दलित उपन्यासकार MCQ Quiz - Objective Question with Answer for दलित उपन्यासकार - Download Free PDF
Last updated on Mar 30, 2025
Latest दलित उपन्यासकार MCQ Objective Questions
दलित उपन्यासकार Question 1:
‘मानस का हंस' के अनुसार उपन्यास के अंतिम अंश में तुलसीदास 'विनय पत्रिका' के किस छन्द को अन्तिम छन्द कहते हुए उसे गाने लगते हैं ?
Answer (Detailed Solution Below)
दलित उपन्यासकार Question 1 Detailed Solution
सही उत्तर है- मारुति-मन, रूचि भरत की लखि लषन कही है।
Key Pointsमानस का हंस -
- उपन्यासकार - अमृतलाल नागर
- विधा - उपन्यास
- प्रकाशन वर्ष - 1972 ई.
- पात्र-
- मैना कहारिन
- बतासो
- रतना
- श्यामो की बुआ
- बाबा -तुलसीदास
- राजा -रजिया नाम से पुकारे जाने वाला पात्र, बाबा से आयु में एक दिन छोटे
- संत बेनीमाधव (सूकरखेत निवासी शिष्य)- पचास-पचपन वर्षीय
- रामू द्विवेदी (काशी से आए हुए शिष्य) -बाबा के शिष्य, इकतीस वर्षीय
- बकरीदी कक्का- बाबा से आयु में चार दिन बड़े
- पण्डित गणपति उपाध्याय -बाबा के पुराने शिष्य, अड़सठ-उनहत्तर वर्षीय
- बूढ़ा रमज़ानी - बकरीदी दर्ज़ी का छोटा बेटा, इकसठ-बासठ वर्षीय
- शिवदीन दुबे, नन्हकू, मनकू- गाँव के लोग
- हुलसिया-पंडाइन की मुँहबोली ननद
- पंडाइन
- पण्डित आत्माराम
- भैरोसिंह
- विषय -
- यह उपन्यास तुलसीदास के जीवन पर आधारित है।
- इसमें तुलसी के व्यक्तित्व की विभिन्न परतों को उजागर किया गया है।
- व्यक्तित्व के साथ-साथ इनके कृतित्व का भी उल्लेख किया गया है।
Important Pointsअमृतलाल नागर-
- जन्म - 1916-1960 ई.
- मुख्य उपन्यास -
- बूंद और समुंद्र(1956 ई.)
- शतरंज के मोहरे(1959 ई.)
- सुहाग के नुपूर(1960 ई.)
- अमृत और विषय(1966 ई.) आदि।
- खंजन नयन(1981 ई.) उपन्यास सूरदास के जीवन पर आधारित है।
Additional Informationतुलसीदास कृत 'विनय पत्रिका' का अन्तिम छन्द है-
- मारुति-मन,रुचि भरतकी लखि लषन कही है।
कलिकालहु नाथ!नाम सों परतीति-प्रीति एक किंकरकी निबही है ॥
सकल सभा सुनि लै उठी, जानी रीति रही है।
कृपा गरीब निवाजकी,देखत गरीबको साहब बाँह गही है ॥
बिहँसि राम कह्यो 'सत्यहै,सुधि मैं हूँ लही है'।
रघुनाथ
मुदित माथ नावत, बनी तुलसी अनाथकी,परी---------सही है ॥
दलित उपन्यासकार Question 2:
'मानस का हंस' उपन्यास के आधार पर किस सम्प्रदाय के मठ में तुलसीदास कोठारी बन गए?
Answer (Detailed Solution Below)
दलित उपन्यासकार Question 2 Detailed Solution
'मानस का हंस' उपन्यास के आधार पर रामानुजी सम्प्रदाय के मठ में तुलसीदास कोठारी बन गए।
- रामानुजी सम्प्रदाय-श्री सम्प्रदाय अति प्राचीन नाम है लेकिन अब इस संप्रदाय को इसके प्रमुख आचार्य के नाम से जाना जाता है।
- रामानुज सम्प्रदाय . वर्तमान में वैष्णव संप्रदाय के चारो संप्रदाय ये सभी संप्रदाय अपने प्रमुख आचार्यो के नाम से जाने जाते हैं।
- इसके आचार्य रामानुजाचार्य थे।
Key Points मानस का हंस-
- रचनाकार- अमृत लाल नागर
- विधा- उपन्यास
- प्रकाशन वर्ष- 1972 ई.
- विषय-
- यह गोस्वामी तुलसीदास जी के जीवन पर आधारित है।
- नागरजी ने इसे गहरे अध्ययन और मंथन के पश्चात अपने विशिष्ट लखनवी शैली में लिखा है।
- मुख्य पात्र-
- मैना कहारिन
- बतासो
- रतना
- राजा भगत
- श्यामो की बुआ
- बाबा -तुलसीदास
- संत बेनीमाधव
- पण्डित गणपति उपाध्याय
- बूढ़ा रमज़ानी
Important Points
अमृत लाल नागर-
- जन्म- 17 अगस्त 1916- 23 फरवरी 1990 ई.
- जन्म स्थान-आगरा, उत्तर प्रदेश,पिता- राजाराम नागर
- उपन्यास-
- महाकाल (1947 ई.)
- सेठ बांकेलाल (1955 ई.)
- बूँद और समुद्र (1956 ई.)
- शतरंज के मोहरे (1959 ई.)
- सुहाग के नुपूर (1960 ई.)
- अमृत और विष (1966 ई.)
- सात घूँघट वाला मुखड़ा (1968 ई.)
- एकदा नैमिषारण्ये (1972 ई.)
- मानस का हंस (1973 ई.)
- नाच्यो बहुत गोपाल (1978 ई.)
- खंजन नयन (1981 ई.)
- बिखरे तिनके (1982 ई.)
- अग्निगर्भा (1983 ई.)
- करवट (1985 ई.)
- पीढ़ियाँ (1990 ई.) आदि।
Additional Information
- अमृत और विष उपन्यास पर 1967 का साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त हुआ
- उन्हें भारत सरकार द्वारा 1981 ई.हिन्दी साहित्य सम्मलेन, प्रयाग द्वारा 'साहित्य वाचस्पति' उपाधि प्राप्त हुई।
- ब्रह्म संम्प्रदाय- मध्वाचार्य इसके प्रवर्तक थे, द्वैतवाद इस सम्प्रदाय का दर्शन था
- विशिष्टाद्वैत- यह श्री सम्प्रदाय का दर्शन था
- सखी सम्प्रदाय- इसे हरिदासी सम्प्रदाय भी कहते हैं
- स्वामी हरिदास इसके प्रवर्तक थे
दलित उपन्यासकार Question 3:
मन्नु भंडारी की निम्नलिखित रचनाओं में कौन-सी उपन्यास नहीं है ?
Answer (Detailed Solution Below)
दलित उपन्यासकार Question 3 Detailed Solution
सही उत्तर है - उपर्युक्त में से कोई नहीं।
Key Pointsमन्नु भंडारी द्वारा रचित अन्य कहानियां -
- एक प्लेट सैलाब (1962)
- मैं हार गई 1957)
- तीन निगाहों की एक तस्वीर
- यही सच है (1966)
- आंखों देखा झूठ
Additional Information
- मन्नु भंडारी की अन्य रचनाएँ -
उपन्यास | आपका बंटी, एक इंच मुस्कान, महाभोज |
आत्मकथा | एक कहानी यह भी |
नाटक | बिना दीवारों का घर |
दलित उपन्यासकार Question 4:
"बच्चो, जग चार होते हैं:
सोता हुआ कलजुग / छोड़ता हुआ द्वापर
खड़ा हुआ त्रेता और / चलता हुआ सतजुग।"
किस उपन्यास से है ?
Answer (Detailed Solution Below)
दलित उपन्यासकार Question 4 Detailed Solution
"बच्चो, जग चार होते हैं:
सोता हुआ कलजुग / छोड़ता हुआ द्वापर
खड़ा हुआ त्रेता और / चलता हुआ सतजुग।"
प्रस्तुत पंक्ति ज़िंदगीनामा उपन्यास से है।
Key Pointsज़िंदगीनामा -
- रचनाकार - कृष्णा सोबती
- प्रकाशन वर्ष - 1979 ई.
- विधा - उपन्यास
- जिंदगीनामा उपन्यास के लिए कृष्णा सोबती जी को वर्ष 2017 में ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
- एक आँचलिक उपन्यास है जिसमें पंजाब में रहने वाले लोगों के जिंदगी का यथार्थ चित्रण है।
- मानवीय स्वतंत्रता और रूढ़ि का प्रतिरोध इस उपन्यास की विशेषता है।
- उपन्यास में विभाजन पूर्व पंजाब के जनजीवन और संस्कृति का अद्भुत, शांत और सद्भावपूर्ण जीवन को दर्शाया गया है।
- लेखिका ने पंजाब के डेरा जट्टा गाँव की यादों को दृश्य के माध्य्म से इस उपन्यास में प्रस्तुत किया है।
- प्रमुख पात्र -
- शाहनी – प्रमुख नारी पात्र। जो कि एक हवेली की मालकिन है। यह शाहजी की पत्नी है।
- शाहजी – गाँव के जमींदार है। शाहनी उनकी दूसरी पत्नी है क्योंकि पहली की मृत्यु हो गयी है।
- महरी चाची – जो कि शाहनी के प्रति प्रेम भाव है और उसकी चाह है कि शाहनी माँ बने।
- लाली शाह – शाहनी और शाहजी का पुत्र ।
- राबयाँ – जो कि लाली शाह की देखभाल करती है। शाहजी के प्रति आकर्षित है।
Important Pointsमित्रो मरजानी -
- रचनाकार - कृष्णा सोबती
- प्रकाशन वर्ष - 1967 ई.
- विधा - लम्बी कहानी ( इसे लघु उपन्यास भी कहा जाता है )
- विषयवस्तु - इसमें देहधर्म के उफनते ज्वार के सहज स्वीकार की सम्पूर्ण साहसिकता है।
गोदान -
- रचनाकार - प्रेमचंद
- प्रकाशन वर्ष - 1936 ई.
- विधा - उपन्यास
- गोदान ग्राम्य जीवन और कृषि संस्कृति का महाकाव्य माना जाता है।
- 'गोदान' में समान्तर रूप से चलने वाली दोनो कथाएं हैं - एक ग्राम्य कथा और दूसरी नागरी कथा, लेकिन इन दोनो कथाओं में परस्पर सम्बद्धता तथा सन्तुलन पाया जाता है।
मैला आँचल -
- रचनाकार - फणीश्वरनाथ 'रेणु'
- प्रकाशन वर्ष - 1954 ई.
- विधा - उपन्यास
- विषयवस्तु - कथावस्तु बिहार राज्य के पूर्णिया जिले के मेरीगंज की ग्रामीण जिंदगी से संबद्ध है।
Additional Informationकृष्णा सोबती -
- उपन्यास -
- सूरजमुखी अँधेरे के (1972 ई.)
- दिलोदानिश (1993 ई.)
- समय सरगम (2000 ई.)
- गुजरात पाकिस्तान से गुजरात हिंदुस्तान (2017 ई.)
प्रेमचंद -
- उपन्यास -
- सेवासदन (1918 ई.)
- वरदान (1921 ई.)
- प्रेमाश्रम (1922 ई.)
- रंगभूमि (1925 ई.)
- निर्मला (1925 ई.)
- कायाकल्प (1926 ई.)
- निर्मला (1927 ई.)
- गबन (1931 ई.)
- कर्मभूमि (1933 ई.)
- मंगलसूत्र (अपूर्ण)
फणीश्वरनाथ 'रेणु' -
- उपन्यास -
- परती परिकथा (1957 ई.)
- दीर्घतपा (1963 ई.)
- जूलूस (1965 ई.)
- कितने चौराहे (1966 ई.)
- पलटू बाबू रोड (1979 ई.)
दलित उपन्यासकार Question 5:
हिन्दी साहित्यकारों के जीवन पर आधारित उपन्यास हैं-
(A) महासमर
(B) मानस का हंस
(C) बाणभट्ट की आत्मकथा
(D) खंजन नयन
नीचे दिए विकल्पों में से सही उत्तर का चयन कीजिए:
Answer (Detailed Solution Below)
दलित उपन्यासकार Question 5 Detailed Solution
हिन्दी साहित्यकारों के जीवन पर आधारित उपन्यास है-
- मानस का हंस
- खंजन नयन
Key Pointsमानस का हंस-
- प्रकाशन वर्ष-1972ई.
- विधा-उपन्यास
- रचनाकार-अमृतलाल नगर
- विषय-
- यह उपन्यास तुलसीदास के जीवन को आधार बनाकर लिखा गया है।
खंजन नयन-
- प्रकाशन वर्ष-1981ई.
- विधा-उपन्यास
- रचनाकर-अमृतलाल नगर
- विषय-
- यह उपन्यास सूरदास के जीवन को आधार बनाकर लिखा गया है।
Additional Informationअन्य रचनाएँ और रचनाकार-
रचना | प्रकाशन वर्ष | रचनाकार | विधा |
महासमर | 1988ई. | नरेन्द्र कोहली | उपन्यास |
बाणभट्ट की आत्मकथा | 1946ई. | हजारीप्रसाद द्विवेदी | उपन्यास |
Top दलित उपन्यासकार MCQ Objective Questions
'झूठा - सच' उपन्यास के पात्र हैं-
A. तारा, जयदेव
B. रणवीर, देवव्रत
C. सोमराज, रावत
D. सप्पन बाबू, सनीचर
नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर चुनिये :
Answer (Detailed Solution Below)
दलित उपन्यासकार Question 6 Detailed Solution
Download Solution PDF"तारा, जयदेव, सोमराज और रावत " "झूठा सच" उपन्यास के पात्र हैं। अतः उपर्युक्त विकल्पों में से विकल्प (1) A और C सही है तथा अन्य विकल्प असंगत हैं।
Key Points
- झूठा सच (1958-60) हिन्दी के सुप्रसिद्ध कथाकार यशपाल का उपन्यास है।
- झूठा सच भारत विभाजन (1947) की पृष्ठभूमि पर केंद्रित वृहत्तर एवं बहुआयामी फलक वाला उपन्यास है।
- यह दो भागों में विभाजित है:-
- वतन और देश (1958)
- देश का भविष्य (1960)
- यशपाल (3 दिसम्बर 1903 - 26 दिसम्बर 1976)
- साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में प्राप्त सम्मान :-
- देव पुरस्कार' (1955)
- 'सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार' (1970)
- 'मंगला प्रसाद पारितोषिक' (1971)
- 'पद्म भूषण' 1970
- साहित्य अकादमी पुरस्कार
Additional Information
निम्नलिखित में से कौन 'तमस' उपन्यास का पात्र नहीं है :-
Answer (Detailed Solution Below)
दलित उपन्यासकार Question 7 Detailed Solution
Download Solution PDF'तमस' उपन्यास का पात्र नहीं है-रत्तो। Key Points
- 'तमस'(1973ई.) -भीष्म साहनी द्वारा रचित उपन्यास है।
- विषय-
- यह 1947ई. के मार्च-अप्रैल में पंजाब में हुए भयानक सांप्रदायिक दंगों पर आधारित है।
- इसमें लाहौर के आसपास के 5 दिनों की कहानी वर्णित है।
- यह उपन्यास 2 खण्डों में विभाजित है।1)साम्प्रदायिक तनाव की कहानी; 2)अनेक गाँव उपन्यास की परिधि में आते हैं।
- इसमें सांप्रदायिक उन्माद के चित्रण के साथ- साथ उन स्थितियों और कारणों का भी चित्रण हुआ है जिनके फलस्वरूप आपसी वैमनस्य ने दंगों का रूप ले लिया।
- ब्रिटिश शासन और उसके कारिंदों को दंगे भड़काने की योजना का सूत्रधार चित्रित किया गया है।
Additional Information
- मुख्य पात्र-नत्थू,मुरादअली,बक्श जी,मेहता जी,रिचर्ड,लीजा,हरनाम सिंह,बंतो, राजो आदि।
- पात्र परिचय-
- नत्थू-निम्नवर्गीय पात्र,जाति से चमार,भोला व सीधा आदमी।
- रिचर्ड-अंग्रेज़ अफसर,शहर का डिप्टी कमीश्नर।
- हयात बक्श-मुस्लिम लीग का कार्यकर्ता।
Important Points
- अन्य उपन्यास-
उपन्यास | विषय |
झरोखा(1967) | एक बच्चे के माध्यम से आर्य समाजी परिवार की संस्कारगत जड़ता का विश्लेषण एवं उसके प्रति विद्रोह की प्रेरणा है। |
कड़ियाँ(1970) | विपरीत संस्कारों वाले मध्यवर्गीय पति-पत्नी की जीवन कथा वर्णित है। |
मय्यादास की माड़ी(1988) | ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर लिखित,सन 1840 से 1920ई. तक पंजाब के सामाजिक-राजनीतिक जीवन का यथार्थ चित्रण। |
नीलू नीलिमा नीलोफर(2000) | हिंदू-मुस्लिम युवक-युवतियों के प्रेम संबंध की कथा। |
निम्नलिखित में से विदेशी परिवेश पर आधारित कौन-से उपन्यास नहीं हैं ?
(a) परिशिष्ट
(b) चक्रव्यूह
(c) वे दिन
(d) सफ़र के साथी
निम्नलिखित में से सही विकल्प चुनिए
Answer (Detailed Solution Below)
दलित उपन्यासकार Question 8 Detailed Solution
Download Solution PDF- सही उत्तर विकल्प 2 है।
- A और B
Key Points
- परिशिष्ट और चक्रव्यूह - विदेशी परिवेश पर आधारित नहीं हैं।
- परिशिष्ट - दलित चेतना से संबंधित - 2011
- लेखक - गिरिराज किशोर
- चक्रव्यूह - कुंवर नारायण का प्रथम कविता संग्रह
Important Points
- वे दिन - निर्मल वर्मा - 1964 - चेकोस्लोवाकिया की पृष्ठभूमि पर आधारित
- सफर के साथी - सुनीता जैन - भारतीय और पाश्चात्य परिवेश के बीच द्वंद
दलित उपन्यासकार Question 9:
इनमें से कौन मनोविश्लेषणवादी कथाकार नहीं है ?
Answer (Detailed Solution Below)
दलित उपन्यासकार Question 9 Detailed Solution
आचार्य चतुरसेन शास्त्री मनोविश्लेषणवादी कथाकार नहीं है।
आचार्य चतुरसेन शास्त्री को प्रकृतिवादी उपन्यासकार माना जाता है।
आचार्य चतुरसेन शास्त्री की अधिकांश रचनाएँ ऐतिहासिक घटनाओं पर आधारित हैं।
उन्होंने अपना पहला उपन्यास ”हृदय की परख” रचा ।
उपन्यास-
- हृदय की परख (1918)
- हृदय की प्यास (1931)
- अमर अभिलाषा (1933)
- व्यभिचार (1924)
- आत्मदाह (1937)
जैनेन्द्र कुमार को हिन्दी में मनोविश्लेषणवादी उपन्यास का जनक माना जाता है।
मनोविश्लेषणवाद का प्रवर्तक सिगमंड फ्रायड को माना जाता है।
फ्रायड ने मानव मस्तिष्क के तीन भाग चेतन, अवचेतन और अर्ध-चेतन किये।
उन्होंने काम और व्यक्ति की दमित भावनाओं को सर्वाधिक महत्व दिया।
जैनेन्द्र के कहानी संग्रह-
- फाँसी (1929), वातायन (1930), नीलम देश की राजकन्या (1933)
- एक रात (1934), दो चिड़ियाँ (1935), पाजेब (1942), जयसंधि (1949)
अज्ञेय की कहानियाँ-
- विपथगा (1937), परम्परा (1944)
- कोठरी की बात (1945), शरणार्थी (1948), जयदोल (1951)
इलाचंद्र जोशी की कहानियाँ-
- धूपरेखा, दीवाली और होली, रोमांटिक छाया, आहुति
- खँडहर की आत्माएँ, डायरी के नीरस पृष्ठ, कटीले फूल लजीले काँटे।
दलित उपन्यासकार Question 10:
'झूठा - सच' उपन्यास के पात्र हैं-
A. तारा, जयदेव
B. रणवीर, देवव्रत
C. सोमराज, रावत
D. सप्पन बाबू, सनीचर
नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर चुनिये :
Answer (Detailed Solution Below)
दलित उपन्यासकार Question 10 Detailed Solution
"तारा, जयदेव, सोमराज और रावत " "झूठा सच" उपन्यास के पात्र हैं। अतः उपर्युक्त विकल्पों में से विकल्प (1) A और C सही है तथा अन्य विकल्प असंगत हैं।
Key Points
- झूठा सच (1958-60) हिन्दी के सुप्रसिद्ध कथाकार यशपाल का उपन्यास है।
- झूठा सच भारत विभाजन (1947) की पृष्ठभूमि पर केंद्रित वृहत्तर एवं बहुआयामी फलक वाला उपन्यास है।
- यह दो भागों में विभाजित है:-
- वतन और देश (1958)
- देश का भविष्य (1960)
- यशपाल (3 दिसम्बर 1903 - 26 दिसम्बर 1976)
- साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में प्राप्त सम्मान :-
- देव पुरस्कार' (1955)
- 'सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार' (1970)
- 'मंगला प्रसाद पारितोषिक' (1971)
- 'पद्म भूषण' 1970
- साहित्य अकादमी पुरस्कार
Additional Information
दलित उपन्यासकार Question 11:
कृष्णा सोबती की रचना है:
Answer (Detailed Solution Below)
दलित उपन्यासकार Question 11 Detailed Solution
उपर्युक्त सभी रचनाएं "कृष्णा सोबती" जी की है। अतः विकल्प (4) उपरोक्त सभी सही है।
Key Points
- कृष्णा सोबती जी का जन्म 1925 ईस्वी में हुआ।
- इनका जन्म गुजरात में हुआ था।
- सन 1980 में कृष्णा सोबती जी को "साहित्य अकादमी पुरस्कार" प्रदान किया गया था।
दलित उपन्यासकार Question 12:
मन्नु भंडारी की निम्नलिखित रचनाओं में कौन-सी उपन्यास नहीं है ?
Answer (Detailed Solution Below)
दलित उपन्यासकार Question 12 Detailed Solution
सही उत्तर है - उपर्युक्त में से कोई नहीं।
Key Pointsमन्नु भंडारी द्वारा रचित अन्य कहानियां -
- एक प्लेट सैलाब (1962)
- मैं हार गई 1957)
- तीन निगाहों की एक तस्वीर
- यही सच है (1966)
- आंखों देखा झूठ
Additional Information
- मन्नु भंडारी की अन्य रचनाएँ -
उपन्यास | आपका बंटी, एक इंच मुस्कान, महाभोज |
आत्मकथा | एक कहानी यह भी |
नाटक | बिना दीवारों का घर |
दलित उपन्यासकार Question 13:
निम्नलिखित में से कौन 'तमस' उपन्यास का पात्र नहीं है :-
Answer (Detailed Solution Below)
दलित उपन्यासकार Question 13 Detailed Solution
'तमस' उपन्यास का पात्र नहीं है-रत्तो। Key Points
- 'तमस'(1973ई.) -भीष्म साहनी द्वारा रचित उपन्यास है।
- विषय-
- यह 1947ई. के मार्च-अप्रैल में पंजाब में हुए भयानक सांप्रदायिक दंगों पर आधारित है।
- इसमें लाहौर के आसपास के 5 दिनों की कहानी वर्णित है।
- यह उपन्यास 2 खण्डों में विभाजित है।1)साम्प्रदायिक तनाव की कहानी; 2)अनेक गाँव उपन्यास की परिधि में आते हैं।
- इसमें सांप्रदायिक उन्माद के चित्रण के साथ- साथ उन स्थितियों और कारणों का भी चित्रण हुआ है जिनके फलस्वरूप आपसी वैमनस्य ने दंगों का रूप ले लिया।
- ब्रिटिश शासन और उसके कारिंदों को दंगे भड़काने की योजना का सूत्रधार चित्रित किया गया है।
Additional Information
- मुख्य पात्र-नत्थू,मुरादअली,बक्श जी,मेहता जी,रिचर्ड,लीजा,हरनाम सिंह,बंतो, राजो आदि।
- पात्र परिचय-
- नत्थू-निम्नवर्गीय पात्र,जाति से चमार,भोला व सीधा आदमी।
- रिचर्ड-अंग्रेज़ अफसर,शहर का डिप्टी कमीश्नर।
- हयात बक्श-मुस्लिम लीग का कार्यकर्ता।
Important Points
- अन्य उपन्यास-
उपन्यास | विषय |
झरोखा(1967) | एक बच्चे के माध्यम से आर्य समाजी परिवार की संस्कारगत जड़ता का विश्लेषण एवं उसके प्रति विद्रोह की प्रेरणा है। |
कड़ियाँ(1970) | विपरीत संस्कारों वाले मध्यवर्गीय पति-पत्नी की जीवन कथा वर्णित है। |
मय्यादास की माड़ी(1988) | ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर लिखित,सन 1840 से 1920ई. तक पंजाब के सामाजिक-राजनीतिक जीवन का यथार्थ चित्रण। |
नीलू नीलिमा नीलोफर(2000) | हिंदू-मुस्लिम युवक-युवतियों के प्रेम संबंध की कथा। |
दलित उपन्यासकार Question 14:
‘मानस का हंस' के अनुसार उपन्यास के अंतिम अंश में तुलसीदास 'विनय पत्रिका' के किस छन्द को अन्तिम छन्द कहते हुए उसे गाने लगते हैं ?
Answer (Detailed Solution Below)
दलित उपन्यासकार Question 14 Detailed Solution
सही उत्तर है- मारुति-मन, रूचि भरत की लखि लषन कही है।
Key Pointsमानस का हंस -
- उपन्यासकार - अमृतलाल नागर
- विधा - उपन्यास
- प्रकाशन वर्ष - 1972 ई.
- पात्र-
- मैना कहारिन
- बतासो
- रतना
- श्यामो की बुआ
- बाबा -तुलसीदास
- राजा -रजिया नाम से पुकारे जाने वाला पात्र, बाबा से आयु में एक दिन छोटे
- संत बेनीमाधव (सूकरखेत निवासी शिष्य)- पचास-पचपन वर्षीय
- रामू द्विवेदी (काशी से आए हुए शिष्य) -बाबा के शिष्य, इकतीस वर्षीय
- बकरीदी कक्का- बाबा से आयु में चार दिन बड़े
- पण्डित गणपति उपाध्याय -बाबा के पुराने शिष्य, अड़सठ-उनहत्तर वर्षीय
- बूढ़ा रमज़ानी - बकरीदी दर्ज़ी का छोटा बेटा, इकसठ-बासठ वर्षीय
- शिवदीन दुबे, नन्हकू, मनकू- गाँव के लोग
- हुलसिया-पंडाइन की मुँहबोली ननद
- पंडाइन
- पण्डित आत्माराम
- भैरोसिंह
- विषय -
- यह उपन्यास तुलसीदास के जीवन पर आधारित है।
- इसमें तुलसी के व्यक्तित्व की विभिन्न परतों को उजागर किया गया है।
- व्यक्तित्व के साथ-साथ इनके कृतित्व का भी उल्लेख किया गया है।
Important Pointsअमृतलाल नागर-
- जन्म - 1916-1960 ई.
- मुख्य उपन्यास -
- बूंद और समुंद्र(1956 ई.)
- शतरंज के मोहरे(1959 ई.)
- सुहाग के नुपूर(1960 ई.)
- अमृत और विषय(1966 ई.) आदि।
- खंजन नयन(1981 ई.) उपन्यास सूरदास के जीवन पर आधारित है।
Additional Informationतुलसीदास कृत 'विनय पत्रिका' का अन्तिम छन्द है-
- मारुति-मन,रुचि भरतकी लखि लषन कही है।
कलिकालहु नाथ!नाम सों परतीति-प्रीति एक किंकरकी निबही है ॥
सकल सभा सुनि लै उठी, जानी रीति रही है।
कृपा गरीब निवाजकी,देखत गरीबको साहब बाँह गही है ॥
बिहँसि राम कह्यो 'सत्यहै,सुधि मैं हूँ लही है'।
रघुनाथ
मुदित माथ नावत, बनी तुलसी अनाथकी,परी---------सही है ॥
दलित उपन्यासकार Question 15:
हिन्दी साहित्यकारों के जीवन पर आधारित उपन्यास हैं-
(A) महासमर
(B) मानस का हंस
(C) बाणभट्ट की आत्मकथा
(D) खंजन नयन
नीचे दिए विकल्पों में से सही उत्तर का चयन कीजिए:
Answer (Detailed Solution Below)
दलित उपन्यासकार Question 15 Detailed Solution
हिन्दी साहित्यकारों के जीवन पर आधारित उपन्यास है-
- मानस का हंस
- खंजन नयन
Key Pointsमानस का हंस-
- प्रकाशन वर्ष-1972ई.
- विधा-उपन्यास
- रचनाकार-अमृतलाल नगर
- विषय-
- यह उपन्यास तुलसीदास के जीवन को आधार बनाकर लिखा गया है।
खंजन नयन-
- प्रकाशन वर्ष-1981ई.
- विधा-उपन्यास
- रचनाकर-अमृतलाल नगर
- विषय-
- यह उपन्यास सूरदास के जीवन को आधार बनाकर लिखा गया है।
Additional Informationअन्य रचनाएँ और रचनाकार-
रचना | प्रकाशन वर्ष | रचनाकार | विधा |
महासमर | 1988ई. | नरेन्द्र कोहली | उपन्यास |
बाणभट्ट की आत्मकथा | 1946ई. | हजारीप्रसाद द्विवेदी | उपन्यास |