संज्ञा MCQ Quiz in मराठी - Objective Question with Answer for संज्ञा - मोफत PDF डाउनलोड करा

Last updated on Apr 4, 2025

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Latest संज्ञा MCQ Objective Questions

Top संज्ञा MCQ Objective Questions

संज्ञा Question 1:

"परः सन्निकर्षः ......." किम्?

  1. संयोगः
  2. प्रयत्नः
  3. संहिता
  4. वियोगः

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : संहिता

संज्ञा Question 1 Detailed Solution

प्रश्नानुवाद - "परः सन्निकर्षः ......." क्या है?

स्पष्टीकरण - यहाँ रिक्तस्थान में संहिता पद आयेगा। इस तरह पूर्ण सूत्र होगा - परः सन्निकर्षः संहिता। यह संहिता संज्ञा विधायक सूत्र है।

सूत्र - 'परः सन्निकर्षः संहिता' 

वृत्तिः - वर्णानामतिशयितः सन्निधिः संहितासंज्ञं स्यात्। अर्थात् वर्णों की अत्यन्त सन्निधि संहितासंज्ञक होती है अर्थात् वर्णों की अत्यन्त समीपता को संहिता कहते हैं।

वर्णों के मध्य जो सन्धि होती है, वे सन्धि करने वाले सभी सूत्र संहिता के विषय में ही कार्य करते हैं। संहिता एक संज्ञा है। जिन वर्णों की आपस में संहिता संज्ञा नहीं होती है, उनकी सन्धि नहीं हो सकती।

अतः स्पष्ट है कि रिक्तस्थान में संहिता पद आयेगा।

संज्ञा Question 2:

गुण संज्ञा भवति

  1. ए ऐ ओ
  2. अ ए ओ
  3. अ उ ओ
  4. आ ऐ औ

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : अ ए ओ

संज्ञा Question 2 Detailed Solution

प्रश्नानुवाद - गुण संज्ञा होती है-

स्पष्टीकरण - अ, ए, ओ - इन तीन वर्णों की गुण संज्ञा होती है। 

सूत्र- अदेङ् गुणः।

  • सूत्रार्थ - यह सूत्र गुण संज्ञा करने वाला सूत्र है। यह सूत्र गुण संज्ञक वर्णों को बताता है। ह्रस्व अकार और एङ् (ए, ओ) वर्ण गुण संज्ञक वर्ण हैं। 
  • यह सूत्र गुण संज्ञा विधायक सूत्र है। यह गुण संज्ञक वर्णों की जानकारी देता है। गुण संधि होने पर गुण वर्ण ही आदेश होते हैं। 

उदाहरण-

  • रमा + ईशः = रमेश ः
  • उपर्युक्त उदाहरण में आ + ई = ए, जो  वर्ण आदेश हुआ है, वह गुण संज्ञक वर्ण हैं।

 

अतः स्पष्ट है कि अ, ए, ओ - इन तीन वर्णों की गुण संज्ञा होती है

संज्ञा Question 3:

'स्वान् वेदार्थम् अवेदयत्' अत्र स्वान् पदे केन सूत्रेण कर्मसंज्ञा भवति ?

  1. जल्पति प्रभृतीनामुपसंख्यानम्
  2. गतिबुद्धिप्रत्यवसानार्थशब्दकर्माकर्मकाणामणि कर्ता सणौ
  3. अकथितं च
  4. गत्यर्थकर्मणि द्वितीयाचतुर्थै चेष्टायामनघ्वनि

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : गतिबुद्धिप्रत्यवसानार्थशब्दकर्माकर्मकाणामणि कर्ता सणौ

संज्ञा Question 3 Detailed Solution

प्रश्न का अर्थ - 'स्वान् वेदार्थम् अवेदयत्' इस वाक्य में स्वान् पद में किस सूत्र से कर्म संज्ञा होती है ?

स्पष्टीकरण - 'स्वान् वेदार्थम् अवेदयत्' इस वाक्य में स्वान् पद में गतिबुद्धिप्रत्यवसानार्थशब्दकर्माकर्मकाणामणि कर्ता सणौ इस सूत्र से कर्म संज्ञा होती है ।  

Important Points

  • सूत्र - गतिबुद्धिप्रत्यवसानार्थशब्दकर्माकर्मकाणामणि कर्ता स णौ । (१।४।५२।।)
  • नियम - गत्यर्थक (गम्, इण आदि), बुद्ध्यर्थक (ज्ञा,बुध्,विद् आदि), प्रत्यवसनार्थक (भक्ष्, भुज् आदि), शब्दकर्मक तथा अकर्मक (स्था,आस्, शीड् आदि) धातुओं के अण्यन्तअवस्था(सामान्य अवस्था) में जो कर्ता होता है, वह ण्यन्तअवस्था (प्रेरणार्थक अवस्था) में कर्म संज्ञा प्राप्त होकर उसकी द्वितीया विभक्ति होती है। 
  • उदाहरण - स्वे वेदार्थम् अविदु: । (अण्यन्तअवस्था ) ; स्वान् वेदार्थम् अवेदयत् । (ण्यन्त अवस्था) इस उदाहरण में अण्यन्त अवस्था के कर्ता  ण्यन्त अवस्था में कर्म बन गये और उनकी द्वितीया विभक्ति हो गयी।  

इसलिये 'स्वान् वेदार्थम् अवेदयत्' इस वाक्य में स्वान् पद में गतिबुद्धिप्रत्यवसानार्थशब्दकर्माकर्मकाणामणि कर्ता सणौ इस सूत्र से कर्म संज्ञा होती है । 

संज्ञा Question 4:

जिन शब्दों के अन्त में कोई स्वर होता है, वे कहलाते हैं - 

  1. व्यञ्जनान्त
  2. स्वरान्त
  3. विसर्गान्त
  4. इनमें से कोई नहीं

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : स्वरान्त

संज्ञा Question 4 Detailed Solution

स्पष्टीकरण -

  • शब्द का निर्माण वर्णों के मिलने से बनता है।
  • वर्ण के दो भेद है - स्वर और व्यंजन
    • स्वर - ये वर्ण अपने आप में पूर्ण होते हैं। जिन्हें स्वतन्त्र रूप से बोला जाता है। जैसे - अ, आ
    • व्यंजन - इन वर्णों को स्वरों की सहायता से बोला जाता है। ये वर्ण स्वर के मिलने से पूर्ण होते हैं। इन्हें व्यंजन कहा जाता है। जैसे - म् + अ = म
  • इस प्रकार किसी भी शब्द के अन्त में स्वर होता ही है। 

उदाहरण -

  • राम - र् + आ + म् + अ (यहाँ अन्त में स्वर है)

 

अतः जिन शब्दों के अन्त में स्वर आता है, उन्हें स्वरान्त कहा जायेगा।

 

Additional Information

  • संस्कृत व्याकरण में 14 माहेश्वर सूत्रों के द्वारा स्वर व व्यंजन वर्णों का विभाजन किया गया है। जहाँ पहले चार सूत्रों में स्वर वर्णों की गणना की गयी है। जिन्हें अच् कहा जाता है। 
  • अइउण्, ऋृलृक्, एओङ, ऐऔच् - इस तरह व्याकरण में 9 स्वर होते हैे। अन्तिम वर्ण की इत् संज्ञा होने से उसकी गणना नहीं की जाती है।
  • पाँचवे सूत्र से लेकर चौदहवें सूत्र तक - व्यंजन वर्ण है। जिन्हें हल् कहा जाता है।
  • प्रथम चार सूत्रों के अनुसार अ, इ, उ,  ऋृ, लृ, ए, ओ,  ऐ,औ ये नौ स्वर है।

संस्कृत व्याकरण में वर्णों का वर्गीकरण इस प्रकार से है-

वर्ण का प्रकार

वर्ण

स्वर 

अ, इ, उ, ऋ, लृ, ए, ओ, ऐ, औ

आ, ई, ऊ, ऋृ - ये दीर्घ स्वर है। (द्विमात्रिक)

व्यंजन 

क वर्ग - क, ख, ग, घ, ङ

च वर्ग - च, छ, ज, झ, ञ

ट वर्ग - ट, ठ, ड, ढ, ण

त वर्ग - त, थ, द, ध, न

प वर्ग - प, फ, ब, भ, म 

(इन 25 वर्णों को स्पर्श कहा जाता है)

 

य, र, ल, व - ये अन्तःस्थ वर्ण है।

 

श, ष, स, ह - ये ऊष्म वर्ण है।

 

अनुस्वार - मं, अनुनासिक - मँ, विसर्ग - मः

वर्ण के उपर और आगे जो चिन्ह है, इन्हें अयोगवाह कहा जाता है। इनका उच्चारण किसी स्वर या व्यंजन के साथ होता है।

संज्ञा Question 5:

'ऐ, औ' एतयोः कथयति -

  1. वृद्धि
  2. गुण
  3. हलन्त्यम्
  4. संयुक्ताक्षर
  5. उत्तरं न दातुमिच्छामि

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : वृद्धि

संज्ञा Question 5 Detailed Solution

प्रश्न की हिन्दी - 'ऐ, औ' इनको कहते हैं -

स्पष्टीकरण -

  • , ये दोनों ही वृद्धि संज्ञक है।

 

सूत्र - वृद्धिरादैच्।

  • नियम - आ, , औ इनको वृद्धि संज्ञा होती है।
 

अतः यहाँ वृद्धि सही उत्तर है।

 

Additional Information 

अन्य विकल्प -

  • गुण - 'अदेङ् गुणः' इस सूत्र से अ, ए, ओ गुण को गुण संज्ञा होती है।
  • हलन्त्यम् - यह पाणिनीय सूत्रों के 14 सूत्रों के अन्तर्गत आता है।
  • संयुक्ताक्षर - ये वर्ण दो व्यंजनों के संयोग से बनते हैं। उदाहरण - क् + ष् - क्ष्

संज्ञा Question 6:

लोपसंज्ञासूत्रम् अस्ति-

  1. तस्य लोपः
  2. अदर्शनं लोपः
  3. हलन्त्यम्
  4. उपदेशेऽजनुनासिक इत्

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : अदर्शनं लोपः

संज्ञा Question 6 Detailed Solution

अनुवाद - लोपसंज्ञा सूत्र है - 

स्पष्टीकरण

सूत्र - अदर्शनं लोपः

अर्थ - प्रस्तुत का दिखाई न देना ही लोप कहा जाता है। 

  • यहां लोप अर्थात् जो प्रस्तुत है उसका श्रवण न होना है। 
  • इत्संज्ञक वर्णों का लोप होता है अर्थात् उनका श्रवण नहीं होता है। 

अतः लोपसंज्ञासूत्र अदर्शनं लोपः है।

संज्ञा Question 7:

अन्त्यहल्वर्णानां इत्संज्ञा केन सूत्रेण स्यात्?

  1. चुटू
  2. हलन्त्यम्
  3. लशक्वतद्दिते
  4. आदिर्ग्निटुऽव

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : हलन्त्यम्

संज्ञा Question 7 Detailed Solution

प्रश्नानुवाद - अन्त्य हल् वर्णों की इत् संज्ञा किस सूत्र से होती है?

स्पष्टीकरण - हलन्त्यम् इस सूत्र के द्वारा इत् संज्ञा होती है। यह सूत्र इत्संज्ञा विधायक सूत्र है।

सूत्र - हलन्त्यम्

व्याख्या - उपदेशेऽन्त्यं हलित्स्यात्। उपदेश आद्योच्चारणम्। सूत्रेष्वदृष्टं पदं सूत्रान्तरादनुवर्तनीयं सर्वत्र। अर्थात् उपदेश अवस्था में अन्त्य हल् इत्संज्ञक होता है। उपदेश अर्थात् प्रथम उच्चारण को उपदेश कहते हैं। सूत्रों के अर्थ को परा करने के लिए जो पद कम हो, उसे आवश्यकतानुसार अन्य सूत्रों से ले लेना चाहिए।

चौदह माहेश्वर सूत्रों का प्रथम उच्चारण किया गया है। इन सूत्रों का प्रथम उच्चारण होने से इनका अन्तिम वर्ण इत्संज्ञक है।

उदाहरण - अइउण्, ऋलृक् - इन दोनों सूत्रों में अन्तिम वर्ण ण् एवं क् ये दोनों इत्संज्ञक हैं।

अतः स्पष्ट है कि हलन्त्यम् सूत्र से अन्त्य हल् वर्णों की इत् संज्ञा किस सूत्र से होती है।

Additional Information

इत् संज्ञा से सम्बंधित कुल आठ सूत्र है-

  • १.३.२ उपदेशेऽजनुनासिक इत्
    • उपदेश में विद्यमान अनुनासिक संज्ञा के स्वर की इस सूत्र से इत्संज्ञा होती है।
    • जैसे - लण् में 'अ' की इत् संज्ञा होती है।
  • १.३.३ हलन्त्यम्
    • उपदेश के अन्त में रहने वाले व्यंजन की इत्संज्ञा होती है।
    • जैसे - लण् में 'ण्' की इत् संज्ञा होती है।
  • १.३.४ न विभक्तौ तुस्माः
    • विभक्ति में स्थित तवर्ग, सकार तथा मकार की इत् संज्ञा नही होती है। 'तिङ् प्रत्यय', 'सुप् प्रत्यय' तथा सर्व तद्धित प्रत्यय यह विभक्ति संज्ञा के होते है। (विभक्तिश्च तथा प्राग्दिशो विभक्तिः सूत्र से)
  • १.३.५ आदिर्ञिटुडवः
    • उपदेशो के शुरवात में 'ञि', टु, तथा डु की इत् संज्ञा होती है।
    • उदा. डुकृञ् में 'डु'
  • १.३.६ षः प्रत्ययस्य
    • प्रत्यय के शुरवात में स्थित 'ष्' की इत् संज्ञा होती है। जैसे- ष्वुन् 
  • १.३.७ चुटू
    • प्रत्ययों के आदि में स्थित चु अर्थात् चवर्ग तथा टु अर्थात् टवर्ग की इत् संज्ञा होती है।
  • १.३.८ लशक्वतद्धिते
    • इस सूत्र से तद्धित से भिन्न अन्य प्रत्ययों के अदि में स्थित ल्, श्, कवर्ग की इत् संज्ञा होती है।
  • १.३.९ तस्य लोपः
    • उपर दिए गए ७ सूत्रों से जिनकी भी इत् संज्ञा होती है उनका इस सूत्र से लोप होता है।

संज्ञा Question 8:

ईदूदेद्विवचनं स्यात्?

  1. नदी 
  2. घि
  3. धु
  4. प्रगृह्यम्

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : प्रगृह्यम्

संज्ञा Question 8 Detailed Solution

प्रश्न का अनुवाद - ईदूदेद्विवचन क्या होता है??

स्पष्टीकरण - ईदूदेद्विवचन ये "प्रगृह्य" होता है।    

'ईदूदेद्द्विवचनं प्रगृह्यम्' भवति। अर्थात् ईदूदेद्विवचनं प्रगृह्यम् 'प्रगृह्यसंज्ञा का विधान करने वाला संज्ञासूत्र ईकारान्त, अकारान्त तथा एकारान्त द्विवचन प्रगृह्य संज्ञक होते हैं। 

Important Points प्रकृति भाव संधि - 

संस्कृत व्याकरण में जब किसी संधि पद के अंतर्गत संधि योग्य दशा की प्राप्ति होने पर संध्या देश का प्रतिपादन नहीं होता है। तब उसे व्याकरण में प्रकृति भाव संधि कहा जाता है, जैसे उच्चारण भाव में आने वाले अर्थ रहित स्वर को निपात माना जाता है और जिस एकल स्वर की निपात संज्ञा हो जाती है। उसके बाद स्वर वर्ण आने पर संधि कार्य नहीं होता। इसी प्रकार प्लुत स्वर के बाद स्वर आने पर भी संधि कार्य नहीं होता है। जैसे - उ उमेश, इ इन्द्र, कृष्ण३ आगच्छ। 

प्रकृति भाव संधि/प्रगृह्य संज्ञा करने वाला सूत्र = ईदूदेद्द्विवचनं प्रगृह्यम् (उतर ऊत् एत् द्विवचनमं प्रगृह्यम्) दीर्घ ईकारान्त/ऊकारान्त/एकारान्त + स्वर वर्ण = प्रकृति भाव/
प्रगृह्य संज्ञा के कारण प्राप्त संधि आदेश बाधित हो जाता है।

प्रकृतिभाव संधि के उदाहरण -

  • हरी एतौ = हरी + एतौ = ई + ए = प्रकृति भाव 
  • विष्णू इमौ = विष्णु + इमौ ऊ + इ = प्रकृति भाव 
  • गंगे अनू =गंगे + अमू = ए + अ = प्रकृति भाव

 

इस प्रकार स्पष्ट हुआ कि ईदूदेद्विवचन ये "प्रगृह्य" होता है।    

संज्ञा Question 9:

हलोऽनन्तराः _______।

  1. लोपः
  2. सवर्णः
  3. संयोगः
  4. संहिता

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : संयोगः

संज्ञा Question 9 Detailed Solution

स्पष्टीकरण - संयोग संज्ञा विधायक सूत्र हलोऽनन्तरा संयोगः है।

सूत्र - हलोऽनन्तराः संयोगः।

वृत्ति - अज्भिरव्यवहिता हलः संयोगसंज्ञाः स्युः। अर्थात् अचों से अव्यवहित हल् संयोग संज्ञक होते हैं। अर्थात् जहाँ दो हल् (व्यञ्जनों के मध्य स्वर वर्ण न हो) वहाँ संयोग संज्ञा होती है। यह सूत्र संयोग संज्ञा विधायक सूत्र है।

उदाहरण -

  • देवदत्त - यहाँ त् + त दो व्यञ्जन के साथ होने से यह संयोग संज्ञक है।
  • पत्नी - यहां त् + न दो व्यञ्जन के साथ होने से यह संयोग संज्ञक है।

 

अतः स्पष्ट है कि संयोग संज्ञा विधायक सूत्र हलोऽनन्तरा संयोगः उचित विकल्प है।

संज्ञा Question 10:

सुबन्तानां तिङन्तानां च का संज्ञा?

  1. संहिता
  2. अवसानम्
  3. पदम्
  4. इत्

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : पदम्

संज्ञा Question 10 Detailed Solution

प्रश्नानुवाद - सुबन्त और तिङन्तों की क्या संज्ञा है ?

स्पष्टीकरण - सुबन्तों और तिङन्तों की पद संज्ञा होती है।

  • आचार्य पाणिनी द्वारा एक सूत्र में बताया गया है - 'सुप्तिङन्तं पदं' अर्थात् सुप् और तिङ् पद संज्ञक होते हैं।
  • सुप् प्रत्यय से बनने वाले शब्दों को सुबन्त कहा जाता है। सुप् प्रत्यय शब्दरूपों में लगते हैं।
  • तिङ् प्रत्ययों से बनने वाले शब्दों को तिङन्त कहा जाता है। तिङ् प्रत्यय धातुरूपों में लगते हैं।

 

इस तरह स्पष्ट है कि सुबन्त और तिङन्तों की पद संज्ञा होती है।

Additional Information

सुप् प्रत्ययों की संख्या 21 है, जो निम्नलिखित है-

विभक्ति

एकवचन

द्विवचन

बहुवचन

प्रथमा

सु

जस्

द्वितीया

अम्

औट्

शस्

तृतीया

टा

भ्याम्

भिस्

चतुर्थी

ङे

भ्याम्

भ्यस्

पंचमी

ङसि

भ्याम्

भ्यस्

षष्ठी

ङस्

औस्

आम्

सप्तमी

ङि

सुप्

 

सम्बोधन में प्रथमा विभक्ति के समान ही सु औ जस् प्रत्यय लगते हैं।

तिङ् प्रत्ययों की संख्या 18 है। प्रथम 9 प्रत्यय परस्मै पद धातुओं के साथ और बाद के 9 प्रत्यय आत्मनेपद धातुओं के साथ लगते हैं। जो निम्नलिखित है-

एकवचन

द्विवचन

बहुवचन

तिप्

तस्

झि

सिप्

थस्

मिप्

वस्

मस्

आताम्

थास्

आथाम्

ध्वम्

इट्

वहि

महिङ्

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