काव्य में नाद-सौन्दर्य तत्त्व नहीं है -

This question was previously asked in
UTET 2021 Paper 1 (Hindi-English-Sanskrit)
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  1. वर्णो या पदों की आवृत्ति
  2. कविता में वर्णित नैतिक गुण
  3. छन्द की गति, यति, मात्रा
  4. भावानुरूप वर्ण विन्यास

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : कविता में वर्णित नैतिक गुण
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Uttarakhand TET (UTET) CDP Mock Test - 1
15 Qs. 15 Marks 15 Mins

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काव्य के तत्त्व- काव्य के चार सौंदर्य तत्व है जिन्हे निम्नलिखित रूप में स्पष्ट किया गया है- 

  • भाव सौंदर्य- 
    • ​​कविता या काव्य में भाव परम तत्व के समान है, उसकी अनुभूति करना ही भाव सौंदर्य है। 
    • प्रेम, करुणा, क्रोध, उत्साह, हर्ष आदि का विभिन्न परिस्थितियों में मर्म-स्पर्शी चित्रण ही भाव सौंदर्य है, भाव सौंदर्य को ही साहित्य शास्त्रों ने रस कहा है। 
  • नाद सौंदर्य- 
    • ​कविता छंदबद्ध रचना है। छंद - नाद सौंदर्य की सृष्टि करता है। छंद के द्वारा ही कविता में गति, यति, मात्रा, लय, तुक तथा प्रवाह का समावेश होता है। 
    • वर्ण और शब्द के सार्थक और समुचित विन्यास से कविता में नाद सौंदर्य और संगीतात्मकता आ जाती है तथा कविता का सौंदर्य बढ़ जाता है। 
    • नाद सौंदर्य भाव को स्पष्ट कर बिम्ब को साकार रूप देने का कार्य करता है।
    • भावानुरूप वर्ण विन्यास बिम्ब को साकार रूप दे भाव को गरिमा प्रदान करते हैं।
    • वर्णो की बार-बार आवृति तथा विभिन्न अर्थ वाले एक ही शब्द के बार-बार प्रयोग से भी कविता में नाद सौंदर्य का समावेश होता है। 
  • विचार सौंदर्य-
    • ​​विचारो की उच्चता से काव्य में गरिमा आती है। गरिमापूर्ण कविताये प्रेरणादायक भी सिद्ध होती है। 
    • आज की कविता में विचार सौन्दर्य के प्रचुर उदाहरण मिलते है। 
    • गुप्त जी की कविता में राष्ट्रीयता, देशप्रेम आदि का विचार सौंदर्य है। 
  • अप्रस्तुत योजना का सौंदर्य- 
    • ​कवि विभिन्न दृश्यों, रूपों तथा तथ्यों का मर्मस्पर्शी और हृदयग्राही बनाने के लिए अप्रस्तुतो का सहारा लेता है। 
    • अप्रस्तुत योजना में यह आवश्यक है कि उपमेय के लिए जिस उपमान की प्रकृत के लिए जिस अप्रकृत की और प्रस्तुत के लिए जिस अप्रस्तुत की योजना की जाये उसमे सदृश्य आवश्यक हो। 

अतः यह निष्कर्ष निकलता है कि कविता में वर्णित नैतिक गुण काव्य में नाद-सौन्दर्य तत्त्व नहीं है। 

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