Question
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अधोलिखितं गद्यांशं पठित्वा तदाधारितप्रश्नानां विकल्पात्मकोत्तरेषु उचितमम् उत्तरं चित्वा लिखत ।
कदाचित कश्चन् मध्यवयस्कः भगवतः बुद्धस्य समीपम् आगत्य उक्तवान् - “गुरुदेव ! प्रापञ्चिकव्यवहारात् जुगुप्सितः अस्मि अतः संन्यासदीक्षां स्वीकर्त्तुम् इच्छामि। कृपया मह्यं संन्यासदीक्षां भवतः शिष्यत्वं च ददातु। भवतः शिष्यः सन् अहं लोकसेवां करिष्यामि। ततः आत्मनः उद्धारं प्राप्स्यामि" इति। भगवान् बुद्ध एतत् अङ्गीकृतवान्। सः मध्यवयस्कः संन्यासदीक्षां प्राप्य भगवद् ध्याने मग्रः अभवत् । जनान् नीतिम् उपदिशन् सः जनसेवां च कुर्वन् दिनानि यापयति स्म। एवम् एव दिनानि गतानि। सः वृद्धः जातः। कदाचित् भगवान् बुद्धः तं स्वसमीपम् आहूय पृष्टवान् - "भवतः किं वयः" इति। तदा स वृद्धः उक्तवान् - ममवय: 25 वर्षाणि इति।
बुद्धः आश्चर्येण पृष्टवान् - “दर्शनात् ज्ञायते यत् भवान् सप्ततिवर्षीयः अशीतिवर्षीयः वा स्यात् इति। एवं स्थिते भवान् बदति खलु - अहं पञ्चविंशतिवर्षीयः इति। किम् एतत् ?" तदा सः वृद्धः उक्तवान् - “भवता यथा उक्तम्-एतस्य शरीरस्य अशीतिवर्षाणि अतीतानि इति तु सत्यम् एव। किन्तु पञ्चविंशतिवर्षेभ्यः पूर्व मया ज्ञानं प्राप्तम्। ततः एव मयि कारुण्यादय: गुणाः उत्पन्नाः। ततः पूर्वतनं जीवनं स्वप्नवत् भासते। अतः 'अहम् उक्तवान् - अहं पञ्चविंशतिवर्षीय इति' इति। एतत् श्रुत्वा भगवान् बुद्ध: नितरां सन्तुष्टः जातः।
भगवतः बुद्धस्य समीपम् आगतस्य मध्यवयस्कजनस्य वास्तविकम् आयुः किम् आसीत् ?
Answer (Detailed Solution Below)
Detailed Solution
Download Solution PDFप्रश्न का हिंदी भाषांतर : भगवान बुद्ध के पास आये हुए मध्यम आयु के व्यक्ति की वास्तविक आयु कितनी थी?
- उत्तर के लिए गद्यांश की महत्वपूर्ण पंक्ति :
- दर्शनात् ज्ञायते यत् भवान् सप्ततिवर्षीयः अशीतिवर्षीयः वा स्यात् इति।
- दृष्टि से ऐसा प्रतीत होता है कि आप सत्तर या अस्सी वर्ष के हो सकते हैं।
यह भगवान बुद्ध का कथन है। उन को निर्दिष्ट व्यक्ति की आयु सत्तर या अस्सी वर्ष है, ऐसा दृष्टि का आधार लेकर ज्ञान हो रहा था।
अतः स्पष्ट है, "सप्ततिः" यह इस प्रश्न का सही उत्तर है।
गद्यांश का हिंदी भाषांतर :
एक बार एक मध्यवयस्क व्यक्ति बुद्ध के पास आया और बोला, "गुरुदेव ! मुझे सांसारिक व्यवहार से विरक्ति है, और इसलिए मैं संन्यास की दीक्षा का स्वीकार करना चाहता हूँँ। कृपया मुझे संन्यास की दीक्षा और अपनी शिष्यता प्रदान करें। आपका शिष्य होने के नाते, मैं लोगों की सेवा करूंगा। तब मैं अपने लिए मोक्ष प्राप्त करूंगा।" भगवान बुद्ध ने इसे स्वीकार कर लिया। उस मध्यम आयु वर्ग के व्यक्ति ने संन्यास की दीक्षा प्राप्त की और भगवान के ध्यान में लीन हो गया। वह अपने दिन लोगों को नैतिकता का उपदेश करने में और सार्वजनिक सेवा करने में व्यतीत कर रहा था। इस प्रकार दिन बीतते गए वह बूढ़ा हो गया। एकदा भगवान बुद्ध ने उसे अपने पास बुलाकर पूँँछा - "आपकी उम्र क्या है?" फिर बूढ़े ने कहा, "मेरी उम्र २५ साल है।"
बुद्ध ने आश्चर्य से पूँँछा, "दृष्टि से ऐसा प्रतीत होता है कि आप सत्तर या अस्सी वर्ष के हो सकते हैं। ऐसा होकर आप कह रहे हैं कि मैं पच्चीस साल का हूँँ। यह क्या है?" तब बूढ़े ने कहा, "यह सच है, जैसा आपने कहा, कि यह शरीर के अस्सी वर्ष बीत चुके हैंं। लेकिन पच्चीस साल पहले मुझे ज्ञान प्राप्त हुआ था। तभी करुणा और अन्य गुणों का उदय हुआ। तब से पूर्व का जीवन स्वप्नवत लगता है। इसलिये मैं कहता हूँँ, कि मैंं पच्चीस वर्ष का हूँ।" यह सुनकर परम बुद्ध अत्यंत प्रसन्न हुए।
Last updated on Apr 30, 2025
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