काव्य पंक्तियाँ MCQ Quiz in हिन्दी - Objective Question with Answer for काव्य पंक्तियाँ - मुफ्त [PDF] डाउनलोड करें

Last updated on Mar 27, 2025

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Latest काव्य पंक्तियाँ MCQ Objective Questions

Top काव्य पंक्तियाँ MCQ Objective Questions

काव्य पंक्तियाँ Question 1:

‘बड़े-बड़े नैनण सों आँसू- भरि भरि ढरि’ पंक्तियाँ हैं-

  1. पद्माकर
  2. देव
  3. मतिराम
  4. बिहारी

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : देव

काव्य पंक्तियाँ Question 1 Detailed Solution

स्पष्टीकरण-  

उपर्युक्त पंक्ति कवि देव द्वारा लिखी गई I देव का रीति बद्ध कवियों में प्रमुख स्थान हैI

अन्य विशेष

भावविलास, प्रेम चन्द्रिका, राग रत्नाकर, रस विलास आदि देव की प्रमुख रचनाएँ हैं

काव्य पंक्तियाँ Question 2:

'बतरस लालच लाल की, मुरली धरी लुकाय' पंक्ति के रचयिता हैं?

  1. केशवदास
  2. पद्माकर
  3. बिहारी
  4. उपर्युक्त में से एक से अधिक
  5. उपर्युक्त में से कोई नहीं

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : बिहारी

काव्य पंक्तियाँ Question 2 Detailed Solution

  • प्रस्तुत दोहा कवि बिहारी लाल के दोहों से लिया गया है। अत: सही विकल्प 'बिहारी' है।
  • इस दोहे में कवि ने कृष्ण और गोपियों के बीच चल रही सरस ठिठोली का मनोहरी चित्र अंकित किया है।
  • गोपियाँ अपने परम प्रिय कृष्ण से बातें करने का अवसर खोजती रहती हैं।
  • इसी बतरस को पाने के प्रयास में उन्होंने कृष्ण की वंशी को छिपा दिया है। कृष्ण वंशी के खो जाने पर बड़े व्याकुल हैं।
     

रस

परिभाषा

उदाहरण

संयोग शृंगार रस

जब नायक नायिका के परस्पर मिलन, स्पर्श, आलिंगन, वार्तालाप आदि का वर्णन होता है तब वहां पर संयोग श्रृंगार रस होता है।

हुए थे नैनो के क्या इशारे इधर हमारे उधर तुम्हारे।

चले थे अश्कों के क्या फवारे इधर हमारे उधर तुम्हारे।।


Important Points

  • बिहारी एक मात्र ऐसे कवि हैं जो रीति सिद्ध की सूचि में आते हैI
  • बिहारी की एकमात्र रचना बिहारी सतसई है जिसमे 719 दोहे हैI
  • बिहारी का जन्म 1595 ई. माना गया हैI
     
  • रीतिमुक्त - घनानंदआलमबोधाठाकुर
  • रीतिबद्ध - देवसेनापतिभूषणमतिराम आदि

काव्य पंक्तियाँ Question 3:

"शिवा को बखानौ कि बखानौ छत्रसाल को ।" - किसकी प्रसिद्ध पंक्ति है ? 

  1. केशवदास 
  2. मतिराम 
  3. तुलसीदास 
  4. भूषण 

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : भूषण 

काव्य पंक्तियाँ Question 3 Detailed Solution

उपरोक्त पंक्ति कवि भूषण की है

  • "शिवा( सिवा) को बखानों कि बखानों छत्रसाल को" यह पंक्ति महाकवि भूषण द्वारा रचित है।
  • "जब कवि भूषण नगर से प्रस्थान करने के लिए पालकी में विराजे तो स्वयं महाराज छत्रसाल ने उनकी पालकी को कंधा दिया और सहसा ही महाकवि के मुख से यह पंक्ति निकल पड़ी।
  • भूषण जी के काव्य समीक्षात्मक ग्रन्थ में कई जगह शिवा के स्थान पर साहू शब्द का प्रयोग भी मिलता है।

Important Pointsकवि भूषण -

  • महाकवि भूषण (1613 - 1715) रीतिकाल के तीन प्रमुख हिन्दी कवियों में से एक हैं
  • वीर रस में प्रमुखता से रचना कर भूषण ने अपने को सबसे अलग साबित किया।
  • 'भूषण' की उपाधि उन्हें चित्रकूट के राजा हृदयराम के पुत्र रुद्रशाह ने प्रदान की थी।
  • ये मोरंग, कुमायूँ, श्रीनगर, जयपुर, जोधपुर, रीवाँ, छत्रपती शिवाजी महाराज और छत्रसाल आदि के आश्रय में रहे
  • इनके पसंदीदा नरेश छत्रपति शिवाजी महाराज और महाराजा छत्रसाल थे।

मतिराम -

  • मतिराम, हिंदी के प्रसिद्ध ब्रजभाषा कवि थे।
  • इनके द्वारा रचित "रसराज" और "ललित ललाम" नामक दो ग्रंथ हैं

तुलसीदास -

  • गोस्वामी तुलसीदास (1511 - 1623) हिन्दी साहित्य के महान सन्त कवि थे।
  • रामचरितमानस इनका गौरव ग्रन्थ है।

केशवदास -

  • केशव या केशवदास  हिन्दी साहित्य के रीतिकाल की कवि-त्रयी के एक प्रमुख स्तंभ हैं।
  • वे संस्कृत काव्यशास्त्र का सम्यक् परिचय कराने वाले हिंदी के प्राचीन आचार्य और कवि हैं।
  • केशवदास रचित प्रामाणिक ग्रंथ नौ हैं -
    • रसिकप्रिया
    • कविप्रिया
    • नखशिख
    • छंदमाला
    • रामचंद्रिका
    • वीरसिंहदेव चरित
    • रतनबावनी
    • विज्ञानगीता
    • जहाँगीर जसचंद्रिका।

काव्य पंक्तियाँ Question 4:

'रस कविता को अंग, भूषन है भूषन सकल।' काव्य के संदर्भ में यह पंक्ति किसकी है ?

  1. देव
  2. भूषण
  3. भिखारी दास
  4. केशवदास

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : भिखारी दास

काव्य पंक्तियाँ Question 4 Detailed Solution

'रस कविता को अंग, भूषन है भूषन सकल।' काव्य के संदर्भ में यह पंक्ति भिखारी दास की है। 

पूर्ण पंक्तियाँ हैं-

  • रस कविता को अंग, भूषन है भूषन सकल।
    गुन सरूप औ रंग, दुशन करै कुरूपता॥ 
  • भिखारीदास ने इन पंक्तियों में काव्य का लक्षण बताया है। 

Key Pointsभिखारीदास-

  • रीतिकाल की रीतिबद्ध शाखा के कवि है। 
  • रचनाएँ-
    • शब्दनामप्रकाश कोश(1738 ई.)
    • रस सारांश(1742 ई.)
    • काव्य निर्णय(1746 ई.)
    • शतरंज शतिका(1725-60 ई.) आदि। 

Important Pointsभूषण-

  • जन्म-1613-1715 ई. 
  • यह रीतिबद्ध शाखा के कवि है। 
  • रचनाएँ-
    • शिवराजभूषण(1673 ई.)
    • शिवा बावनी 
    • छत्रसाल दशक 
    • भूषण उल्लास आदि।

केशवदास-

  • जन्म-1555-1617 ई. 
  • यह रीतिबद्ध काव्यधारा के कवि है। 
  • रचनाएँ-
    • रसिकप्रिया(1591 ई.)
    • कविप्रिया(1601 ई.)
    • रतनबावनी(1607 ई.)
    • वीरसिंहदेवचरित(1607 ई.)
    • जहाँगीरजसचंद्रिका(1612 ई.)
    • विज्ञानगीता(1610 ई.) आदि। 

देव-

  • जन्म-1673-1767 ई. 
  • यह रीतिबद्ध काव्यधारा के कवि है।
  • रचनाएँ-
    • भाव विलास(1689 ई.)
    • प्रेमचंद्रिका(1733 ई.)
    • शब्दरसायन(1743 ई.)
    • अष्टयाम(1689 ई. अनुमानतः)
    • सुखसागरतरंग(1767 ई.) आदि। 

काव्य पंक्तियाँ Question 5:

"पीर भरो जिय धीर धरै नहिं
कैसे रहे जल जाल के बाँधे?"

उपर्युक्त काव्य पंक्तियों में स्त्री की किस मनःस्थिति का संकेत किया गया है?

  1. दुःखातिरेक
  2. दुख का कम होना
  3. पीड़ा में आनंद की अनुभूति
  4. पीड़ा से मुक्ति का उपक्रम

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : दुःखातिरेक

काव्य पंक्तियाँ Question 5 Detailed Solution

"पीर भरो जिय धीर धरै नहिं,कैसे रहे जल जाल के बाँधे?"-इन काव्य पंक्तियों में स्त्री की दुःखातिरेक मनःस्थिति का संकेत किया गया है

Key Points

  • यह पंक्तियाँ रीतिकालीन प्रमुख कवि घनानंद द्वारा रचित है।
    • घनानंद(1689-1739ई.) रीतिकाल की रीतिमुक्त धारा के कवि है।
    • पंक्तियों का अर्थ -"धीरज बंधाया जाए तो विरह जर्जर हृदय उसे धारण करे भी तो कैसे?हज़ार छिद्रोवाला जाल कहीं जल को बांध कर रख सकता है।"
    • अर्थात-विरह अग्नि में जलती हुई प्रेमिका को लाख धैर्य रखने के लिए कहा जाए लेकिन अपने प्रिय से दूर होने का दर्द उसे खलता ही रहता है।

Important Points

  •  घनानंद की रचनाएं-
रचना विषय
वियोगवेली श्रृंगार चित्रण,फ़ारसी छंदों का प्रयोग।
इश्क़लता

प्रेम के उदात्त स्वरूप का चित्रण।

प्रितिपावस वर्षा वर्णन।
कृष्णकौमुदी कृष्ण लीलाओं का चित्रण
  • अन्य रचनाएँ-कृपाकन्द,गिरिगाथा,नाममाधुरी,विरहलीला,कोकसार,यमुनायश,रसकेलि वल्ली आदि।

Additional Information

  • घनानंद मुगल बादशाह मुहम्मद के मीर मुंशी थे।
  • इनकी प्रेमिका का नाम सुजान था।
  • रामचन्द्र शुक्ल-"इनकी-सी विशुद्ध,सरस और शक्तिशालिनी ब्रजभाषा लिखने में और कोई कवि समर्थ नहीं हुआ।"

काव्य पंक्तियाँ Question 6:

'पौन मया करि घूँघट टारै, दया करी दामिनी दीप देखाबै' - काव्य पंक्ति किस कवि की है?

  1. नेही नागरिदास
  2. पद्माकर
  3. देव
  4. ग्‍वाल

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : नेही नागरिदास

काव्य पंक्तियाँ Question 6 Detailed Solution

  • प्रस्तुत पंक्ति नेही नागरिदास द्वारा रचित है।
  • पद्माकर , देव और ग्वाल कवि रीतिबद्ध धारा के प्रमुख कवि हैं।
  • यह काव्यधारा उन कवियों की है जिन्होंने राजाओं व सामंतों को शास्त्रीय ज्ञान देने के लिए लक्षण ग्रंथों की रचना की।

Key Points

  •  रीतिबद्ध काव्यधारा - इसे 'लक्षण ग्रन्थ परंपरा' भी कहा जाता है।

Important Points

  •  देव कवि की प्रमुख रचनाएं - भाव विलास , प्रेमचन्द्रिका , शब्दरसायन , अष्टयाम ,जातिविलास , आदि।
  • पद्माकर की प्रमुख रचनाएं - गंगालहरी , प्रबोध पचासा , पद्माभरन , आदि।
  • ग्वाल की प्रमुख रचनाएं - यमुना लहरी , रसिकानंदन , कवि दर्पण , भक्तभावन , आदि।

काव्य पंक्तियाँ Question 7:

"तुम कौन धौं पाटी पढ़े हौ कहौ मन लेहु पै देहु छटाँक नहीं"

उपर्युक्त पंक्ति के कवि हैं -

  1. सूरदास
  2. घनानंद
  3. बिहारी
  4. पद्माकर

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : घनानंद

काव्य पंक्तियाँ Question 7 Detailed Solution

"तुम कौन धौं पाटी पढ़े हौ कहौ मन लेहु पै देहु छटाँक नहीं" उपर्युक्त पंक्ति के कवि हैं - घनानंद

Key Pointsघनानंद-

  • जन्म-1689-1739 ई.
  • रीतिकाल की रीतिमुक्त काव्यधारा के मुख्य कवि रहे है।
  • मुगल बादशाह मुहम्मद के मीर मुंशी थे। 
  • प्रेमिका - सुजान 
  • घनानंद को 'प्रेम की पीर' का कवि कहा जाता है। 
  • मुख्य रचनाएँ-
    • वियोगवेली
    • इश्कलता
    • प्रीतिपावस
    • कृपाकंद
    • विरह लीला
    • कोकसार आदि।
  • आचार्य रामचन्द्र शुक्ल-
    • ​"इनकी-सी विशुद्ध, सरस और शक्तिशालिनी ब्रजभाषा लिखने में और कोई कवि समर्थ नही हुआ।"
    • "भाषा पर जैसा अचूक अधिकार इनका था वैसा और किसी कवि का नहीं।"

Important Pointsसूरदास-

  • जन्म- 1478-1583 ई.
  • भक्तिकाल की कृष्ण भक्ति शाखा के प्रमुखक कवि है। 
  • रचनाएँ-
    • सूरसागर 
    • सुरसरावली(1548 ई.)
    • साहित्य लहरी(1550 ई.) आदि। 

बिहारी-

  • जन्म-1595-1663 ई.
  • ये रीतिकाल की रीतिसिद्ध शाखा के प्रमुख कवि है। 
  • राजा जयसिंह के दरबारी कवि थे। 
  • प्रमुख रचना-
    • बिहारी सतसई-दोहा छंद में रचित मुक्तक काव्य है।
  • बिहारी को राधचरण गोस्वामी ने 'पीयूषवर्षी मेघ' कहा है। 
  • बिहारी के काव्य को पद्म सिंह शर्मा ने 'शक्कर की रोटी' कहा है।

पद्माकर-

  • जन्म- 1753-1833ई.
  • रीति काल के कवियों में पद्माकर का महत्त्वपूर्ण स्थान है।
  • वे हिंदी साहित्य के रीतिकालीन कवियों में अंतिम चरण के सुप्रसिद्ध और विशेष सम्मानित कवि थे।
  • अन्य रचनाएँ-
    • पद्माभरण
    • रामरसायन (अनुवाद)
    • आलीजाप्रकाश
    • प्रतापसिंह विरूदावली,
    • ईश्वर-पचीसी
    • यमुनालहरी
    • प्रतापसिंह-सफरनामा
    • भग्वत्पंचाशिका
    • राजनीति
    • कलि-पचीसी
    • रायसा
    • हितोपदेश भाषा (अनुवाद)
    • अश्वमेध आदि।

काव्य पंक्तियाँ Question 8:

'मेरी भव - बाधा हरौ.....' दोहे में प्रयुक्त 'झाँई' शब्द के सही अर्थ हैं:

A. परछाईं

B. झलक

C. मुस्कान

D. दृष्टि

नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर का चयन कीजिए:

  1. केवल A और B
  2. केवल A और C
  3. केवल B और C
  4. केवल C और D

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : केवल A और B

काव्य पंक्तियाँ Question 8 Detailed Solution

'मेरी भव - बाधा हरौ.....' दोहे में प्रयुक्त 'झाँई' शब्द के सही अर्थ हैं:- परछाईं और झलक

Key Pointsव्याख्या-

  • प्रस्तुत दोहे में बिहारी कहते हैं कि-
    • वह चतुर राधिका मेरे सांसारिक कष्टों को दूर करें। 
    • जिनकी पीली आभा वाले (गोरे) शरीर की यानि झाईं(प्रतिबिम्ब) पड़ने से श्याम वर्ण के श्री कृष्ण हरित वर्ण यानि हरे रंग के हो जाते हैं।

Important Pointsउपर्युक्त दोहे का काव्य सौन्दर्य-

  • भाषा-ब्रज
  • छंद-दोहा
  • शैली-मुक्तक
  • रस-श्रृंगार और भक्ति
  • गुण-प्रसाद माधुर्य
  • अलंकार-श्लेष अलंकार

Additional Informationबिहारी-

  • जन्म-1595-1663 ई.
  • बिहारी रीतिकाल के प्रसिद्ध कवि है।
  • इनकी एकमात्र रचना बिहारी सतसई है।
  • जिसमें 713 दोहे हैं।

काव्य पंक्तियाँ Question 9:

"सगुण अलंकारन सहित दोष रहित जो होइ।

शब्द अर्थ ताको कवित विबुध कहत सब कोइ II"

'काव्य' के संदर्भ में उक्त मत किस रीतिकालीन आचार्य का है?

  1. श्रीपति
  2. केशवदास
  3. आचार्य चिंतामणि
  4. भिखारीदास

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : आचार्य चिंतामणि

काव्य पंक्तियाँ Question 9 Detailed Solution

"सगुण अलंकारन सहित दोष रहित जो होइ। शब्द अर्थ ताको कवित विबुध कहत सब कोइ II" 'काव्य' के संदर्भ में उक्त मत आचार्य चिंतामणि रीतिकालीन आचार्य का है। 

  • यह एक काव्य लक्षण है। 
  • इसे चिंतामणि में कविकुलकल्पतरु ग्रंथ के अंदर लिखा है। 

Key Pointsआचार्य चिंतामणि-

  • जन्म-1609-1685 ई. 
  • यह रीतिकाल की रीतिबद्ध शाखा के कवि है। 
  • रचनाएँ-
    • कविकुलकल्पतरु(1650 ई.)
    • रसविलास 
    • शृंगारमंजरी 
    • छंद विचार 
    • कवित्त विचार 
    • काव्य विवेक आदि। 

Important Pointsश्रीपति-

  • यह रीतिकाल की रीतिबद्ध शाखा के कवि है। 
  • रचनाएँ-
    • काव्यसरोज
    • कविकल्पद्रुम,
    • रससागर,
    • अनुप्रासविनोद,
    • विक्रमविलास,
    • सरोज कलिका आदि। 

केशवदास-

  • जन्म-1555-1617 ई. 
  • यह रीतिकाल की रीतिबद्ध शाखा के कवि है। 
  • रचनाएँ-
    • रसिकप्रिया(1591 ई.)
    • कविप्रिया(1601 ई.)
    • रतनबावनी(1607 ई.)
    • वीरसिंहदेवचरित(1607 ई.)
    • विज्ञानगीता(1610 ई.) आदि। 

भिखारीदास-

  • यह रीतिकाल की रीतिबद्ध शाखा के कवि है। 
  • रचनाएँ-
    • शब्दनामप्रकाश कोश(1738 ई.)
    • रस सारांश(1742 ई.)
    • काव्य निर्णय(1746 ई.)
    • शृंगार निर्णय(1750 ई.)
    • शतरंज शतिका(1725-60 ई.) आदि। 

Additional Informationश्रीपति द्वारा दिया गया काव्य लक्षण है-

  • यदपि दोष बिनु गुण सहित, अलंकार सो लीन। 
    कविता बनिता छवि नहीं, रस बिन तदपि प्रवीन॥ 

आचार्य केशवदास द्वारा दिया गया काव्य लक्षण है-

  • जदपि सुजाति सुलच्छनी सुबस, सरस सुवृत्त।
    भूषनु बिनुन बिराजई, कविता, वनिता मित्त॥

भिखारीदास द्वारा दिया गया काव्य लक्षण है-

  • रस कविता को अंग, भूषन हैं भूषन सकल। 
    गुन सरूप औ रंग, दूषण करै कुरूपता॥ 

काव्य पंक्तियाँ Question 10:

'शोभा सरसाने न बखाने जात केहू भॉंति

आने हैं पहार मानो काजर के ढोय कै।।

यह काव्‍य पंक्ति किसकी है ?

  1. देव
  2. सेनापति
  3. मतिराम
  4. चिन्‍तामणि 

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : सेनापति

काव्य पंक्तियाँ Question 10 Detailed Solution

  • प्रस्तुत पंक्तियाँ सेनापति द्वारा लिखी गयी हैं।
  • रामचन्द्र शुक्ल का कथन - "ये बड़े ही सहृदय कवि थे , ऋतु वर्णन तो इनके जैसा और किसी कवि ने नहीं किया।
  • सेनापति के काव्य में श्लेष चमत्कार देखने को मिलता है।

Key Points    

  • सेनापति की रचनाएं हैं - कवित्त रत्नाकर और काव्य कल्पद्रुम।
  • नायिका भेद की रचना करने वाले कवियों में देव का ऊँचा स्थान है। 

Additional Information

  • मतिराम - फूल मंजरी को इनका पहला ग्रन्थ माना जाता है
  • चिंतामणि रसवादी माने जाते हैं।
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