रौद्र रस MCQ Quiz - Objective Question with Answer for रौद्र रस - Download Free PDF
Last updated on Jun 12, 2025
Latest रौद्र रस MCQ Objective Questions
रौद्र रस Question 1:
रौद्र रस का स्थायीभाव क्या होता है?
Answer (Detailed Solution Below)
रौद्र रस Question 1 Detailed Solution
रौद्र रस का स्थायीभाव होता है- क्रोध
Key Points
- जब किसी एक पक्ष या व्यक्ति द्वारा दूसरे पक्ष या दूसरे व्यक्ति का अपमान करने अथवा अपने गुरुजन आदि की निन्दा से जो क्रोध उत्पन्न होता है, उसे रौद्र रस कहते हैं।
- इसका स्थायी भाव क्रोध होता है।
- उदाहरण -
- सुनत लखन के बचन कठोर। परसु सुधरि धरेउ कर घोरा ।
- अब जनि देर दोसु मोहि लोगू। कटुबादी बालक बध जोगू ।।
Important Pointsरस एवं उनके स्थाई भाव -
रस | स्थाई भाव |
---|---|
श्रृंगार | रति / प्रेम |
हास्य | हास |
करुण | शोक |
वीर | उत्साह |
रौद्र | क्रोध |
भयानक | भय |
वीभत्स | जुगुप्सा / घ्रणा |
अदभुत | विस्मय / या आश्चर्य |
शांत | शम / निर्वेद / वैराग्य / वीतराग |
वत्सल | वात्सल रति |
भक्ति रस | रति / अनुराग |
Additional Information
भयानक रस-
उदाहरण -
श्रृंगार रस-
तथा प्रेम संबंधी वर्णन को श्रृंगार रस कहते हैं, श्रृंगार रस को रसराज या रसपति कहा गया है। श्रृंगार रस - इसका स्थाई भाव रति है। उदाहरण -
करूण रस:-
उदाहरण-
|
रौद्र रस Question 2:
रौद्र रस का स्थायीभाव क्या होता है?
Answer (Detailed Solution Below)
रौद्र रस Question 2 Detailed Solution
रौद्र रस का स्थायीभाव होता है- क्रोध
Key Points
- जब किसी एक पक्ष या व्यक्ति द्वारा दूसरे पक्ष या दूसरे व्यक्ति का अपमान करने अथवा अपने गुरुजन आदि की निन्दा से जो क्रोध उत्पन्न होता है, उसे रौद्र रस कहते हैं।
- इसका स्थायी भाव क्रोध होता है।
- उदाहरण -
- संसार देखे अब हमारे शत्रु रण मे मृत पड़े।
- करते हुए यह घोषणा, वे हो गए उठकर खड़े।।
Important Points रस एवं उनके स्थाई भाव -
रस | स्थाई भाव |
---|---|
श्रृंगार | रति / प्रेम |
हास्य | हास |
करुण | शोक |
वीर | उत्साह |
रौद्र | क्रोध |
भयानक | भय |
वीभत्स | जुगुप्सा / घ्रणा |
अदभुत | विस्मय / या आश्चर्य |
शांत | शम / निर्वेद / वैराग्य / वीतराग |
वत्सल | वात्सल रति |
भक्ति रस | रति / अनुराग |
Additional Information
श्रृंगार रस-
तथा प्रेम संबंधी वर्णन को श्रृंगार रस कहते हैं, श्रृंगार रस को रसराज या रसपति कहा गया है। श्रृंगार रस - इसका स्थाई भाव रति है। उदाहरण -
भयानक रस-
उदाहरण -
करूण रस:-
उदाहरण-
|
रौद्र रस Question 3:
बोरौं सबै रघुबंस कुठार की धार में बारन बाजि सरत्यहि।
बान की वायु उड़ाय के लच्छान, लल्छ करों अरिहा समरत्थहि। - में निम्न में से कौन सा रस है?
Answer (Detailed Solution Below)
रौद्र रस Question 3 Detailed Solution
दी गयी पंक्तियों में क्रोध के भाव का बोध हो रहा है। इस आधार पर यहाँ ‘रौद्र’ रस है। ‘रौद्र रस’ का स्थायी भाव ‘क्रोध’ है। जहाँ विरोध, अपमान या उपकार के कारण प्रतिशोध की भावना क्रोध उपजती है वही रौद्र रस साकार होता है।अतः सही विकल्प रौद्र रस है।
अन्य विकल्प
शास्त्र के अनुसार ‘शोक’ नामक स्थाई भाव अपने अनुकूल विभाव, अनुभाव एवं संचारी भावों के सहयोग से अभिव्यक्त होकर जब आस्वाद का रूप धारण कर लेता है तब उसे करुण रस कहा जाता है। |
सहृदय के हृदय में संस्कार रुप में या जन्मजात रूप में विद्यमान रति नामक स्थाई भाव अपने प्रतिकूल विभाव, अनुभाव और संचारी भाव के सहयोग से अभिव्यक्त होकर जब आशीर्वाद योग्य बन जाता है तब वह श्रृंगार में परिणत हो जाता है। |
शान्त रस अर्थात अनित्य और असार तथा परमात्मा के वास्तविक ज्ञान से विषयों के वैराग्य से उत्पन्न रस परिपक्व होकर शांति में परिणत हो जाता है। |
रौद्र रस Question 4:
निम्नलिखित में से किस रस का स्थायी भाव क्रोध है ?
Answer (Detailed Solution Below)
रौद्र रस Question 4 Detailed Solution
रौद्र रस का स्थायी भाव क्रोध है।
Key Points
- जब किसी एक पक्ष या व्यक्ति द्वारा दूसरे पक्ष या दूसरे व्यक्ति का अपमान करने अथवा अपने गुरुजन आदि की निन्दा से जो क्रोध उत्पन्न होता है, उसे रौद्र रस कहते हैं।
- इसका स्थायी भाव क्रोध होता है।
- उदाहरण -
- श्रीकृष्ण के सुन वचन अर्जुन क्षोभ से जलने लगे।
- सब शील अपना भूल कर करतल युगल मलने लगे॥
Important Pointsरस एवं उनके स्थाई भाव -
रस | स्थाई भाव |
---|---|
श्रृंगार | रति / प्रेम |
हास्य | हास |
करुण | शोक |
वीर | उत्साह |
रौद्र | क्रोध |
भयानक | भय |
वीभत्स | जुगुप्सा / घ्रणा |
अदभुत | विस्मय / या आश्चर्य |
शांत | शम / निर्वेद / वैराग्य / वीतराग |
वत्सल | वात्सल रति |
भक्ति रस | रति / अनुराग |
Additional Information
रस | परिभाषा | उदाहरण |
वीभत्स | घृणित वस्तु, घृणित व्यक्ति या घृणित चीजों को देखकर, उनको देखकर या उनके बारे में विचार करके मन में उत्पन्न होने वाली घृणा या ग्लानि ही वीभत्स रस कहलाती है। स्थायी भाव- जुगुप्सा |
जहँ - तहँ मज्जा माँस रुचिर लखि परत बगारे। जित - जित छिटके हाड़, सेत कहुं -कहुं रतनारे।। |
भयानक |
जब किसी भयानक व्यक्ति या वस्तु को देखने, उससे संबन्धित वर्णन सुनने या किसी दुखद घटना का स्मरण करने से मन में जो व्याकुलता उत्पन्न होती है, उसे भयानक रस कहते हैं। इसका स्थायी भाव भय होता है। |
एक ओर अजगर हिं लखि, एक ओर मृगराय॥ विकल बटोही बीच ही, पद्यो मूर्च्छा खाय॥ |
वीर |
इस रस के अंतर्गत जब युद्ध अथवा कठिन कार्य को करने के लिए मन में जो उत्साह की भावना विकसित होती है, उसे ही वीर रस कहते हैं। इसमें शत्रु पर विजय प्राप्त करने, यश प्राप्त करने आदि प्रकट होती है इसका स्थायी भाव उत्साह होता है। |
बुंदेले हर बोलो के मुख हमने सुनी कहानी थी। खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी।। |
रौद्र रस Question 5:
'क्रोध' किस रस का स्थायी भाव है ?
Answer (Detailed Solution Below)
रौद्र रस Question 5 Detailed Solution
'क्रोध' रस का स्थायी भाव है - रौद्र
Key Points
- जब किसी एक पक्ष या व्यक्ति द्वारा दूसरे पक्ष या दूसरे व्यक्ति का अपमान करने अथवा अपने गुरुजन आदि की निन्दा से जो क्रोध उत्पन्न होता है, उसे रौद्र रस कहते हैं।
- इसका स्थायी भाव क्रोध होता है।
- उदाहरण -
- श्रीकृष्ण के सुन वचन अर्जुन क्षोभ से जलने लगे।
- सब शील अपना भूल कर करतल युगल मलने लगे॥
Important Pointsरस एवं उनके स्थाई भाव -
रस | स्थाई भाव |
---|---|
श्रृंगार | रति / प्रेम |
हास्य | हास |
करुण | शोक |
वीर | उत्साह |
रौद्र | क्रोध |
भयानक | भय |
वीभत्स | जुगुप्सा / घ्रणा |
अदभुत | विस्मय / या आश्चर्य |
शांत | शम / निर्वेद / वैराग्य / वीतराग |
वत्सल | वात्सल रति |
भक्ति रस | रति / अनुराग |
Additional Information
रस | परिभाषा | उदाहरण |
भयानक |
जब किसी भयानक व्यक्ति या वस्तु को देखने, उससे संबन्धित वर्णन सुनने या किसी दुखद घटना का स्मरण करने से मन में जो व्याकुलता उत्पन्न होती है, उसे भयानक रस कहते हैं। इसका स्थायी भाव भय होता है। |
एक ओर अजगर हिं लखि, एक ओर मृगराय॥ विकल बटोही बीच ही, पद्यो मूर्च्छा खाय॥ |
वीर |
इस रस के अंतर्गत जब युद्ध अथवा कठिन कार्य को करने के लिए मन में जो उत्साह की भावना विकसित होती है, उसे ही वीर रस कहते हैं। इसमें शत्रु पर विजय प्राप्त करने, यश प्राप्त करने आदि प्रकट होती है इसका स्थायी भाव उत्साह होता है। |
बुंदेले हर बोलो के मुख हमने सुनी कहानी थी। खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी।। |
वीभत्स | घृणित वस्तु, घृणित व्यक्ति या घृणित चीजों को देखकर, उनको देखकर या उनके बारे में विचार करके मन में उत्पन्न होने वाली घृणा या ग्लानि ही वीभत्स रस कहलाती है। स्थायी भाव- निर्वेद |
जहँ - तहँ मज्जा माँस रुचिर लखि परत बगारे। जित - जित छिटके हाड़, सेत कहुं -कहुं रतनारे।। |
Top रौद्र रस MCQ Objective Questions
'क्रोध' किस रस का स्थायी भाव है ?
Answer (Detailed Solution Below)
रौद्र रस Question 6 Detailed Solution
Download Solution PDFदिए गए विकल्पों में से सही उत्तर ‘रौद्र रस’ है।
Key Points
- दिए गए विकल्पों में से 'क्रोध' रौद्र रस का स्थायी भाव है।
- जब किसी एक पक्ष या व्यक्ति द्वारा दूसरे पक्ष या दूसरे व्यक्ति का अपमान करने अथवा अपने गुरुजन आदि की निन्दा से जो क्रोध उत्पन्न होता है, उसे रौद्र रस कहते हैं।
- इसमें क्रोध के कारण मुख लाल हो जाना, दाँत पिसना, शास्त्र चलाना, भौहे चढ़ाना आदि के भाव उत्पन्न होते हैं।
Additional Information
काव्य को पढ़ने, सुनने से उत्पन्न होने वाले आनंद की अनुभूति को साहित्य के अंतर्गत रह कहा जाता है। हिंदी में ‘स्थायी भाव’ के आधार पर काव्य में ‘नौ’ रस बताए गए हैं, जो निम्नलिखित हैं:- |
||
|
रस |
स्थायी भाव |
1. |
शृंगार रस |
रति |
2. |
हास्य रस |
हास |
3. |
करुण रस |
शोक |
4. |
रौद्र रस |
क्रोध |
5. |
वीर रस |
उत्साह |
6. |
भयानक रस |
भय |
7. |
वीभत्स रस |
जुगुप्सा |
8. |
अद्भुत रस |
विस्मय |
9. |
शांत रस |
निर्वेद |
इसके अलावा 2 और रस माने जाते हैं। वे हैं-
10. |
वात्सल्य |
स्नेह |
11. |
भक्ति |
वैराग्य |
'क्रोध' किस रस का स्थायी भाव है ?
Answer (Detailed Solution Below)
रौद्र रस Question 7 Detailed Solution
Download Solution PDF'क्रोध' रस का स्थायी भाव है - रौद्र
Key Points
- जब किसी एक पक्ष या व्यक्ति द्वारा दूसरे पक्ष या दूसरे व्यक्ति का अपमान करने अथवा अपने गुरुजन आदि की निन्दा से जो क्रोध उत्पन्न होता है, उसे रौद्र रस कहते हैं।
- इसका स्थायी भाव क्रोध होता है।
- उदाहरण -
- श्रीकृष्ण के सुन वचन अर्जुन क्षोभ से जलने लगे।
- सब शील अपना भूल कर करतल युगल मलने लगे॥
Important Pointsरस एवं उनके स्थाई भाव -
रस | स्थाई भाव |
---|---|
श्रृंगार | रति / प्रेम |
हास्य | हास |
करुण | शोक |
वीर | उत्साह |
रौद्र | क्रोध |
भयानक | भय |
वीभत्स | जुगुप्सा / घ्रणा |
अदभुत | विस्मय / या आश्चर्य |
शांत | शम / निर्वेद / वैराग्य / वीतराग |
वत्सल | वात्सल रति |
भक्ति रस | रति / अनुराग |
Additional Information
रस | परिभाषा | उदाहरण |
भयानक |
जब किसी भयानक व्यक्ति या वस्तु को देखने, उससे संबन्धित वर्णन सुनने या किसी दुखद घटना का स्मरण करने से मन में जो व्याकुलता उत्पन्न होती है, उसे भयानक रस कहते हैं। इसका स्थायी भाव भय होता है। |
एक ओर अजगर हिं लखि, एक ओर मृगराय॥ विकल बटोही बीच ही, पद्यो मूर्च्छा खाय॥ |
वीर |
इस रस के अंतर्गत जब युद्ध अथवा कठिन कार्य को करने के लिए मन में जो उत्साह की भावना विकसित होती है, उसे ही वीर रस कहते हैं। इसमें शत्रु पर विजय प्राप्त करने, यश प्राप्त करने आदि प्रकट होती है इसका स्थायी भाव उत्साह होता है। |
बुंदेले हर बोलो के मुख हमने सुनी कहानी थी। खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी।। |
वीभत्स | घृणित वस्तु, घृणित व्यक्ति या घृणित चीजों को देखकर, उनको देखकर या उनके बारे में विचार करके मन में उत्पन्न होने वाली घृणा या ग्लानि ही वीभत्स रस कहलाती है। स्थायी भाव- निर्वेद |
जहँ - तहँ मज्जा माँस रुचिर लखि परत बगारे। जित - जित छिटके हाड़, सेत कहुं -कहुं रतनारे।। |
निम्नाकिंत पंक्तियों में कौन सा रस है?
सुनत लखन के बचन कठोरा।
परसु सुधरी धरेउ कर घोरा।।
अब जनि देउ दोष मोहि लोगू।
कटुवाढ़ी बालक वध जोगू।।
Answer (Detailed Solution Below)
रौद्र रस Question 8 Detailed Solution
Download Solution PDFKey Points
-
"सुनत लखन के बचन कठोरा।
परसु सुधरी धरेउ कर घोरा।।
अब जनि देउ दोष मोहि लोगू।
कटुवाढ़ी बालक वध जोगू।।"
-
इन पंक्तियों में रौद्र रस है, कवि तुलसीदास ने परशुराम जी के क्रोध और लक्ष्मण जी के कठोर वचनों का वर्णन किया है।
अन्य विकल्प -
वीर रस |
युद्ध अथवा किसी कठिन कार्य को करने के लिए हृदय में निहित ‘उत्साह’ स्थायी भाव के जाग्रत होने के प्रभावस्वरूप जो भाव उत्पन्न होता है, उसे वीर रस कहा जाता है। |
वीभत्स रस |
बीभत्स रस घृणित वस्तु, घृणित व्यक्ति या घृणित चीजों को देखकर, उनको देखकर या उनके बारे में विचार करके मन में उत्पन्न होने वाली घृणा या ग्लानि ही वीभत्स रस कहलाती है। |
नोट - क्रोध रस, रस का कोई प्रकार नहीं है अपितु यह रौद्र रस का संचारी भाव है।
Additional Information
रस |
रस का शाब्दिक अर्थ है 'आनन्द'। काव्य को पढ़ने या सुनने से जिस आनन्द की अनुभूति होती है, उसे रस कहा जाता है। |
रस का नाम बताओ:
श्रीकृष्ण के सुन वचन अर्जुन छोभ से जलने लगे!
सब शील अपना भूलकर करतल युगल मलने लगे!
संसार देखे अब हमारे शत्रु रन में मृत पड़े!
करते हुए यह घोषणा हो गए उठकर खड़े!!
Answer (Detailed Solution Below)
रौद्र रस Question 9 Detailed Solution
Download Solution PDFदी गयी पंक्ति में रौद्र रस का भाव है । अन्य विकल्प असंगत है। अतः सही उत्तर विकल्प 3) रौद्र रस होगा ।
Key Points
रस |
||
रस का शाब्दिक अर्थ है 'आनंद'। काव्य को पढ़ने या सुनने से जिस आनंद की अनुभूति होती है, |
||
रस के चार अंग है- |
||
वस्तुतः रस के ग्यारह भेद होते है- |
||
रस |
परिभाषा |
उदाहरण |
बीभत्स रस |
घृणा का स्थायी भाव जब विभाव, अनुभाव और संचारी भावों से पुष्ट होकर आस्वाद्य हो जाता है तब बीभत्स रस उत्पन्न होता है। |
''सिर पर बैठ्यो काग आँख दोउ खात निकारत। |
रौद्र रस |
रौद्र रस का स्थायी भाव क्रोध है। विरोधी पक्ष द्वारा किसी व्यक्ति, देश, समाज या धर्म का अपमान या अपकार करने से उसकी प्रतिक्रिया में जो क्रोध उत्पन्न होता |
माखे लखन कुटिल भयीं भौंहें। |
भयानक रस |
भयप्रद वस्तु या घटना देखने सुनने अथवा प्रबल शत्रु के विद्रोह आदि से भय का संचार होता है। यही भय स्थायी भाव जब विभाव, अनुभाव और संचारी भावों में परिपुष्ट होकर आस्वाद्य हो जाता है तो वहाँ भयानक रस होता है। |
एक ओर अजगरहिं लखि, एक ओर मृगराय। |
वीर रस |
युद्द अथवा किसी कठिन कार्य को करने के लिए ह्रदय में निहित 'उत्साह' स्थायी भाव के जाग्रत होने के प्रभावस्वरूप जो भाव उत्पन्न होता है, उसे वीर रस कहा जाता है। |
''मैं सत्य कहता हूँ सखे! सुकुमार मत जानो मुझे। |
उस काल मारे क्रोध के तन काँपने उसका लगा।
मानो हवा के जोर से सोता हुआ सागर जगा।
Answer (Detailed Solution Below)
रौद्र रस Question 10 Detailed Solution
Download Solution PDF- रौद्र रस यहाँ सही विकल्प है, अन्य विकल्प असंगत है।
- उक्त पंक्तियों में चूँकि क्रोध अथवा रौद्र की भाषा झलक रही है। अत: यहाँ रौद्र रस ही सही विकल्प होगा।
विशेष:
रौद्र रस - जिस रस में रौद्र व क्रोध के भाव हो। करुण रस – जिस रचना में करुणा और दया के भाव हो। वात्सल्य रस – जिस रचना में माता-पिता अथवा निजी भगवत प्रेम का भाव हो। भयानक रस – जिसमे डर अथवा नकारात्मक रौद्र रस के भाव हो। |
गर्भ के अर्भक काटन को पटुधार कुठार कराल है जाको।
सोई हौं बूझत राजसभा धनु को दल्यो हौं दलिहौं डाक ताको। - में निम्न में से कौन सा रस है?Answer (Detailed Solution Below)
रौद्र रस Question 11 Detailed Solution
Download Solution PDFयहाँ दी गयी पंक्तियों में क्रोध भाव की बात की जा रही है। इस आधार पर यहाँ ‘रौद्र रस’ की निष्पत्ति है। रौद्र रस से तात्पर्य है दुष्ट के अत्याचार, अपने अपमान आदि के कारण जाग्रत क्रोध स्थायी भाव का विभावादि मे पुष्ट होकर रौद्र रस रूप में परिपाक होता हैं। अतः सही विकल्प रौद्र रस है।
अन्य विकल्प
रस |
परिभाषा |
वात्सल्य रस |
जहाँ शिशु के प्रति प्रेम, स्त्रेह, दुलार आदि का प्रमुखता से वर्णन किया जाता है वहाँ वात्सल्य रस होता है, इसका स्थायी भावं वात्सल हैं। |
वीर रस |
युद्ध या कठिन कार्य करने के लिए जगा उत्साह भाव विभावादि से पुष्ट होकर वीर रस बन जाता हैं। |
भयानक रस |
भयानक रस का स्थायी भाव भय है। भयंकर प्राकृतिक दृश्यों को देखकर अथवा प्राणों के विनाशक बलवान शत्रु को देखकर उसका वर्णन सुनकर भय उत्पन्न होता हैं। |
बोरौं सबै रघुबंस कुठार की धार में बारन बाजि सरत्यहि।
बान की वायु उड़ाय के लच्छान, लल्छ करों अरिहा समरत्थहि। - में निम्न में से कौन सा रस है?
Answer (Detailed Solution Below)
रौद्र रस Question 12 Detailed Solution
Download Solution PDFदी गयी पंक्तियों में क्रोध के भाव का बोध हो रहा है। इस आधार पर यहाँ ‘रौद्र’ रस है। ‘रौद्र रस’ का स्थायी भाव ‘क्रोध’ है। जहाँ विरोध, अपमान या उपकार के कारण प्रतिशोध की भावना क्रोध उपजती है वही रौद्र रस साकार होता है।अतः सही विकल्प रौद्र रस है।
अन्य विकल्प
शास्त्र के अनुसार ‘शोक’ नामक स्थाई भाव अपने अनुकूल विभाव, अनुभाव एवं संचारी भावों के सहयोग से अभिव्यक्त होकर जब आस्वाद का रूप धारण कर लेता है तब उसे करुण रस कहा जाता है। |
सहृदय के हृदय में संस्कार रुप में या जन्मजात रूप में विद्यमान रति नामक स्थाई भाव अपने प्रतिकूल विभाव, अनुभाव और संचारी भाव के सहयोग से अभिव्यक्त होकर जब आशीर्वाद योग्य बन जाता है तब वह श्रृंगार में परिणत हो जाता है। |
शान्त रस अर्थात अनित्य और असार तथा परमात्मा के वास्तविक ज्ञान से विषयों के वैराग्य से उत्पन्न रस परिपक्व होकर शांति में परिणत हो जाता है। |
बोरों सबै रघुवंश कुठार को धार में बारन बजि सरत्थहिं।
बान की वायु उड़ाव कै लच्छन लच्छ करौं अरिहा समरत्थहिं।।
इन काव्य पंक्तियों में कौन सा रस है ?
Answer (Detailed Solution Below)
रौद्र रस Question 13 Detailed Solution
Download Solution PDFनिन्दा, हानि, विरोध आदि के द्वारा प्रतिशोध की भावना उत्पन्न होने से रौद्र रस की उत्पत्ति होती है।
- स्थायीभाव - क्रोध
- आलम्बन विभाव - शत्रु
- उद्दीपन विभाव - शत्रु की अशिष्ट चेष्टाएँ
- अनुभाव - नेत्रों का लाल होना, दाँत पीसना, नथुनों का फड़कना, भौहों का टेढ़ा होना, गर्जन-तर्जन, शस्त्रादि उठा लेना
- संचारी भाव - आवेश, उग्रता, अमर्ष, चपलता, स्मृति, मोह, मद आदि
दी गयी पंक्ति में रौद्र रस का भाव है । अन्य विकल्प असंगत है। अतः सही उत्तर विकल्प रौद्र रस होगा ।
Key Points
रस |
||
रस का शाब्दिक अर्थ है 'आनंद'। काव्य को पढ़ने या सुनने से जिस आनंद की अनुभूति होती है, |
||
रस के चार अंग है- |
||
वस्तुतः रस के ग्यारह भेद होते है- |
||
रस |
परिभाषा |
उदाहरण |
बीभत्स रस |
घृणा का स्थायी भाव जब विभाव, अनुभाव और संचारी भावों से पुष्ट होकर आस्वाद्य हो जाता है तब बीभत्स रस उत्पन्न होता है। |
''सिर पर बैठ्यो काग आँख दोउ खात निकारत। |
रौद्र रस |
रौद्र रस का स्थायी भाव क्रोध है। विरोधी पक्ष द्वारा किसी व्यक्ति, देश, समाज या धर्म का अपमान या अपकार करने से उसकी प्रतिक्रिया में जो क्रोध उत्पन्न होता |
माखे लखन कुटिल भयीं भौंहें। |
भयानक रस |
भयप्रद वस्तु या घटना देखने सुनने अथवा प्रबल शत्रु के विद्रोह आदि से भय का संचार होता है। यही भय स्थायी भाव जब विभाव, अनुभाव और संचारी भावों में परिपुष्ट होकर आस्वाद्य हो जाता है तो वहाँ भयानक रस होता है। |
एक ओर अजगरहिं लखि, एक ओर मृगराय। |
वीर रस |
युद्द अथवा किसी कठिन कार्य को करने के लिए ह्रदय में निहित 'उत्साह' स्थायी भाव के जाग्रत होने के प्रभावस्वरूप जो भाव उत्पन्न होता है, उसे वीर रस कहा जाता है। |
''मैं सत्य कहता हूँ सखे! सुकुमार मत जानो मुझे। |
‘रौद्ररस’ का स्थायी भाव इनमें से कौनसा है?
Answer (Detailed Solution Below)
रौद्र रस Question 14 Detailed Solution
Download Solution PDF- क्रोध यहाँ सही विकल्प है, अन्य विकल्प असंगत है।
- रौद्ररस का स्थायी भाव क्रोध होता है।अत: क्रोध और गुस्से के भाव में लिखा गया काव्य रौद्ररस का काव्य कहलाता है।
विशेष:
रस |
स्थायीभाव |
हास्य रस |
हास |
करुण रस |
शोक |
श्रृंगार रस |
रति |
निम्नलिखित में से किस रस का स्थायी भाव क्रोध है ?
Answer (Detailed Solution Below)
रौद्र रस Question 15 Detailed Solution
Download Solution PDFरौद्र रस का स्थायी भाव क्रोध है।
Key Points
- जब किसी एक पक्ष या व्यक्ति द्वारा दूसरे पक्ष या दूसरे व्यक्ति का अपमान करने अथवा अपने गुरुजन आदि की निन्दा से जो क्रोध उत्पन्न होता है, उसे रौद्र रस कहते हैं।
- इसका स्थायी भाव क्रोध होता है।
- उदाहरण -
- श्रीकृष्ण के सुन वचन अर्जुन क्षोभ से जलने लगे।
- सब शील अपना भूल कर करतल युगल मलने लगे॥
Important Pointsरस एवं उनके स्थाई भाव -
रस | स्थाई भाव |
---|---|
श्रृंगार | रति / प्रेम |
हास्य | हास |
करुण | शोक |
वीर | उत्साह |
रौद्र | क्रोध |
भयानक | भय |
वीभत्स | जुगुप्सा / घ्रणा |
अदभुत | विस्मय / या आश्चर्य |
शांत | शम / निर्वेद / वैराग्य / वीतराग |
वत्सल | वात्सल रति |
भक्ति रस | रति / अनुराग |
Additional Information
रस | परिभाषा | उदाहरण |
वीभत्स | घृणित वस्तु, घृणित व्यक्ति या घृणित चीजों को देखकर, उनको देखकर या उनके बारे में विचार करके मन में उत्पन्न होने वाली घृणा या ग्लानि ही वीभत्स रस कहलाती है। स्थायी भाव- जुगुप्सा |
जहँ - तहँ मज्जा माँस रुचिर लखि परत बगारे। जित - जित छिटके हाड़, सेत कहुं -कहुं रतनारे।। |
भयानक |
जब किसी भयानक व्यक्ति या वस्तु को देखने, उससे संबन्धित वर्णन सुनने या किसी दुखद घटना का स्मरण करने से मन में जो व्याकुलता उत्पन्न होती है, उसे भयानक रस कहते हैं। इसका स्थायी भाव भय होता है। |
एक ओर अजगर हिं लखि, एक ओर मृगराय॥ विकल बटोही बीच ही, पद्यो मूर्च्छा खाय॥ |
वीर |
इस रस के अंतर्गत जब युद्ध अथवा कठिन कार्य को करने के लिए मन में जो उत्साह की भावना विकसित होती है, उसे ही वीर रस कहते हैं। इसमें शत्रु पर विजय प्राप्त करने, यश प्राप्त करने आदि प्रकट होती है इसका स्थायी भाव उत्साह होता है। |
बुंदेले हर बोलो के मुख हमने सुनी कहानी थी। खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी।। |