काव्य पंक्तियाँ MCQ Quiz - Objective Question with Answer for काव्य पंक्तियाँ - Download Free PDF

Last updated on Jun 16, 2025

Latest काव्य पंक्तियाँ MCQ Objective Questions

काव्य पंक्तियाँ Question 1:

घनानंद किस भाषा में कविता करते थे ?

  1. मगही
  2. भोजपुरी
  3. अवधी
  4. ब्रज

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : ब्रज

काव्य पंक्तियाँ Question 1 Detailed Solution

घनानंद ब्रज भाषा में कविता करते थे

Key Points

  • घनानंद को "प्रेम की पीर" का कवि भी कहा जाता है,
  • और उनकी कविताएँ प्रेम, विरह, और भावनाओं की गहराई को व्यक्त करने के लिए जानी जाती हैं,
  • उनकी भाषा को "परिमार्जित और साहित्यिक ब्रजभाषा" माना जाता है,
  • जिसमें कोमलता और मधुरता का चरम विकास दिखाई देता है।

Important Points घनानन्द-

  • जन्म-1689-1739 ई. 
  • रीतिकाल की रीतिमुक्त धारा के महत्वपूर्ण कवि है।
  • सम्प्रदाय-निम्बार्क
  • आश्रयदाता-मुहम्मदशाह रंगीले
  • प्रेयसी-सुजान
  • रचनाएँ-
    • वियोगबेलि 
    • इश्कलता
    • सुजान हित प्रबंध
    • प्रीतिपावस 
    • कृपाकन्द 
    • विरह लीला आदि। 

Additional Informationब्रज-

  • जिसे हिंदी में भाषा भी कहा जाता है, एक इंडो-आर्यन भाषा है जो पश्चिमी हिंदी की एक बोली है।
  • यह मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश के ब्रज क्षेत्र में बोली जाती है, जिसमें मथुरा, आगरा, अलीगढ़ और एटा जैसे शहर शामिल हैं।
  • ब्रज भाषा का साहित्य, विशेष रूप से भक्ति काल में, बहुत समृद्ध है,
  • जिसमें सूरदास जैसे प्रसिद्ध कवियों ने कृष्ण भक्ति पर आधारित रचनाएँ लिखी हैं।

मगही-

  • जिसे मागधी भी कहा जाता है, भारत के पूर्वी भाग में बोली जाने वाली एक इंडो-आर्यन भाषा है।
  • यह मुख्य रूप से बिहार और झारखंड राज्यों में बोली जाती है,
  • और इसका कुछ हिस्सा पश्चिम बंगाल और नेपाल में भी फैला हुआ है।
  • मगही का इतिहास प्राचीन काल से जुड़ा है, और इसे जैन और बौद्ध धर्म के ग्रंथों में भी महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। 

भोजपुरी-

  • भोजपुरी एक इंडो-आर्यन भाषा है जो मुख्य रूप से भारत के बिहार और उत्तर प्रदेश राज्यों में बोली जाती है।
  • यह भाषा पूर्वी इंडो-आर्यन भाषाओं के समूह से संबंधित है, और मगही और मैथिली के साथ बिहारी भाषाओं के रूप में समूहीकृत है। 
  • भोजपुरी को भारत के बाहर भी कई देशों में बोला जाता है, जैसे कि फिजी और मॉरीशस। 

अवधी-

  • एक Indo-Aryan भाषा है जो भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के अवध क्षेत्र में बोली जाती है,
  • और बिहार, मध्य प्रदेश, दिल्ली, नेपाल और मॉरीशस में भी पायी जाती है। यह हिंदी की एक उपभाषा मानी जाती है
  • और इसका एक समृद्ध साहित्य है, जिसमें गोस्वामी तुलसीदास की "रामचरितमानस" एक प्रमुख रचना है। 

काव्य पंक्तियाँ Question 2:

'बिहारी सतसई' के आधार पर कौन-से कथन सत्य हैं?

(A) बिहारी सतसई में नायिका की शारीरिक सुंदरता का वर्णन प्रमुख है।

(B) बिहारी सतसई में राधिका जी को मंगलाचरण में प्रार्थना की गई है।

(C) बिहारी सतसई में केवल श्रृंगार रस की प्रधानता है।

(D) बिहारी सतसई में नायक और नायिका की भावनाओं को आँखों की चेष्टा से व्यक्त किया गया है।

(E) बिहारी सतसई में मिर्जा राजा जयसिंह को उनके प्रेम में राज्य की उपेक्षा के लिए दोहा सुनाया गया।

नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर का चयन कीजिए:

  1. केवल (B), (C), (D)
  2. केवल (A), (C)
  3. केवल (B), (D), (E)
  4. केवल (A), (C), (E)

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : केवल (B), (D), (E)

काव्य पंक्तियाँ Question 2 Detailed Solution

सही उत्तर है - केवल (B), (D), (E)

Key Pointsविश्लेषण:

  • (A) बिहारी सतसई में नायिका की शारीरिक सुंदरता का वर्णन प्रमुख है: यह सत्य है, लेकिन यह एकमात्र विशेषता नहीं है। दोहा 2, 7, 8, 16, 26 आदि में शारीरिक सुंदरता का वर्णन है, लेकिन यह प्रमुख नहीं है।
  • (B) बिहारी सतसई में राधिका जी को मंगलाचरण में प्रार्थना की गई है: यह सत्य है। दोहा 1 में मंगलाचरण में राधिका जी से प्रार्थना की गई है।
  • (C) बिहारी सतसई में केवल श्रृंगार रस की प्रधानता है: यह असत्य है। बिहारी सतसई को श्रृंगार, भक्ति, और नीति की त्रिवेणी कहा जाता है, न कि केवल श्रृंगार रस की रचना।
  • (D) बिहारी सतसई में नायक और नायिका की भावनाओं को आँखों की चेष्टा से व्यक्त किया गया है: यह सत्य है। दोहा 32 में नायक और नायिका की भावनाओं को आँखों की चेष्टा से व्यक्त किया गया है।
  • (E) बिहारी सतसई में मिर्जा राजा जयसिंह को उनके प्रेम में राज्य की उपेक्षा के लिए दोहा सुनाया गया: यह सत्य है। दोहा 38 में यह उल्लेख है।

काव्य पंक्तियाँ Question 3:

'घनानंद कवित्त' के आधार पर निम्नलिखित में से कौन-से कथन सत्य हैं?

(A) घनानंद की कविता में प्रिय की सुमुखता का चित्रण प्रमुख है।

(B) घनानंद की कविता में प्रेमिका की विरह-दशा को चातक और मीन से तुलना करके दर्शाया गया है।

(C) घनानंद की कविता में प्रिय के प्रति प्रेमिका के उपालंभ का चित्रण देखने को मिलता है।

(D) घनानंद की कविता में प्रेमिका की आँखों की व्याकुलता और लालसा का वर्णन नहीं है।

(E) घनानंद की कविता में प्रिय के रूप को बार-बार देखने पर भी नया-नया लगने का वर्णन है।

नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर का चयन कीजिए:

  1. (A), (D)
  2. (A), (C), (E)
  3. (B), (C), (E)
  4. (A), (B), (D)

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : (B), (C), (E)

काव्य पंक्तियाँ Question 3 Detailed Solution

सही उत्तर है - (B), (C), (E)

Key Pointsविश्लेषण:

  • (B) घनानंद की कविता में प्रेमिका की विरह-दशा को चातक और मीन से तुलना करके दर्शाया गया है: यह सत्य है। कवित्त 19 में प्रेमिका की विरह-दशा को चातक और मीन से तुलना की गई है।
  • (C) घनानंद की कविता में प्रिय के प्रति प्रेमिका के उपालंभ का चित्रण देखने को मिलता है: यह सत्य है। कवित्त 9, 11, और 26 में प्रिय के प्रति उपालंभ स्पष्ट है।
  • (E) घनानंद की कविता में प्रिय के रूप को बार-बार देखने पर भी नया-नया लगने का वर्णन है: यह सत्य है। कवित्त 15 में "रावरे रूप की रीति अनूप, नयो-नयो लागत ज्यौं ज्यौं निहारियै" इसका प्रमाण है।

Additional Information

  • (A) घनानंद की कविता में प्रिय की सुमुखता का चित्रण प्रमुख है: यह असत्य है। घनानंद की कविता में प्रिय की उदासीनता और निष्ठुरता का चित्रण अधिक है (जैसे कवित्त 7, 9, 11), सुमुखता का चित्रण प्रमुख नहीं है।
  • (D) घनानंद की कविता में प्रेमिका की आँखों की व्याकुलता और लालसा का वर्णन नहीं है: यह असत्य है। कवित्त 6 और 19 में प्रेमिका की आँखों की लालसा और व्याकुलता का सुंदर वर्णन है।

काव्य पंक्तियाँ Question 4:

'घनानंद कवित्त' के आधार पर निम्नलिखित में से कौन-से कथन असत्य हैं?

(A) घनानंद की कविता में प्रिय के प्रति प्रेमिका की प्रतीक्षा दिन-रात चलती है।

(B) घनानंद की कविता में प्रिय के दर्शन के अभाव में प्रेमिका की आँखें चातक की तरह व्याकुल हैं।

(C) घनानंद की कविता में प्रिय का कोई संदेश या दूत प्रेमिका तक कभी नहीं पहुँचता।

(D) घनानंद की कविता में प्रेमिका की विरह-दशा को प्रेतावेश के समान बताया गया है।

(E) घनानंद की कविता में प्रिय की निष्ठुरता के कारण प्रेमिका का पश्चाताप नहीं है।

नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर का चयन कीजिए:

  1. (C), (E)
  2. (A), (C)
  3. (B), (D), (E)
  4. (A), (B), (C)

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : (C), (E)

काव्य पंक्तियाँ Question 4 Detailed Solution

सही उत्तर है - (C), (E)

Key Pointsविश्लेषण-​

  • (C) घनानंद की कविता में प्रिय का कोई संदेश या दूत प्रेमिका तक कभी नहीं पहुँचता: यह असत्य है। कवित्त 20 में प्रिय का दूत प्रेमिका तक पहुँचता है और स्वहस्तलिखित पत्रिका लाता है।
  • (E) घनानंद की कविता में प्रिय की निष्ठुरता के कारण प्रेमिका का पश्चाताप नहीं है: यह असत्य है। कवित्त 10 में प्रिय की निष्ठुरता के कारण प्रेमिका की विवशता और पश्चाताप का वर्णन है।

Additional Information

  • (A) घनानंद की कविता में प्रिय के प्रति प्रेमिका की प्रतीक्षा दिन-रात चलती है: यह सत्य है। कवित्त 6 में "भोर तें साँझ लौं" और "साँझ तें भोर लौं" प्रतीक्षा का वर्णन है।
  • (B) घनानंद की कविता में प्रिय के दर्शन के अभाव में प्रेमिका की आँखें चातक की तरह व्याकुल हैं: यह सत्य है। कवित्त 19 में प्रेमिका की आँखों को चातक से तुलना की गई है।
  • (D) घनानंद की कविता में प्रेमिका की विरह-दशा को प्रेतावेश के समान बताया गया है: यह सत्य है। कवित्त 28 में प्रेमिका की दशा को प्रेतावेश के समान बताया गया है।

काव्य पंक्तियाँ Question 5:

'घनानंद कवित्त' के आधार पर निम्नलिखित में से कौन-से कथन असत्य हैं?

(A) घनानंद की कविता में प्रिय के रूप का वर्णन केवल सांसारिक स्तर पर किया गया है।

(B) घनानंद की कविता में प्रेमिका की आँखों की व्याकुलता को असाध्य रोग के रूप में दर्शाया गया है।

(C) घनानंद की कविता में प्रिय की उदासीनता के कारण प्रेमिका को सामाजिक अपमान का सामना करना पड़ता है।

(D) घनानंद की कविता में प्रेमिका की प्रेम-साधना को मीन की प्रेम-साधना से ऊँचा बताया गया है।

(E) घनानंद की कविता में भक्त की पुकार भगवान से की गई है, जो संसार से अपरिचित होने का संकेत देती है।

नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर का चयन कीजिए:

  1. (A), (B), (C)
  2. (A), (C), (E)
  3. (A), (C)
  4. (B), (D), (E)

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : (A), (C)

काव्य पंक्तियाँ Question 5 Detailed Solution

सही उत्तर है - (A), (C)

Key Pointsविश्लेषण:

  • (A) घनानंद की कविता में प्रिय के रूप का वर्णन केवल सांसारिक स्तर पर किया गया है: यह असत्य है। कवित्त 15 में प्रिय के रूप का वर्णन है, लेकिन कवित्त 12 में परमार्थिक संकेत भी है, जो सांसारिक स्तर से परे है।
  • (C) घनानंद की कविता में प्रिय की उदासीनता के कारण प्रेमिका को सामाजिक अपमान का सामना करना पड़ता है: यह असत्य है। कवित्त 25 में प्रेमिका का अनुराग सर्वत्र फैलने से अपमान की बात है, लेकिन यह प्रिय की उदासीनता का प्रत्यक्ष परिणाम नहीं है।

Additional Information

  • (B) घनानंद की कविता में प्रेमिका की आँखों की व्याकुलता को असाध्य रोग के रूप में दर्शाया गया है: यह सत्य है। कवित्त 29 में आँखों की व्याकुलता को असाध्य रोग बताया गया है।
  • (D) घनानंद की कविता में प्रेमिका की प्रेम-साधना को मीन की प्रेम-साधना से ऊँचा बताया गया है: यह सत्य है। कवित्त 8 में प्रेमिका की प्रेम-साधना को मीन से ऊँचा बताया गया है।
  • (E) घनानंद की कविता में भक्त की पुकार भगवान से की गई है, जो संसार से अपरिचित होने का संकेत देती है: यह सत्य है। कवित्त 22 में भक्त की पुकार भगवान से है, जो संसार से अपरिचित होने का संकेत देती है।

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"जदपि सुजाति सुलच्छनी, सुबरन सरस सुवृत्त।

भूषण बिनु न बिराजई, कविता बनिता मित्त।।”

अलंकार को परिभाषित करने वाली उपर्युक्त पंक्तियाँ किस कवि की हैं ?

  1. केशवदास
  2. बिहारीलाल
  3. सेनापति
  4. आचार्य दण्डी

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : केशवदास

काव्य पंक्तियाँ Question 6 Detailed Solution

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उपर्युक्त पंक्तियां केशव दास जी की हैं अतः उपर्युक्त विकल्पों में से विकल्प केशवदास सही है तथा अन्य विकल्प असंगत हैं।

Key Points
  • केशवदास जी ने उपर्युक्त पंक्तियां अलंकारों के बारे में कही है।
  • अर्थात श्रेष्ठ गुणी होने पर भी कविता और बनिता(स्त्री) आभूषणों(अलंकारों) के बिना शोभा नही देते हैं।
Important Points
  • केशवदास रचित प्रामाणिक ग्रंथ नौ हैं : 
    • रसिकप्रिया, कविप्रिया, नखशिख, छंदमाला, रामचंद्रिका, वीरसिंहदेव चरित, रतनबावनी, विज्ञानगीता और जहाँगीर जसचंद्रिका।
Additional Information
  • सेनापति
    • सेनापति भक्ति काल एवं रीति काल के सन्धियुग के कवि हैं। 
    • इनके ऋतु वर्णन में सूक्ष्म प्रकृति निरीक्षण पाया जाता है जो साहित्य में अद्वितीय है। 
    • सेनापति के दो मुख्य ग्रंथ हैं- 'काव्य-कल्पद्रुम तथा 'कवित्त-रत्नाकर। 
    • चमत्कार प्रियता नायिका भेद के उदाहरण भी उनकी कृतियों में उपलब्ध है।
  • दण्डी
    • दण्डी संस्कृत भाषा के प्रसिद्ध साहित्यकार हैं।
    • किंवदंती और सुभाषित के अनुसार दंडी की तीन रचनाएँ विश्रुत बताई गई हैं। 
      • 'काव्यादर्श' 
      • 'दशकुमारचरित'
    •  दंडी अलंकार संप्रदाय से  संबद्ध थे।
    • दंडी प्रथम आचार्य थे जिन्होंने वैदर्भी तथा गौड़ी रीति के पारस्परिक अंतर को स्पष्ट किया तथा इसका संबंध गुण से स्थापित किया।
  • बिहारी लाल
    • अतिशयोक्ति, अन्योक्ति और सांगरूपक बिहारी के विशेष प्रिय अलंकार हैं। 
    • अन्योक्ति अलंकार का एक उदाहरण -
    • स्वारथ सुकृत न श्रम वृथा देखु विहंग विचारि। बाज पराये पानि पर तू पच्छीनु न मारि।।
    • मेरी भव बाधा हरो, राधा नागरी सोइ। जा तन की झाई पारे, श्यामु-हरित-दुति होइ ॥

“बालि को सपूत कपिकुल पुरहूत,
रघुवीर जू को दूत भरि रूप विकराल को।'
उपर्युक्त काव्य-पंक्तियाँ किस रचनाकार की हैं?

  1. केशवदास
  2. तुलसीदास
  3. सेनापति
  4. मतिराम

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : सेनापति

काव्य पंक्तियाँ Question 7 Detailed Solution

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उपर्युक्त काव्य पंक्तियां सेनापति की हैं। अतः उपर्युक्त विकल्पों में से विकल्प (3) सेनापति सही है तथा अन्य विकल्प असंगत हैं।

Key Points
  • सेनापति भक्ति काल एवं रीति काल के सन्धियुग के कवि हैं। 
  • इनके ऋतु वर्णन में सूक्ष्म प्रकृति निरीक्षण पाया जाता है जो साहित्य में अद्वितीय है। 
  • सेनापति के दो मुख्य ग्रंथ हैं- 'काव्य-कल्पद्रुम तथा 'कवित्त-रत्नाकर। 
  • चमत्कार प्रियता नायिका भेद के उदाहरण भी उनकी कृतियों में उपलब्ध है।
Important Points
  • कवित्तरत्नाकर' संवत्‌ 1706 में लिखा गया और यह एक प्रौढ़ काव्य है। 
  • यह पाँच तरंगों में विभाजित है। 
  • प्रथम तरंग में 97 कवित्त हैं, द्वितीय में 74, तृतीय में 62 और 8 कुंडलिया, चतुर्थ में 76 और पंचम में 88 छंद हैं। 
  • इस प्रकार कुल मिलाकर इस ग्रंथ में 405 छंद हैं।

Additional Information

  • केशवदास रचित ग्रंथ: रसिकप्रिया, कविप्रिया, नखशिख, छंदमाला, रामचंद्रिका, वीरसिंहदेव चरित, रतनबावनी, विज्ञानगीता और जहाँगीर जसचंद्रिका।
  • तुलसीदास के ग्रन्थों की रचनाएँ:- 
    • रामललानहछू(1582), वैराग्यसंदीपनी(1612), रामाज्ञाप्रश्न(1612), जानकी-मंगल(1582), रामचरितमानस(1574), सतसई, पार्वती-मंगल(1582), गीतावली(1571), विनय-पत्रिका(1582), कृष्ण-गीतावली(1571), बरवै रामायण(1612), दोहावली(1583) और कवितावली(1612)
  • मतिराम, हिंदी के प्रसिद्ध ब्रजभाषा कवि थे। इनके द्वारा रचित "रसराज" और "ललित ललाम" नामक दो ग्रंथ हैं। 

'बतरस लालच लाल की, मुरली धरी लुकाय' पंक्ति के रचयिता हैं?

  1. केशवदास
  2. पद्माकर
  3. बिहारी
  4. मतिराम

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : बिहारी

काव्य पंक्तियाँ Question 8 Detailed Solution

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  • प्रस्तुत दोहा कवि बिहारी लाल के दोहों से लिया गया है। अत: सही विकल्प 'बिहारी' है।
  • इस दोहे में कवि ने कृष्ण और गोपियों के बीच चल रही सरस ठिठोली का मनोहरी चित्र अंकित किया है।
  • गोपियाँ अपने परम प्रिय कृष्ण से बातें करने का अवसर खोजती रहती हैं।
  • इसी बतरस को पाने के प्रयास में उन्होंने कृष्ण की वंशी को छिपा दिया है। कृष्ण वंशी के खो जाने पर बड़े व्याकुल हैं।
     

रस

परिभाषा

उदाहरण

संयोग शृंगार रस

जब नायक नायिका के परस्पर मिलन, स्पर्श, आलिंगन, वार्तालाप आदि का वर्णन होता है तब वहां पर संयोग श्रृंगार रस होता है।

हुए थे नैनो के क्या इशारे इधर हमारे उधर तुम्हारे।

चले थे अश्कों के क्या फवारे इधर हमारे उधर तुम्हारे।।


Important Points

  • बिहारी एक मात्र ऐसे कवि हैं जो रीति सिद्ध की सूचि में आते हैI
  • बिहारी की एकमात्र रचना बिहारी सतसई है जिसमे 719 दोहे हैI
  • बिहारी का जन्म 1595 ई. माना गया हैI
     
  • रीतिमुक्त - घनानंदआलमबोधाठाकुर
  • रीतिबद्ध - देवसेनापतिभूषणमतिराम आदि

'नैन नचाय कही मुसकाय, लला फिर आइ़यो खेलन होरी' पंक्ति का रचयिता कौन है?

  1. पद्माकर
  2. घनानन्‍द
  3. रत्नाकर
  4. बिहारी

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : पद्माकर

काव्य पंक्तियाँ Question 9 Detailed Solution

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"नैन नचाई,कहो मुस्काई,लला फिर आएवो खेलन होरी"...पंक्तियाँ-1) पद्माकर की है

Important Points

  • रीतिकाल के ब्रजभाषा कवियों में पद्माकर (1753-1833) का महत्त्वपूर्ण स्थान है।
  • पद्माकर रचित ग्रंथों में सबसे जाने माने संग्रहों में-हिम्मतबहादुर विरुदावली,पद्माभरण,जगद्विनोद,रामरसायन (अनुवाद),प्रतापसिंह विरूदावली, प्रबोध पचासा आदि हैं। 
  • पद्माकर ने सजीव मूर्त विधान करने वाली कल्पना के माध्यम से शौर्य,शृंगार,प्रेम,भक्ति,राजदरबार की सम्पन्न गतिविधियों,मेलो-उत्सवों,युद्धों और प्रकृति-सौन्दर्य का मार्मिक चित्रण किया है।
  • पद्माकर रीतिबद्ध कवि हैं। 

Additional Information

  • बिहारी सतसई "कवि बिहारी" की रचना है।
    • यह एक मुक्तक काव्य है।
    • इसमें नीति, भक्ति और श्रृंगार से संबंधित दोहों का संकलन है।
    • बिहारी सतसई पर हिंदी में 50 से अधिक टीका प्राप्त है।
  • घनानन्‍द
    • घनानंद (1673- 1760) रीतिकाल की तीन प्रमुख काव्यधाराओं- रीतिबद्ध, रीतिसिद्ध और रीतिमुक्त के अंतिम काव्यधारा के अग्रणी कवि हैं।
    • ये 'आनंदघन' नाम से भी प्रसिद्ध हैं।
    • घनानंद द्वारा रचित ग्रंथों की संख्या 41 बताई जाती है।
  • रत्नाकर
    • ​उद्धव शतक

'तंत्रीनाद कवित्त रस, सरस राग रति रंग' पंक्ति के रचयिता कौन हैं?

  1. भूषण
  2. केशवदास
  3. चिंतामणि
  4. बिहारी

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : बिहारी

काव्य पंक्तियाँ Question 10 Detailed Solution

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'तंत्रीनाद कवित्त रस, सरस राग रति रंग' पंक्ति के रचयिता कवि  बिहारी हैं।

  • "तंत्री नाद, कबित्त रस, सरस राग, रति-रंग। अनबूड़े बूड़े, तरे जे बूड़े सब अंग॥"......
    • वीणा आदि वाद्यों के स्वर, काव्य आदि ललित कलाओं की रसानुभूति तथा प्रेम के रस में जो व्यक्ति सर्वांग डूब गए हैं, वे ही इस संसार-सागर को पार कर सकते हैं।
    • जो इनमें डूब नहीं सके हैं, वे इस भव-सिंधु में ही फँसकर रह जाते हैं अर्थात् संसार-का संतरण नहीं कर पाते हैं।
    • कवि का तात्पर्य यह है कि तंत्री-नाद इत्यादि ऐसे पदार्थ हैं जिनमें बिना पूरण रीति से प्रविष्ट हुए कोई भी आनंद नहीं मिल पाता है।
    • यदि इनमें पड़ना हो तो पूर्णतया पड़ो। यदि पूरी तरह नहीं पड़ सकते हो तो इनसे सर्वथा दूर रहना ही उचित व श्रेयस्कर है 

Additional Information

  • केशवदास रचित प्रामाणिक ग्रंथ नौ हैं-रसिकप्रिया,कविप्रिया,नखशिख,छंदमाला,रामचंद्रिका,वीरसिंहदेव चरित,रतनबावनी,विज्ञानगीता और जहाँगीर जसचंद्रिका। 
  • 'सतसई' में ब्रजभाषा का प्रयोग हुआ है। 
  • भूषण के छह ग्रंथ हैं-शिवराजभूषण,शिवाबावनी,छत्रसालदशक,भूषण उल्लास,भूषण हजारा,दूषनोल्लासा
  • सेनापति की रचना ऋतु वर्णन में सूक्ष्म प्रकृति निरीक्षण पाया जाता है जो साहित्य में अद्वितीय है। 

निम्नलिखित काव्यपंक्तियो को उनके रचनाकारों के साथ सुमेलित कीजिए :

 

सूची – I

(काव्यपंक्तियाँ)

 

सूची – II

 (रचनाकार) 

(a)

 कौन परी यह बानि अरी नित
 नीरभरी     

(i)

 देव 

(b)

 गुलगुली गिल मैं गलीचा हैं गुनी
 जन हैं चाँदनी है चिक हैं चिरागन
 की माला हैं I   

(ii)

 पदमाकर  

(c)

 सेवर सिपाही हम उन राजपूतन
 के दान जुद्ध जुरिबे में नेकु जे न
 मुरके I 

(iii)

 ठाकुर 

(d)

 अभिधा उत्तम काव्य है, मध्य
 लक्षणा लीन I 
 अधम व्यंजना रस विरस, उलटी
 कहत नवीन I   

(iv)

 प्रताप साहि 

 

 

(v)

 भिखारीदास


निम्नलिखित में से सही विकल्प चुनिए  

  1. (a) - (i), (b) - (ii), (c) - (iii), (d) - (iv)
  2. (a) - (iv), (b) - (ii), (c) - (iii), (d) - (i)
  3. (a) - (v), (b) - (i), (c) - (iv), (d) - (iii)
  4. (a) - (iii), (b) - (iv), (c) - (i), (d) - (v)

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : (a) - (iv), (b) - (ii), (c) - (iii), (d) - (i)

काव्य पंक्तियाँ Question 11 Detailed Solution

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  • सही उत्तर विकल्प : (a) - (iv), (b) - (ii), (c) - (iii), (d) - (i) हैI 

Key Points

सूची – I(काव्य
पंक्तियाँ)

 

सूची – II

(रचनाकार) 

(a)

 कौन परी यह बानि अरी नित
 नीरभरी     

(iv)

 प्रताप साहि

(b)

 गुलगुली गिल मैं गलीचा हैं गुनी
 जन हैं चाँदनी है चिक हैं चिरागन
 की माला हैं I   

(ii)

 पदमाकर 

(c)

 सेवर सिपाही हम उन राजपूतन
 के दान जुद्ध जुरिबे में नेकु जे न
 मुरके I 

(iii)

 ठाकुर 

(d)

 अभिधा उत्तम काव्य है, मध्य
 लक्षणा लीन I 
 अधम व्यंजना रस विरस, उलटी
 कहत नवीन I   

(i)

 देव  

 

 

(v)

 भिखारीदास 

 

 

Important Points

  • देव अभिधा शब्द शक्ति को महत्व देते हैंI
  • उपरोक्त पंक्तियाँ उन्होंने अपने ग्रन्थ काव्य रसायन में लिखी हैंI 
  • भिखारीदास की रचनाएँ - शतरंजशतिका, अमर कोश, श्रृंगार निर्णय  
  • प्रताप साहि - "कबित रीति कछु कहत है व्यंग्य अर्थ चित लाये"
  • ठाकुर रीतिमुक्त कवि हैं - ठाकुर ठसक, ठाकुर शतक  

"फीकी पै नीकी लगे कहिए समय बिचारि।

सबकौ मन हरषित करै, ज्यो विवाह की गारि॥ "

किस कवि की रचना है ?

  1. रहीम
  2. वृंद
  3. कबीर
  4. उपर्युक्त में से एक से अधिक
  5. उपर्युक्त में से कोई नहीं

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : वृंद

काव्य पंक्तियाँ Question 12 Detailed Solution

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"फीकी पै नीकी लगे कहिए समय बिचारि।
सबकौ मन हरषित करै, ज्यो विवाह की गारि॥ "
वृंद कवि की रचना है।
 Key Pointsवृंद -
  • जन्म - 1643 ई.
  • मृत्यु  - 1723 ई.
  • मुख्य - रीतिकालीन परंपरा के अंतर्गत वृंद का नाम आदर के साथ लिया जाता है।
    • इनके नीति दोहे बहुत प्रसिद्ध है।
    • मुगल सम्राट औरंगजेब के यहां दरबारी कवि रहे।
    • इनके दोहे वृंद सतसई मैं संकलित है।
    • इसका संपादक श्यामसुंदर दास ने (1931 ई.)में किया।
Important Pointsवृंद की पंक्तियों का भावार्थ -
  • कवि वृंद कहते हैं की बात अच्छी होने पर भी यदि वह बात बिना मौके के कहीं जाए तो वह बात सुनने वाले को फीकी ही मालूम होती है, अर्थात अच्छी नहीं लगती जिस प्रकार युद्ध हो रहा है उसे वातावरण में यदि श्रृंगार रस की बात की जाए तो वह बात किसी को भी अच्छी नहीं लगती है।
वृंद की रचनाएं -
  • समेत शिखर छंद
  • भाव पचासीका
  • श्रृंगार शिक्षा
  • पवन पच्चीसी
  • हितोपदेश संधि
  • वचनिका
  • यमक सतसई 
  • सत्य स्वरूप
  • भारत कथा
  • वृंद ग्रंथावली
Additional Informationकबीर (1398 - 1518 ई.)रचना-
  • बीजक (1464 ई.) - धर्मदास द्वारा संकलित
रहीम (1556 - 1627 ई.) -रचनाएं -
  • नगर शोभा
  • बरवे नायिका भेद
  • मदनाष्टक
  • खेट कोतुक जातकम
  • दोहावली
  • रहीम काव्य
  • श्रृंगार सोरठा
  • रास पंचाध्याई

"मेरी भव बाधा हरौ, राधा नागरि सोई ।

जा तन की झाँई परें, स्यामु हरित दुति होइ ।”

इस दोहे के संदर्भ में इनमें से कौन सा कथन गलत है ?

  1. इसमें नायिका का रूप वर्णन है ।
  2. इसमें भक्ति वर्णन है।
  3. इसमें बिहारी के ज्योतिष संबंधी ज्ञान का परिचय मिलता है ।
  4. इसमें श्लेष अलंकार का प्रयोग हुआ है।

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : इसमें बिहारी के ज्योतिष संबंधी ज्ञान का परिचय मिलता है ।

काव्य पंक्तियाँ Question 13 Detailed Solution

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इसमें बिहारी के ज्योतिष संबंधी ज्ञान का परिचय मिलता है विकल्प गलत है।

  • प्रस्तुत दोहे में बिहारी जी के चित्रकला का ज्ञान प्रकट हुआ है। क्योंकि उक्त दोहे में कवि ने दर्शाया है कि नील और पीत वर्ण मिलकर हरा रंग हो जाता है
  • पंक्ति में कवि ने राधा जी की वंदना की है।
Key Points

व्याख्या-

  • प्रस्तुत दोहे में बिहारी जी कहते हैं कि वह चतुर राधिका जी मेरे सांसारिक कष्टों को दूर करें, जिनके पीली आभा वाले (गोरे) शरीर की झाँई यानि (प्रतिबिम्ब) पड़ने से श्याम वर्ण के श्रीकृष्ण हरित वर्ण की द्युति वाले; अर्थात् हरे रंग के हो जाते हैं।
  • अर्थात् राधा के प्रभाव पड़ने से सांवले कृष्ण भी हरे रंग के हो जाते हैं।
  • यहाँ पर हरे का मतलब खुश रहने से भी किया जा सकता है।
Additional Information

उपर्युक्त दोहे का काव्यगत सौंदर्य -

  • भाषा - ब्रज
  • छंद - दोहा
  • शैली - मुक्तक
  • रस - श्रृंगार और भक्ति
  • गुण - प्रसाद और माधुर्य।
  • अलंकार - हरौ, राधा नागरि’ में अनुप्रास, ‘भव-बाधा’, ‘झाईं तथा ‘स्यामु हरित-दुति’ के अनेक अर्थ होने से श्लेष अलंकार की छटा मनमोहक बन पड़ी है।  
Important Points

बिहारी का ज्योतिष-ज्ञान से संबंधित दोहा-

  • “दुसह दुराज प्रजानी कौ, क्यों न बढ़ै दुःख द्वन्द्व।।
  • अधिक अंधेरो जग करत, मिली मावस रवि चन्द”।।
  • भावार्थ-
    • जिस प्रकार अमावस्या के दिन रवि और चंद्रमा एक ही दिशा में आकर संसार में अंधकार पैदा कर देते हैं, उसी प्रकार दो राजाओं के राज्य में प्रजा का कष्ट बढ़ जाता है।

'मोहे तो मेरे कवित्त बनावत' रीतिकाल के किस कवि ने लिखा है?

  1. भूषण
  2. ठाकुर
  3. केशवदास
  4. घनानन्द

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : घनानन्द

काव्य पंक्तियाँ Question 14 Detailed Solution

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'मोहे तो मेरे कवित्त बनावत' रीतिकाल के कवि घनानन्द ने लिखा है।

  • उपरोक्त पंक्तियाँ घनानन्द की रचना प्रेम व्यंजना से ली गई है।
  • उपरोक्त पंक्तियों का अर्थ - कविता ने जितनी तरलता मन को दी है उतनी किसी भी विधा ने नहीं दी।


Key Points

  • घनानंद:
    • घनानंद (1673- 1760) रीतिकाल की तीन प्रमुख काव्यधाराओं- रीतिबद्ध, रीतिसिद्ध और रीतिमुक्त के अंतिम काव्यधारा के अग्रणी कवि हैं। 
    • घनानंद 'आनंदघन' नाम स भी प्रसिद्ध हैं।
    • आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने रीतिमुक्त घनानन्द का समय सं. 1746 तक माना है
    • इस प्रकार आलोच्य घनानन्द वृंदावन के आनन्दघन हैं।
    • शुक्ल जी के विचार में ये नादिरशाह के आक्रमण के समय मारे गए। श्री हजारीप्रसाद द्विवेदी का मत भी इनसे मिलता है।
  • घनानंद द्वारा रचित काव्य:
    • सुजानहित
    • कृपाकंदनिबंध
    • वियोगबेलि
    • इश्कलता
    • यमुनायश
    • प्रीतिपावस
    • प्रेमपत्रिका
    • प्रेमसरोवर

Additional Information

लेखक

रचनाएँ

भूषण (1613 - 1715)

शिवराजभूषण- काव्य ग्रन्थ 
शिवाबावनी- काव्य ग्रन्थ 
छत्रसालदशक- काव्य ग्रन्थ 
भूषण उल्लास- काव्य ग्रन्थ 

ठाकुर(1700-1784)

सजि सूहे दुकूलन बिज्जु छटा सी-सवैया
जीव को जीव है पीव को पीव है -सवैया
जानि झुकामुकी भेष छिपाय कै-सवैया
पौन के पुंज धरा तें ब रौर कै-सवैया

केशवदास(1555-1618)

रसिकप्रिया- काव्य ग्रन्थ 

कविप्रिया- काव्य ग्रन्थ 

नखशिख- काव्य ग्रन्थ 

 छंदमाला- काव्य ग्रन्थ 

 रामचंद्रिका- काव्य ग्रन्थ 

कवि ठाकुर ने किस राजा के कटु वचन कहने पर म्यान से तलवार निकाल ली और कहा:

सेवक सिपाही हम उन रजपूतन के,

दान जुद्ध जुरिबे में नेकु जे न मुरके।  

नीत देनवारे हैं मही के महीपालन को,

हिए के विरुद्ध हैं, सनेही साँचे उर के।  

ठाकुर कहत हम बैरी बेवकूफन के,

जालिम दमाद हैं अदानियाँ ससुर के।  

चोजिन के चोजी महा, मौजिन के महाराज

हम कविराज हैं, पै चाकर चतुर के।  

  1. अनूप गिरि उर्फ़ हिम्मत बहादुर
  2. जगत सिंह
  3. राजा पारीछत
  4. महाराज उदितनारायण सिंह

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : अनूप गिरि उर्फ़ हिम्मत बहादुर

काव्य पंक्तियाँ Question 15 Detailed Solution

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कवि ठाकुर ने अनूप गिरी उर्फ हिम्मत बहादुर के कटु वचन कहने पर म्यान से तलवार निकाल ली तथा उपर्युक्त पद कहा । अतः उपर्युक्त विकल्पों में से विकल्प अनूप गिरी उर्फ़ हिम्मत बहादुर सही है तथा अन्य विकल्प असंगत है।

Key Points

  • उपर्युक्त पद कवि ठाकुर ने हिम्मत बहादुर सिंह के लिए कहा था।
  • ठाकुर बुंदेलखंडी का पूरा नाम 'लाला ठाकुरदास' था। 
  • ये जाति के कायस्थ थे। 

Confusion Points 

  • ठाकुर' नाम के हिंदी में तीन प्रसिद्ध कवि हुए हैं - असनीवाले प्राचीन ठाकुर, असनीवाले दूसरे ठाकुर और तीसरे ठाकुर बुंदेलखंडी। 
  • संख्या में तीन होने के कारण ये 'ठाकुरत्रयी' भी कहलाए।
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