नाटकों के पात्र MCQ Quiz - Objective Question with Answer for नाटकों के पात्र - Download Free PDF

Last updated on Jul 1, 2025

Latest नाटकों के पात्र MCQ Objective Questions

नाटकों के पात्र Question 1:

“नारी का आकर्षण पुरुष को पुरुष बनाता है, तो उसका अपकर्षण उसे गौतम बुद्ध बना देता है।” यह कथन किन दो पात्रों के बीच का संवाद है ?

  1. सुन्दरी - नीहारिका
  2. सुन्दरी - नंद
  3. सुन्दरी - अलंका
  4. अलका - नीहारिका

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : सुन्दरी - नंद

नाटकों के पात्र Question 1 Detailed Solution

“नारी का आकर्षण पुरुष को पुरुष बनाता है, तो उसका अपकर्षण उसे गौतम बुद्ध बना देता है।” यह कथन सुन्दरी - नंद दो पात्रों के बीच का संवाद है

Key Pointsलहरों के राजहंस-

  • रचनाकार-मोहन राकेश 
  • प्रकाशन वर्ष-1963 ई.
  • विधा-नाटक 
  • प्रमुख पात्र-
    • नंद,सुंदरी,अलका,मैत्रेय,नीहारिका,भिक्षु आनंद,शशांक,स्वेतांग,स्यामांग आदि। 
  • विषय-
    • यह नाटक बुद्ध के भाई नन्द पर आधारित है।
    • इस्म्र भौतिकवाद और अध्यात्मवाद का द्वन्द है।
    • इन दोनों किनारों के मध्य खड़े मनुष्य को समन्वय से ही सही दिशा मिल सकती है।
    • इसकी रचना अश्वघोष के महाकाव्य 'सौरानंद' के आधार पर की गयी है।

Important Pointsमोहन राकेश-

  • नाटक-
    • आषाढ़ का एक दिन (1958 ई.)
    • आधे-अधूरे (1969 ई.) आदि।

नाटकों के पात्र Question 2:

चंद्रगुप्त नाटक से संबंधित पात्र परिचय को सुमेलित कीजिए :

पात्र

परिचय

(i)

वररुचि

1.

शकटार की कन्या

(ii)

मालविका 

2.

सिन्धु देश की राजकुमारी

(iii)

सुवासिनी 

3.

मगध का अमात्य

(iv)

फिलिप्स 

4.

सिकंदर का क्षत्रप

  1. (i) - 3, (ii) - 2, (iii) - 1, (iv) - 4
  2. (i) - 4, (ii) - 1, (iii) - 2, (iv) - 3
  3. (i) - 2, (ii) - 1, (iii) - 4, (iv) - 3
  4. (i) - 1, (ii) - 2, (iii) - 3, (iv) - 4

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : (i) - 3, (ii) - 2, (iii) - 1, (iv) - 4

नाटकों के पात्र Question 2 Detailed Solution

सही उत्तर है- (i) - 3, (ii) - 2, (iii) - 1, (iv) - 4

Key Pointsसही सुमेलन है-

पात्र

परिचय

(i)

वररुचि

3.

मगध का अमात्य 

(ii)

मालविका 

2.

सिन्धु देश की राजकुमारी

(iii)

सुवासिनी 

1.

शकटार की कन्या

(iv)

फिलिप्स 

4.

सिकंदर का क्षत्रप

Important Pointsचन्द्रगुप्त-

  • रचनाकार- जयशंकर प्रसाद
  • प्रकाशन वर्ष- 1931 ई. 
  • विधा- नाटक
  • विषय-
    • चन्द्रगुप्त तथा चाणक्य का अत्याचारी नंद तथा विदेशी यूनानियों से संघर्ष का चित्रण है। 
  • पुरुष पात्र-
    • चन्द्रगुप्त, चाणक्य, सिंहरण, सिकंदर, फिलिप्स, गंधार आदि।
  • स्त्री पात्र-
    • अलका, सुवासिनी, कल्याणी, कार्नेलिया आदि। 

Additional Informationजयशंकर प्रसाद-

  • जन्म-1889-1937 ई. 
  • छायावादी प्रमुख स्तम्भ है।
  • काव्य संग्रह-
    • उर्वशी(1909 ई.)
    • वन मिलन(1909 ई.)
    • कानन कुसुम(1913 ई.)
    • प्रेम पथिक(1913 ई.)
    • चित्राधार(1918 ई.)
    • झरना(1918 ई.)
    • आँसू(1925 ई.) आदि। 
  • उपन्यास-
    • कंकाल(1929 ई.)
    • तितली(1934 ई.)
    • इरावती(1936 ई.) आदि। 
  • नाटक-
    • सज्जन(1910 ई.)
    • कल्याणी परिणय(1912 ई.)
    • करुणालय(1912 ई.)
    • विशाख(1921 ई.)
    • अजातशत्रु(1922 ई.)
    • स्कंदगुप्त(1928 ई.)
    • ध्रुवस्वामिनी(1933 ई.) आदि। 
  • निबंध-
    • काव्य और कला तथा अन्य निबंध(1959 ई.)
    • यथार्थवाद और छायावाद 
    • रहस्यवाद 
    • नाटकों का आरंभ आदि।  

नाटकों के पात्र Question 3:

"मेरी ममता ही वहाँ नीति थी, मर्यादा थी।"

‘अन्धा युग' से उद्धृत यह कथन किस पात्र का है ?

  1. गान्धारी
  2. अश्वत्थामा
  3. धृतराष्ट्र 
  4. संजय

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : गान्धारी

नाटकों के पात्र Question 3 Detailed Solution

सही उत्तर है- गांधारी

Key Pointsअंधा युग-

  • रचनाकार- धर्मवीर भारती 
  • विधा- नाटक
  • प्रकाशन वर्ष- 1954 ई. 
  • मुख्य पात्र-
    • अश्वथामा
    • धृतराष्ट्र
    • कृतवर्मा
    • संजय
    • कृष्ण
    • युधिष्ठिर
    • कृपाचार्य
    • युसुत्सु आदि।
  • विषय-
    • यह महाभारत के 18 वें दिन पर आधारित है। 
    • इसके 5 अंक है। 
    • इसमें युद्ध की विभीषिका के बारे में बताया गया है।

Important Pointsधर्मवीर भारती-

  • जन्म-1926-1997 ई.
  • इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश में इनका जन्म हुआ था। 
  • आधुनिक हिन्दी साहित्य के प्रमुख लेखक, कवि, नाटककार और सामाजिक विचारक थे।
  • वे साप्ताहिक पत्रिका 'धर्मयुग' के प्रधान संपादक भी रहे।
  • डॉ. धर्मवीर भारती को 1972 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया। 
  • दूसरा सप्तक के प्रमुख कवि है। 
  • काव्य रचनाएँ-
    • ठंडा लोहा (1952 ई.)
    • कनुप्रिया (1959 ई.)
    • सात गीत वर्ष (1959 ई.)
    • देशान्तर (1960 ई.) आदि। 
  • गीतिनाट्य-
    • अंधायुग (1954 ई.)
  • कहानी संग्रह-
    • मुर्दों का गाँव (1946 ई.)
    • स्वर्ग और पृथ्वी (1949 ई.)
    • चाँद और टूटे हुए लोग (1955 ई.) आदि। 
  • उपन्यास-
    • गुनाहों का देवता(1949 ई.)
    • सूरज का सातवाँ घोडा (1952 ई.) आदि। 
  • निबंध संग्रह-
    • ठेले पर हिमालय (1958 ई.)
    • कहनी-अनकहनी (1970 ई.)
    • पश्यंती (1969 ई.)
    • साहित्य विचार और स्मृति (2003 ई.) आदि।

नाटकों के पात्र Question 4:

"चंद्रगुप्त" नाटक में निम्नलिखित में से कौन सा उद्धरण चाणक्य का नहीं है?

  1. "त्याग और क्षमा, तप व विद्या - तेज व सम्मान के लिये है।"
  2. "मैं क्रूर हूँ केवल वर्तमान के लिये, भविष्य के सुख व शांति के लिये।"
  3. "अरुण यह मधुमय देश हमारा, जहाँ पहुँच अनजान क्षितिज को मिलता एक सहारा।"
  4. "समझदारी आने पर यौवन चला जाता है।... मैं अविश्वास, कूट चक्र और छलनाओं का कंकाल...."

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : "अरुण यह मधुमय देश हमारा, जहाँ पहुँच अनजान क्षितिज को मिलता एक सहारा।"

नाटकों के पात्र Question 4 Detailed Solution

उत्तर- "अरुण यह मधुमय देश हमारा, जहाँ पहुँच अनजान क्षितिज को मिलता एक सहारा।"
 

विश्लेषण:

  • यह उद्धरण कार्नेलिया का है, जो द्वितीय अंक में दिया गया है। शेष सभी उद्धरण चाणक्य के हैं, जो उसकी दूरदर्शिता, क्रूरता, और आत्मचिंतन को दर्शाते हैं।

नाटकों के पात्र Question 5:

"चंद्रगुप्त" नाटक में मालविका ने चंद्रगुप्त के लिए क्या बलिदान दिया

  1. उसने चंद्रगुप्त को अपनी सेना सौंप दी
  2. उसने चंद्रगुप्त के लिए सिकंदर से युद्ध किया
  3. उसने अपने प्राणों की आहुति देकर चंद्रगुप्त की प्राण-रक्षा की
  4. उसने चंद्रगुप्त के लिए नंद को हराया

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : उसने अपने प्राणों की आहुति देकर चंद्रगुप्त की प्राण-रक्षा की

नाटकों के पात्र Question 5 Detailed Solution

उत्तर- उसने अपने प्राणों की आहुति देकर चंद्रगुप्त की प्राण-रक्षा की
 

विश्लेषण:

  • चतुर्थ अंक में मालविका (सिंधु देश की राजकुमारी) अपने प्राणों की आहुति देकर चंद्रगुप्त की प्राण-रक्षा करती है, जो उसकी वीरता और बलिदान को दर्शाता है।

Top नाटकों के पात्र MCQ Objective Questions

निम्नलिखित में से किस पात्र का संबंध 'चंद्रगुप्त' नाटक से नहीं है?

  1. एलिस 
  2. जयमाला
  3. अलका 
  4. लीला

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : जयमाला

नाटकों के पात्र Question 6 Detailed Solution

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 जयमाला का संबंध चंद्रगुप्त नाटक से नहीं है।

Key Points

चंद्रगुप्त  नाटक

  • रचनाकार - जयशंकर प्रसाद
  • रचनाकाल - 1931 ई.
  • अन्य - इसका कथानक प्रसिद्ध ऐतिहासिक घटनाओं अलक्षेंद्र का आक्रमण, नंद वंश का नाश, सेल्यूकस का पराभव, चंद्रगुप्त की प्रतिष्ठा के आधार पर निर्मित है।
    • `चंद्रगुप्त नाटक में कुल 4 अंक और 44 दृश्य है।
  • चंद्रगुप्त नाटक के पात्र
    • नारी पात्र - अलका, सुवासिनी, कल्याणी, मालविका, कार्नेलिया ,एलिस, नीला, लीला। 
    • पुरुष पात्र - चंद्रगुप्त, चाणक्य, राक्षस ,पर्वतेश्वर ,सिहरण, आम्भिक, वररूचि, शकटार,सिकंदर, फिलिप्स, देवल, नागदा, गांधार नरेश,मौर्य सेनापति

 Important Points

जयशंकर प्रसाद के नाटक-

  • सज्जन (1910 ई.)
  • कल्याणी परिणय (1912 ई.)
  • करुणालय (1912 ई.)
  • प्रायश्चित (1913 ई.)
  • राजश्री (1915 ई.)
  • विशाख (1921 ई.)
  • अजातशत्रु (1922 ई.)
  • जन्मेजय का नाग यज्ञ (1926 ई.)
  • कामना (1927 ई.)
  • स्कंदगुप्त (1928 ई.)
  • एक घूंट (1930 ई.)
  • चंद्रगुप्त (1931 ई.)
  • ध्रुवस्वामिनी (1933 ई.)

 Additional Information

जयशंकर प्रसाद

  • जन्म - 1889 ई.
  • जन्म स्थान - काशी सुघनी साहू परिवार  उत्तर प्रदेश में।
  • उपनाम - झारखंडी, खंडेराव, कलाधर
  • गुरु -  रसमयसिद्ध और दीनबंधु
  • अन्य - ब्रज भाषा में कलाधर नाम से रचना करते थे।
    • इन्हें 'छायावाद का ब्रह्मा' कहा जाता था
    • मुकुटधर पांडे के अनुसार यह छायावाद के प्रवर्तक है।
    • छायावादी शैली का प्रथम काव्य संग्रह 'झरना' (1918 ई.)
    • कालक्रमानुसार प्रथम काव्य संग्रह 'चित्राधार' (1917 ई.)
    • खड़ी बोली रचनाओं का प्रथम काव्य संग्रह 'कानन कुसुम' (1918 ई.)

'अरूण यह मधुमय देश हमारा' यह किसने कहा?

  1. ध्रुवस्‍वामिनी
  2. देवसेना
  3. कार्नेलिया
  4. मधुलिका

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : कार्नेलिया

नाटकों के पात्र Question 7 Detailed Solution

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"अरुण यह मधुमय देश हमारा", "कार्नेलिया" ने कहा है। अतः उपर्युक्त विकल्पों में से विकल्प (3) कार्नेलिया सही है तथा अन्य विकल्प असंगत है।

Key Points

  • कार्नेलिया भारत भूमि की महिमा का बखान कर रही है।
  • 'कार्नेलिया का गीत’ प्रसाद के प्रसिद्ध नाटक ’चंद्रगुप्त’ का एक प्रसिद्ध गीत है। 
  • सिकन्दर के सेनापति सिल्यूकस की पुत्री कार्नेलिया सिंधू नदी के किनारे ग्रीक शिविर के पास एक वृक्ष के नीचे बैठी है। 
  • यह नाटक मौर्य साम्राज्य के संस्थापक ‘चन्द्रगुप्त मौर्य’ के उत्थान की कथा नाट्य रूप में कहता है।
  • चन्द्रगुप्त सन् 1931 में रचित है।

Important Points

  • जयशंकर प्रसाद (30 जनवरी 1889 - 15 नवंबर 1937)
  • वे हिन्दी के छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक हैं।
  • वे नागरीप्रचारिणी सभा के उपाध्यक्ष भी थे।
  • उनकी सर्वप्रथम छायावादी रचना 'खोलो द्वार' 1914 ई. में इंदु में प्रकाशित हुई।
  • सन्‌ 1912 ई. में 'इंदु' में उनकी पहली कहानी 'ग्राम' प्रकाशित हुई।
  • हिंदी में 'करुणालय' द्वारा गीत नाट्य का भी आरंभ किया।
  • सुमित्रानंदन पंत  कामायनी को 'हिंदी में ताजमहल के समान' मानते हैं।

Additional Information

जयशंकर प्रसाद की रचनाएं निम्नलिखितहैं :-

कविता संग्रह

कहानी संग्रह

उपन्यास

कानन कुसुम

छाया

कंकाल

महाराणा का महत्व

प्रतिध्वनि

तितली

झरना (1918)

आकाशदीप

इरावती

आंसू

इंद्रजाल

लहर

कामायनी (1935)

प्रेम पथिक

'भाषा ठीक करने से पहले मैं मनुष्यों को ठीक करना चाहता हूँ, समझे।'

प्रस्तुत संवाद 'चन्द्रगुप्त' नाटक के किस पात्र का है?

  1. वररुचि
  2. चाणक्य
  3. चन्द्रगुप्त
  4. राक्षस

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : चाणक्य

नाटकों के पात्र Question 8 Detailed Solution

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  • सही उत्तर विकल्प 2 है।
  • यह संवाद चन्द्रगुप्त नाटक में चाणक्य के द्वारा कहा गया है।

 

Key Points

  • नाटक कार - जयशंकर प्रसाद
  • प्रकाशन वर्ष - 1931
  • प्रमुख पात्र - चन्द्रगुप्त, चाणक्य, शकटार, आंभीक, सेल्यूकस, कार्नेलिया, कल्याणी, मालविका आदि

 

Important Points

  • मुख्य संवाद -
  1. महत्वाकांक्षा का मोती निष्ठुरता की सीप में ठहरता है। - चाणक्य चन्द्रगुप्त से
  2. आत्मसम्मान के लिए मर मिटना ही दिव्य जीवन है। - चन्द्रगुप्त

 

  • प्रसाद के अन्य महत्वपूर्ण नाटक -
  • करुणालय - 1912
  • प्रायश्चित - 1913
  • राज्य श्री - 1915
  • अजातशत्रु - 1922
  • जनमेजय का नागयज्ञ - 1926
  • स्कंदगुप्त - 1928
  • ध्रुव स्वामिनी- 1933

 

Additional Information

  • प्रसाद ऐतिहासिक नाटक कार हैं।
  • इन पर बांग्ला नाटक कार द्विजेंद्र लाल राय और अंग्रेजी नाटक कार विलियम शेक्सपियर का प्रभाव है।

"मर्यादा मत तोड़ो
तोड़ी हुई मर्यादा
कुचले हुए अजगर-सी
गुजलिका में कौरव वंश को लपेटकर
सूखी लकड़ी-सा तोड़ डालेगी ।”
'अंधायुग' का उपर्युक्त संवाद किसका है?
 

  1. भीष्म
  2. द्रोणाचार्य
  3. कृष्ण
  4. विदुर

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : विदुर

नाटकों के पात्र Question 9 Detailed Solution

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  • उपर्युक्त संवाद विदुर द्वारा कहा गया है । यह संवाद धर्मवीर भारती द्वारा लिखित नाटक अंधा युग का है ।
  • अंधा युग नाटक १९५५  ​में प्रकाशित हुआ ।

Key Points

  • ५ अंकों का यह नाटक महाभारतकालीन युद्ध की पृष्ठभूमि में लिखा गया है ।
  • प्रमुख पात्र - कृष्ण , अश्वथामा , गांधारी , धृतराष्ट्र , युधिष्ठर , कृतवर्मा , कृपाचार्य , संजय , युयुत्सु , वृद्ध याचक  आदि ।
  • यह एक गीतिनाट्य है ।
  • अंधा युग एक सशक्त आधुनिक त्रासदी है ।

Important Points 

  • यह तनावों का नाटक है संघर्ष का नहीं - बच्चन सिंह ।
  • धर्मवीर भारती मूलतः प्रेम के कवि हैं ।
  • इनकी प्रमुख रचनाएं हैं - ठंडा लोहा ( १९५२ ) , अनुप्रिया ( १९५९) , सात गीत वर्ष ( १९५९ ) , देशांतर ।
  • व्यक्ति स्वातंत्र्य इनकी कविताओं का केंद्र बिंदु है ।

'सिन्दूर की होली' के किस पात्र ने विधवा मनोरमा का हाथ जीवन भर अविवाहित रहने के लिए पकड़ा, न कि उसे अपनी स्त्री बनाने के लिए?

  1. मुरारीलाल
  2. मनोजशंकर
  3. रजनीकांत
  4. भगवंत सिंह

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : मनोजशंकर

नाटकों के पात्र Question 10 Detailed Solution

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'सिन्दूर की होली' के मनोजशंकर पात्र ने विधवा मनोरमा का हाथ जीवन भर अविवाहित रहने के लिए पकड़ा, न कि उसे अपनी स्त्री बनाने के लिए|

Key Points

  • 'सिंदूर की होली'(1934ई.) नाटक लक्ष्मीनारायण मिश्र द्वारा रचित है।
  • यह नाटक 2 अंकों में विभाजित हैं।
  • पात्र-रजनीकांत,मनोज शंकर,मुरारीलाल,माहिर अली,भगवंत सिंह,चन्द्रकला,मनोरमा आदि।

Important Points

  • लक्ष्मीनारायण मिश्र-सामाजिक व ऐतिहासिक नाटककार हैं।इनके ऐतिहासिक नाटक संस्कृत नाट्यशैली में लिखे गए हैं।
  • इनपर पश्चिम के नाटककार बर्नाड शॉ और इब्सन का प्रभाव था।
  • मुख्य नाटक-राक्षस का मंदिर(1931ई.),संन्यासी(1930ई.),मुक्ति का रहस्य(1932ई.),राजयोग(1933ई.),आधी रात(1934ई.) आदि।

Additional Information

  • "पुरुष बली है-सब तरह से बली ही रहेगा...मैं द्वंद में विश्वास नहीं करती।स्त्री ने स्वयं अपना नरक बनाया है... पुरुष उसके लिए दोषी नहीं है..हमने कभी अपनी आत्मा की पुकार नही सुनी.."-चन्द्रकला,मनोरमा से।
  • "पुरुष आँख के लोलुप होते हैं,विशेषतः स्त्रियों के सम्बंध में,मृत्यु-शैय्या पर भी सुंदर स्त्री इनके लिए सबसे बड़ी लोभ की चीज़ हो जाती है।"-मनोरमा,मुरारीलाल से।

पर्णदत्त जयशंकर प्रसाद के किस नाटक का पात्र है?

  1. कल्याणी परिणय
  2. राज्यश्री
  3. स्कन्दगुप्त
  4. अजातशत्रु

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : स्कन्दगुप्त

नाटकों के पात्र Question 11 Detailed Solution

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पर्णदत्त जयशंकर प्रसाद के-3) स्कन्दगुप्त नाटक का पात्र है।

Key Points

  • कल्याणी परिणय-1912- अन्य पात्र-चन्द्रगुप्त,कार्नेलिया,सिल्यूकस आदि।
  • राज्यश्री-1915- अन्य पात्र- ग्रहवर्मन,राज्यश्री आदि।
  • अजातशत्रु-1922- अन्य पात्र-बिम्बसार,उदयन,पद्मावती,वासवी प्रसेनजित आदि।

Important Points

  • स्कन्दगुप्त नाटक 1928 में प्रकाशित हुआ।
    इस नाटक में पाँच अंक हैं तथा अध्यायों की योजना दृश्यों पर आधारित है।
  • स्कन्दगुप्त नाटक के अन्य पात्र-स्कन्दगुप्त,कुमारगुप्त,गोविन्दगुप्त,चक्रपालित,बन्धुवर्म्मा,भीमवर्म्मा,शर्वनाग,कुमारदास (धातुसेन),पुरगुप्त,भटार्क,पृथ्वीसेन,देवसेना आदि हैं।

Additional Information

  • स्कन्दगुप्त ने भारत की हूणों से रक्षा की। 
  • इन्होंने पुष्यमित्रों को हराकर विक्रमादित्य की उपाधि प्राप्त की।
  • पर्णदत्त – मगध का महानायक है।

निम्नलिखित में से ‘आषाढ़ का एक दिन’ के पात्र कौन हैं?

(A) श्वेतांग

(B) दन्तुल

(C) अनुस्वार

(D) श्यामांग

नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए :

  1. (A) और (B)
  2. (B) और (C)
  3. (C) और (D)
  4. (B) और (D)

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : (B) और (C)

नाटकों के पात्र Question 12 Detailed Solution

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विकल्प 2 (B) और (C) सही है।

Key Points

दन्तुल और अनुस्वार आषाढ़ का एक दिन के पात्र हैं।

यह दोनों गौण पात्र हैं।

नाटक के प्रमुख पात्र 

कालिदास, विलोम, मातुल और निक्षेप और प्रमुख नारी पात्र हैं मल्लिका, अम्बिका, प्रियंगुमंजरी आदि।

दन्तुल, रंगिणी, संगिणी, अनुस्वार और अनुनासिक आदि गौण पात्र हैं।

आचार्य वररूचि और गुप्त-वंश सम्राट सूच्य पात्र हैं।

कालिदास दुर्बल चरित्र का व्यक्ति है।

Important Points

आषाढ़ का एक दिन

लेखक :- मोहन राकेश

विधा :- ऐतिहासिक नाटक

वर्ष :- 1958

कालिदास के जीवन पर आधारित।  

Additional Information

श्यामांग व श्वेतांग लहरों के राजहंस नाटक के पात्र हैं।

यह भी मोहन राकेश का नाटक है।

श्यामांग :- नंद का कर्मचारी। यह वैचारिक रूप से अन्तद्र्वन्द्व में जीता हैं। इसका मन भी नंद और लहरों के राजहंस की तरह स्थिर नहीं है।

श्वेतांग :- नंद का प्रधान कर्मचारी तथा राजमहलों में नंद और सुन्दरी का विश्वासपात्र।

नाटक के अन्य पात्र

नंद :- नाटक का केन्द्रीय पात्र नंद गौतम बुद्ध का सौतेला भाई था।

सुन्दरी :-

नंद की रूप गर्विता रानी जो सांसारिकता में पूरी तरह रमी हुई हैं।

वह गौतम बुद्ध के सन्यास के लिए प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से यशोधरा की उदासीनता को दोषी मानती है।

सुंदरी संसार का प्रतीक है।

अलका :-  सुन्दरी की परिचारिका व सहेली जो उसका पूरा ध्यान रखती हैं।

नीहारिका :- दासी।

भिक्षु आनंद :-  गौतम बुद्ध का शिष्य।

मैत्रेय :- नंद का मित्र।

शंशाक :- गृहाधिकारी।

निम्नलिखित स्त्री-पात्रों को संबद्ध नाटकों के साथ सुमेलित कीजिए:

सूची – I

सूची – II

(a) उर्वी

(i) सूर्यमुख

(b) सुन्दरी

(ii) स्कन्दगुप्त

(c) वेनुरती

(iii) देहान्तर

(d) देवसेना

(iv) पहला राजा

 

(v) लहरों के राजहंस

  1. (a) - (i), (b) - (iii), (c) - (iv), (d) - (ii)
  2. (a) - (iv), (b) - (iii), (c) - (ii), (d) - (v)
  3. (a) - (iv) , (b) - (v), (c) - (i), (d) - (ii)
  4. (a) - (v), (b) - (iv), (c) - (iii), (d) - (ii)

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : (a) - (iv) , (b) - (v), (c) - (i), (d) - (ii)

नाटकों के पात्र Question 13 Detailed Solution

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उपर्युक्त विकल्पों में से विकल्प (a) - (iv) , (b) - (v), (c) - (i), (d) - (ii) सही है तथा अन्य विकल्प असंगत हैं।

Key Points

पात्र

नाटक

रचनाकार

रचना वर्ष

उर्वी

पहला राजा

जगदीश चंद्र माथुर

1969

सुन्दरी

लहरों के राजहंस

मोहन राकेश

1964

वेनुरती

सूर्यमुख

लक्ष्मी नारायण लाल

1968

देवसेना

स्कंद गुप्त

जयशंकर प्रसाद

1928

Important Points

  • स्कंद गुप्त
    • विषय :- इसमें कुमारगुप्त के अभिलाषी साम्राज्य की उस स्थिति का चित्रण हुआ है जहां आंतरिक कलह संघर्ष और विदेशी आक्रमण के फल स्वरुप उसके भावि क्षय  के लक्षण प्रकट हुए हैं।
    • नारी पात्र :- कमला रामा देव की अनंत देवी जय माल देवसेना विजया मालिनी
    • पुरुष पात्र :- स्कंद गुप्त कुमार गुप्त गोविंद गुप्त पर्णदत्त, मातृगुप्त, प्रपंच बुद्धि, कुमार दास (धातु सेन) पर गुप्त, भट्टार्क, पृथ्वी सेन, खिंगल, मुद्गल, प्रख्यातकीर्ति
  • पहला राजा
    • नारी पात्र:- सुनीथा, दासी, अर्चना, उर्वी
    • पुरुष पात्र :-  गर्ग, अत्री, शुक्राचार्य, सूत, मागध, पृथु , पहला मुखिया, दूसरा मुखिया, तीसरा मुखिया, अन्य ग्रामीण आदि
  • लहरों के राजहंस
    • प्रमुख पात्र :-  नंद (बुद्ध का सौतेला भाई),  सुंदरी (नंद की पत्नी),  अलका (दासी), मैत्रेय (नंद का एक मित्र),  निहारिका (दासी),  भिक्षु आनंद (बुद्ध का शिष्य) ,  बिन्नी (बड़ी लड़की),  किन्नी (छोटी लड़की),  अशोक (लड़का)
Additional Information
  • लक्ष्मी नारायण लाल के नाटक
    • अंधा कुआं(1955),  मादा कैक्टस (1959),  तीन आंखों वाली मछली (1960), सुंदर रस , सुखा सरोवर (1960), रक्त कमल (1962), रातरानी (1962),  दर्पण (1963),  सूर्यमुख (1968), कलंकी (1969),  मिस्टर अभिमन्यु (1971), कर्फ्यू (1972), अब्दुल्ला दीवाना (1973), राम की लड़ाई (1979), सगुन पक्षी (1977), पंच पुरुष (1978), गंगा माटी
  • देहांतर
    • देहांतर नाटक नंदकिशोर आचार्य जी का है।
    • इसका रचना वर्ष 1987 ईस्वी है।

'मैंने भावना में एक भाव का वरण किया है। मेरे लिए वह सम्बन्ध और सम्बन्धों से बड़ा है। मैं वास्तव में अपनी भावना से प्रेम करती हूँ जो पवित्र है, कोमल है, अनश्वर है ________।' - यह संवाद किस पात्र का किसके प्रति है?

  1. कालिदास का मल्लिका के प्रति
  2. मल्लिका का स्वगत
  3. मल्लिका का अम्बिका के प्रति
  4. मल्लिका का कालिदास के प्रति

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : मल्लिका का अम्बिका के प्रति

नाटकों के पात्र Question 14 Detailed Solution

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  • सही उत्तर विकल्प 3 है।
  • यह कथन मल्लिका ने अंबिका से कहा था।

 

Key Points

  • नाटक - आषाढ़ का एक दिन
  • नाटक कार - मोहन राकेश
  • प्रकाशन - 1958
  • खंड - 3
  • कालिदास के निजी जीवन पर केंद्रित

Important Points

  • पात्र - अंबिका, मल्लिका, कालिदास, दंतुल, विलोम, प्रियंगुमंजरी आदि
  • मल्लिका कालिदास की प्रेयसी हैं।
  • 1959 - सर्वश्रेष्ठ नाटक के लिए संगीत नाटक अकादमी पुरुस्कार
  • अन्य नाटक -
  1. लहरों के राजहंस
  2. आधे अधूरे

 

Additional Information

  • कुछ विद्वानों ने इसे आधुनिक युग का प्रथम नाटक माना है।
  • प्रेरणा - कालिदास द्वारा रचित मेघदूतम से।

‘चन्द्रगुप्त’ नाटक में चाणक्य की संवादोक्तियां निम्नलिखित में से कौन - सी हैं?

(A) संसार - भर की नीति और शिक्षा का अर्थ मैंने यही समझा है कि आत्मसम्मान के लिए मर मिटना ही दिव्य जीवन है।

(B) समझदारी आने पर यौवन चला जाता है।

(C) महत्वाकांक्षा का मोती निष्ठुरता की सीपी में रहता है।

(D) एक अग्निमय गन्धक का स्रोत आर्यावर्त्त के लौह - अस्त्रागार में घुस कर विस्फोट करेगा।

नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए :

  1. केवल (A) और (B)
  2. केवल (B) और (C)
  3. केवल (A) और (D)
  4. केवल (B) और (D)

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : केवल (B) और (C)

नाटकों के पात्र Question 15 Detailed Solution

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विकल्प 2 केवल (B) और (C) सही है।

Key Points

चंद्रगुप्त नाटक में प्रमुख पात्र चाणक्य द्वारा कही गई संवाद उक्ति-

"समझदारी आने पर यौवन चला जाता है।"

"महत्वाकांक्षा का मोती निष्ठुरता की सीपी में रहता है।"

Additional Information

चंद्रगुप्त नाटक की रचना जयशंकर प्रसाद ने की है।

इसका रचना वर्ष 1931 ईस्वी है।

चंद्रगुप्त नाटक में कुल 4 अंक 44 दृश्य है।

नारी पात्र :-  अलका, सुवासिनी, कल्याणी, मालविका, कार्नेलिया, मौर्य, पत्नी, एलिस

पुरुष पात्र :-  चंद्रगुप्त, चाणक्य, राक्षस, पर्वतेश्वर, सिंहरण, आम्भिक,वर रुचि, शकटार, सिकंदर, फिलिप्स, देवल, नागदा, गांधार नरेश, मौर्य, सेनापति।

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