Question
Download Solution PDFउपन्यासों में गीतों कविताओं के प्रयोग पर सत्य कथन हैं :
A. 'झूठा सच' में पंजाबी कवियों बुल्लेशाह बाबा फरीद की कविताएँ प्रयुक्त हैं।
B. 'जिन्दगीनामा' में हिन्दी कवियों तुलसी सूर के पदों का प्रयोग है।
C. 'मैला आँचल' में सुमित्रानंदन पन्त की कविता का इस्तेमाल किया गया है।
D. 'मानस का हंस' में मोहिनी रैदास का एक भजन गाती है।
E. 'तमस' में 'सर्वे भवन्तु सुखिनः....' का उपयोग किया गया है।
नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर का चयन कीजिए:
Answer (Detailed Solution Below)
Detailed Solution
Download Solution PDFC. 'मेला आंचल' में सुमित्रानंदन पंत की कविता का इस्तेमाल किया गया
D. 'मानस का हंस' में मोहिनी रविदास का एक भजन गाती है।
E.' तमस' में सर्वे भवंतु सुखिन: 'का उपयोग किया गया है।
उपन्यास | उपन्यासकार | प्रकाशनवर्ष |
झूठा सच | यशपाल | दो भाग 1958 और 1960 ई. |
जिंदगीनामा | कृष्णा सोबती | 1979 ई. |
मैला आंचल | फणीश्वर नाथ रेणु | 1954 ई. |
मानस का हंस | अमृतलाल नागर | 1972 ई. |
तमस | भीष्म साहनी | 1973 ई. |
- दादा कामरेड(1941 ई.)
- देशद्रोही(1943 ई.)
- दिव्या(1945 ई.)
- पार्टी कामरेड(1946 ई.)
- क्यों फंसे(1968 ई.)
- मेरी तेरी उसकी बात(1973 ई.)
- मित्रों मरजानी(1967 ई.)
- सूरजमुखी अंधेरे के(1972 ई.)
- दिलोंदानिश(1993 ई.)
- समय सरगम(2000 ई.)
- चन्ना (2019 ई.)
- परती परिकथा(1957 ई.)
- दीर्घतपा(1963 ई.)
- जुलूस(1965 ई.)
- कितने चौराहे(1966 ई.)
- पलटू बाबू रोड(1979 ई.)
- राम रतन राय(1971 ई. अपूर्ण )
- महाकाल(1947 ई.)
- सेठ बांकेलाल(1955 ई.)
- बूंद और समुद्र(1956 ई.)
- शतरंज के मोहरे (1959 ई.)
- सुहाग के नूपुर(1960 ई.)
- अमृत और विष(1966 ई.)
- सात घूंघट वाला मुखड़ा(1968 ई.)
- झरोखा(1967 ई.)
- कड़ियाँ (1970 ई.)
- बसंती(1980 ई.)
- मय्यादास की माड़ी (1988 ई.)
- कुंतो(1993 ई.)
- नीलू नीलिमा नीलोफर(2000 ई.)
- यह उपन्यास विभाजन की त्रासदी का चित्रण करता है मानवीय जीवन की त्रासदी का प्रत्यक्ष दर्शन है।
- झूठा सच उपन्यास सामाजिक- राजनीतिक पृष्ठभूमि पर लिखा गया है।
- उपन्यास में (1942 से 1957 ई.) तक अर्थात देश विभाजन से पहले और उसके बाद के उतार -चढ़ाव को दर्शाया गया।
- इस उपन्यास के प्रथम खंड का नाम 'वतन और देश' (1958 ई.)और दूसरे खंड का नाम 'देश का भविष्य' (1960 ई.) है।
- इस उपन्यास में डेरा जट्टा नामक गांव में 20वीं शताब्दी के आरंभिक बीस वर्षों के घटनाक्रम को व्यक्त किया गया है।
- इस उपन्यास में बादशाह और फकीर शहर, शहंशाह,दरवेश और किसान एक साथ खेतों की मुंडेरों पर खड़े मिलेंगे।
- इसमें पूर्णिया जिले के मेरीगंज गांव की विस्तृत तथा समग्र कथा कही गई है।
- इसका उद्देश्य अंचल की समस्याओं को प्रकाशित करने का है।
- इसमें अंचल की सुंदरता और कुरुपता दोनों का गहरा चित्रण है।
- जातिवाद, अफसरशाही,अवसरवादी राजनीति, मठो और आश्रमों का पाखंड भी इसमें दिखाया गया है।
- इस उपन्यास में लेखक ने रामबोला से तुलसी तक की यात्रा को प्रस्तुत किया है।
- इसमें तत्कालीन समाज एवं संस्कृति तथा उनके बीच एक महाकवि का जीवन तमाम द्वंदों एवं अंतर्विरोधों के बीच उभरकर सामने आया।
- उपन्यासकार ने तुलसी की महत्वपूर्ण रचनाओं की रचना प्रक्रिया को भी इस उपन्यास के माध्यम से समझाने का प्रयास किया।
- इस उपन्यास की कथावस्तु (1947 ई.)में पंजाब में हुए भयानक सांप्रदायिक दंगों पर आधारित है।
- इसमें लाहौर के आसपास की सिर्फ पाँच दिन की कहानी वर्णित है।
- यह उपन्यास दो खंडो में विभाजित है पहले खंड में सांप्रदायिक तनाव की कहानी कही गई और दूसरे खंड में अनेक गांव उपन्यास की परिधि में आ जाते हैं।
Last updated on Jul 7, 2025
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