सप्तर्षि में कौन-सी सन्धि है?

This question was previously asked in
UP Junior Aided Teacher (UPJASE) 2021 (Hindi/English/Sanskrit) Official Paper
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  1. यण सन्धि
  2. अयादि सन्धि
  3. वृद्धि सन्धि
  4. गुण सन्धि

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Option 4 : गुण सन्धि
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सप्तर्षि में : गुण सन्धि

Key Points

  • सप्त+ऋषि=सप्तर्षि, यहाँ अ के आगे ऋ आने पर अर् में परिवर्तन हो रहा है।
  • गुण संधि जब अ अथवा आ के आगे ‘इ’ अथवा ‘ई’ आता है तो इनके स्थान पर  हो जाता है।
    • इसी प्रकार अ या आ के आगे उ या ऊ आता है तो  हो जाता है तथा अ या आ के आगे ऋ आने पर अर् हो जाता है।
    • इसे गुण संधि कहते हैं। अतः सही विकल्प गुण है।

Additional Information

संधि

परिभाषा

उदाहरण

विसर्ग संधि

विसर्ग के बाद स्वर या व्यंजन आने पर विसर्ग में जो विकार होता हैं, उसे विसर्ग सन्धि कहते हैं।

दु: + व्यवहार = दुर्व्यवहार

व्यंजन संधि

व्यंजन के बाद स्वर या व्यंजन आने से जो परिवर्तन होता हैं, उसे व्यंजन संधि कहते हैं।

उत् + मत्त = उन्मत्त

 

यण संधि

यदि इ ई उ औ और ऋ के बाद भिन्न स्वर आए तो इ और ई का य, उ औ ऊ का व तथा त्रा का र हो जाता हैं।

अधि  + आहार  = अध्याहार

दीर्घ संधि

हस्व या दीर्घ ‘अ’, ‘ई’, ‘उ’, के पश्चात क्रमशः हस्व या दीर्घ ‘अ’, ‘ई’, ‘उ’ स्वर आए तो दोनों को मिलाकर दीर्घ, ‘आ’, ‘ई’, ‘ऊ’, हो जाते हैं। वहाँ दीर्घ संधि होता है।

भानु + उदय = भानूदय

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