राजा हर्षवर्धन (King Harshavardhana in Hindi), जिन्हें हर्ष के नाम से भी जाना जाता है, वर्धन वंश के सदस्य थे। गुप्त वंश के पतन के साथ उत्तर भारत में राजनीतिक मतभेद पैदा हो गया था। हूणों के आक्रमण के बाद, पुष्यभूति, जो गुप्तों के सामंत थे, ने स्वतंत्रता ग्रहण कर ली। राजा हर्षवर्धन (Raja Harshavardhan) 7वीं शताब्दी की शुरुआत में सत्ता में आए। उन्होंने 606 - 647 ईस्वी तक उत्तर भारत पर शासन किया। राजा हर्षवर्धन पर यह एनसीईआरटी नोट्स आगामी यूपीएससी प्रारंभिक परीक्षा की तैयारी करने वाले इच्छुक उम्मीदवारों के लिए बहुत उपयोगी है।
राजा हर्षवर्धन (King Harshavardhana in Hindi) और उनके समय का पता लगाने वाले साहित्यिक और पुरातात्विक स्रोत इस प्रकार हैं:
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गुप्त साम्राज्य के पतन के बाद पुष्यभूति वंश, जिसे अक्सर वर्धन वंश के नाम से जाना जाता है, प्रमुखता से उभरा। उसके बाद उसका बड़ा बेटा राज्यवर्धन राजगद्दी पर बैठा।
16 वर्ष की आयु में हर्षवर्धन अपने भाई के बाद थानेश्वर (आधुनिक हरियाणा) के एकमात्र शासक बने।
थानेसर के शासक प्रभाकर वर्धन, जो पुष्यभूति परिवार से थे, वर्धन राजवंश के संस्थापक थे। राजधानी थानेसर में थी।
618-619 ई. की सर्दियों में पुलकेशिन द्वितीय ने नर्मदा के तट पर हर्ष को हराया। पुलकेशिन और हर्ष ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसके अनुसार नर्मदा नदी हर्षवर्धन और चालुक्य साम्राज्यों के बीच सीमा के रूप में काम करेगी।
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राजा हर्षवर्धन को भारत का अंतिम महान हिंदू शासक कहा जाता है, हालांकि वे हिंदू धर्म के कट्टर अनुयायी नहीं थे। उनकी मृत्यु 647 ई. में हुई थी। उनकी मृत्यु के बाद, वर्धन वंश समाप्त हो गया क्योंकि उनका कोई उत्तराधिकारी नहीं था और अंततः साम्राज्य विघटित हो गया।
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Q1. अभिकथन (A): हर्षवर्धन ने प्रयाग सभा बुलाई थी
कारण (R): वह बौद्ध धर्म के केवल महायान रूप को लोकप्रिय बनाना चाहते थे।
कोड:
उत्तर: विकल्प (B)
Q2. सम्राट हर्ष के दक्षिण की ओर मार्च को नर्मदा नदी पर किसने रोका था?
उत्तर: विकल्प (C) - पुलकेशिन II
Q3. भारतीय इतिहास के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन सा सामंती व्यवस्था का आवश्यक तत्व है?
नीचे दिए गए कोड का उपयोग करके सही उत्तर चुनें:
उत्तर: विकल्प (B) – 2 और 3
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