रस सामान्य MCQ Quiz - Objective Question with Answer for रस सामान्य - Download Free PDF
Last updated on Jun 25, 2025
Latest रस सामान्य MCQ Objective Questions
रस सामान्य Question 1:
अनुभाव के प्रकार हैं-
Answer (Detailed Solution Below)
रस सामान्य Question 1 Detailed Solution
सही उत्तर है - कायिक और सात्विक।
Key Points
- अनुभाव - जो विभावों के बाद उत्पन्न होते है या जिनके द्वारा रति आदि भावों का अनुभव होता है वे अनुभाव कहलातें है।
- अनुभाव आंतरिक भावों के बाह्य व्यंजक होते है, जैसे क्रोध में नथुने फूलना, आंखे लाल होना आदि।
- ये प्राय : दो प्रकार के माने जाते है - कायिक तथा सात्विक
Additional Information
कायिक अनुभाव | ऐसी चेस्टायें अथवा विकार जिन पर व्यक्ति का अधिकार रहता है ,अथवा वे उसकी इच्छा पर ही निर्भर करते है कायिक अनुभाव कहलाते है। |
जैसे गुस्से में आंखे लाल कर के देखना। होठों का फड़फड़ाना। भौहें टेढ़ी होना आदि। |
सात्विक अनुभाव | स्वत: उत्पन्न होने वाली चेष्टाएँ सात्विक अनुभाव कहलाती है |
सात्विक अनुभाव आठ प्रकार के होते है। स्तम्भ, स्वेद, रोमांच, स्वर, कंप, विवर्णता, अश्रु, प्रलय |
रस सामान्य Question 2:
संचारी भाव को अन्य किस नाम से भी जाना जाता है?
Answer (Detailed Solution Below)
रस सामान्य Question 2 Detailed Solution
संचारी भाव को अन्य किस नाम से भी जाना जाता है- व्यभिचारी भाव
Key Pointsसंचारी भाव
- स्थायी भाव प्रधान मानसिक प्रक्रिया होती है।
- इन भावो के साथ कुछ ऐसे भी भाव उत्पन्न होते है।
- जो स्थायी भाव के साथ मन में संचारित करते है इन भावो को संचारी भाव कहा जाता है, संचारी भाव को व्यभिचारी भी कहा जाता है.
- क्योंकि संचारी भाव किसी एक भाव के साथ लम्बे समय तक नहीं रहते है।
- संचारी भाव कभी किसी स्थायी भाव के साथ होते है तो कभी अन्य स्थायी भाव के साथ होते है इसलिए इनकी इस व्यभिचारी वृत्ति के कारन ही इन्हें व्यभिचारी भी कहा जाता है।
Additional Information
उद्दीपन |
साहित्य में रस को उद्दीप्त करने वाले आलम्बनों, जैसे देश, काल, परिस्थिति, चेष्टा आदि, को उद्दीपन विभाव कहते हैं। |
आलंबन |
भावों का उद्गम जिस मुख्य भाव या वस्तु के कारण हो वह काव्य का आलंबन कहा जाता है। |
अनुभाव |
शास्त्र के अनुसार आश्रय के मनोगत भावों को व्यक्त करने वाली शारीरिक चेष्टाएं अनुभाव कहलाती है। भावों के पश्चात उत्पन्न होने के कारण इन्हें अनुभाव कहा जाता है। अनुभवों की संख्या 4 कही गई है – सात्विक, कायिक, मानसिक और आहार्य। |
रस सामान्य Question 3:
सात्विक अनुभाव कितने हैं?
Answer (Detailed Solution Below)
रस सामान्य Question 3 Detailed Solution
सात्विक अनुभाव आठ प्रकार के होते हैं।
- सात्विक अनुभाव की संख्या आठ है, जो है - स्तम्भ, स्वेद, रोमांच, स्वर-भंग, कम्प, विवर्णता, अक्षु तथा प्रलय।
Key Points
- आश्रय की शरीर से उसके बिना किसी बाहरी प्रयत्न के स्वत: उत्पन्न होने वाली चेष्टाएँ सात्विक अनुभाव कहलाती है इसे 'अयत्नज भाव' भी कहते है.।
Additional Information आठ प्रकार हैं -
- स्तम्भ - प्रसन्नता, लज्जा ,व्यथा आदि के कारण शरीर कि चेस्टाओं का अपने आप रुक जाना।
- स्वेद - श्रम ,अनुराग, विस्मय आदि के कारण पसीना छूटना।
- रोमांच - हर्ष, अत्यधिक प्रेम, शीत, क्रोध आदि से शरीर कर रोयों का खड़ा हो जाना।
- स्वर-भंग - भय, क्रोध आदि के कारण ठीक प्रकार से न बोल पाना।
- कंप - भय, आनंद, क्रोध, के कारण शरीर कांपने लग जाना।
- वैवर्ण्य अथवा विवर्णता - क्रोध, लज्जा, भय, मोह आदि के कारण चेहरे का रंग उड जाना।
- अश्रु - भय, शोक ,आनंद आदि के कारण आँखों में अश्रु आनंद।
- प्रलय - मोह ,निद्रा ,मद आदि के कारण सुध - बुध खो जाना अथवा चेतना शून्य हो जाना।
- यहाँ पर हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि आश्रय कि चेस्टायें ही अनुभाव मानी जाएगी, आलंबन कि नहीं।
रस सामान्य Question 4:
रस के कितने अवयव हैं?
Answer (Detailed Solution Below)
रस सामान्य Question 4 Detailed Solution
रस के अवयव हैं- चार
Key Points
- रस के चार अवयव होते हैं:
- स्थायी भाव,
- विभाव,
- अनुभाव,
- संचारी भाव
Important Points
रस- काव्य को पढ़ने, सुनने से उत्पन्न होने वाले आनंद की अनुभूति को साहित्य के अंतर्गत रस कहा जाता है। |
||
क्र. म |
रस |
स्थायी भाव |
1. |
शृंगार रस |
रति |
2. |
हास्य रस |
हास |
3. |
करुण रस |
शोक |
4. |
रौद्र रस |
क्रोध |
5. |
वीर रस |
उत्साह |
6. |
भयानक रस |
भय |
7. |
वीभत्स रस |
जुगुप्सा |
8. |
अद्भुत रस |
विस्मय |
9. |
शांत रस |
निर्वेद |
Additional Information स्थायी भाव-
- भाव का अर्थ है:-होना
- सहृदय के अंत:करण में जो मनोविकार, वासना या संस्कार रूप में सदा विद्यमान रहते हैं
- तथा जिन्हें कोई भी विरोधी या अविरोधी दबा नहीं सकता हूं , उन्हें स्थायी भाव कहते हैं।
- इनकी संख्या 11 है - रति, हास, शोक, उत्साह, क्रोध, भय, जुगुप्सा, विस्मय, निर्वेद, वात्सलता और ईश्वर विषयक प्रेम।
विभाव-
- विभाव का अर्थ है कारण। स्थायी भाव के उत्पन्न होने के कारणों को विभाव कहते हैं ।
- ये स्थायी भावों का विभावन/उद्बोधन करते हैं, उन्हें आस्वाद योग्य बनाते हैं। ये रस की उत्पत्ति में आधारभूत माने जाते हैं।
- विभाव के दो भेद हैं: आलंबन विभाव और उद्दीपन विभाव।
अनुभाव-
- रति, हास, शोक आदि स्थायी भावों को प्रकाशित या व्यक्त करने वाली आश्रय की चेष्टाएं अनुभाव कहलाती हैं।
- ये चेष्टाएं भाव-जागृति के उपरांत आश्रय में उत्पन्न होती हैं इसलिए इन्हें अनुभाव कहते हैं, अर्थात जो भावों का अनुगमन करे वह अनुभाव कहलाता है।
- अनुभाव के दो भेद हैं - इच्छित और अनिच्छित।
संचारी या व्यभिचारी भाव-
- जो भाव केवल थोड़ी देर के लिए स्थायी भाव को पुष्ट करने के निमित्त सहायक रूप में आते हैं और तुरंत लुप्त हो जाते हैं, वे संचारी भाव हैं।
- संचारी या व्यभिचारी भावों की संख्या 33 मानी गयी है - निर्वेद, ग्लानि, शंका, असूया, मद, श्रम, आलस्य, दीनता, चिंता, मोह, स्मृति, धृति, व्रीड़ा,
- चापल्य, हर्ष, आवेग, जड़ता, गर्व, विषाद, औत्सुक्य, निद्रा, अपस्मार (मिर्गी), स्वप्न, प्रबोध, अमर्ष (असहनशीलता), अवहित्था (भाव का छिपाना),
- उग्रता, मति, व्याधि, उन्माद, मरण, त्रास और वितर्क।
रस सामान्य Question 5:
विभाव के दो प्रकार कौन-से हैं?
Answer (Detailed Solution Below)
रस सामान्य Question 5 Detailed Solution
विभाव के दो प्रकार हैं- आलंबन, उद्दीपन
Key Pointsविभाव-
- विभाव का अर्थ है- कारण। स्थायी भाव के उत्पन्न होने के कारणों को विभाव कहते हैं ।
- ये स्थायी भावों का विभावन/उद्बोधन करते हैं, उन्हें आस्वाद योग्य बनाते हैं। ये रस की उत्पत्ति में आधारभूत माने जाते हैं।
- विभाव के दो भेद हैं: आलंबन विभाव और उद्दीपन विभाव।
Important Pointsआलंबन विभाव-
- जिसका सहारा या आलंबन पाकर स्थायी भाव सुप्त होता है, उसे आलंबन विभाव कहते हैं।
- यह विभाव के दो प्रकारों में से एक है, दूसरा है उद्दीपन विभाव।
- आलंबन विभाव को दो भागों में बांटा गया है - आश्रयालंबन और विषयालंबन।
उद्दीपन विभाव-
- जो भावना या रस को जगाने में मदद करता है, उसे उद्दीपन-विभाव कहा जाता है।
- उद्दीपन के प्रकार मुख्य रूप से दो हैं: उद्दीपन विभाव और उद्दीपन।
Additional Informationस्थायी भाव-
- भाव का अर्थ है:- होना
- सहृदय के अंत:करण में जो मनोविकार, वासना या संस्कार रूप में सदा विद्यमान रहते हैं
- तथा जिन्हें कोई भी विरोधी या अविरोधी दबा नहीं सकता हूं , उन्हें स्थायी भाव कहते हैं।
- इनकी संख्या 11 है - रति, हास, शोक, उत्साह, क्रोध, भय, जुगुप्सा, विस्मय, निर्वेद, वात्सलता और ईश्वर विषयक प्रेम।
अनुभाव-
- रति, हास, शोक आदि स्थायी भावों को प्रकाशित या व्यक्त करने वाली आश्रय की चेष्टाएं अनुभाव कहलाती हैं।
- ये चेष्टाएं भाव-जागृति के उपरांत आश्रय में उत्पन्न होती हैं इसलिए इन्हें अनुभाव कहते हैं, अर्थात जो भावों का अनुगमन करे वह अनुभाव कहलाता है।
- अनुभाव के दो भेद हैं - इच्छित और अनिच्छित।
संचारी या व्यभिचारी भाव-
- जो भाव केवल थोड़ी देर के लिए स्थायी भाव को पुष्ट करने के निमित्त सहायक रूप में आते हैं और तुरंत लुप्त हो जाते हैं, वे संचारी भाव हैं।
- संचारी या व्यभिचारी भावों की संख्या 33 मानी गयी है - निर्वेद, ग्लानि, शंका, असूया, मद, श्रम, आलस्य, दीनता, चिंता, मोह, स्मृति, धृति, व्रीड़ा,
- चापल्य, हर्ष, आवेग, जड़ता, गर्व, विषाद, औत्सुक्य, निद्रा, अपस्मार (मिर्गी), स्वप्न, प्रबोध, अमर्ष (असहनशीलता), अवहित्था (भाव का छिपाना),
- उग्रता, मति, व्याधि, उन्माद, मरण, त्रास और वितर्क।
Top रस सामान्य MCQ Objective Questions
भरतमुनि ने रसों की संख्या कितनी मानी है?
Answer (Detailed Solution Below)
रस सामान्य Question 6 Detailed Solution
Download Solution PDFउपर्युक्त विकल्पों में से विकल्प "आठ" सही है तथा अन्य विकल्प असंगत है।
- 'नाट्यशास्त्र' में भरतमुनि ने रसों की संख्या आठ मानी है- श्रृंगार, हास्य, करुण, रौद्र, वीर, भयानक, वीभत्स, अद्भुत।
- दण्डी ने भी आठ रसों का उल्लेख किया है।
- भरतमुनि के अनुसार रस की परिभाषा, “विभाव, अनुभाव और व्यभिचारी भाव के संयोग से रस की उत्पत्ति होती है।”
- उद्भट ने नौवाँ रस शांत रस को माना है।
- विश्वनाथ ने वात्सल्य को दसवाँ रस माना है।
- रूपगोस्वामी ने भक्तिरस को ग्यारहवाँ रस माना है।
- और रुद्र्ट ने प्रेयान को बारहवाँ रस माना है।
- रति के 3 भेद हैं-
- दाम्पत्य रति, वात्सल्य रति और भक्ति सम्बन्धी रति।
- इन्ही से क्रमशः श्रृंगार, वात्सल्य और भक्ति रस का निष्पत्ति हुआ है।
- रसों की संख्या सर्वमान्य 9 है-
- रस - स्थायी भाव
- शृंगार रस :- रति
- हास्य रस :- हास, हँसी
- वीर रस :- उत्साह
- करुण रस :- शोक
- शांत रस :- निर्वेद, उदासीनता
- अदभुत रस :- विस्मय, आश्चर्य
- भयानक रस :- भय
- रौद्र रस :- क्रोध
- वीभत्स रस :- जुगुप्सा
- वात्सल्य रस :- वात्सल्यता, अनुराग
- भक्ति रस :- देव रति
रस का सम्बन्ध किस धातु से माना जाता है ?
Answer (Detailed Solution Below)
रस सामान्य Question 7 Detailed Solution
Download Solution PDF- रस काव्य का मूल आधार ‘ प्राणतत्व ‘ अथवा ‘ आत्मा ‘ है रस का संबंध ‘ सृ ‘ धातु से माना गया है।
- जिसका अर्थ है जो बहता है , अर्थात जो भाव रूप में हृदय में बहता है उसे को रस कहते हैं।
- एक अन्य मान्यता के अनुसार रस शब्द ‘ रस् ‘ धातु और ‘ अच् ‘ प्रत्यय के योग से बना है।
- जिसका अर्थ है – जो वहे अथवा जो आश्वादित किया जा सकता है।
- पदार्थ की दृष्टि से रस का प्रयोग षडरस के रूप में तो, आयुर्वेद में शस्त्र आदि धातु के अर्थ में , भक्ति में ब्रह्मानंद के लिए तथा साहित्य के क्षेत्र में काव्य स्वाद या काव्य आनंद के लिए रस का प्रयोग होता है।
रस |
रस का शाब्दिक अर्थ है 'आनन्द'। काव्य को पढ़ने या सुनने से जिस आनन्द की अनुभूति होती है, उसे रस कहा जाता है। |
निम्नलिखित में से किसे संचारी भाव कहते हैं?
Answer (Detailed Solution Below)
रस सामान्य Question 8 Detailed Solution
Download Solution PDFउपर्युक्त विकल्पों में से विकल्प "व्यभिचारी भाव" सही है तथा अन्य विकल्प असंगत है।
- व्यभिचारी भाव को संचारी भाव कहते हैं।
- संचारी भाव
- ये चित्त में उत्पन्न होने वाले अस्थिर मनोविकार हैं। ये स्थायी भावों को पुष्ट करने में सहायक होते है। इनकी स्थिति पानी के बुलबुले के समान उत्पन्न होने और समाप्त होते रहने की होती है।
- भरत मुनि ने 33 संचारी भाव माने है :-
- निर्वेद, ग्लानि, शंका, असूया, मद, श्रम, आलस्य, देन्य, चिंता, मोह, स्मृति, घृति, ब्रीडा, चपलता, हर्ष, आवेग, जड़ता
- गर्व, विषाद, औत्सुक्य, निद्रा, अपस्मार, स्वप्न, विबोध, अमर्ष, अविहित्था, उग्रता, मति, व्याधि, उन्माद, मरण, वितर्क
- स्थायीभाव
- जो भाव मानव हृदय में स्थायी रूप से रहते हैं, उन्हें स्थायी भाव कहते हैं।
- प्रत्येक रस का एक स्थायी भाव रहता है।
- जैसे- श्रृंगार का रति, वीर का उत्साह
- विभाव
- स्थायी भावों को जाग्रत करने वाले कारक विभाव हैं।
- इसके दो भेद हैं–
- (अ) आलम्बन और
- (ब) उद्दीपन हैं।
- अनुभाव
- आश्रय की चेष्टाएँ अनुभाव कहलाती हैं।
- अनुभाव चार प्रकार के होते हैं-
- कायिक
- मानसिक
- आहार्य
- सात्विक।
अमर्ष क्या है?
Answer (Detailed Solution Below)
रस सामान्य Question 9 Detailed Solution
Download Solution PDFदिए गए विकल्पों में से सही उत्तर विकल्प 2 'एक संचारी भाव’ है। अन्य विकल्प इसके गलत उत्तर हैं।
- उपर्युक्त विकल्पों में से 'अमर्ष' संचारी भाव है।
- आचार्य भरत मुनि ने 33 संचारी भाव माने है।
- जो हैं - निर्वेद, ग्लानि, शंका, असूया, मद, श्रम, आलस्य, देन्य, चिंता, मोह, स्मृति, घृति, ब्रीडा, चपलता, हर्ष, आवेग, जड़ता, गर्व, विषाद, औत्सुक्य, निद्रा, अपस्मार, स्वप्न, विबोध, अमर्ष, अविहित्था, उग्रता, मति, व्याधि, उन्माद, मरण, त्रसा, वितर्क।
- अन्य विकल्प इसके अनुचित उत्तर हैं।
- रस का शाब्दिक अर्थ है 'आनन्द'।
- काव्य को पढ़ने या सुनने से जिस आनन्द की अनुभूति होती है, उसे रस कहा जाता है।
- स्थायीभाव, विभाव, अनुभाव,आलंबन भाव और संचारीभाव से रस की वृद्धि होती है।
'अपस्मार' किस तरह का भाव है?
Answer (Detailed Solution Below)
रस सामान्य Question 10 Detailed Solution
Download Solution PDFसही उत्तर 'संचारी' होगा।
Key Points
- 'अपस्मार' संचारी भाव है।
- संचारी भाव – स्थायी भाव को पुष्ट करने के लिए जो भाव उत्पन्न होकर पुनः लुप्त हो जाते हैं उन्हें संचारी भाव कहते हैं।
- इनकी संख्या 33 मानी गई है। निर्वेद, शंका, ग्लानि, हर्ष, आवेग आदि प्रमुख संचारी भाव हैं।
रस के अंग/ अवयव "विभावानुभावव्यभिचारीसंयोगाद्रस निष्पत्तिः” |
||
अवयव |
परिभाषा |
प्रकार |
स्थायी भाव |
हृदय के हृदय में जो भाव स्थायी रूप से निवास करते हैं, स्थायी भाव कहलाते हैं। इन्हें अनुकूल या प्रतिकूल किसी प्रकार के भाव दबा नहीं पाते। |
रति, हास, शोक, उत्साह, क्रोध, भय, जुगुप्सा (घृणा), विस्मय, शम (निर्वेद) स्थायी भाव है। |
संचारी भाव |
स्थायी भाव को पुष्ट करने के लिए जो भाव उत्पन्न होकर पुनः लुप्त हो जाते हैं उन्हें संचारी भाव कहते हैं। इनकी संख्या 33 मानी गई है। |
निर्वेद, शंका, ग्लानि, हर्ष, आवेग आदि प्रमुख संचारी भाव हैं। |
विभाव |
यी भावों को जाग्रत करने वाले कारक विभाव कहलाते हैं। |
इनके दो भेद हैं- आलम्बन और उद्दीपन |
अनुभाव |
आश्रय की बाह्य शारीरिक चेष्टाएँ अनुभाव कहलाती है। |
करुण रस के अनुभाव – रोना, जमीन पर गिरना आदि अनुभाव है। |
Additional Information
शब्द |
परिभाषा |
रस |
रस का शाब्दिक अर्थ है 'आनन्द'। काव्य को पढ़ने या सुनने से जिस आनन्द की अनुभूति होती है, उसे रस कहा जाता है। |
रस के कितने अंग हैं -
Answer (Detailed Solution Below)
रस सामान्य Question 11 Detailed Solution
Download Solution PDFKey Points
रस के चार अंग हैं -
स्थाई भाव |
स्थाई भाव रस का पहला एवं सर्वप्रमुख अंग है। भाव शब्द की उत्पत्ति ‘ भ् ‘ धातु से हुई है। जिसका अर्थ है संपन्न होना या विद्यमान होना। आचार्य भरतमुनि ने स्थाई भाव आठ ही माने हैं – रति , हास्य , शोक , क्रोध , उत्साह , भय , जुगुप्सा और विस्मय। वर्तमान समय में इसकी संख्या 9 कर दी गई है तथा निर्वेद नामक स्थाई भाव की परिकल्पना की गई है। |
विभाव |
रस का दूसरा अनिवार्य एवं महत्वपूर्ण अंग है। भावों का विभाव करने वाले अथवा उन्हें आस्वाद योग्य बनाने वाले कारण विभाव कहलाते हैं। विभाव कारण हेतु निर्मित आदि से सभी पर्यायवाची शब्द हैं। विभाव का मूल कार्य सामाजिक हृदय में विद्यमान भावों की महत्वपूर्ण भूमिका मानी गई है। विभाव के अंग – १ आलंबन विभाव और २ उद्दीपन विभाव |
अनुभाव |
रस योजना का तीसरा महत्वपूर्ण अंग है। आलंबन और उद्दीपन के कारण जो कार्य होता है उसे अनुभव कहते हैं। शास्त्र के अनुसार आश्रय के मनोगत भावों को व्यक्त करने वाली शारीरिक चेष्टाएं अनुभव कहलाती है। भावों के पश्चात उत्पन्न होने के कारण इन्हें अनुभव कहा जाता है। अनुभवों की संख्या 4 कही गई है – सात्विक , कायिक , मानसिक और आहार्य। इनकी संख्या 8 मानी गई है – स्तंभ , स्वेद , रोमांच , स्वरभंग , कंपन , विवरण , अश्रु , प्रलय |
संचारी भाव |
मानव रक्त संचरण करने वाले भाव ही संचारी भाव कहलाते हैं यह तत्काल बनते हैं एवं मिटते हैं संचारी भावों की संख्या 33 मानी गई है - निर्वेद , स्तब्ध , गिलानी , शंका या भ्रम , आलस्य , दैन्य , चिंता , स्वप्न , उन्माद , बीड़ा , सफलता , हर्ष , आवेद , जड़ता , गर्व , विषाद , निद्रा , स्वप्न , उन्माद , त्रास , धृति , समर्थ , उग्रता , व्याधि , मरण , वितर्क आदि। |
Additional Information
रस |
रस का शाब्दिक अर्थ है 'आनन्द'। काव्य को पढ़ने या सुनने से जिस आनन्द की अनुभूति होती है, उसे रस कहा जाता है। |
जुगुप्सा का स्थाई भाव किस रस से सम्बन्धित है ?
Answer (Detailed Solution Below)
रस सामान्य Question 12 Detailed Solution
Download Solution PDFजुगुप्सा का स्थाई भाव "बीभत्स रस" से सम्बन्धित है।
Key Points
- जब किसी दृश्य को देखकर या याद कर मन में जुगुप्सा या घृणा,
- के भाव की परिपक्वता पायी जाए तो वहाँ वीभत्स रस होता है।
जैसे -
रक्त-मांस के सड़े पंक से उमड़ रही है, महाघोर दुर्गन्ध, रुद्ध हो उठती श्वासा। तैर रहे गल अस्थि-खण्डशत, रुण्डमुण्डहत, कुत्सित कृमि संकुल कर्दम में महानाश के॥ |
Additional Informationरस -
- रस का शाब्दिक अर्थ है ‘आनन्द’।
- काव्य को पढ़ने या सुनने से अथवा चिन्तन करने से जिस अत्यंत आनन्द का अनुभव होता है,
- उसे ही रस कहा जाता है।
स्थायी भाव -
- स्थायी भाव का अभिप्राय है- प्रधान भाव।
- रस की अवस्था तक पहुंचने वाले भाव को प्रधान भाव कहते हैं।
- स्थायी भाव काव्य या नाटक में शुरुआत से अंत तक होता है।
- स्थायी भावों की संख्या नौ स्वीकार की गयी है।
रस और उनके स्थायी भाव -
रस | स्थायी भाव |
श्रृंगार-रस | रति |
हास्य रस | हास |
करुण रस | शोक |
रौद्र रस | क्रोध |
वीर रस | उत्साह |
भयानक | भय |
वीभत्स रस | जुगुप्सा (घृणा) |
अद्भुत रस | विस्मय |
शांत रस | निर्वेद |
'विप्रलंभ' का आशय है:
Answer (Detailed Solution Below)
रस सामान्य Question 13 Detailed Solution
Download Solution PDFसही उत्तर है - ‘वियोग’।
- ‘विप्रलंभ’ का आशय ‘वियोग’ से है।
- ‘विप्रलंभ’ का अर्थ : प्रेमी प्रेमिका का वियोग।
Key Points अन्य विकल्प:
- संयोग : मिलाप या संग।
- महायोग : यह बज्रयान अन्तर्गत का एक तान्त्रिक संप्रदाय है। इस संप्रदाय ञिङमा संप्रदाय के नौ यान मध्ये सातवाँ यान है।
- योग : यह आध्यात्मिक प्रक्रिया है जिसमें शरीर, मन और आत्मा को एक साथ लाने (योग) का काम होता है।
Mistake Points
- योग का अर्थ जुड़ना भी होता है। यानी दो तत्वों का मिलन योग कहलाता है।
- संयोग को हम इत्तेफाक भी कह सकते है यह दो या कई बातों के अचानक एक साथ होने की क्रिया है।
जिन वस्तुओं या परिस्थितियों को देखकर स्थायी भाव उद्दीप्त होने लगता है उसे ______ कहते हैं।
Answer (Detailed Solution Below)
रस सामान्य Question 14 Detailed Solution
Download Solution PDF- किसी भी स्थाई भाव को और तेज करना या बढ़ाकर बोलना। जैसे - सुदामा की दषा का वर्णन 'दीन दशा' से बढाकर करना।
- इसी प्रकार आग में घी डाल कर उसे और तेज़ या उद्दीप्त कर दिया जाता है उसी तरह स्थाई भाव को और तेज़ करने वाले कारण उद्दीपन विभाव कहे जाते है।
- जैसे- लक्ष्मण का परशुराम को ललकारना व्यंग्य करना मुस्कुराना उनके क्रोध को और बढ़ा देता है।
- यही उद्दीपन विभाव है।
Additional Information
उद्दीपन विभाव - स्थाई भाव को और तेज़ करने वाले कारण उद्दीपन विभाव कहलाते हैं। जैसे -लक्ष्मण का परशुराम को ललकारना व्यंग्य करना मुस्कुराना उनके क्रोध को और बढ़ा देता है। |
स्थायी भाव - जो भावना स्थिर और सार्वभौम होती है उसे स्थायी भाव कहते हैं। |
संचारी भाव/ व्याभिचारी भाव – मन में संचरण करने वाले भाव संचारी भाव कहलाते हैं, ये भाव पानी के बुलबुलों के सामान उठते और विलीन हो जाने वाले भाव होते हैं | |
निम्नलिखित में से कौन-सा एक स्थायी भाव नहीं है?
Answer (Detailed Solution Below)
रस सामान्य Question 15 Detailed Solution
Download Solution PDFसही उत्तर- स्मृति होगा।
Key Points
- 'स्मृति' शब्द स्थायी भाव नहीं है।
- जो भाव मानव हृदय में पहले से ही होते हैं वे स्थाईभाव कहलाते हैं।
Additional Information
रस और स्थाईभाव
रस |
स्थायी भाव |
शृंगार रस |
रति |
हास्य रस |
हास |
करुण रस |
शोक |
रौद्र रस |
क्रोध |
वीर रस |
उत्साह |
भयानक रस |
भय |
वीभत्स रस |
जुगुप्सा |
अद्भुत रस |
विस्मय |
शांत |
निर्वेद |
Hinglish
- स्मृति- Commemoration
- शोक- Mourning