Question
Download Solution PDF"बिरह सँचान भवै तन चाँड़ा ।
जीयत खाइ मुएँ नहिं छाँड़ा ।"
यहाँ 'सँचान' शब्द से अभिप्राय है-
Answer (Detailed Solution Below)
Detailed Solution
Download Solution PDF"बिरह सँचान भवै तन चाँड़ा।
जीयत खाइ मुएँ नहिं छाँड़ा।"
यहाँ 'सँचान' शब्द से अभिप्राय है- बाज
Key Points
- यह पद महाकाव्यिक रचना "पद्मावत" से लिया गया है।
- "पद्मावत" मलिक मुहम्मद जायसी की प्रसिद्ध रचना है जिसमें प्रेम, वीरता, और आध्यात्मिक तत्वों का समावेश है।
- इस रचना में रानी पद्मावती और राजा रत्नसिंह के प्रेम और त्याग की गाथा का वर्णन है।
Important Pointsपंक्ति का भाव -
- इन पंक्तियों में कवि जायसी ने नागमती की विरहावस्था का अत्यंत मार्मिक चित्रण किया हैं।
- विरह रूपी बाज ने उसके शरीर पर नजर गाड़ रखी है।
- वह अभी तो जीते जी खा रहा है, मरने पर भी यह उसका पीछा छोड़ने वाला नहीं है।
Additional Informationमलिक मुहम्मद जायसी -
- (1492-1548)
- हिन्दी साहित्य के भक्ति काल की निर्गुण प्रेमाश्रयी धारा के कवि थे।
- वे अत्यंत उच्चकोटि के सरल और उदार सूफ़ी महात्मा थे। जायसी मलिक वंश के थे।
- प्रमुख कृतियाँ -
- पद्मावत,
- अखरावट,
- आख़िरी कलाम,
- कहरनामा,
- चित्ररेखा,
- कान्हावत आदि।
Last updated on Jul 7, 2025
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