काव्य और कवि MCQ Quiz in हिन्दी - Objective Question with Answer for काव्य और कवि - मुफ्त [PDF] डाउनलोड करें
Last updated on Mar 28, 2025
Latest काव्य और कवि MCQ Objective Questions
Top काव्य और कवि MCQ Objective Questions
काव्य और कवि Question 1:
निम्नलिखित में से रीतिकाल के कवि हैं-
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य और कवि Question 1 Detailed Solution
'वृंद' रीतिकाल के कवि हैं, अन्य विकल्प असंगत है, अत: विकल्प 3 'वृंद' सही उत्तर होगा।
Key Points
- रीतिकालीन परंपरा के अंन्तर्गत वृन्द जी का नाम बड़े आदर और सम्मान के साथ लिया जाता है।
- इनका पूरा नाम वृन्दावनदास था।
- वृन्द जी को कविताओं के माध्यम से कई बार सम्मानित पुरस्कारों से नवाजा गया।
- इसके चलते वृन्द जी का कविता के विषय में मनोवल बढता गया और वृन्द जी श्रेष्ठ कवि के रूप में पहिचाने जाने लगे।
- ‘वृंद-सतसई कवि वृन्द जी की सबसे प्रसद्धि रचनाओं में से एक है. जिसमें 700 दोहे हैं।
Additional Information
- हिन्दी साहित्य का उत्तर मध्यकाल रीतिकाल कहलाता है,रीतिकाल समृद्धि और विलासिता का काल कहा जाता है।
- हिंदी साहित्य में सम्वत् 1700 से 1900 (वर्ष 1643ई. से 1843 ई. तक) का समय रीतिकाल के नाम से जाना जाता है ।
- भक्तिकाल को हिंदी साहित्य का पूर्व मध्यकाल और रीतिकाल को उत्तर-मध्य काल भी कहा जाता है ।
- भक्ति काल और रीति काल दोनों के काल को हिंदी साहित्य का मध्यकाल कहा जा सकता है ।
- रीतिकाल के कवियों में केशवदास और चिंतामणि का नाम प्रमुख रूप से लिया जाता है ।
- सर्वामान्य रूप से केशवदास को ही रीतिकाल का प्रवर्त्तक कवि माना गया है ।
- रीतिकाल के कवियों को मुख्यत: तीन वर्गों में रखा गया है :-
- रीतिग्रंथकार कवि या लक्षण बद्ध कवि या रीतिबद्ध कवि
- रीतिसिद्ध कवि
- रीतिमुक्त कवि
काव्य और कवि Question 2:
रीतिकालीन कवि बिहारी किसके आश्रयित कवि थे?
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य और कवि Question 2 Detailed Solution
रीतिकालीन कवि बिहारी महाराजा जयसिंह के आश्रयित कवि थे।
महाराजा जयसिंह-
- जन्म-1611-1667 ई.
- अन्य नाम-मिर्ज़ा राजा जयसिंह, जयसिंह प्रथम
- आमेर के राजा तथा मुग़ल साम्राज्य के वरिष्ठ सेनापति (मिर्ज़ा राजा) थे।
- जयसिंह वीर सेनानायक और कुशल राजनीतिज्ञ होने के साथ ही साथ साहित्य और कला का भी बड़ा प्रेमी था।
- उसी के आश्रय में कविवर बिहारी लाल ने अपनी सुप्रसिद्ध 'बिहारी सतसई' की रचना सन 1662 ई. में की थी।
Key Pointsबिहारी-
- जन्म-1595-1663 ई.
- रीतिकाल की रीतिसिद्ध शाखा के प्रमुख कवि रहे है।
- अकबर के शासन के अंतिम दिनों से लेकर औरंगजेब के शासन के शुरुआती दिनों टक उनका जीवन काल फैला हुआ है।
- रचना-बिहारी सतसई
- दोहा छंद में रचित मुक्तक काव्य है
- 713 दोहे है।
Important Pointsबिहारी के लिए विद्वानों के कुछ कथन-
- आचार्य रामचन्द्र शुक्ल-
- "यदि प्रबंधकाव्य एक विस्तृत वनस्थली है तो मुक्तक एक चुना हुआ गुलदस्ता है।"
- पद्म सिंह शर्मा ने इनके काव्य को 'शक्कर की रोटी' कहा है।
- राधाकृष्ण दास-
- "यदि सूर सूर हैं, तुलसी शशि और उडगन केशवदास हैं तो बिहारी उस पीयूष वर्षी मेघ के समान हैं जिसके उदय होते ही सबका प्रकाश आछन्न हो जाता है।"
Additional Informationमहाराज छत्रसाल-
- जन्म-1649-1731 ई.
- भारत के मध्ययुग के एक महान प्रतापी योद्धा थे।
- मुगल शासक औरंगज़ेब को युद्ध में पराजित करके बुन्देलखण्ड में अपना राज्य स्थापित किया और ' महाराजा ' की पदवी प्राप्त की।
- बुन्देलखण्ड केसरी के नाम से विख्यात थे।
- भूषण इनका दरबारी कवि था, उसने 'छत्रसाल दशक' ग्रंथ में महाराज छत्रसाल की प्रसंशा की है।
छत्रपति शिवाजी महाराज-
- जन्म-1630-1680 ई.
- भारत के एक महान राजा एवं रणनीतिकार थे जिन्होंने 1674 ई. में पश्चिम भारत में मराठा साम्राज्य की नींव रखी।
- इसके लिए उन्होंने मुगल साम्राज्य के शासक औरंगज़ेब से संघर्ष किया।
- सन् 1674 में रायगढ़ में उनका राज्याभिषेक हुआ और वह "छत्रपति" बने।
- भूषण इनका दरबारी कवि था, उसने 'शिवराज भूषण' व 'शिवाबावनी' ग्रंथ में महाराज शिवाजी की प्रसंशा की है।
काव्य और कवि Question 3:
बिहारी सतसई में कितने दोहे हैं?
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य और कवि Question 3 Detailed Solution
बिहारी सतसई में दोहे की संख्या '713' हैं।
Key Points
- बिहारी सतसई के रचनाकार बिहारीलाल है।
- बिहारी रीतिसिद्ध धारा के प्रमुख कवि है।
- बिहारीलाल का समय (1595-1663) ई. है।
- बिहारी महाराज जय सिंह के आश्रयदाता कवि थे।
- बिहारी सतसई की भाषा ब्रज है।
- जगन्नाथ दास रत्नाकर और सर्वमान्य मत दोहों की संख्या 713 ही मानी जाती है।
Additional Informationबिहारी सतसई पर लिखि गई टीका और टीकाकारः-
टीकाकार | टीका |
कृष्णकवि | कृष्णलाल की टीका |
सूरति मिश्र | अमर चंद्रिका |
लल्लू लाल | लालचंद्रिका |
प्रभुदयाल पांडेय | प्रभुदयाल पांडे की टीका |
अम्बिकादत्त व्यास | बिहारी बिहार |
पद्मसिंह शर्मा | संजीवनी भाष्य |
आन्नदीलाल शर्मा | फिरंगे सतसई |
जगन्नाथदास रत्नाकर | बिहारी रत्नाकर (1921ई.) |
Important Points
- जार्ज ग्रियसन के अनुसार यूरोप में बिहारी सतसई के समकक्ष कोई रचना नहीं हैं।
- श्रीराधा चरण गोस्वामी ने बिहारी को पीयूषवर्षी मेघ की उपमा दी हैं।
काव्य और कवि Question 4:
निम्नलिखित में से कौन सी रचना घनानंद की नहीं है?
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य और कवि Question 4 Detailed Solution
"स्फुट छंद", "घनानंद" की रचना नहीं है। अतः उपर्युक्त विकल्पों में से विकल्प (2) स्फुट छंद सही है तथा अन्य विकल्प असंगत है।
Key Points
- स्फुट छंद दूलह की रचना है।
- घनानंद (1673- 1760) रीतिकाल की तीन प्रमुख काव्यधाराओं- रीतिबद्ध, रीतिसिद्ध और रीतिमुक्त के अंतिम काव्यधारा के अग्रणी कवि हैं।
- ये 'आनंदघन' नाम से भी प्रसिद्ध हैं।
- घनानंद द्वारा रचित ग्रंथों की संख्या 41 बताई जाती है।
- इनके समसामयिक व्रजनाथ ने इनके 500 कवित्त सवैयों का संग्रह किया था।
- घनानंद ग्रंथावली में उनकी 16 रचनाएँ संकलित हैं।
- इनकी सर्वाधिक लोकप्रिय रचना 'सुजान हित' है, जिसमें 507 पद हैं।
काव्य और कवि Question 5:
''ये हिन्दी के प्रधान आचार्यों में माने जाते हैं और इनका 'भाषाभूषण' अलंकार ग्रंथ एक बहुत ही प्रचलित पाठयग्रंथ रहा है।''
रामचन्द्र शुक्ल ने उपर्युक्त बात किस रीतिकालीन कवि के विषय में कही है?
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य और कवि Question 5 Detailed Solution
- सही उत्तर विकल्प 3 है।
- महाराज जसवंत सिंह
- पुस्तक - हिंदी साहित्य का इतिहास - रीतिकाल प्रकरण 2
- महाराज जसवंत सिंह - मारवाड़ के प्रतापी नरेश
- प्रसिद्ध आचार्य और साहित्य मर्मज्ञ
- अन्य रचनाएं -
- अपरोक्ष-सिद्धांत,
- अनुभव-प्रकाश,
- आनंद-विलास,
- सिद्धांत-बोध,
- सिद्धांतसार,
- मतिराम के ग्रंथ - रसराज, ललित ललाम, अलंकार पंचाशिका, आदि
- देव के ग्रंथ - भाव विलास, अष्ट्याम, देव चरित, रस विलास आदि
- पद्माकर के ग्रंथ - पद्माभरण, जगदविनोद, प्रबोध पचासा आदि
Confusion Points
- भाषा भूषण नाम से रीतिकाल के ही कवि श्री धर ने भी ग्रंथ लिखा है।
काव्य और कवि Question 6:
"सत्यवती कथा" के रचनाकार निम्न में से कौन है?
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य और कवि Question 6 Detailed Solution
"सत्यवती कथा" की रचना "ईश्वर दास" ने की है। अतः उपर्युक्त विकल्पों में से विकल्प (3) ईश्वरदास सही है तथा अन्य विकल्प असंगत है।
Key Points
- रचना वर्ष :- 1501 ईस्वी
- उक्त पुस्तक दिल्ली के बादशाह सिकंदर शाह (सं. 1546-1574) के समय में लिखी गई।
- आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने सत्यवतीकथा को अवधी की सबसे पुरानी रचना माना है।
- दोहे और चौपाइ छंद है। पाँच-पाँच चौपाइयों (अर्धालियों) पर एक दोहा है।
काव्य और कवि Question 7:
बिहारी सतसई के संदर्भ में कौन-सा कथन असंगत है ?
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य और कवि Question 7 Detailed Solution
बिहारी सतसई के संदर्भ में असंगत कथन है- बिहारी सतसई के प्रथम टीकाकार जगन्नाथ दास रत्नाकर हैं।
- बिहारी सतसई के प्रथम टीकाकार कृष्ण कवि हैं।
- कृष्ण कवि ने 'कृष्णलाल की टीका' नाम से बिहारी सतसई पर टीका लिखी।
Key Pointsबिहारी सतसई पर लिखित अन्य टीका ग्रंथ हैं-
टीकाकार | टीका |
सूरति मिश्र | अमरचंद्रिका |
लल्लू लाल | लालचंद्रिका |
अंबिकादत्त व्यास | बिहारी बिहार |
पद्म सिंह शर्मा | संजीवनी भाष्य |
जगन्नाथदास रत्नाकर | बिहारी रत्नाकर |
Important Pointsबिहारी-
- जन्म-1595-1663 ई.
- रीतिकाल की रीतिसिद्ध शाखा के प्रमुख कवि है।
- गुरु-नरहरिदास
- संप्रदाय-निम्बार्क संप्रदाय
- रचना-बिहारी सतसई
- दोहा छंद में रचित मुक्तक काव्य है।
- दोहों की संख्या 713 है।
काव्य और कवि Question 8:
रामचंद्र शुक्ल ने बिहारी की भाषा के बारे में क्या लिखा हैं?
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य और कवि Question 8 Detailed Solution
रामचंद्र शुक्ल ने बिहारी की भाषा के बारे में लिखा हैं-बिहारी की भाषा चलती होने पर भी साहित्यिक हैं।
पूर्ण कथन है-
- "बिहारी की भाषा चलती होने पर भी साहित्यिक है।वाक्य रचना व्यवस्थित है और शब्दों के रूप का व्यवहार एक निश्चित प्रणाली पर है।यह बात बहुत कम कवियों में पाई जाती है।"
Key Pointsबिहारी-
- जन्म-1595-1663 ई.
- रीतिकाल की रीतिसिद्ध काव्यधारा के महत्तवपूर्व कवि है।
- बिहारी का समय मुगल शासन के वैभव का काल माना जाता है।
- गुरु-नरहरिदास
- संप्रदाय-निम्बार्क
- एकमात्र रचना-सतसई
- दोहा छंद मे रचित मुक्तक काव्य है।
- शृंगार,नायिका भेद,रीति,गुण आदि पर सुंदर दोहे लिखे गए है।
- कुल 719 दोहे परंतु जगन्नाथ दास के अनुसार 713 दोहे है।
Important Pointsजॉर्ज ग्रियर्सन-
- "पूरे यूरोप में एक भी कवि बिहारी की बराबरी नहीं कर सकता।यूरोप में बिहारी सतसई के समकक्ष को रचना प्राप्त नहीं होती है।"
आचार्य शुक्ल-
- यदि प्रबंधकाव्य एक विस्तृत वनस्थली है तो मुक्तक एक चुना हुआ गुलदस्ता है।"
Additional Information
- बिहारी को राधचरण गोस्वामी ने 'पीयूषवर्षी मेघ' कहा है।
- बिहारी के काव्य को पद्म सिंह शर्मा ने 'शक्कर की रोटी' कहा है।
काव्य और कवि Question 9:
इनमें से कौन-सी कृति केशवदास की नहीं है?
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य और कवि Question 9 Detailed Solution
अनेकार्थमंजरी कृति केशवदास की नहीं है। अन्य विकल्प असंगत है ।अतः सही उत्तर विकल्प 3 अनेकार्थमंजरी होगा ।
Key Points
|
काव्य और कवि Question 10:
निम्नलिखित में से कौन वीर रस का कवि नहीं है?
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य और कवि Question 10 Detailed Solution
- रीति काल के ब्रजभाषा कवियों में पद्माकर (1753-1833) का महत्त्वपूर्ण स्थान है।
- वे हिंदी साहित्य के रीतिकालीन कवियों में अंतिम चरण के सुप्रसिद्ध और विशेष सम्मानित कवि थे।
- मूलतः हिन्दीभाषी न होते हुए भी पद्माकर जैसे आन्ध्र के अनगिनत तैलंग-ब्राह्मणों ने हिन्दी और संस्कृत साहित्य की श्रीवृद्धि में जितना योगदान दिया है वैसा उदाहरण अन्यत्र दुर्लभ है।
शिवमंगल सिंह 'सुमन'
- शिव मंगल सिंह 'सुमन' केवल हिंदी कविता के क्षेत्र में एक शक्तिशाली चिह्न ही नहीं थे, बल्कि वह अपने समय की सामूहिक चेतना के संरक्षक भी थे।
भूषण
- भूषण का काव्य शृंगार भावना से बचा हुआ है। अतः कहा जा सकता है कि भूषण वीररस के श्रेष्ठ कवि हैं।
- इनकी कविता का अंगीरस वीर रस है। इनकी रचनाएँ शिवराज भूषण, शिवाबावजी और छत्रसाल दशक वीर रस से ओतप्रोत है।
- भूषण ने अपने वीरकाव्य में औरंगजेब के प्रति आक्रोश सर्वत्र व्यक्त किया है।
रामधारी सिंह 'दिनकर'
- 'दिनकर' स्वतन्त्रता पूर्व एक विद्रोही कवि के रूप में स्थापित हुए और स्वतन्त्रता के बाद 'राष्ट्रकवि' के नाम से जाने गये।
- वे छायावादोत्तर कवियों की पहली पीढ़ी के कवि थे।
- एक ओर उनकी कविताओ में ओज, विद्रोह, आक्रोश और क्रान्ति की पुकार है तो दूसरी ओर कोमल श्रृंगारिक भावनाओं की अभिव्यक्ति है।
- इन्हीं दो प्रवृत्तियों का चरम उत्कर्ष हमें उनकी कुरुक्षेत्र और उर्वशी नामक कृतियों में मिलता है।
- उनकी प्रसिद्ध रचनाएं उर्वशी, रश्मिरथी, रेणुका, संस्कृति के चार अध्याय, हुंकार, सामधेनी, नीम के पत्ते हैं.
- उनकी मृत्यु 24 अप्रैल 1974 को हुई थी. पेश हैं
- उनकी 5 कविताएं. कलम, आज उनकी जय बोल.