वाक्य संशोधन MCQ Quiz - Objective Question with Answer for वाक्य संशोधन - Download Free PDF

Last updated on Apr 22, 2025

Latest वाक्य संशोधन MCQ Objective Questions

वाक्य संशोधन Question 1:

शुद्ध वाक्यं चिनुत -

  1. अह्ना अनुवाकोऽधीतः
  2. अह्नस्य अनुवाकोऽधीतः
  3. अह्नात् अनुवाकोऽधीतः
  4. एकाधिकविकल्पा उपयुक्ताः
  5. न कोऽपि उपयुक्तः

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : अह्ना अनुवाकोऽधीतः

वाक्य संशोधन Question 1 Detailed Solution

प्रश्नार्थ- शुद्ध वाक्य चुनिए-

उत्तर- अह्ना अनुवाकोऽधीतः

Important Points

  • "अह्ना" शब्द "अहन्" का तृतीया विभक्ति एकवचन रूप है, जिसका अर्थ होता है "दिन के द्वारा" या "दिन में"। यहाँ पर, यह विभक्ति कार्य को काल की दृष्टि से संबोधित करती है, यानी यह क्रिया कब की गई इसका संकेत देती है।
  • "अनुवाकोऽधीतः" में "अनुवाकः" एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है "एक वेदिक खंड" या "एक अध्याय" और "अधीतः" क्रियापद है जिसका अर्थ है "पढ़ा गया"।
  • यहाँ "अधीतः" पुरुषवाचक संज्ञा "अनुवाकः" के साथ क्रिया के कर्म का संकेत दे रहा है और एक सम्पूर्णतावाचक क्रिया (पारस्मैपदी) के रूप में है, जिससे यह पता चलता है कि क्रिया संपन्न हो चुकी है।
  • इस प्रकार, "अह्ना अनुवाकोऽधीतः" का सीधा अर्थ है "अनुवाक (अध्याय) दिन में पढ़ा गया था"।
  • यह वाक्य एक सही व्याकरणिक संरचना को दर्शाता है जहां तृतीया विभक्ति का उपयोग समय का संकेत देने के लिए किया गया है और क्रियापद का उपयोग संपन्न हो चुकी क्रिया को प्रकट करता है।

वाक्य संशोधन Question 2:

शुद्ध-वाक्यं चिनुत - 

  1. मया पाठः पठनीयः
  2. अस्माभिः पाठाः पठनीयाः
  3. अहं पाठ: पठनीयः
  4. एकाधिकविकल्पा उपयुक्ताः
  5. न कोऽपि उपयुक्तः

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : एकाधिकविकल्पा उपयुक्ताः

वाक्य संशोधन Question 2 Detailed Solution

प्रश्नार्थ- शुद्ध वाक्य चुनिए-

उत्तर- एकाधिकविकल्पा उपयुक्ताः

Important Pointsप्रश्न में दिए गए विकल्पों के मध्य, "4) एकाधिकविकल्पा उपयुक्ताः" यह सही उत्तर है। इसका अर्थ है कि दिए गए विकल्पों में से एक से अधिक विकल्प सही हैं। आइए इसका विस्तृत विश्लेषण करते हैं-

मया पाठः पठनीयः - इस वाक्य में, 'मया' उत्तम पुरुष के एकवचन का कर्मणि प्रयोग है, जिसका अर्थ है 'मुझे'। 'पाठः' संज्ञा है जिसका अर्थ है 'पाठ' या 'अध्ययन' और यह पुल्लिंग, एकवचन में है। 'पठनीयः' एक विशेषण है जिसका अर्थ है 'पढ़ा जाना चाहिए', 'पाठ' संज्ञा के लिए। यह वाक्य सही है और इसका अर्थ है "मुझे पाठ पढ़ना चाहिए"।

अस्माभिः पाठाः पठनीयाः - इस वाक्य में, 'अस्माभिः' उत्तम पुरुष के बहुवचन का कर्मणि प्रयोग है, जिसका अर्थ है 'हमें'। 'पाठाः' पाठ संज्ञा का बहुवचन रूप है, इसका अर्थ है 'पाठ या अध्ययन'। 'पठनीयाः' 'पठनीय' का बहुवचन रूप है जो 'पढ़े जाने चाहिए' का बोध कराता है। यह वाक्य भी सही है और इसका अर्थ है "हमें पाठ पढ़ने चाहिए"।

अहं पाठ: पठनीयः - यह वाक्य असुद्ध है क्योंकि 'पाठः' और 'पठनीयः' एकवचन में हैं जो सही है, लेकिन 'अहं' (मैं) का इस्तेमाल सही नहीं है क्योंकि यहाँ 'मया' का प्रयोग होना चाहिए था।

इस प्रकार, उपयुक्त उत्तर 4) एकाधिकविकल्पा उपयुक्ताः है क्योंकि पहला और दूसरा विकल्प दोनों ही सही हैं। ये दोनों वाक्य शुद्ध हैं और संस्कृत व्याकरण के अनुसार सही ढंग से प्रयोग किए गए हैं।

वाक्य संशोधन Question 3:

शुद्ध-वाक्यं चिनुत -

  1. दम्पती पुत्राय इच्छति
  2. दम्पती पुत्रं इच्छति
  3. दम्पती पुत्रं इच्छतः
  4. एकाधिकविकल्पा उपयुक्ताः
  5. न कोऽपि उपयुक्तः

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : दम्पती पुत्रं इच्छतः

वाक्य संशोधन Question 3 Detailed Solution

प्रश्नार्थ- शुद्ध वाक्य चुनिए-

उत्तर- दम्पती पुत्रं इच्छतः

Important Points

  • "दम्पती" शब्द का अर्थ है दंपति अर्थात पति और पत्नी। इस वाक्य में, यह शब्द कर्ता के रूप में कार्य कर रहा है।
  • "पुत्रं" शब्द का अर्थ है पुत्र। यह शब्द द्वितीया विभक्ति (कर्म केस) में है, जिसका अर्थ है कि पुत्र इच्छा का विषय है।
  • "इच्छतः" क्रियापद है जिसका अर्थ है "चाहते हैं"। यहाँ पर, यह शब्द द्विवचन के रूप में प्रयोग किया गया है, जो इंगित करता है कि क्रिया (इच्छा) को दो लोग (दंपति) कर रहे हैं।
  • अतः, "दम्पती पुत्रं इच्छतः" वाक्य का शाब्दिक अर्थ है "पति और पत्नी पुत्र चाहते हैं"।
  • अन्य विकल्पों की तुलना में, यह वाक्य संस्कृत व्याकरण नियमों का सही पालन करता है, जिसमें कर्ता, कर्म और क्रिया का सटीक प्रयोग है।
  • "दम्पती" द्वारा किया गया कार्य "पुत्र" को इच्छित करना है, और 'इच्छतः' शब्द यह दर्शाता है कि यह कार्य दो लोगों द्वारा किया जा रहा है। इस तरह, यह वाक्य संस्कृत व्याकरण के नियमों के अनुसार पूर्णतः शुद्ध है।

वाक्य संशोधन Question 4:

शुद्धं शब्दं चिनुत - 

  1. अक्षिणैः
  2. दाराः
  3. अक्षी
  4. एकाधिकविकल्पा उपयुक्ताः
  5. न कोऽपि उपयुक्तः

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : दाराः

वाक्य संशोधन Question 4 Detailed Solution

प्रश्नार्थ- शुद्ध शब्द चुनिए-

उत्तर- दाराः

"दाराः" शब्द संस्कृत में एक बहुवचन रूप है जिसका अर्थ होता है "पत्नियां" या "जीवनसाथी"। यह शब्द 'दारा' के बहुवचन स्वरूप का प्रतिनिधित्व करता है और यह पूर्ण रूप से शुद्ध और व्याकरणिक रूप से सही है।

वाक्य संशोधन Question 5:

शुद्ध वाक्यं चिनुत -

  1. कति बालिकाः पठतः
  2. कति जनाः पठन्ति
  3. कति जना पठति
  4. एकाधिकविकल्पा उपयुक्ताः
  5. न कोऽपि उपयुक्तः

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : कति जनाः पठन्ति

वाक्य संशोधन Question 5 Detailed Solution

प्रश्नार्थ- शुद्ध वाक्य चुनिए-

उत्तर- कति जनाः पठन्ति

Important Points

  • प्रस्तुत प्रश्न में शुद्ध वाक्य का चयन करने के निर्देश के अनुसार, सही उत्तर "2) कति जनाः पठन्ति" है। आइए इस वाक्य का विश्लेषण करें और समझें क्यों यह शुद्ध है:
  • "कति" शब्द का उपयोग प्रश्नवाचक संदर्भ में होता है, जिसका अर्थ होता है "कितने"। यह शब्द यहाँ पर एक प्रश्न को इंगित करता है जो जन (लोगों) की संख्या के बारे में है।
  • "जनाः" यह शब्द 'जन' का बहुवचन रूप है, जिसका अर्थ होता है "लोग"। यह संज्ञा बहुवचन में है जो दर्शाता है कि प्रश्न कई लोगों के बारे में है।
  • "पठन्ति" एक क्रियापद है जिसका अर्थ है "पढ़ते हैं"। यह वर्तमान काल में बहुवचन के लिए प्रयोग होता है, जिससे यह संकेत मिलता है कि क्रिया (पढ़ना) कई लोगों द्वारा की जा रही है।
  • संपूर्ण वाक्य "कति जनाः पठन्ति" का अर्थ है "कितने लोग पढ़ते हैं?" जो एक शुद्ध और संपूर्ण प्रश्नवाचक वाक्य है। इस वाक्य में सही व्याकरणिक संरचना, सही विभक्ति और काल का उपयोग हुआ है, जिससे यह प्रश्न सही और व्याकरणिक रूप से शुद्ध बनता है।

Top वाक्य संशोधन MCQ Objective Questions

"सः तस्य अनुगच्छति" इति वाक्यमिदं संशोधयत

  1. सः तेन अनुगच्छति।
  2. सः तस्मै अनुगच्छति।
  3. सः तस्मात् अनुगच्छति।
  4. सः तम् अनुगच्छति।

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : सः तम् अनुगच्छति।

वाक्य संशोधन Question 6 Detailed Solution

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प्रश्न का हिन्दी अनुवाद - "सः तस्य अनुगच्छति" इस वाक्य को संशोधित करें -

स्पष्टीकरण - "सः तस्य अनुगच्छति" इस वाक्य को ध्यान से देखें तो वाक्य कर्तृवाच्य में है, ऐसा ज्ञात होता है, क्योंकि क्रिया कर्ता के अनुसार है।

Important Points

कर्तृवाच्य -

  • कर्ता में एकवचन होता है, जैसाकि यहाँ 'सः' है।
  • क्रिया कर्ता के अनुसार होती है, यहाँ कर्ता प्रथम पुरुष एकवचन है तदनुसार क्रिया भी प्रथमपुरुष एकवचन है - अनुगच्छति।
  • कर्म में द्वितीया विभक्ति होती है - 'अनुक्ते कर्मणि द्वितीया' से। यहाँ कर्म में षष्ठी विभक्ति है जो अशुद्ध है।
  • शुद्ध करने पर होगा - तम्।

अतः स्पष्ट है कि शुद्ध वाक्य होगा - सः तम् अनुगच्छति।

'सः ग्रामस्य निकषा तिष्ठति' इति वाक्यं संशोधयत

  1. सः ग्रामेण निकषा तिष्ठति।
  2. सः ग्रामं निकषा तिष्ठति।
  3. सः ग्रामात् निकषा तिष्ठति।
  4. सः ग्रामाय निकषा तिष्ठति।

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : सः ग्रामं निकषा तिष्ठति।

वाक्य संशोधन Question 7 Detailed Solution

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प्रश्न का हिन्दी अनुवाद - 'सः ग्रामस्य निकषा तिष्ठति' इस वाक्य को संशोधित करें -

स्पष्टीकरण- यहाँ वाक्य में निकषा का प्रयोग हुआ है, जिसके प्रयोग होने पर द्वितीया विभक्ति के प्रयोग का विधान है। इस वाक्य में द्वितीया के स्थान पर षष्ठी विभक्ति का प्रयोग हुआ है। अतः वाक्य अशुद्ध है।

Hint

'उपान्वध्याङ्वसः' के वार्तिक ‘अभितःपरितःसमयानिकषाहाप्रतियोगेऽपि’ के अनुसार ‘अभितः’, ‘परितः’, ‘समया’, ‘निकषा’ और ‘हा’ इन अव्यय के योग में आने वाले पदों में द्वितीया विभक्ति होती है -

जैसे –

  • कृष्णम् अभितः ग्वालाः सन्ति।
  • मीनं परितः मीनाः सन्ति।
  • गृहं परितः बालाः सन्ति।
  • शिक्षकं परितः छात्राः सन्ति​।
  • समुद्रं निकषा लङ्का अस्ति।
  • सः ग्रामं निकषा तिष्ठति।
  • हा कृष्णभक्तम्।
  • सः विद्यालयं प्रति गच्छति।
  • जनः सम्मर्दं प्रति गच्छति।

अतः स्पष्ट है कि निकषा के योग में ग्रामस्य न होकर ग्रामं होगा, और शुद्ध वाक्य होगा - 'सः ग्रामं निकषा तिष्ठति।'

वाक्यमिदं संशोधयत

'नृप∶ खलाय शतं दण्डयति।'

  1. नृप∶ खलात् शतं दण्डयति ।
  2. नृप∶ खलौ शतेन दण्डयति ।
  3. नृप∶ खलं शतं दण्डयति ।
  4. नृपेण∶ खलं शतं दण्डयति ।

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : नृप∶ खलं शतं दण्डयति ।

वाक्य संशोधन Question 8 Detailed Solution

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प्रश्न का हिंदी अनुवाद - वाक्य संशोधन करे 'नृप∶ खलाय शतं दण्डयति।'

स्पष्टीकरण - अकथितं च' सूत्र के अनुसार अकथित को गौण कर्म की संज्ञा प्राप्त होती है तथा उसमें द्वितीया विभक्ति होती है। इस सूत्र में 16 धातुओं का उल्लेख है जिनके योग में ऐसा होता है और इन धातुओं को द्विकर्मक धातु कहा जाता है।

वाक्य 'नृप∶ खलाय शतं दण्डयति।' में - 

  • कर्ता 'नृप∶' एकवचन में है।
  • 'दण्ड' धातु के योग में 'अकथितं च' सूत्र से द्विकर्मक है अतः यहाँ 'खल' को गौण कर्म होनेसे द्वितीया विभक्ति होती है
  • इससे ‘शतं' मुख्य कर्म होने से द्वितीया ही रहता है।

अतः 'अकथितं च' इस सूत्र के अनुसार 'नृप∶ खलाय शतं दण्डयति।' इस वाक्य का शुद्ध रूप  'नृप∶ खलं शतं दण्डयति।' होता ।

"कृष्णस्य परितः गोपिकाः सन्ति" इत्यत्र उचितं पदं स्यात् -

  1. कृष्णात् 
  2. कृष्णम् 
  3. कृष्णेन 
  4. कृष्णे 

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : कृष्णम् 

वाक्य संशोधन Question 9 Detailed Solution

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प्रश्नानुवाद - "कृष्णस्य परितः गोपिकाः सन्ति" यहाँ उचित पद होगा-

स्पष्टीकरणकृष्णं परितः गोपिकाः सन्ति - यहाँ कृष्णम् उचित विकल्प होगा। परितः शब्द के योग में द्वितीया विभक्ति होती है।

‘उपान्वध्याङ्वसः' सूत्र के वार्तिक ‘अभितः परितः समयानिकषाहाप्रतियोगेऽपि’ के अनुसार ‘अभितः’, ‘परितः’, ‘समया’, ‘निकषा’ और ‘हा’  इन अव्ययों के योग में द्वितीया विभक्ति होती है -
जैसे –

  • कृष्णम् अभितः ग्वालाः सन्ति।
  • मीनं परितः मीनाः सन्ति।
  • गृहं समया बालाः सन्ति।
  • समुद्रं निकषा लङ्का अस्ति।
  • हा कृष्णभक्तम्।

 

अतः स्पष्ट है कि यहाँ परित के योग में कृष्णम् उचित विकल्प होगा।

 

"सः गुरवे प्रणमति।" वाक्यं संशोधयत-

  1. सः गुरुं प्रणमति
  2. सः गुरुवे प्रणमति
  3. सः गुरो प्रणमति
  4. सः गुरुं प्रणमसि

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : सः गुरुं प्रणमति

वाक्य संशोधन Question 10 Detailed Solution

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प्रश्नानुवाद"सः गुरवे प्रणमति।" वाक्य संशोधित करें-

स्पष्टीकरण - सः गुरवे प्रणमति इस वाक्या का शुद्ध वाक्य होगा - सः गुरुं प्रणमति। (वह गुरु को प्रणाम/नमस्कार करता है।)
'कर्तुरीप्सिततमं कर्म' इस सूत्र के अनुसार कर्ता सब से अधिक जिस पदार्थ को चाहता है, वह कर्म होता है। कर्म में द्वितीया विभक्ति होती है। उदाहरण - गुरुं नमति। पितरं नमति।
अतः स्पष्ट है कि यहाँ सः गुरुं प्रणमति शुद्ध वाक्य है। (अन्य तीनों विकल्प यहाँ असंगत हैं।)

“छात्राः गुरवे नमस्कुर्वन्ति।''

वाक्यमिदं संशोधयत -

  1. छात्राः गुरुं नमस्कुर्वन्ति
  2. छात्राः गुरुः नमस्कुर्वन्ति
  3. छात्राः गुरोः नमस्करोति
  4. छत्राः गुरौ नमस्कुर्वन्ति 

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : छात्राः गुरुं नमस्कुर्वन्ति

वाक्य संशोधन Question 11 Detailed Solution

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प्रश्नानुवाद - “छात्राः गुरवे नमस्कुर्वन्ति।'' इस वाक्य को संशोधित करें -

विकल्पों को ध्यान से देखे तो स्पष्ट होता है कि वाक्य कर्तृवाच्य में होना चाहिये। शुद्ध कर्तृवाच्य वाक्य में कर्ता प्रथमा विभक्ति में, कर्म द्वितीया विभक्ति में और क्रियापद कर्ता के अनुसार होता है।

अतः 'छात्राः गुरुं नमस्कुर्वन्ति।' यह शुद्ध वाक्य है।

Confusion Points

  • 'नमःस्वस्तिस्वाहास्वधालम्वषड्योगाच्च' इस सूत्र के अनुसार नमः अव्यय के योग में जो है, उसकी चतुर्थी होती है। ('नम्' धातु के योग में नहीं।)
  • तथापि 'छात्राः गुरवे नमस्कुर्वन्ति' इस वाक्य में 'उपपदविभक्तेः कारकविभक्तिर्बलीयसी' के अनुसार 'नमः' गौण होता है। 

 

​अतः यहाँ चतुर्थी का प्रयोग अनुचित है। जिससे छात्राः गुरुं नमस्कुर्वन्ति सही उत्तर है। 

'खलः सज्जनं क्रुध्यति।' रेखाङ्कितं पदं संशोधयत-

  1. सज्जनाय
  2. सज्जनेन  
  3. सज्जनस्य
  4. सज्जने

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : सज्जनाय

वाक्य संशोधन Question 12 Detailed Solution

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प्रश्नानुवाद - 'खलः सज्जनं क्रुध्यति।' रेखाङ्कित पद को संशोधित करें-

क्रुधद्रुहेर्ष्यासूयार्थानां यं प्रति कोपः’ सूत्र से क्रुध्द्रुह्, ईर्ष्या, असूय आदि धातुओं के योग में जिस पर क्रोध आये उसकी सम्प्रदान संज्ञा होती है और ‘सम्प्रदाने चतुर्थी’ से उसमें चतुर्थी विभक्ति होती है।

जैसे-

  • हरये क्रुध्यति
  • शिक्षकः छात्राय क्रुध्यति
  • दुर्जनः सज्जनाय द्रुह्यति
  • बालकः बालिकायै ईर्ष्यति
  • सीता रामाय न असूयति

 

अतः स्पष्ट है कि क्रुध् धातु के योग में 'सज्जनाय' रूप होकर शुद्ध वाक्य बनेगा - खलः सज्जनाय क्रुध्यति।

सर्वोपयुक्तं वाक्यमस्ति-

  1. सा यदा आगमिष्यति।
  2. मम गृहं ह्यः आगच्छ।
  3. अलमतिविस्तरेण।
  4. सः श्वः आगतः।

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : अलमतिविस्तरेण।

वाक्य संशोधन Question 13 Detailed Solution

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अनुवाद - सर्वोपयुक्त वाक्य है -

स्पष्टीकरण -

  • अलमतिविस्तरेण।
  • अर्थ - अतिविस्तार न करें।
  • उपर्युक्त विकल्पों में विकल्प तीन सर्वोपयुक्त है।
  • क्योंकि तृतीया विभक्ति के योग के अन्तर्गत ही अलम् का प्रयोग निषेध अर्थ में होता है। 
  • अतः अलमतिविस्तरेण। वाक्य सर्वोपयुक्त है।

Additional Information

  • सा यदा आगमिष्यति।  - इस वाक्य में अव्यय यदा-तदा एक युग्म में होता है। जिसके कारण इस वाक्य में यदा अव्यय है परन्तु तदा अव्यय का प्रयोग नहीं है। 
  • मम गृहं ह्यः आगच्छ। - इस वाक्य ह्यः अव्यय का प्रयोग है जो भूतकाल का बोध कराता है जबकि वाक्य में लोट् लकार की क्रिया का प्रयोग है।
  • सः श्वः आगतः। - इस वाक्य में श्वः अव्यय का प्रयोग है जो भविष्यत्काल का बोध कराता है जबकि वाक्य की क्रिया भूतकाल में है।

"मया चन्द्रः पश्यते।" इत्यत्र वाक्यं संशोधयत-

  1. मया चन्द्रं पश्यते।
  2. मया चन्द्रः दृश्यते।
  3. मया चन्द्रं दृश्यते।
  4. अहं चन्द्रं पश्यते।

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : मया चन्द्रः दृश्यते।

वाक्य संशोधन Question 14 Detailed Solution

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प्रश्नानुवाद - "मया चन्द्रः पश्यते" इस वाक्य को संशोधित करें -

स्पष्टीकरण - मया चन्द्रः पश्यते - यह कर्मवाच्य वाक्य है। इसमें क्रियापद अशुद्ध है। दृश् धातु का कर्मवाच्य में दृश्यते रूप बनता है।

  • इस तरह शुद्ध वाक्य होगा - मया चन्द्रः दृश्यते (मेरे द्वारा चाँद को देखा गया।)
  • कर्मवाच्य - कर्मवाच्य में कर्ता में तृतीया और क्रिया कर्म के अनुसार होती है। यहाँ क्रियापद आत्मनेपदी होता है।
  • यहाँ मया कर्तापद में तृतीया, कर्म चन्द्रः में प्रथमा विभक्ति-एकवचन है और कर्म के अनुसार क्रिया भी दृश्यते प्रथमपुरुष एकवचन (आत्मनेपदी) में हुयी।

 

अतः स्पष्ट है कि यहाँ मया चन्द्रः दृश्यते उचित वाक्य होगा।

Additional Information

संस्कृत व्याकरण में तीन वाच्य होते हैं। 1. कर्तृवाच्य, 2. कर्मवाच्य, 3. भाववाच्य

वाच्य

नियम

उदाहरण

कर्तृवाच्य

कर्ता + कर्म में द्वितीया विभक्ति + कर्ता के अनुसार क्रिया का पुरुष एवं वचन

रामः   पुस्तकं   पठति।

कर्ता +  कर्म +   क्रिया

कर्मवाच्य

कर्ता में तृ.वि. + कर्म में प्रथमा विभक्ति (एकव., द्विव., बहुव.) + क्रिया कर्म के अनुसार

छात्रैः   पुस्तकानि   पठ्यन्ते।

कर्ता में तृ.वि. +  कर्म में प्रथमा विभक्ति (एकव., द्विव., बहुव.) + क्रिया कर्म के अनुसार (आत्मने पद में)

भाववाच्य

कर्ता में तृ.वि. + क्रिया में प्रथमपुरुष एकवचन 

(यह अकर्मक क्रियाओं में होता है।)

रामेण हस्यते।

कर्ता में तृ.वि. + क्रिया में प्रथम पुरुष-एकवचन (आत्मने पद, एकवचन)

वाक्यमिदं संशोधयत

"सः अक्षिणा काणः"।

  1. सः अक्ष्णे काणः।
  2. सः अक्ष्ण∶ काणः।
  3. सः अक्षिणि काणः।
  4. सः अक्ष्णा काणः।

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : सः अक्ष्णा काणः।

वाक्य संशोधन Question 15 Detailed Solution

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प्रश्न का हिन्दी अनुवाद - "सः अक्षिणा काणः"। इस वाक्य को संशोधित करें -

स्पष्टीकरण - वाक्य में 'काणः' अर्थात् अङ्गविकार का वर्णन है, अतः ‘येनाङ्गविकारः’ सूत्र से जिस अंग में कोई विकार हो उसमें तृतीया विभक्ति होती है।

जैसे-

  • बालकः अक्ष्णा काणः अस्ति। → (बालक आँख से काना है)
  • सा हस्तेन लुञ्जा अस्ति। → (वह हात से लुंजा है)
  • किशोरः शिरसा खल्वाटः अस्ति। → (किशोर सर से गंजा है)

Important Points

 आंख के लिए संस्कृत शब्द है 'अक्षि' जिससे तृतीया विभक्ति एकवचन में रूप बनता है अक्ष्णा।

अतः स्पष्ट होता है कि शुद्ध वाक्य होगा - 'सः अक्ष्णा काणः।'

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