Question
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नीचे दिए गए गद्यांश को पढ़िए और प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
इस सप्ताह के पहले यूरोपीय संघ के विधि निर्माताओं ने वर्ष 2026 से अपने प्रस्तावित कार्बन सीमांत समायोजन कार्यविधि को लागू करने के लिए आधारकार्य किया। आवश्यक रूप से कार्बन सीमांत शुल्क भूमंडलीय उष्मण का सामना करने हेतु कार्बन की कीमत तय करने, उत्सर्जन कम करने और कार्बन रिसाव को रोकने के कार्यों के हरित सिद्धांतों से परिच्छादित है, परन्तु वास्तविक रूप में यह कुछ नहीं है बल्कि यूरोपीय संघ को निर्यात करने वाले भारत जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं के विरुद्ध एक शुल्क है। यह सही है कि यूरोपीय संघ ने इस दशक में ग्रीन हाउस गैसों विकास के दरवाज़े बंद करना चाहते हैं। आगे इस पाखंड का स्पष्ट उदाहरण यह तथ्य है कि जब पिछले वर्ष यूक्रेन युद्ध से ऊर्जा की कीमतो में वृद्धि हुई तो यूरोपीय संघ ने पुनः प्रदूषक कोयले के प्रयोग में कोई संशय नहीं किया था।
इसके अतिरिक्त, समृद्ध देशों ने निम्न कार्बन के तरीके/मार्ग अपनाने हेतु परिवर्तन के लिए विकासशील देशों की सहायता करने हेतु जलवायु निधि पोषण के लिए लक्षित 100 अरब डालर जुटाने के लिए कुछ नहीं किया है। अतः भारत द्वारा यूरोपीय संघ कार्बन शुल्क पर आपत्ति करना सही कदम है। इसे विश्व व्यापार संगठन (WTO) के सम्मुख इस मामले को रखने और गैर शुल्क बाधा के रूप में इसे उठाने के साथ प्रतिकारी उपायों से तत्पर रहना चाहिये। यूरोपीय गुट ट्रूअर (Trure) ने इस दशक में ग्रीनहाउस गैसों में 55% की कटौती करने के महत्वाकांक्षी जलवायु लक्ष्य को निर्धारित किया है और सर्वाधिक प्रदूषण पैदा करने वाले अपने उद्योगों के कार्बनमुक्त भत्तों को वापस लेना चाहता है। यद्यपि, अल्युमीनियम, स्टील / इस्पात, सीमेंट, उर्वरकों तथा विद्युत जैसी वस्तुओं के आयातों को लक्ष्यित करते हुए उभरती अर्थव्यवस्थाओं पर यूरोपीय उत्सर्जन मानकों को थोपा जा रहा है। यह अंतर्राष्ट्रीय जलवायु कार्रवाई के साझा व विभेदित दायित्व के सिद्धान्त का स्पष्ट उल्लंघन है। भूमंडल के उत्तर के समृद्ध देशों का भूमंडलीय उष्मण का ऐतिहासिक दायित्व है। परन्तु उत्तरी भूमंडलीय समृद्ध देश शताब्दियों से प्रदूषणकारी उद्योगों द्वारा उच्च जीवन स्तर प्राप्त करने के बाद अब विश्व के शेष देशों के प्रतिकारी उपायों से तत्पर रहना चाहिए।
भारत द्वारा यूरोपीय संघ कार्बन शुल्क आपत्ति करना सही है क्योंकि -
A. यह उसके आर्थिक विकास को प्रभावित करेगी।
B. भारत भूमंडलीय उष्मण के बारे चिंतित नहीं है।
C. समृद्ध देशों को अभी - भी निम्न कार्बन के तरीके/मार्ग अपनाने हेतु परिवर्तन के लिए विकासशील देशों की सहायता करने हेतु निधि पोषण के लिए 100 बिलियन डालर जुटाना है।
D. भूमंडलीय उत्तर के समृद्ध देशों पर भूमंडलीय उष्मण का ऐतिहासिक उत्तरदायित्व है।
नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर का चयन कीजिए:
Answer (Detailed Solution Below)
Detailed Solution
Download Solution PDFसही उत्तर "केवल A, C और D" है।
Key Points
- A. भारत को यूरोपीय संघ के कार्बन शुल्क पर आपत्ति है क्योंकि यह अल्युमीनियम, स्टील / इस्पात, सीमेंट, उर्वरकों तथा विद्युत सहित यूरोपीय संघ को निर्यात किए जाने वाले कार्बन-सघन सामानों को लक्षित करके उसके आर्थिक विकास को प्रभावित कर सकता है।
- C. समृद्ध देशों ने विकासशील देशों को निम्न-कार्बन मार्गों पर संक्रमण में सहायता करने के लिए जलवायु निधि पोषण के लिए 100 अरब डॉलर जुटाने के अपने वादे को पूरा नहीं किया है, जो पर्याप्त वित्तीय सहायता की कमी का संकेत देता है।
- D. यह गद्यांश इस बात पर प्रकाश डालता है कि वैश्विक उत्तर के समृद्ध देश भूमंडलीय उष्मण के लिए ऐतिहासिक जिम्मेदारी निभाते हैं, फिर भी वे सामान्य लेकिन विभेदित जिम्मेदारियों के सिद्धांत का उल्लंघन करते हुए उभरती अर्थव्यवस्थाओं पर उत्सर्जन मानक लागू करते हैं।
अतः सही उत्तर "विकल्प 3" है।
Last updated on Jul 6, 2025
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