काव्य पंक्तियाँ MCQ Quiz - Objective Question with Answer for काव्य पंक्तियाँ - Download Free PDF
Last updated on Jun 3, 2025
Latest काव्य पंक्तियाँ MCQ Objective Questions
काव्य पंक्तियाँ Question 1:
मंद-गंध-पुष्प माल,
पाट-पाट शोभा श्री
पट नहीं रही है।' इन पंक्तियों के रचनाकार हैं :
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य पंक्तियाँ Question 1 Detailed Solution
सही उत्तर है- सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'
Key Pointsसूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'-
- जन्म-1896-1961 ई.
- छायावाद के चार स्तंभों में से एक है।
- प्रमुख काव्य रचनाएं:
- जूही की कली (1916)
- अनामिका(1923)
- परिमल(1929)
- गीतिका(1936)
- राम की शक्ति पूजा(1936)
- सरोज स्मृति(1935)
- कुकुरमुत्ता(1942)
- अणिमा(1942)
- संध्या काकली (1969)
Important Pointsनागार्जुन-
- जन्म- 1911-1998 ई.
- नागार्जुन के बचपन का नाम 'ढक्कन मिसिर' था।
- उनका वास्तविक नाम वैद्यनाथ मिश्र था।
- हिंदी में नागार्जुन, मैथिली में यात्री नाम से लिखते थे।
- नागार्जुन हिन्दी और मैथिली के अप्रतिम लेखक और कवि थे।
- नागार्जुन प्रगतिशील विचारधारा के साहित्यकार थे।
- काव्य रचनाएँ-
- सतरंगे पंखों वाली(1949 ई.)
- युगधारा(1953 ई.)
- प्यासी पथराई आँखें (1962 ई.)
- तालाब की मछलियाँ(1974 ई.)
- तुमने कहा था (1980 ई.)
- खिचड़ी विप्लव देखा हमने (1980 ई.)
- हजार-हजार बाँहों वाली (1981 ई.)
- पुरानी जूतियों का कोरस (1983 ई.) आदि।
मंगलेश डबराल-
- जन्म- 1948 ई.
- काव्य रचनाएं-
- पहाड़ पर लालटेन (1981)
- घर का रास्ता (1988)
- हम जो देखते हैं (1995)
- आवाज़ भी एक जगह है (2000)
- नए युग में शत्रु' (2013)
- घर का रास्ता' (2017)
- स्मृति एक दूसरा समय है' (2020) आदि।
ऋतुराज-
- जन्म-1940 ई.
- राजस्थानी कवि है।
- राजस्थान प्रगतिशील लेखक संघ के अध्यक्ष रहे है।
- काव्य संग्रह-
- पुल पर पानी
- एक मरणधर्मा और अन्य कविताऍं
- सुरत निरत तथा लीला अरविंद
- मैं आंगिरस
- कितना थोड़ा वक़्त आदि।
काव्य पंक्तियाँ Question 2:
"अरुण-केतन लेकर निज हाथ, वरुण-पथ में हम बढ़े अभीत" में "अरुण-केतन" और "वरुण-पथ" का क्या अर्थ है?
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य पंक्तियाँ Question 2 Detailed Solution
उत्तर - सूर्य का ध्वज और समुद्र का मार्ग
**विश्लेषण**: "अरुण-केतन" सूर्य का ध्वज (प्रभात का प्रतीक) और "वरुण-पथ" समुद्र का मार्ग (वरुण देवता का क्षेत्र) है। यह भारत की साहसिक यात्रा और विश्व में प्रभाव को दर्शाता है।
भारतवर्ष कविता
काव्य पंक्तियाँ Question 3:
"बचाकर बीच रूप से सृष्टि, नाव पर झेल प्रलय का शीत" में कवि किस पौराणिक घटना की ओर संकेत करता है?
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य पंक्तियाँ Question 3 Detailed Solution
उत्तर - मत्स्य अवतार और प्रलय से सृष्टि की रक्षा
**विश्लेषण**: यह पंक्ति मत्स्य अवतार की कथा को संदर्भित करती है, जिसमें भगवान विष्णु ने प्रलय के दौरान नाव पर सृष्टि को बचाया। यह भारत की प्राचीन परंपरा और उसकी रक्षा की भावना को दर्शाता है।
भारतवर्ष कविता
काव्य पंक्तियाँ Question 4:
"सप्तस्वर सप्तसिंधु में उठे, छिड़ा तब मधुर साम-संगीत" पंक्ति में "सप्तस्वर" और "सप्तसिंधु" का क्या अर्थ है?
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य पंक्तियाँ Question 4 Detailed Solution
उत्तर - सात स्वर और सात समुद्र
Key Pointsविश्लेषण-
- "सप्तस्वर" संगीत के सात स्वरों को और "सप्तसिंधु" सात समुद्रों को दर्शाता है, जो भारत की सांस्कृतिक प्रभावशीलता और उसकी वैश्विक पहुँच को प्रतीकात्मक रूप से व्यक्त करता है।
Additional Information
- भारतवर्ष कविता
काव्य पंक्तियाँ Question 5:
"विमल वाणी ने वीणा ली, कमल कोमल कर में सप्रीत" में "विमल वाणी" और "वीणा" किसके प्रतीक हैं?
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य पंक्तियाँ Question 5 Detailed Solution
उत्तर - भारत की साहित्यिक परंपरा और उसकी मधुरता
**विश्लेषण**: "विमल वाणी" भारत की साहित्यिक और वैदिक परंपरा का प्रतीक है, और "वीणा" उसकी मधुरता और संगीतमयता को दर्शाती है। यह भारत की सांस्कृतिक समृद्धि को व्यक्त करता है।
भारतवर्ष कविता
Top काव्य पंक्तियाँ MCQ Objective Questions
'सुन्दर है विहग, सुमन सुन्दर, मानव तुम सबसे सुन्दरतम' उक्त पंक्ति किस कवि की है-
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य पंक्तियाँ Question 6 Detailed Solution
Download Solution PDFउपयुक्त पंक्ति सुमित्रानंदन पंत की है। अतः उपर्युक्त विकल्पों में से विकल्प (2) सुमित्रानंदन पंत सही है तथा अन्य विकल्प असंगत हैं।
- उपयुक्त पंक्ति सुमित्रानंदन पंत की है।
- यह "मानव कविता" की पंक्तियां हैं।
- मानव कविता :- 1935
- सुमित्रानंदन पंत (20 मई 1900 - 28 दिसम्बर 1977) हिंदी साहित्य में छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक हैं।
- इस युग को जयशंकर प्रसाद, महादेवी वर्मा, सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' और रामकुमार वर्मा जैसे कवियों का युग कहा जाता है।
- सुमित्रानंदन पंत "प्रकृति के सुकुमार कवि" कहे जाते हैं।
- पंत जी कोमल कल्पना के लिए प्रसिद्ध रहे हैं।
- पंत जी ने अपने जीवन के 1945-1959 काल को 'नव मानवता का स्वप्न काल' कहा है।
- सुमित्रानंदन पंत की कुछ काव्य कृतियाँ हैं - ग्रन्थि, गुंजन, ग्राम्या, युगांत, स्वर्णकिरण, स्वर्णधूलि, कला और बूढ़ा चाँद, लोकायतन, चिदंबरा, सत्यकाम आदि।
- जयशंकर प्रसाद के काव्य-
- प्रेम-पथिक - (1909) , करुणालय (काव्य नाटक) - 1913 ई, महाराणा का महत्त्व - 1924 ई, चित्राधार - 1918 ई॰ ,कानन कुसुम - 1918 ई , झरना - 1918 ई , आँसू - 1925 ई , लहर - 1933 ई ,कामायनी - 1936 ई
- निराला के काव्यसंग्रह
- अनामिका (1923), परिमल (1930), गीतिका (1936), अनामिका (द्वितीय) (1938), तुलसीदास (1938), कुकुरमुत्ता (1942), अणिमा (1943), बेला (1946), नये पत्ते (1946), अर्चना(1950), आराधना (1953), गीत कुंज (1954), सांध्य काकली (1969), अपरा (संचयन)
- मैथिलीशरण गुप्त
- काविताओं का संग्रह - उच्छवास
- पत्रों का संग्रह - पत्रावली
- महाकाव्य- साकेत, यशोधरा
'गा कोकिल बरसा पावक कण' पंक्ति किस रचनाकार की है?
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य पंक्तियाँ Question 7 Detailed Solution
Download Solution PDF- 'गा कोकिल बरसा पावक कण' पंक्ति सुमित्रानंदन पन्त की है ।
- पन्त की पहली छायावादी रचना उच्छ्वास है तथा अंतिम छायावादी रचना गुंजन है ।
- पल्लव की भूमिका को छायावादी का घोषणापत्र कहा जाता है ।
Key Points
- पन्त की छायावादी रचनाएं हैं - ग्रंथि , पल्लव , वीणा , गुंजन ।
- पन्त जी को 'संवेदनशील इन्द्रिय बोध का कवि ' कहा जाता है ।
- प्रकृति , जीवन और मनुष्य का जैसा यथार्थ रिश्ता पन्त के काव्य में मिलता है ।
“मैं नीर भरी दुख की बदली।'
महादेवी वर्मा का उपर्युक्त गीत उनके किस काव्य संग्रह से सम्बद्ध है?
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य पंक्तियाँ Question 8 Detailed Solution
Download Solution PDFमहादेवी वर्मा का उपर्युक्त गीत-4) सान्ध्यगीत काव्य संग्रह से सम्बद्ध है।
Important Points
- सान्ध्यगीत की रचना महादेवी वर्मा ने 1936 में की।
- महादेवी वर्मा छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक मानी जाती हैं।
- इनकी अन्य रचनायें-दीपशिखा,यामा,सप्तपर्णा,अतीत के चलचित्र,स्मृति की रेखाएं,गिल्लू,श्रृंखला की कड़ियाँ आदि हैं।
Additional Information
- सान्ध्यगीत कविता संग्रह के गीतों में नीरजा के भावों का परिपक्व रूप मिलता है।
- यहाँ न केवल सुख-दुख का बल्कि आँसू और वेदना,मिलन और विरह,आशा और निराशा एवं बन्धन-मुक्ति आदि का समन्वय है।
"सुंदरता का आलोकस्त्रोत है फूट पड़ा मेरे मन में I
जिससे नवजीवन का प्रभात होगा फिर जग की आँगन में II"
उपर्युक्त पंक्तियों के रचयिता हैं -
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य पंक्तियाँ Question 9 Detailed Solution
Download Solution PDF- प्रस्तुत पंक्तियों के रचयिता सुमित्रानंदन पन्त हैं।
- सुमित्रानंदन पन्त को नन्ददुलारे वाजपयी ने छायावाद का प्रवर्तक स्वीकार किया है।
Key Points
- सुमित्रानंदन पन्त की पहली कविता 'गिरजे का घंटा' (1916 ई. ) है।
- सुमित्रानंदन पन्त अरविन्द दर्शन से प्रभावित थे।
Important Points
- पन्त जी को संवेदनशील इन्द्रिय बोध का कवि कहा जाता है।
- पन्त जी की प्रसिद्ध रचनाएं हैं:- ग्रंथि, पल्लव, वीणा, युगांत, युगवाणी, ग्राम्या, कला और बूढ़ा चाँद आदि।
Additional Information
- प्रसाद की प्रसिद्ध रचनाएं हैं - उर्वशी, कानन कुसुम, प्रेमपथिक, चित्राधार, झरना,आसूं, लहर, कामायनी।
- निराला की प्रसिद्ध रचनाएं हैं - अनामिका, परिमल, तुलसीदास, कुकुरमुत्ता, अणिमा, बेला, नए पत्ते, अर्चना, गीतकुंज।
- महादेवी की प्रसिद्ध रचनाएं हैं - नीहार, रश्मि, नीरजा, सांध्यगीत, यामा, प्रथम आयाम।
''समरस थे जड़ या चेतन सुंदर साकार बना था, चेतनता एक विलसती आनंद अखंड घना था।'' पंक्तियॉं किसकी है ?
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य पंक्तियाँ Question 10 Detailed Solution
Download Solution PDFउपर्युक्त विकल्पों में से विकल्प "जयशंकर प्रसाद" सही है तथा अन्य विकल्प असंगत है।
- "समरस थे जड़ या चेतन सुदंर साकार बना था, चेतनता एक विलसती आनंद अखंड घना था।" पंक्ति जयशंकर प्रसाद की है।
- यह कामायनी के भाग -2 आनंद की पंक्ति है।
- इन पंक्तियों में शांत रस है।
- कामायनी आधुनिक छायावादी युग का सर्वोत्तम और प्रतिनिधि हिंदी महाकाव्य है।
- 'प्रसाद' जी की यह अंतिम काव्य रचना 1936 ई. में प्रकाशित हुई, परंतु इसका प्रणयन प्राय: 7-8 वर्ष पूर्व ही प्रारंभ हो गया था।
- कामायनी में चिन्ता‚ आशा‚ श्रद्धा‚ काम‚ वासना‚ लज्जा‚ कर्म‚ इर्ष्या‚ इड़ा‚ स्वप्न‚ संघर्ष‚ निर्वेद‚ दर्शन‚ रहस्य‚ आनन्द नामक पन्द्रह सर्ग हैं।
- त्रिलोचन शास्त्री के कविता संग्रह :-
- धरती(1945), गुलाब और बुलबुल(1956), दिगंत(1957), ताप के ताए हुए दिन(1980), शब्द(1980)
- उस जनपद का कवि हूँ (1981) अरधान (1984), तुम्हें सौंपता हूँ(1985), मेरा घर, चैती, अनकहनी भी कुछ कहनी है, जीने की कला(2004)
- नंददुलारे वाजपेयी की कुछ प्रकाशित कृतियाँ
- जयशंकर प्रसाद - 1938
- हिन्दी साहित्य : बीसवीं शताब्दी - 1952
- आधुनिक साहित्य - 1950
- महाकवि सूरदास - 1953
- प्रेमचंद : साहित्यिक विवेचन - 1954
- रामचंद्र शुक्ल जी के आलोचनात्मक ग्रंथ
- सूर, तुलसी, जायसी पर की गई आलोचनाएं, काव्य में रहस्यवाद, काव्य में अभिव्यंजनावाद, रसमीमांसा आदि शुक्ल जी की आलोचनात्मक रचनाएं हैं।
“मधुर राग बन विश्व सुलाती
सौरभ बल कण-कण बस जाती।”
ये पंक्तियाँ किस कवि की है?
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य पंक्तियाँ Question 11 Detailed Solution
Download Solution PDFमधुर राग बन विश्व सुलाती...पंक्तियाँ महादेवी वर्मा जी की है।
- तुम्हें बाँध पाती सपने में! कविता से यह पंक्तियाँ ली गई है।
- नीरजा काव्य संग्रह से यह पंक्तियाँ ली गई है।
Key Points
- महादेवी वर्मा ने अधिकतर भावप्रधान गीत लिखें हैं ।
- महादेवी का अज्ञात प्रिय के प्रति दुःख प्रणय दुःखप्रधान है ।
- छायावाद कवियों में सर्वाधिक रहस्यभावना महादेवी वर्मा में पाई जाती है ।
- महादेवी वर्मा की रचना 'यामा' में 'निहार' , 'रश्मि' , 'नीरजा' तथा 'सांध्यगीत' के महत्वपूर्ण गीतों का संकलन किया गया ।
- नीहार - 1930 ई.
- सांध्यगीत - 1936 ई.
- नीरजा - 1935 ई.
'मुख - कमल समीप सजे थे
दो किसलय से पुरइन के
जलबिन्दु सद्रश ठहरे कब
उन कानों में दुख किनके?'
इस छन्द में प्रेयसी के किस गुण या प्रवृत्ति का वर्णन हुआ है ?
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य पंक्तियाँ Question 12 Detailed Solution
Download Solution PDFउपर्युक्त छंद में प्रेयसी निर्दयी है का गुण प्रदर्शित हुआ है।
उपयुक्त पंक्ति आँसू काव्य से ली गई है।
लेखक :- जयशंकर प्रसाद
विधा :- प्रदीर्घ गीतात्मक काव्य है
प्रकाशन :- 1925 ई॰
आँसू वेदना-प्रधान काव्य है।
इसके प्रकाशन के बाद लोगों ने यह अनुमान लगाया कि प्रसाद जी ने अपनी किसी प्रेमिका के विरह में इसकी रचना की है।
मुख कमल समीप थे, दो किसलय दल पुरइन के में रूपक अलंकार है।
प्रस्तुत पंक्तियों में कवि यह कहना चाह रहें है कि कमल रूपी मुख के समीप दो नवीन कान सुशोभित हो रहे थे। इसमें मुख को कमल का तथा कान को पत्तों का रूप दिया गया है इसलिए यहाँ रुपक अलंकार का प्रयोग हुआ है।
दूसरे शब्दों मे यह कहा जा सकता है कि मुख ओर कान को कमल और उसके दो नए पत्तों को आरोपित क्या गया है इसे ही उपमेय पर उपमान का आरोप कहतें है।
उपमेय – उपमान
- मुख- कमल
- कान – पत्ते
प्रसाद जी के काव्य
- प्रेम-पथिक - 1909 ई॰
- करुणालय (काव्य–नाटक) - 1913 ई॰
- चित्राधार - 1918 ई॰
- कानन कुसुम - 1913 ई॰
- झरना - 1918 ई॰
- आँसू - 1925 ई॰
- लहर- 1935 ई॰
- कामायनी - 1936 ई
'वह उस शाखा का वन-विहंग उड़ गया मुक्त नभ निरस्तरंग' पंक्तियाँ किस छायावादी कवि की है ?
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य पंक्तियाँ Question 13 Detailed Solution
Download Solution PDF- 'वह उस शाखा का वन -विहंग उड़ गया मुक्त नभ निरस्तरंग' पंक्तियां सूर्यकांत त्रिपाठी निराला।
- तुलसीदास कविता से यह पंक्तियाँ ली गई हैं।
- तुलसीदास नामक रचना भी सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी की है।
- सूर्यकांत त्रिपाठी निराला को हिन्दी में मुक्त छंद का प्रवर्तक माना जाता है।
- निराला ने 'कवित्त' को 'हिन्दी का जातीय छंद' कहा है।
Key Points
- निराला ने 'परिमल' की भूमिका में लिखा है , "मनुष्यों की मुक्ति की तरह कविता की भी मुक्ति होती है।
- निराला ओज , औदात्य और विद्रोह के कवि हैं।
Important Points
- निराला की प्रमुख रचनाएं - सरोज स्मृति , प्रेयसी , राम की शक्ति पूजा , तोड़ती पत्थर , संध्या सुंदरी , जुही की कली , बादल राग , विधवा आदिठ
- यह पंक्तियाँ तुलसीदास ( 1938 ई. ) कविता से ली गयी हैं , निराला कृत तुलसीदास 101 छंदों में रचित एक खण्ड काव्य है।
'कर्म का भोग भोग का कर्म, यही जड का चेतन आनन्द' - पंक्तियाँ किस काव्य-कृति से उद्धृत है?
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य पंक्तियाँ Question 14 Detailed Solution
Download Solution PDFउपर्युक्त विकल्पों में से विकल्प "कामायनी" सही है तथा अन्य विकल्प असंगत है।
- उपर्युक्त पंक्तियां कामायनी की है।
- कामायनी हिंदी भाषा का एक महाकाव्य है।
- यह आधुनिक छायावादी युग का सर्वोत्तम और प्रतिनिधि हिंदी महाकाव्य है।
- 'प्रसाद' जी की यह अंतिम काव्य रचना 1936 ई. में प्रकाशित हुई।
- कामायनी एक प्रतीकात्मक काव्य है जिसमेंं मनु,श्रद्धा,इड़ा,किलात-आकुलि,श्वेत वृषभ आदि क्रमशः मन, बुद्धि,मानव,आसुरी भाव,धर्म के प्रतीक हैं।
- कामायनी 15 सर्ग (अध्यायों) का महाकाव्य है। ये सर्ग निम्नलिखित हैं-
- 1. चिन्ता 2. आशा 3. श्रद्धा 4. काम 5. वासना 6. लज्जा 7. कर्म 8. ईर्ष्या 9. इडा (तर्क, बुद्धि) 10. स्वप्न 11. संघर्ष 12. निर्वेद (त्याग) 13. दर्शन 14. रहस्य 15. आनन्द सूत्र :- (1) चिंता की आशा से श्रद्धा ने काम वासना को लज्जित किया। (2) कर्म की ईर्ष्या से इड़ा ने स्वप्न में संघर्ष किया। (3) निदरआ (निद्रा)
- यशोधरा (1933 ईस्वी) :- मैथिलीशरण गुप्त
- उर्वशी (1961 ईस्वी) :- रामधारी सिंह दिनकर
- साकेत (1931 ईस्वी) :- मैथिलीशरण गुप्त
'मैं नीर भरी दुख की बदली' का प्रतिपाद्य है -
(A) इसमें रहस्यवादी ढंग से जीवन की नश्वरता की बात की गई है।
(B) इसमें स्त्री के सामाजिक प्रदेय और श्रेय को रेखांकित किया गया है।
(C) स्त्री का जीवन दुख में ही बीतता रहा है।
(D) स्त्री अपने आँसुओं को व्यर्थ नहीं जाने देती है। वह उसी से नया सृजन करती रही है।
नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर का चयन कीजिए :
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य पंक्तियाँ Question 15 Detailed Solution
Download Solution PDFविकल्प (C) और (D) सही है।
- इसमें महादेवी वर्मा ने यह भी बताया है कि स्त्री जीवन दुख में ही बीतता रहता है।
- तथा स्त्री अपने आँसुओं को व्यर्थ नहीं जाने देती है। वह उसी से नया सृजन करती रही है।
यह कविता महादेवी वर्मा की कविता हैं जिसका अर्थ यह है कि एक लड़की माटी की गुड़िया के समान है जिसे अपनी जिंदगी के हर मोड़ पर टूटने और बिखरने का डर है।
उसकी जिंदगी में परेशानियों का सफर हमेशा चलता रहता है।
लड़की के पैदा होने पर परिवार दुखित होता है और यदि पहले ही पता चल जाए कि गर्भ में लड़की है तो उसे गर्भ में ही मार दिया जाता है।
महादेवीवर्मा के कविता संग्रह:-
- नीहार (1930), रश्मि (1932), नीरजा (1934), सांध्यगीत (1936) , दीपशिखा (1942)
- सप्तपर्णा (अनूदित-1949), प्रथम आयाम (1974),.अग्निरेखा (1990)