काव्य पंक्तियाँ MCQ Quiz - Objective Question with Answer for काव्य पंक्तियाँ - Download Free PDF
Last updated on Jul 2, 2025
Latest काव्य पंक्तियाँ MCQ Objective Questions
काव्य पंक्तियाँ Question 1:
"राधा मोहनलाल कौ जिन्हें न भावत नेह।
परियो मुठी हज़ार दस, तिनकी आँखिन खेह।।”
यह पंक्तियाँ किस कवि की हैं ?
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य पंक्तियाँ Question 1 Detailed Solution
सही उत्तर है- मतिराम
Key Pointsमतिराम-
- जन्म-1617 ई.
- रीतिकाल की रीतिबद्ध शाखा के कवि है।
- रचनाएँ-
- रसराज(1663 ई.)
- ललित ललाम(1659-88 ई.)
- अलंकार पंचाशिका(1690 ई.)
- वृत्तकौमुदी(1701 ई.)
- फूलमंजरी आदि।
Important Pointsबिहारी-
- जन्म-1595-1663 ई.
- ये रीतिकाल की रीतिसिद्ध शाखा के प्रमुख कवि है।
- राजा जयसिंह के दरबारी कवि थे।
- प्रमुख रचना-
- बिहारी सतसई- दोहा छंद में रचित मुक्तक काव्य है।
- बिहारी को राधचरण गोस्वामी ने 'पीयूषवर्षी मेघ' कहा है।
- बिहारी के काव्य को पद्म सिंह शर्मा ने 'शक्कर की रोटी' कहा है।
घनानन्द-
- जन्म-1689-1739 ई.
- रीतिकाल की रीतिमुक्त धारा के महत्वपूर्ण कवि है।
- सम्प्रदाय-निम्बार्क
- आश्रयदाता-मुहम्मदशाह रंगीले
- प्रेयसी-सुजान
- रचनाएँ-
- वियोगबेलि
- इश्कलता
- सुजान हित प्रबंध
- प्रीतिपावस
- कृपाकन्द
- विरह लीला आदि।
बोधा-
- पुरा नाम-बुद्धि सेन
- जन्म-1747 ई.
- यह रीतिकाल की रीतिमुक्त काव्यधारा के कवि है।
- यह 'प्रेम के पीर' के कवि है।
- प्रेमिका-सुभान
- रचनाएँ-
- विरहवारीश
- इश्कनामा आदि।
काव्य पंक्तियाँ Question 2:
नेहु न, नैननु, कौं कछू, उपजी बड़ी बलाइ।
नीर-भरे नित प्रति रहैं, तऊ न प्यास बुझाई।।
इन काव्य पंक्तियों के रचनाकार हैं :
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य पंक्तियाँ Question 2 Detailed Solution
इन काव्य पंक्तियों के रचनाकार हैं - बिहारी
Key Pointsबिहारी-
- जन्म-1595-1663 ई.
- ये रीतिकाल की रीतिसिद्ध शाखा के प्रमुख कवि है।
- राजा जयसिंह के दरबारी कवि थे।
- प्रमुख रचना-
- बिहारी सतसई- दोहा छंद में रचित मुक्तक काव्य है।
- बिहारी को राधचरण गोस्वामी ने 'पीयूषवर्षी मेघ' कहा है।
- बिहारी के काव्य को पद्म सिंह शर्मा ने 'शक्कर की रोटी' कहा है।
Important Pointsपद्माकर-
- जन्म- 1753-1833ई.
- रीति काल के कवियों में पद्माकर का महत्त्वपूर्ण स्थान है।
- वे हिंदी साहित्य के रीतिकालीन कवियों में अंतिम चरण के सुप्रसिद्ध और विशेष सम्मानित कवि थे।
- अन्य रचनाएँ-
- पद्माभरण
- रामरसायन (अनुवाद)
- आलीजाप्रकाश
- प्रतापसिंह विरूदावली,
- ईश्वर-पचीसी
- यमुनालहरी
- प्रतापसिंह-सफरनामा
- भग्वत्पंचाशिका
- राजनीति
- कलि-पचीसी
- रायसा
- हितोपदेश भाषा (अनुवाद)
- अश्वमेध आदि।
भिखारीदास-
- रीतिकाल की रीतिबद्ध शाखा के कवि है।
- रचनाएँ-
- शब्दनामप्रकाश कोश(1738 ई.)
- रस सारांश(1742 ई.)
- काव्य प्रकाश(1746 ई.)
- अमरप्रकाश कोश आदि।
मतिराम-
- जन्म-1617 ई.
- मुख्य रचनाएँ-
- रसराज(1663 ई. लगभग)
- सतसई(1681 ई.)
- अलंकार पंचाशिका(1690 ई.)
- वृत्तकौमुदी(1701 ई.) आदि।
काव्य पंक्तियाँ Question 3:
‘भाषा-बरनन में प्रथम, तुक चाहिए बिसेषि।
उत्तम मध्यम अधम सो, तीन भाँति को लेखि।।'
'तुक' के संदर्भ में यह किस कवि की पंक्तियाँ हैं ?
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य पंक्तियाँ Question 3 Detailed Solution
सही उत्तर है- भिखारीदास
Key Points
- इनके अनुसार तुक तीन प्रकार की होती हैं— उत्तम, मध्यम, और अधम ।
- उन्होंने उत्तम के भी तीन भेद किए हैं समसरि, विषमसरि, और कष्टसरि |
- हिंदी काव्य में तुकों का विशेष महत्व है भिखारीदास ने सर्वप्रथम इस पर गहराई से विचार किया ।
- भाषा- बरनन में प्रथम, तुक चाहिए बिसेषि ।
उत्तम मध्यम अधम सो, तीन भाँति को लेखि॥
Important Pointsभिखारीदास-
- रीतिकाल की रीतिबद्ध शाखा के प्रमुख कवि है।
- रचनाएं-
- शब्दनामप्रकाश कोश(1738 ई.)
- रस सारांश(1742 ई.)
- शतरंज शतिका(1725-60 ई.)
- अमरप्रकाश कोश आदि।
Additional Informationबिहारी-
- जन्म-1595-1663 ई.
- ये रीतिकाल की रीतिसिद्ध शाखा के प्रमुख कवि है।
- राजा जयसिंह के दरबारी कवि थे।
- प्रमुख रचना-
- बिहारी सतसई- दोहा छंद में रचित मुक्तक काव्य है।
- बिहारी को राधचरण गोस्वामी ने 'पीयूषवर्षी मेघ' कहा है।
- बिहारी के काव्य को पद्म सिंह शर्मा ने 'शक्कर की रोटी' कहा है।
घनानन्द-
- जन्म-1689-1739 ई.
- रीतिकाल की रीतिमुक्त धारा के महत्वपूर्ण कवि है।
- सम्प्रदाय-निम्बार्क
- आश्रयदाता-मुहम्मदशाह रंगीले
- प्रेयसी-सुजान
- रचनाएँ-
- वियोगबेलि
- इश्कलता
- सुजान हित प्रबंध
- प्रीतिपावस
- कृपाकन्द
- विरह लीला आदि।
देव-
- जन्म-1673 ई.
- पुरा नाम-देवदत्त
- रीतिकाल की रीतिबद्ध शाखा के प्रमुख कवि है।
- रचनाएँ-
- भाव विलास
- अष्टयाम
- भवानी विलास
- प्रेमचंद्रिका
- रस विलास
- सुखसागर तरंग
- देवमाया प्रपंच
- सुजान विनोद आदि।
काव्य पंक्तियाँ Question 4:
इच्छा दै अच्छरनि सिषिय ब्रज माह बसाइय,
बाल विलास दिपाइ रास रस रंग रमाइय।
किस कवि की पंक्तियाँ हैं ?
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य पंक्तियाँ Question 4 Detailed Solution
सही उत्तर है- कुलपति मिश्र
Key Pointsकुलपति मिश्र -
- यह आगरा के रहने वाले मथुर चौबे थे।
- महाकवि बिहारी के भांजे थे।
- यह जयपुर के महाराज जयसिंह के पुत्र राम सिंह के दरबार में रहते थे।
- ग्रन्थ -
- द्रोण पर्व (संवत 1737)
- युक्तितरंगिणी( संवत 1743 )
- नखशिख
- संग्रामसार
- महाभारत के द्रोणपर्व का पद्य बद्ध अनुवाद।
- दुर्गा भक्ति तरंगिणी
Important Pointsमहाराजा छत्रसाल-
- महाराजा छत्रसाल बुंदेला राजपूत वंश से एक मध्यकालीन भारतीय योद्धा थे, जिन्होंने मुगल साम्राज्य के खिलाफ लड़ाई लड़ी और बुंदेलखंड में अपना राज्य स्थापित किया।
- छत्रसाल का जन्म काचर कचनई में 4 मई 1649 को, चंपत राय और लाल कुंवर के साथ बुंदेला राजपूत कबीले में हुआ था।
- वह ओरछा के रुद्र प्रताप सिंह के वंशज थे।
- उनके पूर्वज मुगल सम्राट के जागीरदार थे।
श्रीधर पाठक-
- जन्म-1859-1928 ई.
- द्विवेदी युगीन रचनाकार है।
- काव्य संग्रह-
- मनोविनोद(1882 ई.)
- गुनवंत हेमंत(1900 ई.)
- कश्मीर सुषमा(1904 ई.)
- भारतगीत(1928 ई.) आदि।
- अनूदित रचनाएँ-
- एकांतवासी योगी(1886 ई.)
- उजड़ग्राम(1889 ई.)
- श्रांत पथिक(1902 ई.) आदि।
काव्य पंक्तियाँ Question 5:
'ग्रीषम की गजब धुकी है धूप धाम धाम,
गरमी झुकी है जाम जाम अति तापिनी।'
इन पंक्तियों के रचयिता हैं :
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य पंक्तियाँ Question 5 Detailed Solution
'ग्रीषम की गजब धुकी है धूप धाम धाम, गरमी झुकी है जाम जाम अति तापिनी।'- इन पंक्तियों के रचयिता हैं - ग्वाल कवि
Key Pointsग्वाल कवि –
- यह मथुरा के रहने वाले बंदीजन सेवाराम के पुत्र थे।
- रचनाएं –
- यमुना लहरी 1879
- ससिकानंद (अलंकार ग्रंथ)
- रसरंग 1904
- कृष्ण जु को लखशिख 1884
- दूषण दर्पण 1891
- हमीर हठ 1881
- गोपी पच्चीसी
- भक्त भावना 1919
- राधा माधव मिलन
- राधा अष्टक
Additional Informationरतन कवि-
- रतन कवि का "सभा सर" एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है जो शासन और दरबारी परंपराओं पर अंतर्दृष्टि प्रदान करता है।
- यह कृति अपने समय के सांस्कृतिक और प्रशासनिक लोकाचार को दर्शाती है।
Top काव्य पंक्तियाँ MCQ Objective Questions
"जदपि सुजाति सुलच्छनी, सुबरन सरस सुवृत्त।
भूषण बिनु न बिराजई, कविता बनिता मित्त।।”
अलंकार को परिभाषित करने वाली उपर्युक्त पंक्तियाँ किस कवि की हैं ?
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य पंक्तियाँ Question 6 Detailed Solution
Download Solution PDFउपर्युक्त पंक्तियां केशव दास जी की हैं। अतः उपर्युक्त विकल्पों में से विकल्प केशवदास सही है तथा अन्य विकल्प असंगत हैं।Key Points
- केशवदास जी ने उपर्युक्त पंक्तियां अलंकारों के बारे में कही है।
- अर्थात श्रेष्ठ गुणी होने पर भी कविता और बनिता(स्त्री) आभूषणों(अलंकारों) के बिना शोभा नही देते हैं।
- केशवदास रचित प्रामाणिक ग्रंथ नौ हैं :
- रसिकप्रिया, कविप्रिया, नखशिख, छंदमाला, रामचंद्रिका, वीरसिंहदेव चरित, रतनबावनी, विज्ञानगीता और जहाँगीर जसचंद्रिका।
- सेनापति
- सेनापति भक्ति काल एवं रीति काल के सन्धियुग के कवि हैं।
- इनके ऋतु वर्णन में सूक्ष्म प्रकृति निरीक्षण पाया जाता है जो साहित्य में अद्वितीय है।
- सेनापति के दो मुख्य ग्रंथ हैं- 'काव्य-कल्पद्रुम तथा 'कवित्त-रत्नाकर।
- चमत्कार प्रियता नायिका भेद के उदाहरण भी उनकी कृतियों में उपलब्ध है।
- दण्डी
- दण्डी संस्कृत भाषा के प्रसिद्ध साहित्यकार हैं।
- किंवदंती और सुभाषित के अनुसार दंडी की तीन रचनाएँ विश्रुत बताई गई हैं।
- 'काव्यादर्श'
- 'दशकुमारचरित'
- दंडी अलंकार संप्रदाय से संबद्ध थे।
- दंडी प्रथम आचार्य थे जिन्होंने वैदर्भी तथा गौड़ी रीति के पारस्परिक अंतर को स्पष्ट किया तथा इसका संबंध गुण से स्थापित किया।
- बिहारी लाल
- अतिशयोक्ति, अन्योक्ति और सांगरूपक बिहारी के विशेष प्रिय अलंकार हैं।
- अन्योक्ति अलंकार का एक उदाहरण -
- स्वारथ सुकृत न श्रम वृथा देखु विहंग विचारि। बाज पराये पानि पर तू पच्छीनु न मारि।।
- मेरी भव बाधा हरो, राधा नागरी सोइ। जा तन की झाई पारे, श्यामु-हरित-दुति होइ ॥
“बालि को सपूत कपिकुल पुरहूत,
रघुवीर जू को दूत भरि रूप विकराल को।'
उपर्युक्त काव्य-पंक्तियाँ किस रचनाकार की हैं?
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य पंक्तियाँ Question 7 Detailed Solution
Download Solution PDFउपर्युक्त काव्य पंक्तियां सेनापति की हैं। अतः उपर्युक्त विकल्पों में से विकल्प (3) सेनापति सही है तथा अन्य विकल्प असंगत हैं।Key Points
- सेनापति भक्ति काल एवं रीति काल के सन्धियुग के कवि हैं।
- इनके ऋतु वर्णन में सूक्ष्म प्रकृति निरीक्षण पाया जाता है जो साहित्य में अद्वितीय है।
- सेनापति के दो मुख्य ग्रंथ हैं- 'काव्य-कल्पद्रुम तथा 'कवित्त-रत्नाकर।
- चमत्कार प्रियता नायिका भेद के उदाहरण भी उनकी कृतियों में उपलब्ध है।
- कवित्तरत्नाकर' संवत् 1706 में लिखा गया और यह एक प्रौढ़ काव्य है।
- यह पाँच तरंगों में विभाजित है।
- प्रथम तरंग में 97 कवित्त हैं, द्वितीय में 74, तृतीय में 62 और 8 कुंडलिया, चतुर्थ में 76 और पंचम में 88 छंद हैं।
- इस प्रकार कुल मिलाकर इस ग्रंथ में 405 छंद हैं।
Additional Information
- केशवदास रचित ग्रंथ: रसिकप्रिया, कविप्रिया, नखशिख, छंदमाला, रामचंद्रिका, वीरसिंहदेव चरित, रतनबावनी, विज्ञानगीता और जहाँगीर जसचंद्रिका।
- तुलसीदास के ग्रन्थों की रचनाएँ:-
- रामललानहछू(1582), वैराग्यसंदीपनी(1612), रामाज्ञाप्रश्न(1612), जानकी-मंगल(1582), रामचरितमानस(1574), सतसई, पार्वती-मंगल(1582), गीतावली(1571), विनय-पत्रिका(1582), कृष्ण-गीतावली(1571), बरवै रामायण(1612), दोहावली(1583) और कवितावली(1612)
- मतिराम, हिंदी के प्रसिद्ध ब्रजभाषा कवि थे। इनके द्वारा रचित "रसराज" और "ललित ललाम" नामक दो ग्रंथ हैं।
'बतरस लालच लाल की, मुरली धरी लुकाय' पंक्ति के रचयिता हैं?
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य पंक्तियाँ Question 8 Detailed Solution
Download Solution PDF- प्रस्तुत दोहा कवि बिहारी लाल के दोहों से लिया गया है। अत: सही विकल्प 'बिहारी' है।
- इस दोहे में कवि ने कृष्ण और गोपियों के बीच चल रही सरस ठिठोली का मनोहरी चित्र अंकित किया है।
- गोपियाँ अपने परम प्रिय कृष्ण से बातें करने का अवसर खोजती रहती हैं।
- इसी बतरस को पाने के प्रयास में उन्होंने कृष्ण की वंशी को छिपा दिया है। कृष्ण वंशी के खो जाने पर बड़े व्याकुल हैं।
- बिहारी एक मात्र ऐसे कवि हैं जो रीति सिद्ध की सूचि में आते हैI
- बिहारी की एकमात्र रचना बिहारी सतसई है जिसमे 719 दोहे हैI
- बिहारी का जन्म 1595 ई. माना गया हैI
- रीतिमुक्त - घनानंद, आलम, बोधा, ठाकुर
- रीतिबद्ध - देव, सेनापति, भूषण, मतिराम आदिI
रस |
परिभाषा |
उदाहरण |
संयोग शृंगार रस |
जब नायक नायिका के परस्पर मिलन, स्पर्श, आलिंगन, वार्तालाप आदि का वर्णन होता है तब वहां पर संयोग श्रृंगार रस होता है। |
हुए थे नैनो के क्या इशारे इधर हमारे उधर तुम्हारे। चले थे अश्कों के क्या फवारे इधर हमारे उधर तुम्हारे।। |
Important Points
|
'नैन नचाय कही मुसकाय, लला फिर आइ़यो खेलन होरी' पंक्ति का रचयिता कौन है?
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य पंक्तियाँ Question 9 Detailed Solution
Download Solution PDF"नैन नचाई,कहो मुस्काई,लला फिर आएवो खेलन होरी"...पंक्तियाँ-1) पद्माकर की है।
Important Points
- रीतिकाल के ब्रजभाषा कवियों में पद्माकर (1753-1833) का महत्त्वपूर्ण स्थान है।
- पद्माकर रचित ग्रंथों में सबसे जाने माने संग्रहों में-हिम्मतबहादुर विरुदावली,पद्माभरण,जगद्विनोद,रामरसायन (अनुवाद),प्रतापसिंह विरूदावली, प्रबोध पचासा आदि हैं।
- पद्माकर ने सजीव मूर्त विधान करने वाली कल्पना के माध्यम से शौर्य,शृंगार,प्रेम,भक्ति,राजदरबार की सम्पन्न गतिविधियों,मेलो-उत्सवों,युद्धों और प्रकृति-सौन्दर्य का मार्मिक चित्रण किया है।
- पद्माकर रीतिबद्ध कवि हैं।
Additional Information
- बिहारी सतसई "कवि बिहारी" की रचना है।
- यह एक मुक्तक काव्य है।
- इसमें नीति, भक्ति और श्रृंगार से संबंधित दोहों का संकलन है।
- बिहारी सतसई पर हिंदी में 50 से अधिक टीका प्राप्त है।
- घनानन्द
- घनानंद (1673- 1760) रीतिकाल की तीन प्रमुख काव्यधाराओं- रीतिबद्ध, रीतिसिद्ध और रीतिमुक्त के अंतिम काव्यधारा के अग्रणी कवि हैं।
- ये 'आनंदघन' नाम से भी प्रसिद्ध हैं।
- घनानंद द्वारा रचित ग्रंथों की संख्या 41 बताई जाती है।
- रत्नाकर
- उद्धव शतक
'तंत्रीनाद कवित्त रस, सरस राग रति रंग' पंक्ति के रचयिता कौन हैं?
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य पंक्तियाँ Question 10 Detailed Solution
Download Solution PDF'तंत्रीनाद कवित्त रस, सरस राग रति रंग' पंक्ति के रचयिता कवि बिहारी हैं।
- "तंत्री नाद, कबित्त रस, सरस राग, रति-रंग। अनबूड़े बूड़े, तरे जे बूड़े सब अंग॥"......
- वीणा आदि वाद्यों के स्वर, काव्य आदि ललित कलाओं की रसानुभूति तथा प्रेम के रस में जो व्यक्ति सर्वांग डूब गए हैं, वे ही इस संसार-सागर को पार कर सकते हैं।
- जो इनमें डूब नहीं सके हैं, वे इस भव-सिंधु में ही फँसकर रह जाते हैं अर्थात् संसार-का संतरण नहीं कर पाते हैं।
- कवि का तात्पर्य यह है कि तंत्री-नाद इत्यादि ऐसे पदार्थ हैं जिनमें बिना पूरण रीति से प्रविष्ट हुए कोई भी आनंद नहीं मिल पाता है।
- यदि इनमें पड़ना हो तो पूर्णतया पड़ो। यदि पूरी तरह नहीं पड़ सकते हो तो इनसे सर्वथा दूर रहना ही उचित व श्रेयस्कर है
Additional Information
- केशवदास रचित प्रामाणिक ग्रंथ नौ हैं-रसिकप्रिया,कविप्रिया,नखशिख,छंदमाला,रामचंद्रिका,वीरसिंहदेव चरित,रतनबावनी,विज्ञानगीता और जहाँगीर जसचंद्रिका।
- 'सतसई' में ब्रजभाषा का प्रयोग हुआ है।
- भूषण के छह ग्रंथ हैं-शिवराजभूषण,शिवाबावनी,छत्रसालदशक,भूषण उल्लास,भूषण हजारा,दूषनोल्लासा।
- सेनापति की रचना ऋतु वर्णन में सूक्ष्म प्रकृति निरीक्षण पाया जाता है जो साहित्य में अद्वितीय है।
निम्नलिखित काव्यपंक्तियो को उनके रचनाकारों के साथ सुमेलित कीजिए :
|
सूची – I (काव्यपंक्तियाँ) |
|
सूची – II (रचनाकार) |
(a) |
कौन परी यह बानि अरी नित |
(i) |
देव |
(b) |
गुलगुली गिल मैं गलीचा हैं गुनी |
(ii) |
पदमाकर |
(c) |
सेवर सिपाही हम उन राजपूतन |
(iii) |
ठाकुर |
(d) |
अभिधा उत्तम काव्य है, मध्य |
(iv) |
प्रताप साहि |
|
|
(v) |
भिखारीदास |
निम्नलिखित में से सही विकल्प चुनिए
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य पंक्तियाँ Question 11 Detailed Solution
Download Solution PDF- सही उत्तर विकल्प : (a) - (iv), (b) - (ii), (c) - (iii), (d) - (i) हैI
- देव अभिधा शब्द शक्ति को महत्व देते हैंI
- उपरोक्त पंक्तियाँ उन्होंने अपने ग्रन्थ काव्य रसायन में लिखी हैंI
- भिखारीदास की रचनाएँ - शतरंजशतिका, अमर कोश, श्रृंगार निर्णय
- प्रताप साहि - "कबित रीति कछु कहत है व्यंग्य अर्थ चित लाये"
- ठाकुर रीतिमुक्त कवि हैं - ठाकुर ठसक, ठाकुर शतक
Key Points
सूची – I(काव्य |
|
सूची – II (रचनाकार) |
|
(a) |
कौन परी यह बानि अरी नित |
(iv) |
प्रताप साहि |
(b) |
गुलगुली गिल मैं गलीचा हैं गुनी |
(ii) |
पदमाकर |
(c) |
सेवर सिपाही हम उन राजपूतन |
(iii) |
ठाकुर |
(d) |
अभिधा उत्तम काव्य है, मध्य |
(i) |
देव |
|
|
(v) |
भिखारीदास |
Important Points
"फीकी पै नीकी लगे कहिए समय बिचारि।
सबकौ मन हरषित करै, ज्यो विवाह की गारि॥ "
किस कवि की रचना है ?
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य पंक्तियाँ Question 12 Detailed Solution
Download Solution PDF"फीकी पै नीकी लगे कहिए समय बिचारि।
सबकौ मन हरषित करै, ज्यो विवाह की गारि॥ "
वृंद कवि की रचना है।
Key Pointsवृंद -
- जन्म - 1643 ई.
- मृत्यु - 1723 ई.
- मुख्य - रीतिकालीन परंपरा के अंतर्गत वृंद का नाम आदर के साथ लिया जाता है।
- इनके नीति दोहे बहुत प्रसिद्ध है।
- मुगल सम्राट औरंगजेब के यहां दरबारी कवि रहे।
- इनके दोहे वृंद सतसई मैं संकलित है।
- इसका संपादक श्यामसुंदर दास ने (1931 ई.)में किया।
- कवि वृंद कहते हैं की बात अच्छी होने पर भी यदि वह बात बिना मौके के कहीं जाए तो वह बात सुनने वाले को फीकी ही मालूम होती है, अर्थात अच्छी नहीं लगती जिस प्रकार युद्ध हो रहा है उसे वातावरण में यदि श्रृंगार रस की बात की जाए तो वह बात किसी को भी अच्छी नहीं लगती है।
- समेत शिखर छंद
- भाव पचासीका
- श्रृंगार शिक्षा
- पवन पच्चीसी
- हितोपदेश संधि
- वचनिका
- यमक सतसई
- सत्य स्वरूप
- भारत कथा
- वृंद ग्रंथावली
- बीजक (1464 ई.) - धर्मदास द्वारा संकलित।
- नगर शोभा
- बरवे नायिका भेद
- मदनाष्टक
- खेट कोतुक जातकम
- दोहावली
- रहीम काव्य
- श्रृंगार सोरठा
- रास पंचाध्याई
"मेरी भव बाधा हरौ, राधा नागरि सोई ।
जा तन की झाँई परें, स्यामु हरित दुति होइ ।”
इस दोहे के संदर्भ में इनमें से कौन सा कथन गलत है ?
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य पंक्तियाँ Question 13 Detailed Solution
Download Solution PDFइसमें बिहारी के ज्योतिष संबंधी ज्ञान का परिचय मिलता है विकल्प गलत है।
- प्रस्तुत दोहे में बिहारी जी के चित्रकला का ज्ञान प्रकट हुआ है। क्योंकि उक्त दोहे में कवि ने दर्शाया है कि नील और पीत वर्ण मिलकर हरा रंग हो जाता है।
- पंक्ति में कवि ने राधा जी की वंदना की है।
व्याख्या-
- प्रस्तुत दोहे में बिहारी जी कहते हैं कि वह चतुर राधिका जी मेरे सांसारिक कष्टों को दूर करें, जिनके पीली आभा वाले (गोरे) शरीर की झाँई यानि (प्रतिबिम्ब) पड़ने से श्याम वर्ण के श्रीकृष्ण हरित वर्ण की द्युति वाले; अर्थात् हरे रंग के हो जाते हैं।
- अर्थात् राधा के प्रभाव पड़ने से सांवले कृष्ण भी हरे रंग के हो जाते हैं।
- यहाँ पर हरे का मतलब खुश रहने से भी किया जा सकता है।
उपर्युक्त दोहे का काव्यगत सौंदर्य -
- भाषा - ब्रज
- छंद - दोहा
- शैली - मुक्तक
- रस - श्रृंगार और भक्ति
- गुण - प्रसाद और माधुर्य।
- अलंकार - हरौ, राधा नागरि’ में अनुप्रास, ‘भव-बाधा’, ‘झाईं तथा ‘स्यामु हरित-दुति’ के अनेक अर्थ होने से श्लेष अलंकार की छटा मनमोहक बन पड़ी है।
बिहारी का ज्योतिष-ज्ञान से संबंधित दोहा-
- “दुसह दुराज प्रजानी कौ, क्यों न बढ़ै दुःख द्वन्द्व।।
- अधिक अंधेरो जग करत, मिली मावस रवि चन्द”।।
- भावार्थ-
- जिस प्रकार अमावस्या के दिन रवि और चंद्रमा एक ही दिशा में आकर संसार में अंधकार पैदा कर देते हैं, उसी प्रकार दो राजाओं के राज्य में प्रजा का कष्ट बढ़ जाता है।
'मोहे तो मेरे कवित्त बनावत' रीतिकाल के किस कवि ने लिखा है?
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य पंक्तियाँ Question 14 Detailed Solution
Download Solution PDF'मोहे तो मेरे कवित्त बनावत' रीतिकाल के कवि घनानन्द ने लिखा है।
- उपरोक्त पंक्तियाँ घनानन्द की रचना प्रेम व्यंजना से ली गई है।
- उपरोक्त पंक्तियों का अर्थ - कविता ने जितनी तरलता मन को दी है उतनी किसी भी विधा ने नहीं दी।
Key Points
- घनानंद:
- घनानंद (1673- 1760) रीतिकाल की तीन प्रमुख काव्यधाराओं- रीतिबद्ध, रीतिसिद्ध और रीतिमुक्त के अंतिम काव्यधारा के अग्रणी कवि हैं।
- घनानंद 'आनंदघन' नाम स भी प्रसिद्ध हैं।
- आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने रीतिमुक्त घनानन्द का समय सं. 1746 तक माना है
- इस प्रकार आलोच्य घनानन्द वृंदावन के आनन्दघन हैं।
- शुक्ल जी के विचार में ये नादिरशाह के आक्रमण के समय मारे गए। श्री हजारीप्रसाद द्विवेदी का मत भी इनसे मिलता है।
- घनानंद द्वारा रचित काव्य:
- सुजानहित
- कृपाकंदनिबंध
- वियोगबेलि
- इश्कलता
- यमुनायश
- प्रीतिपावस
- प्रेमपत्रिका
- प्रेमसरोवर
Additional Information
लेखक |
रचनाएँ |
भूषण (1613 - 1715) |
शिवराजभूषण- काव्य ग्रन्थ |
ठाकुर(1700-1784) |
सजि सूहे दुकूलन बिज्जु छटा सी-सवैया |
केशवदास(1555-1618) |
रसिकप्रिया- काव्य ग्रन्थ कविप्रिया- काव्य ग्रन्थ नखशिख- काव्य ग्रन्थ छंदमाला- काव्य ग्रन्थ रामचंद्रिका- काव्य ग्रन्थ |
कवि ठाकुर ने किस राजा के कटु वचन कहने पर म्यान से तलवार निकाल ली और कहा:
सेवक सिपाही हम उन रजपूतन के,
दान जुद्ध जुरिबे में नेकु जे न मुरके।
नीत देनवारे हैं मही के महीपालन को,
हिए के विरुद्ध हैं, सनेही साँचे उर के।
ठाकुर कहत हम बैरी बेवकूफन के,
जालिम दमाद हैं अदानियाँ ससुर के।
चोजिन के चोजी महा, मौजिन के महाराज
हम कविराज हैं, पै चाकर चतुर के।
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काव्य पंक्तियाँ Question 15 Detailed Solution
Download Solution PDFकवि ठाकुर ने अनूप गिरी उर्फ हिम्मत बहादुर के कटु वचन कहने पर म्यान से तलवार निकाल ली तथा उपर्युक्त पद कहा । अतः उपर्युक्त विकल्पों में से विकल्प अनूप गिरी उर्फ़ हिम्मत बहादुर सही है तथा अन्य विकल्प असंगत है।
Key Points
- उपर्युक्त पद कवि ठाकुर ने हिम्मत बहादुर सिंह के लिए कहा था।
- ठाकुर बुंदेलखंडी का पूरा नाम 'लाला ठाकुरदास' था।
- ये जाति के कायस्थ थे।
Confusion Points
- ठाकुर' नाम के हिंदी में तीन प्रसिद्ध कवि हुए हैं - असनीवाले प्राचीन ठाकुर, असनीवाले दूसरे ठाकुर और तीसरे ठाकुर बुंदेलखंडी।
- संख्या में तीन होने के कारण ये 'ठाकुरत्रयी' भी कहलाए।