Question
Download Solution PDF"सिद्धों और योगियों की रचनाओं का जीवन की स्वाभाविक अनुभूतियों और दशाओं से कोई सम्बन्ध नहीं है।" यह विचार किसका है ?
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Detailed Solution
Download Solution PDF"सिद्धों और योगियों की रचनाओं का जीवन की स्वाभाविक अनुभूतियों और दशाओं से कोई सम्बन्ध नहीं है।" यह विचार है - रामचन्द्र शुक्ल
Key Pointsआचार्य रामचन्द्र शुक्ल-
- जन्म - 1884-1941 ई.
- हिन्दी आलोचक, कहानीकार, निबन्धकार,
- साहित्येतिहासकार, कोशकार, अनुवादक, कथाकार और कवि थे।
- आलोचनात्मक ग्रन्थ-
- गोस्वामी तुलसीदास (1923 ई.)
- जायसी ग्रंथावली (1924 ई.)
- भ्रमरगीत सार (1925 ई.)
- हिन्दी साहित्य का इतिहास (1929 ई.)
- काव्य में रहस्यवाद (1929 ई.) आदि।
Additional Informationहजारी प्रसाद द्विवेदी-
- जन्म-1907-1979ई.
- हिन्दी निबन्धकार, आलोचक और उपन्यासकार थे।
- आलोचनात्मक ग्रन्थ-
- सूर साहित्य (1936ई.)
- हिन्दी साहित्य की भूमिका (1940ई.)
- हिन्दी साहित्य का आदिकाल (1952ई.)
- अशोक के फूल (1948ई.)
- कल्पलता (1951ई.) आदि।
श्यामसुन्दर दास-
- जन्म-1875 - 1945 ई.
- हिंदी के अनन्य साधक, विद्वान्, आलोचक और शिक्षाविद् थे।
- आलोचनात्मक ग्रन्थ -
- साहित्यालोचन (1922),
- हिंदी भाषा और साहित्य (1930)
- रूपकहस्य (1931),
- भाषारहस्य भाग 1 (1935),
- मेरी आत्मकहानी (1941),
- कबीर ग्रंथावली (1928) आदि।
डॉ. रामकुमार वर्मा-
- जन्म-1905-1990 ई.
- हिन्दी के सुप्रसिद्ध साहित्यकार, व्यंग्यकार और हास्य कवि के रूप में जाने जाते हैं।
- उन्हें हिन्दी एकांकी का जनक माना जाता है।
- आलोचनात्मक ग्रंथ-
- साहित्य समालोचना(1938 ई.)
- साहित्य शास्त्र(1955 ई.) आदि।
Last updated on Jul 7, 2025
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