प्रत्याहार MCQ Quiz in मल्याळम - Objective Question with Answer for प्रत्याहार - സൗജന്യ PDF ഡൗൺലോഡ് ചെയ്യുക

Last updated on Apr 12, 2025

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Latest प्रत्याहार MCQ Objective Questions

Top प्रत्याहार MCQ Objective Questions

प्रत्याहार Question 1:

अधोक्तमित्संज्ञाविधायकं सूत्रमस्ति-

  1. हलन्त्यम्
  2. आदिरन्त्येन संहिता
  3. परः सन्निकर्षः संहिता
  4. एतानि त्रीणि

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : हलन्त्यम्

प्रत्याहार Question 1 Detailed Solution

प्रश्नानुवाद - निम्नलिखित में इत्संज्ञा विधायक सूत्र है-

स्पष्टीकरण - दिये गये विकल्पों में हलन्त्यम् इत्संज्ञा विधायक सूत्र है। 

सूत्र - हलन्त्यम्

व्याख्या - उपदेशेऽन्त्यं हलित्स्यात्। उपदेश आद्योच्चारणम्। सूत्रेष्वदृष्टं पदं सूत्रान्तरादनुवर्तनीयं सर्वत्र। अर्थात् उपदेश अवस्था में अन्त्य हल् इत्संज्ञक होता है। उपदेश अर्थात् प्रथम उच्चारण को उपदेश कहते हैं।सूत्रों के अर्थ को परा करने के लिए जो पद कम हो, उसे आवश्यकतानुसार अन्य सूत्रों से ले लेना चाहिए।

चौदह माहेश्वर सूत्रों का प्रथम उच्चारण किया गया है। इन सूत्रों का प्रथम उच्चारण होने से इनका अन्तिम वर्ण इत्संज्ञक है।

अतः स्पष्ट है कि दिये गये विकल्पों में हलन्त्यम् इत्संज्ञा विधायक सूत्र है।

Additional Information

अन्य विकल्पों का स्पष्टीकरण -

  • आदिरन्त्येन सहेता - यह सूत्र प्रत्याहार संज्ञा विधायक सूत्र है।
  • परः सन्निकर्ष संहिता - यह संहिता संज्ञा विधायक सूत्र है।

प्रत्याहार Question 2:

शल् प्रत्याहारे वर्णः आगच्छति-

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : श

प्रत्याहार Question 2 Detailed Solution

प्रश्नानुवाद - शल् प्रत्याहार में वर्ण आता है-

स्पष्टीकरण -

  • संस्कृत व्याकरण की रचना महर्षि पाणिनि द्वारा की गई।
  • पाणिनि व्याकरण में 14 सूत्र है। जिन्हें माहेश्वर सूत्र भी कहते हैं। 
  • इन 14 सूत्रों के आधार पर 42 प्रत्याहारों की रचना होती है।
  • इन 14 सूत्रों के अन्तिम वर्ण की अन्त्य संज्ञा होने से उनकी गणना नहीं की जाती है।

 

  • शल् प्रत्याहार में चार वर्ण आते हैं। वे वर्ण हैं - श, ष, स, ह।  
 

अतः इस प्रकार शल् प्रत्याहार में वर्ण आता है।

 

Additional Information 

14 माहेश्वर सूत्र निम्नलिखित है -

  • पहले चार सूत्रों में स्वरों की गणना की गयी है। इसे अच् प्रत्याहार कहते है।
  • हयवरट् सूत्र से लेकर हल् अन्तिम सूत्र तक व्यंजनों की गणना की गयी है। इसे हल् प्रत्याहार कहते हैं।

क्र.सं.

सूत्र

सूत्रों में आने वाले वर्ण

1

अइउण् 

अ इ उ  

2

ऋलृक्

ऋ लृ 

3

एओङ्

ए ओ 

4

ऐऔच्

ऐ औ 

5

हयवरट्

ह य व र 

6

लण्

7

ञमङणनम्

ञ म ङ ण न

8

झभञ्

झ भ

9

घढधष्

घ ढ ध

10

जबगडदश्

ज ब ग ड द 

11

खफछठथचटतव्

ख फ छ ठ थ च ट त 

12

कपय्

क प 

13

शषसर्

श ष स 

14

हल्

ह 

प्रत्याहार Question 3:

प्रत्याहारविधायकं सूत्रमस्ति-

  1. सुप्तिङन्तं पदं
  2. वृद्धिरेचि
  3. आदिरन्‍त्‍येन सहेता 
  4. अचोऽन्त्यादि टि:

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : आदिरन्‍त्‍येन सहेता 

प्रत्याहार Question 3 Detailed Solution

प्रश्न का अनुवाद- प्रत्याहारविधायक सूत्र है-

उत्तर- आदिरन्‍त्‍येन सहेता 

सूत्र- आदिरन्त्येन सहेता

नियम- सूत्र के अनुसार आदि और अंत में 'इत्' से प्रत्याहार बनते है। उदा. 'अच्' में 'अ' से लेकर 'च्' तक के 'इत्' के अलावा के वर्ण आते है।

पाणिनि के १४ माहेश्वर सूत्रों से प्रत्याहार बने है-

१४ माहेश्वर सूत्र:- १. अइउण्। २. ऋऌक्। ३. एओङ्। ४. ऐऔच्। ५. हयवरट्। ६. लण्। ७. ञमङणनम्। ८. झभञ्। ९. घढधष्। १०. जबगडदश्। ११. खफछठथचटतव्। १२. कपय्। १३. शषसर्। १४. हल्।

इन माहेश्वर सूत्रों से अनेकों प्रत्याहार बनते हैं जिनमें कुछ महत्वपूर्ण प्रत्याहार हैं-

प्रत्याहार:- अण्, अण्, इण्, यण्, अक्, इक्, उक्, एङ्, अच्, इच्, एच्, ऐच्, अट्, अम्, अल्, यम्, ङम्, ञम्, यञ्, झष्, भष्, अश्, हश्, वश्, झश्, जश्, बश्, छव्, यय्, मय्, झय्, खय्, चय्, यर्, झर्, चर्, शर्, हल्, वल्, रल्, झल्। इनमें कुछ प्रमुख इसप्रकार हैं- 

  • इक्- इ, उ, ऋ, लृ,
  • यण्- य्, व्, र्, ल्,
  • अक्- अ, इ, उ, ऋ, लृ, 
  • अच्- सभी स्वर वर्ण- अ, इ, उ, ऋ, लृ, ए, ओ, ऐ, औ, 
  • एच्- ए, ओ, ऐ, औ,
  • हल्- सभी व्यञ्जन वर्ण आते हैं।
  • अल् - सभी वर्ण
  • र - र्, ल्

इस प्रकार प्रस्तुत पर्यायों में से आदिरन्‍त्‍येन सहेता यह प्रत्याहारविधायक सूत्र है।

प्रत्याहार Question 4:

अन्तःस्थवर्णानां कृते प्रत्याहारः वर्तते-

  1. यण्
  2. शल्
  3. झल्
  4. वल्

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : यण्

प्रत्याहार Question 4 Detailed Solution

प्रश्न की हिन्दी - अन्तःस्थ वर्णों के लिए प्रत्याहार है-

स्पष्टीकरण -

  • अन्तःस्थ वर्णों के लिए यण् प्रत्याहार है।
  • यणोऽन्तस्थाः - इस वृत्ति के अनुसार यण् प्रत्याहार में आने वाले वर्ण अन्तःस्थ हैं।
  • यण् प्रत्याहार में चार वर्ण हैं - य, व, र, ल

 

अतः स्पष्ट है कि अन्तःस्थ वर्णों के लिए यण् प्रत्याहार है।

अन्य विकल्पों का स्पष्टीकरण -

  • शल् - शल ऊष्माणः - इस वृत्ति के अनुसार शल् प्रत्याहार में आने वाले वर्ण ऊष्म वर्ण हैं। इसमें चार वर्ण हैं - श, ष, स, ह
  • झल् - इस प्रत्याहार में झभञ् सूत्र से लेकर हल् सूत्र तक के वर्ण आते हैं।
  • वल् इस प्रत्याहार में हयवरट् सूत्र के व से लेकर हल् सूत्र तक के वर्ण आते हैं।

Important Points

  • संस्कृत व्याकरण की रचना महर्षि पाणिनि द्वारा की गई। पाणिनि व्याकरण में 14 सूत्र है। जिन्हें माहेश्वर सूत्र भी कहते हैं। 
  • इन 14 सूत्रों के आधार पर 42 प्रत्याहारों की रचना होती है।
  • इन 14 सूत्रों के अन्तिम वर्ण की अन्त्य संज्ञा होने से उनकी गणना नहीं की जाती है।
  • यण् प्रत्याहार की रचना दो सूत्रों से मिलकर हुयी है। जिसमें हयवरट्, लण् ये दो सूत्र आते हैं।
  • पहले चार सूत्रों में स्वरों की गणना की गयी है। इसे अच् प्रत्याहार कहते है।
  • हयवरट् सूत्र से लेकर हल् अन्तिम सूत्र तक व्यंजनों की गणना की गयी है। इसे हल् प्रत्याहार कहते हैं।

14 माहेश्वर सूत्र निम्नलिखित है -

क्र.सं.

सूत्र

सूत्रों में आने वाले वर्ण

1

अइउण् 

अ इ उ  

2

ऋलृक्

ऋ लृ 

3

एओङ्

ए ओ 

4

ऐऔच्

ऐ औ 

5

हयवरट्

ह य व र 

6

लण्

7

ञमङणनम्

ञ म ङ ण न

8

झभञ्

झ भ

9

घढधष्

घ ढ ध

10

जबगडदश्

ज ब ग ड द 

11

खफछठथचटतव्

ख फ छ ठ थ च ट त 

12

कपय्

क प 

13

शषसर्

श ष स 

14

हल्

ह 

प्रत्याहार Question 5:

माहेश्वर सूत्र में निम्न में से कौन सा वर्ण सूत्रान्त में दो बार प्रयोग हुआ है ?

  1. ल्
  2. च्
  3. श्
  4. ण्

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : ण्

प्रत्याहार Question 5 Detailed Solution

स्पष्टीकरण - 

  • व्याकरण शास्त्र का आधार माहेश्वर सूत्र है। 
  • जिसमें चौदह सूत्र होते हैं।
  • इन चौदह सूत्रों से ही प्रत्याहारों का निर्माण होता है। 
  • माहेश्वर सूत्र में ण् वर्ण सूत्रान्त में दो बार प्रयोग हुआ है। 
  • माहेश्वर सूत्रों के अन्तर्गत आने वाले सूत्र अइउण् तथा लण् है। इन दोनों सूत्रों के अन्त में ण् है।

 

अतः यह स्पष्ट  है कि यह सूत्रान्त ण् ही उपर्युक्त प्रश्न का उत्तर है।

Key Points

  • माहेश्वर सूत्रों के अन्तर्गत सूत्रान्त में दो बार प्रयोग होने वाला वर्ण - ण् है।
  • माहेश्वर सूत्रों में दो बार प्रयोग होने वाला वर्ण है - ह् ।
माहेश्वर सूत्र 

1. अ, इ, उ, ण्

2. ऋ, लृ,  क्

3. ए, ओ, ङ्

4. ऐ, औ, च्
5. ह्, य्, व्, र्, ट्
6. ल्, ण्
7. ञ्, म्, ङ्, ण्, न्, म्
8. झ्, भ्, ञ् 
9. घ्, ढ्, ध्, ष्
10. ज्, ब्, ग्, ड्, द्, श्
11. ख, फ्, छ्, ठ्, थ्. च्, ट्, त्, व्
12. क्, प्, य्
13. श्, ष्, स्, र्
14. ह्, ल्

प्रत्याहार Question 6:

प्रत्याहारेषु अस्य प्रत्याहारस्य द्विवारम् उपदेशः वर्तते-

  1. अञ्
  2. अण्
  3. अट्
  4. झल्

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : अण्

प्रत्याहार Question 6 Detailed Solution

प्रश्नानुवाद - प्रत्याहारों में इस प्रत्याहार का दो बार उपदेश हुआ है-

स्पष्टीकरण -

  • प्रत्याहारों में अण् प्रत्याहार का दो बार उपदेश हुआ है।
  • जहाँ प्रथम उपदेश प्रथम सूत्र के रूप में हुआ है। अण् - अ इ उ
  • दूसरा उपदेश अइउण् सूत्र से लेकर लण् सूत्र तक हुआ है। अण् - अ इ उ, ऋ, लृ, ए, ओ, ऐ, औ, ह य व र, ल

 

अतः स्पष्ट है कि यहाँ अण् प्रत्याहार का उपदेश दो बार हुआ है।

Important Points

  • संस्कृत व्याकरण की रचना महर्षि पाणिनि द्वारा की गई।
  • पाणिनि व्याकरण में 14 सूत्र है। जिन्हें माहेश्वर सूत्र भी कहते हैं। 
  • इन 14 सूत्रों के आधार पर 42 प्रत्याहारों की रचना होती है।
  • इन 14 सूत्रों के अन्तिम वर्ण की अन्त्य संज्ञा होने से उनकी गणना नहीं की जाती है।
  • पहले चार सूत्रों में स्वरों की गणना की गयी है। इसे अच् प्रत्याहार कहते है।
  • हयवरट् सूत्र से लेकर हल् अन्तिम सूत्र तक व्यंजनों की गणना की गयी है। इसे हल् प्रत्याहार कहते हैं।

14 माहेश्वर सूत्र निम्नलिखित हैं -

क्र.सं.

सूत्र

सूत्रों में आने वाले वर्ण

1

अइउण् 

अ इ उ  

2

ऋलृक्

ऋ लृ 

3

एओङ्

ए ओ 

4

ऐऔच्

ऐ औ 

5

हयवरट्

ह य व र 

6

लण्

7

ञमङणनम्

ञ म ङ ण न

8

झभञ्

झ भ

9

घढधष्

घ ढ ध

10

जबगडदश्

ज ब ग ड द 

11

खफछठथचटतव्

ख फ छ ठ थ च ट त 

12

कपय्

क प 

13

शषसर्

श ष स 

14

हल्

ह 

प्रत्याहार Question 7:

प्रत्याहाराः सन्ति

  1. चत्वारिंशत्
  2. द्विचत्वारिंशत् 
  3. चतुश्चत्वारिंशत्
  4. विंशतिः

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : द्विचत्वारिंशत् 

प्रत्याहार Question 7 Detailed Solution

प्रश्न का अनुवाद: प्रत्याहार हैं-

प्रत्याहार- जब हम पाणिनी अष्टाध्यायी का अध्ययन करते है तब उसमें प्रत्याहार यह संकल्पना प्रयुक्त होती है|

  • प्रत्याहार का अर्थ होता है ‘संक्षिप्त कथन’|
  • अष्टाध्यायी के प्रथम अध्याय के प्रथम पाद के 71 वें सूत्र ‘आदिरन्त्येन सहेता’ द्वारा प्रत्याहार बनाने की विधि का महर्षि पाणिनि ने निर्देश किया है।
  • माहेश्वर सूत्र 14 है। इन 14 सूत्रों में संस्कृत भाषा के वर्णों को एक विशिष्ट प्रकार से संयोजित किया गया है।

फलतः, महर्षि पाणिनि को शब्दों के निर्वचन या नियमों मे जब भी किन्ही विशेष वर्ण समूहों (एक से अधिक) के प्रयोग की आवश्यकता होती है, वे उन वर्णों को माहेश्वर सूत्रों से प्रत्याहार बनाकर संक्षेप में ग्रहण करते हैं। माहेश्वर सूत्रों को इसी कारण ‘प्रत्याहार विधायक’ सूत्र भी कहते हैं। इन सूत्रों से कुल 42 प्रत्याहार बनते हैं। 
 

Important Points

प्रत्याहार के विषय में हमे हर जगह भिन्नता प्राप्त हो सकती है कही ४२, तो कही-कही ४३ माने जाते हैं किन्तु पाणिनी ने अपने उपयोग के लिये ४ प्रत्याहार की ही योजना की है

उदाहरण - अच् = प्रथम माहेश्वर सूत्र ‘अइउण्’ के आदि वर्ण ‘अ’ को चतुर्थ सूत्र ‘ऐऔच्’ के अन्तिम वर्ण ‘च्’ से योग कराने पर अच् प्रत्याहार बनता है। यह अच् प्रत्याहार अपने आदि अक्षर ‘अ’ से लेकर इत्संज्ञक च् के पूर्व आने वाले औ पर्यन्त सभी अक्षरों का बोध कराता है। अतः - अच् = अ इ उ ॠ ॡ ए ऐ ओ औ।

प्रत्याहार Question 8:

व्यंजनवर्णाः कस्मिन् प्रत्याहारे आगच्छन्ति ?

  1. हल्
  2. अच्
  3. अण्
  4. यय्

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : हल्

प्रत्याहार Question 8 Detailed Solution

प्रश्नानुवाद - व्यंजन वर्ण किस प्रत्याहार में आते हैं ?

स्पष्टीकरण -

  • पंक्ति - हल व्यंजनाः।
  • अर्थ - हल् प्रत्याहार में आने वाले वर्णों को व्यंजन कहा जाता है।

 

  • वर्णों के दो भेद है - स्वर और व्यंजन
  • स्वर - ये वर्ण अपने आप में पूर्ण होते हैं। जिन्हें स्वतन्त्र रूप से बोला जाता है।
  • व्यंजन - इन वर्णों को स्वरों की सहायता से बोला जाता है। ये वर्ण स्वर के मिलने से पूर्ण होते हैं।
  • संस्कृत व्याकरण में 14 माहेश्वर सूत्रों के द्वारा स्वर व व्यंजन वर्णों का विभाजन किया गया है।
    • यहाँ पहले चार सूत्रों में स्वर वर्णों की गणना की गयी है। जिन्हें अच् कहा जाता है।
    • अइउण्, ऋृलृक्, एओङ, ऐऔच् - इस तरह व्याकरण में 9 स्वर होते हैे। अन्तिम वर्ण की इत् संज्ञा होने से उसकी गणना नहीं की जाती है।
    • पाँचवे सूत्र से लेकर चौदहवें सूत्र तक - व्यंजन वर्ण है। जिन्हें हल् कहा जाता है।
    • प्रथम चार सूत्रों के अनुसार अ, इ, उ,  ऋृ, लृ, ए, ओ,  ऐ, औ ये नौ स्वर है।
  • ​हल् प्रत्याहार में आने वाले वर्ण - ह, य, व, र, ल, ञ, म, ङ, ण, न, झ, भ, घ, ढ, ध, ज, ब, ग, ड, द, ख, फ, छ, ठ, थ, च, ट, त, क, प, श, ष, स, ह।
 

अतः स्पष्ट है कि व्यंजन हल् प्रत्याहार के अन्तर्गत आते हैं।

 

Additional Information

संस्कृत व्याकरण में वर्णों का वर्गीकरण इस प्रकार से है-

वर्ण का प्रकार

वर्ण

स्वर 

(अचः स्वराः)

अ, इ, उ, ऋ, लृ, ए, ओ, ऐ, औ - ये नौ स्वर है।

व्यंजन 

(ये सभी वर्ण हल् प्रत्याहार में आते हैं।)

(कादयो मावसानाः स्पर्शाः)

क वर्ग - क, ख, ग, घ, ङ

च वर्ग - च, छ, ज, झ, ञ

ट वर्ग - ट, ठ, ड, ढ, ण

त वर्ग - त, थ, द, ध, न

प वर्ग - प, फ, ब, भ, म 

(क से म तक इन 25 वर्णों को स्पर्श कहा जाता है)

 

(यणो अन्तस्थाः)

य, र, व, ल - ये चार अन्तःस्थ वर्ण है।

 

(शल ऊष्माणः)

श, ष, स, ह - ये चार ऊष्म वर्ण है।

प्रत्याहार Question 9:

प्रत्याहार सूत्रों की संख्या कितनी होती है?

  1. चौसठ
  2. चौवन
  3. चौबीस
  4. चौदह

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : चौदह

प्रत्याहार Question 9 Detailed Solution

स्पष्टीकरण:- पाणिनी ने अपने अष्टाध्यायी में १४ माहेश्वर सूत्र बताये है। वह इसप्रकार है-

१. अइउण्। 

२. ऋऌक्। 

३. एओङ्। 

४. ऐऔच्। 

५. हयवरट्। 

६. लण्। 

७. ञमङणनम्।

८. झभञ्। 

९. घढधष्। 

१०. जबगडदश्। 

११. खफछठथचटतव्।

१२. कपय्। 

१३. शषसर्। 

१४. हल्।

 

माहेश्वर सूत्र यह प्रत्याहार सूत्र के साथ 'चतुर्दश सूत्र' से भी जाने जाते है।

Additional Information

उत्पत्ति:- एक आख्यायिका के अनुसार पाणिनि को यह सूत्र भगवान शङ्कर से प्राप्त हुए।

नृत्तावसाने नटराजराजो ननाद ढक्कां नवपञ्चवारम्।

उद्धर्तुकामः सनकादिसिद्धान् एतद्विमर्शे शिवसूत्रजालम् ॥

अर्थ:- "नृत्य (ताण्डव) के अवसान (समाप्ति) पर नटराज (शिव) ने सनकादि ऋषियों की सिद्धि और कामना का उद्धार (पूर्ति) के लिये नवपंच (चौदह) बार डमरू बजाया। इस प्रकार चौदह शिवसूत्रों का ये जाल (वर्णमाला) प्रकट हुयी।"

इस तरह से इन माहेश्वर सूत्रोंकी उत्त्पत्ति है। इन्हे शिवसूत्र भी कहते है। इन्ही १४ शिवसूत्रोंको पाणिनि ने भगवान शङ्कर से प्राप्त किया और उनसे अष्टाध्यायी के प्रत्याहार बनाये। इसलिए इन सूत्रों को प्रत्याहार विधायक सूत्र भी कहते है।

प्रत्याहार Question 10:

'जश्' प्रत्याहार के अन्तर्गत आने वाले वर्ण समूह -

  1. क, च
  2. ट, म
  3. ज, ब
  4. कोई नहीं

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : ज, ब

प्रत्याहार Question 10 Detailed Solution

स्पष्टीकरण -

आदिरन्त्येन सहेतासूत्र के अनुसार आदि और अंत में 'इत्' से प्रत्याहार बनते है। उदा. 'अच्' में 'अ' से लेकर 'च्' तक के 'इत्' के अलावा के वर्ण आते है। पाणिनि के १४ माहेश्वर सूत्रों से प्रत्याहार बने है-

१४ माहेश्वर सूत्र:- १. अइउण्। २. ऋऌक्। ३. एओङ्। ४. ऐऔच्। ५. हयवरट्। ६. लण्। ७. ञमङणनम्। ८. झभञ्। ९. घढधष्। १०. जबगडदश्। ११. खफछठथचटतव्। १२. कपय्। १३. शषसर्। १४. हल्।

इन माहेश्वर सूत्रों से अनेकों प्रत्याहार बनते हैं जिनमें कुछ महत्वपूर्ण प्रत्याहार हैं-

प्रत्याहार:- अण्, अण्, इण्, यण्, अक्, इक्, उक्, एङ्, अच्, इच्, एच्, ऐच्, अट्, अम्, अल्, यम्, ङम्, ञम्, यञ्, झष्, भष्, अश्, हश्, वश्, झश्, जश्, बश्, छव्, यय्, मय्, झय्, खय्, चय्, यर्, झर्, चर्, शर्, हल्, वल्, रल्, झल्। इनमें कुछ प्रमुख इसप्रकार हैं- 

  • इक्- इ, उ, ऋ, लृ,
  • यण्- य्, व्, र्, ल्,
  • अक्- अ, इ, उ, ऋ, लृ, 
  • अच्- सभी स्वर वर्ण- अ, इ, उ, ऋ, लृ, ए, ओ, ऐ, औ, 
  • एच्- ए, ओ, ऐ, औ,
  • हल्- सभी व्यञ्जन वर्ण आते हैं।
  • हश्- वर्गों के तृतीय, चतुर्थ, पञ्चम वर्ण तथा य्, व्, र्, ल् आते हैं। 
  • जश्- वर्गों के तृतीय वर्ण - ज, ब, ग, ड, द।
  • अट्- स्वर तथा ह् य् व् र्।

 

अतः स्पष्ट है कि 'जश्' प्रत्याहार के अन्तर्गत वर्गों के तृतीय वर्ण - ज्, ब्, ग्, ड, द्। अतः ज, ब 'जश्' प्रत्याहार के अन्तर्गत आते हैं।

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