबंध “कर्ण” (कान) से है।Key Points
- श्रवण वास्तविक स्थितियों में होता है, बच्चा जन्म के बाद ही सुनने लगता है, यह ध्वनिया उसके ज्ञान का आधार बनती है।
- छात्र कविता ,कहानी, भाषण, वाद विवाद आदि का ज्ञान सुनकर ही प्राप्त करता है।
- श्रवण कौशल के लिए मस्तिष्क की एकाग्रता एवं इंद्रियों का संयम आवश्यक होता है तथा रिकार्डिंग के समय पृष्ठभूमि से आ रहा शोर व्यवधान पैदा करता हैं।
- कई बार वक्ता वर्तालाप के दौरान तेज गति से बोलते हैं, यह गति सामने वाले की गति या समय की कमी द्वारा प्रभावित होती है।
अतः हम कह सकते हैं कि श्रवण निर्भर करता है कि आप कितनी तेज गति से पढ़ सकते है, श्रवण के बारे में सही नहीं है।
Hint
- तेज गति से पढ़कर समझने का कौशल पठन क्षमता से संबंधित है।
सुनना Question 8:
भाषा शिक्षण में सुनने का महत्व है-
Answer (Detailed Solution Below)
सुनना Question 8 Detailed Solution
मानव अपने विचारों का आदान प्रदान मुख्य रूप से चार प्रक्रियाओं यथा सुनना, बोलना, पढ़ना और लिखना द्वारा करता है। भाषा से संबंधित इन चारो प्रक्रियाओं को प्रयोग करने की क्षमता ही भाषा कौशल कहलाती है।
Important Points
श्रवण कौशल (सुनने) से जुड़ी विशेषताये-
- सुनना अर्थात श्रवण कौशल चारो भाषा कौशलों में सबसे प्रथम चरण है।
- यह बच्चों द्वारा दूसरों की बातों को रुचि तथा धैर्यपूर्वक सुनने तथा सहज प्रतिक्रिया देने से सम्बन्धित है।
- बालक विभिन्न परिस्थितिनुरूप कथन में प्रयुक्त शब्दों, उक्तियों, मुहावरों का प्रसंगानुकूल भाव समझ पाते हैं।
- बच्चों में इस कौशल का विकास वार्तालाप, कहानी कथन, घटना वर्णन आदि द्वारा होता है।
- श्रवण कौशल बच्चों में भाषाई विकास को आवश्यक गति प्रदान करता है। जब बच्चे सुनी हुई बात को समझ कर उसपर प्रतिक्रिया देते हैं तो उनकी तर्किक क्षमता तथा चिंतन कौशल को भी सही दिशा मिलती है जिससे बच्चों में एक साथ श्रवण और वाचन कौशल दोनो का विकास होता है।
अतः यह सिद्ध होता है कि कथन में प्रयुक्त शब्दों, उक्तियों, मुहावरों का प्रसंगानुकूल भाव समझने में सुनने का महत्व है।
सुनना Question 9:
भाषा के चारों कौशलो में आधारभूत कौशल है-
Answer (Detailed Solution Below)
सुनना Question 9 Detailed Solution
श्रवण कौशल ही अन्य भाषायी कौशलों को विकसित करने का प्रमुख आधार बनता है, क्योंकि भाषायी कौशलों का प्रथम स्तर श्रवण कौशल ही है। बच्चे भी सर्वप्रथम सुनते हैं फिर बोलना, पढना अथवा लिखना सीखते हैं।
- श्रवण कौशल के विकास में सुनने की दक्षता का विकास किया जाता है। इसका उद्देश्य कही गयी बात को समझना होता है।
- भाषा-प्रयोगशाला, वाद-विवाद तथा दृश्य-श्रव्य सहायक सामग्री श्रवण कौशल के विकास के लिए आवश्यक साधन है।
Important Points
श्रवण कौशल के विकास का अर्थ है-
- किसी कथन को सुनकर उस पर चिंतन मनन करने योग्य बनना।
- कहीं गयी बात को समझने की क्षमता का विकास।
- वक्ता के भाव को समझने की क्षमता का विकास।
- वाक्यों में प्रयुक्त उक्तियों व मुहावरों का प्रसंगानुकूल भाव समझने की क्षमता का विकास।
- कथन से संबंधित उचित और सहज प्रतिक्रिया देने या निर्णय लेने योग्य बनाना।
- तर्किक क्षमता तथा चिंतन कौशल को भी सही दिशा देना।
अतः निष्कर्ष निकलता है कि श्रवण कौशल भाषा के चारों कौशलो में आधारभूत कौशल है।
सुनना Question 10:
सुकेश को सुनने में थोड़ी दिक्कत होती है । एक भाषा शिक्षक के रूप में आप क्या करेंगे ?
Answer (Detailed Solution Below)
सुनना Question 10 Detailed Solution
श्रवण बाधित बच्चों के शिक्षण में भाषा शिक्षक के लिए आवश्यक-
- इन बच्चों के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण रखें।
- इन बच्चों की भाषा व संप्रेषण क्षमता अत्यधिक प्रभावित होती है।
- इन दोनों कौशलो का विकास इनके शिक्षा का प्रमुख उद्देश्यों में से एक है।
- संप्रेषण को सफल बनाने के लिए भाषा शिक्षक को अपनी बोलने की गति एवं तारत्व को नियंत्रित रखना अतिआवश्यक है।
- ऐसे बच्चों में प्रकृतिक भाषा का विकास किया जाना चाहिए।
- वातावरण को शांत व शोरगुल से मुक्त बनाने का प्रयाास करना चाहिए।
- बच्चे को दरवाजे या खिड़की के पास नहीं बैठाना चाहिए।
- अतिरिक्त हाव-भाव का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
अतः सुकेश को सुनने में थोड़ी दिक्कत होती है । एक भाषा शिक्षक को अपनी बोलने की गति एवं तारत्व को नियंत्रित करना आवश्यक है।