Question
Download Solution PDFमातृभाषा शिक्षण के विषय में असत्य कथन है-
Answer (Detailed Solution Below)
Detailed Solution
Download Solution PDFमातृभाषा- जन्म लेने के बाद मानव जो प्रथम भाषा सीखता है उसे उसकी मातृभाषा कहते हैं। मातृभाषा, किसी भी व्यक्ति की सामाजिक एवं भाषाई पहचान होती है। अत: उनकी भाषाओं को भी कक्षा में सम्मान देना अनिवार्य है।
- भारत में सैकड़ों प्रकार की मातृ भाषा बोली जाती है जो देश के विविधता और अनूठे संस्कृति को बयां करती है
- मातृभाषा से हम संस्कृति के साथ जुड़कर उसकी धरोहर को आगे बढ़ाते हैं तभी तो महान साहित्यकार भारतेंदु हरिश्चंद्र ने मातृभाषा का महत्व कुछ इस प्रकार से बताया है
- निज भाषा उन्नति अहै ,सब उन्नति को मूल
- बीनू निज भाषा ज्ञान के ,मीटत नाही को सूल
- मातृभाषा का मकसद दुनिया में भाषाई और सांस्कृतिक विविधता और बहुभाषिकता को बढ़ावा देता है आज भारत की भूमिका और भी अधिक मायने रखती है क्योंकि यह बहुभाषी राष्ट्र होने के नाते मातृ भाषाओं के प्रति भारत का उत्तरदायित्व कहीं अधिक मायने रखता है।
मातृभाषा शिक्षण के उद्देश्य-
- मातृभाषा शिक्षण से बच्चे बेझिझक अभिव्यक्ति करने में समर्थ हो पाते हैं।
- मातृभाषा शिक्षण से बालकों के भीतर मौलिक विचारों का जागरण होता है।
- मातृभाषा से संबंध अनुकरणात्मक ही न होकर भावात्मक भी होता है।
- बालकों के मनो-मस्तिष्क के स्वतंत्र विकास हेतु मातृभाषा शिक्षण अति आवश्यक है।
- मातृभाषा शिक्षण से बालक सहजता से अपनी राय, अनुभव, भावनाएँ व्यक्त कर पाते हैं।
- मातृभाषा शिक्षण से शिक्षार्थियों की अधिकाधिक प्रतिभागिता होगी।
- मातृभाषा शिक्षण से किसी विषय के बेहतर परिणाम निकलेंगे।
- किसी बालक के सांस्कृतिक वातावरण से मातृभाषा का प्रत्यक्ष संबंध होता है।
अतः यह निष्कर्ष निकलता है कि किसी बालक के सांस्कृतिक वातावरण से मातृभाषा का प्रत्यक्ष संबंध नहीं होता है। मातृभाषा शिक्षण के विषय में असत्य कथन है।
Last updated on Jul 10, 2025
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