श्लेष MCQ Quiz in मल्याळम - Objective Question with Answer for श्लेष - സൗജന്യ PDF ഡൗൺലോഡ് ചെയ്യുക
Last updated on Mar 23, 2025
Latest श्लेष MCQ Objective Questions
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श्लेष Question 1:
निम्नलिखित में कौन-सा अलंकार है?
"रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून ।
पानी गए न ऊबरे, मोती मानस चून ।।"
Answer (Detailed Solution Below)
श्लेष Question 1 Detailed Solution
सही उत्तर 'श्लेष' है।
Key Points
- 'रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून। पानी गए न ऊबरे, मोती मानस चून।।' में श्लेष अलंकार है।
- जहाँ एक शब्द अनेक अर्थों में प्रयुक्त होता है, वहाँ शब्द-श्लेष होता है।
- यहाँ एक शब्द 'पानी' के द्वारा अनेक अर्थों का बोध कराए जाने के कारण यहाँ श्लेष अलंकार है।
अन्य विकल्प -
अलंकार |
परिभाषा |
उदाहरण |
रूपक अलंकार |
जहाँ पर उपमेय और उपमान में कोई अंतर न दिखाई दे वहाँ रूपक अलंकार होता है अथार्त जहाँ पर उपमेय और उपमान के बीच के भेद को समाप्त करके उसे एक कर दिया जाता है वहाँ पर रूपक अलंकार होता है। |
मैंने राम रतन धन पायो। |
अनुप्रास अलंकार |
जब किसी वाक्य में किसी वर्ण या व्यंजन की एक से अधिक बार आवृति होती है तब वहां अनुप्रास अलंकार होता है। |
चारु चन्द्र की चंचल किरणें, खेल रही थी जल-थल में। |
उत्प्रेक्षा अलंकार |
जहाँ उपमेय में उपमान होने की संभावना या कल्पना की जाती है, वहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार होता है। इसके लक्षण है- जनु, मनु, इव, मानो, मनो, मनहुँ, आदि। पहचान – मनो, मानो, मनु, मनुह, जानो, इव, जनु, जानहु, ज्यों आदि शब्द अगर किसी अलंकार में आते है तो वह उत्प्रेक्षा अलंकार होता है। |
ले चला मैं तुझे कनक, ज्यों भिक्षुक लेकर स्वर्ण झनक। |
Additional Information
अलंकार की परिभाषा |
अलंकार का शाब्दिक अर्थ होता है- 'आभूषण', जिस प्रकार स्त्री की शोभा आभूषण से उसी प्रकार काव्य की शोभा अलंकार से होती है अर्थात जो किसी वस्तु को अलंकृत करे वह अलंकार कहलाता है। |
श्लेष Question 2:
"जहाँ गाँठ तहाँ रस नहीं, यह जानत सब कोई।" में किस अलंकार का प्रयोग हुआ है?
Answer (Detailed Solution Below)
श्लेष Question 2 Detailed Solution
उपर्युक्त विकल्पों में से विकल्प श्लेष अलंकार सही उत्तर है। अन्य विकल्प सही उत्तर नहीं हैं।
Key Points
- 'जहाँ गाँठ तहाँ रस नहीं, यह जानत सब कोई', पंक्ति में श्लेष अलंकार है।
- श्लेष का अर्थ है- चिपका हुआ। अर्थात् एक शब्द के अनेक अर्थ चिपके होते हैं। जब काव्य में कोई शब्द एक बार आए और उसके एक से अधिक अर्थ प्रकट हो, तो उसे श्लेष अलंकार कहते हैं।
- उपरोक्त पंक्ति 'जहाँ गाँठ तहाँ रस नहीं, यह जानत सब कोई' में दो अर्थ चिपके हुए हैं। 1) गन्ने में जहां गांठ होती है, वहां रस नहीं निकलता। 2) जब दो लोगों की दोस्ती में गांठ आ जाती है, तब प्रेम का वह रस नहीं रह जाता। अतः यहाँ 'श्लेष अलंकार' है।
Additional Information
अलंकार |
परिभाषा |
उदाहरण |
मानवीकरण |
जब प्राकृतिक चीज़ों में मानवीय भावनाओं के होने का वर्णन हो तब वहां मानवीकरण अलंकार होता है। |
हरषाया ताल लाया पानी परात भरके। |
प्रतीप |
प्रतीप का अर्थ है-‘उल्टा या विपरीत’। जहाँ उपमेय का कथन उपमान के रूप में तथा उपमान का उपमेय के रूप में किया जाता है, वहाँ प्रतीप अलंकार होता है। |
उतरि नहाए जमुन जल, जो शरीर सम स्याम |
यमक |
जब काव्य में कोई शब्द एक से अधिक बार आए और उनके अर्थ अलग-अलग हों तो उसे यमक अलंकार होता है। |
तीन बेर खाती थी वे तीन बेर खाती है। |
श्लेष Question 3:
रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून पानी गए न उबरे, मोती मानुष चुन। उक्त पंक्ति में कोन सा अलंकार है ?
Answer (Detailed Solution Below)
श्लेष Question 3 Detailed Solution
रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून पानी गए न उबरे, मोती मानुष चुन। उक्त पंक्ति में श्लेष अलंकार है
Key Pointsश्लेष अलंकार-
- जब किसी शब्द का प्रयोग एक बार ही किया जाता है पर उसके एक से अधिक अर्थ निकलते हैं,तब श्लेष अलंकार होता है।
- उदाहरण-
- चरण धरत चिंता करत, चितवत चारहु ओर।
सुबरन को खोजत फिरत, कवि, व्यभिचारी, चोर।
- चरण धरत चिंता करत, चितवत चारहु ओर।
- यहाँ सुबरन का प्रयोग एक बार किया गया है,किन्तु पंक्ति में प्रयुक्त सुबरन शब्द के तीन अर्थ हैं,कवि के सन्दर्भ में सुबरन का अर्थ अच्छे शब्द,व्यभिचारी के सन्दर्भ में सुबरन अर्थ सुन्दर वर,चोर के सन्दर्भ में सुबरन का अर्थ सोना है।
- श्लेष अलंकार के दो भेद होते हैं-
- सभंग श्लेष
- अभंग श्लेष
Important Pointsउपमा अलंकार-
- जब किन्ही दो वस्तुओं के गुण,आकृति,स्वभाव आदि में समानता दिखाई जाए या दो भिन्न वस्तुओं कि तुलना कि जाए,तब वहां उपमा अलंकर होता है।
- उपमा अलंकार में एक वस्तु या प्राणी कि तुलना दूसरी प्रसिद्ध वस्तु के साथ की जाती है।
- उदाहरण-
- हरि पद कोमल कमल।
- उदाहरण में हरि के पैरों कि तुलना कमल के फूल से की गयी है।
यमक अलंकार-
- जब एक शब्द प्रयोग दो बार होता है और दोनों बार उसके अर्थ अलग-अलग होते हैं तब यमक अलंकार होता है।
- उदाहरण-
- ऊँचे घोर मन्दर के अन्दर रहन वारी, ऊँचे घोर मन्दर के अन्दर रहाती हैं।
रूपक अलंकार-
- जब गुण की अत्यंत समानता के कारण उपमेय को ही उपमान बता दिया जाए, तब वह रूपक अलंकार कहलाता है।
- रूपक अलंकार अर्थालंकारों में से एक है।
- उदाहरण-
- पायो जी मैंने राम रतन धन पायो।
- उदाहरण में राम रतन को ही धन बता दिया गया है।
- ‘राम रतन’- उपमेय पर ‘धन’- उपमान का आरोप है।
श्लेष Question 4:
रहिमन जो गति दीप की, कुल कपूत गति सोय।
बारे उजियारै लगै, बढ़ै अंधेरो होय।।
उपर्युक्त पंक्तियों में कौन सा अलंकार है?
Answer (Detailed Solution Below)
श्लेष Question 4 Detailed Solution
उपर्युक्त पंक्तियों में - 'श्लेष' अलंकार है।
Key Points
- प्रस्तुत पंक्तियों में श्लेष अलंकार है |
- श्लेष अलंकार में एक शब्द के दो अर्थ निकलते हैं। 1) बारे = बचपन में तथा जलाने पर इस संदर्भ में अर्थ लिया गया है | 2) बढ़े = बड़ा होने पर तथा बुझने पर|
- यहाँ प्रस्तुत दीप के जलने में अप्रस्तुत बुरे पुत्र का आरोप किया गया है।
- जिस प्रकार दीपक के जलने की गति से तेल समाप्त हो जाता है उसी प्रकार एक बुरा पुत्र सम्पूर्ण कुल को नष्ट कर देता है।
- श्लेष अलंकार में एक शब्द के दो अर्थ निकलते हैं। यहाँ भी दीप के निकल ही रहे हैं। यहाँ पर दीपक के दो अर्थ - एक दीया और दूसरा कुल दीपक अर्थात् पुत्र
- जैसे रहिमन पानी राखिये,बिन पानी सब सून। इस दोहे में पानी के दो अर्थ निकलते है, एक पानी और एक जीवन।
Additional Information
- अलंकार,कविता कामिनी के सौन्दर्य को बढ़ाने वाले तत्व होते हैं।
- श्लेष अलंकार में एक शब्द के दो अर्थ निकलते हैं।
- जैसे रहिमन पानी राखिये,बिन पानी सब सून।
Important Points
अन्य विकल्प:
अलंकार |
परिभाषा |
उदाहरण |
रूपक |
जहाँ गुण की अत्यंत समानता के कारण उपमेय में ही उपमान का अभेद आरोप कर दिया हो, वहाँ रूपक अलंकार होता है। |
संतो भाई आई ज्ञान की आंधी रे |
उपमा | जहां एक वस्तु या प्राणी की तुलना किसी दूसरी वस्तु या प्राणी से की जाए, वहाँ उपमा अलंकार होता है। | पीपर पात सरिस मन डोला। |
यमक |
जहां एक शब्द एक से अधिक बार आए और उसका अर्थ भिन्न हो, वहाँ यमक अलंकार होता है। |
- ‘काली घटा का घमंड घटा।’ - ‘तीन बेर खाती थी वे तीन बेर खाती हैं।’ |
श्लेष Question 5:
‘रावण सर सरोज बनचारी। चलि रघुवीर सिलीमुख’ में कौन सा अलंकार है?
Answer (Detailed Solution Below)
श्लेष Question 5 Detailed Solution
उपर्युक्त विकल्पों में से विकल्प 3 ‘श्लेष अलंकार इसका सही उत्तर है। अन्य विकल्प सही उत्तर नहीं हैं।
Key Points
- ‘रावण सर सरोज बनचारी। चलि रघुवीर सिलीमुख’ काव्य पंक्तियों में श्लेष अलंकार है।
- ऊपर दिए गए उदाहरण में सिलीमुख शब्द के दो अर्थ निकल रहे हैं। इस शब्द का पहला अर्थ बाण से एवं दूसरा अर्थ भ्रमर से है।
- वाक्य में ही शब्द से दो अर्थ निकल रहे हैं अतः यह उदाहरण श्लेष अलंकार के अंतर्गत आएगा।
- ·श्लेष अलंकार की परिभाषा - श्लेष का अर्थ होता है चिपका हुआ या मिला हुआ। जब एक ही शब्द से हमें विभिन्न अर्थ मिलते हों तो उस समय श्लेष अलंकार होता है।
Additional Information
अलंकार |
परिभाषा |
उदाहरण |
मानवीकरण |
जब प्राकृतिक वस्तुओं कैसे पेड़,पौधे बादल आदि में मानवीय भावनाओं का वर्णन हो यानी निर्जीव चीज़ों में सजीव होना दर्शाया जाए तब वहां मानवीकरण अलंकार आता है। |
मेघ आये बड़े बन-ठन के संवर के। मेघमय आसमान से उतर रही है संध्या सुन्दरी परी सी धीरे धीरे धीरे | |
उत्प्रेक्षा |
उपमान के न होने पर उपमेय को ही उपमान मान लिया जाए वहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार होता है। |
सोहत ओढ़े पीत पट, स्याम सलौने गात। मनहु नीलमणि सैल पर, आवत परयो प्रभात। |
रूपक |
जहां उपमेय और उपमान में कोई अंतर नहीं होता है वहाँ पर रूपक अलंकार होता है। |
चरण-कमल बंदौ हरि राई! |
श्लेष Question 6:
"चरण धरत चिंता करत ,फिर चितवत चहुँ और l'सुबरन ' को ढूंढत फिरत ,कवि व्यभिचारी चोर l" काव्य पंक्ति में अलंकार है।
Answer (Detailed Solution Below)
श्लेष Question 6 Detailed Solution
उपर्युक्त विकल्पों में से विकल्प 2 श्लेष अलंकार इसका सही उत्तर है। अन्य विकल्प सही उत्तर नहीं हैं।
Key Points
- "चरण धरत चिंता करत ,फिर चितवत चहुँ और l'सुबरन ' को ढूंढत फिरत ,कवि व्यभिचारी चोर l" पंक्ति में श्लेष अलंकार है।
- दिए गए उदाहरण में दूसरी पंक्ति में 'सुबरन ' का प्रयोग किया गया है जिसे कवि ,व्यभिचारी चोर -तीनों ढूंढ रहे है l इस प्रकार एक शब्द 'सुबरन 'के यहाँ तीन शब्द है -
- कवि सुबरन जिसका अर्थ है अच्छे शब्द
- व्यभिचारी सुबरन जिसका अर्थ है अच्छा रूप-रंग और
- चोर भी 'सुबरन' अर्थात स्वर्ण ढूंढ रहा है l अतएव यहाँ श्लेष अलंकार है l
अलंकार |
परिभाषा |
उदाहरण |
श्लेष अलंकार |
श्लेष का अर्थ ज\है चिपकना जहाँ एक शब्द दो बार प्रयोग हो परन्तु उनके अर्थ अलग हो वहां श्लेष अलंकार होता है l |
मधुबन की छाती को देखो ,सूखी कितनी इसकी कलियाँ l |
Additional Information
अलंकार | परिभाषा | उदाहरण |
अनुप्रास |
जहां एक ही वर्ण की आवृत्ति एक से अधिक बार हो, वहाँ अनुप्रास अलंकार होता है। |
चारु चंद्र की चंचल किरणें, खेल रही थी जल थल में |
अतिश्योक्ति |
जब किसी वस्तु, व्यक्ति आदि का वर्णन बहुत बाधा चढ़ा कर किया जाए तब वहां अतिशयोक्ति अलंकार होता है। |
हनुमान की पूंछ में लगन न पाई आग, लंका सिगरी जल गई गए निशाचर भाग। |
यमक | जब कविता में एक ही शब्द बार-बार आये तो और उसका अर्थ प्रतेक बार भिन्न हो वहां यमक अलंकार होता है। |
माला फेरत जग भय फिर न मन का फेर, करका मनका डारी दे मनका, मनका फेर l यहाँ मनका शब्द की आवृत्ति बार-बार हुई पर उसका अर्थ भिन्न है l |
श्लेष Question 7:
जहाँ एक शब्द अनेक अर्थों में प्रयुक्त होता है, वहाँ कौन-सा अलंकार होता है?
Answer (Detailed Solution Below)
श्लेष Question 7 Detailed Solution
दिए गए विकल्पों में सही उत्तर श्लेष होगा। अन्य विकल्प इसके अनुचित उत्तर होंगे।
Key Points
जहाँ एक शब्द अनेक अर्थों में प्रयुक्त होता है, वहाँ श्लेष अलंकार होता है। |
Additional Information
अलंकार |
परिभाषा |
उदाहरण |
श्लेष |
जब किसी शब्द का प्रयोग एक बार ही किया जाता है पर उसके एक से अधिक अर्थ निकलते हैं तब श्लेष अलंकार होता है। |
तिरगुन फाँस लिए कर डोलै, बोलै मधुरी बानी |
श्लेष Question 8:
जहां पर किसी एक शब्द का अनेक अर्थों में प्रयोग हो, वहाँ होता है :
Answer (Detailed Solution Below)
श्लेष Question 8 Detailed Solution
दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर विकल्प 2 'श्लेष अलंकार’ है। अन्य विकल्प इसके गलत उत्तर हैं।
- जहां पर किसी एक शब्द का अनेक अर्थों में प्रयोग हो, वहाँ श्लेष अलंकार होता है।
- जैसे -
मधुवन की छाती को देखो,
सुखी कितनी इसकी कलियाँ। - यहाँ कलियाँ शब्द एक बार आया है पर उसके अर्थ भिन्न है, एक फूल का (प्रारम्भिक रूप) विकसित रूप और दूसरा यौवन के पूर्व की अवस्था।
अन्य विकल्प:
- यमक अलंकार - जहां एक शब्द एक से अधिक बार आए और उसका अर्थ भिन्न हो, वहाँ यमक अलंकार होता है।
- रूपक अलंकार - जहां उपमेय पर उपमान का अभेद आरोप होता है रूपक अलंकार होता है।
- अतिशयोक्ति अलंकार - जब किसी वस्तु का बहुत अधिक बढ़ा-चढ़ाकर वर्णन किया जाये वहां पर अतिशयोक्ति अलंकार होता है।
- वह कारक जो काव्य की शोभा बढ़ाते हैं अलंकार कहलाते हैं।
- काव्य का निर्माण शब्द और अर्थ द्वारा होता है।
- इसलिए अलंकार के दो मुख्य भेद माने गए हैं - शब्दालंकार और अर्थालंकार।
श्लेष Question 9:
निम्न पंक्तियों में कौन सा अलंकार होगा?
"जो रहीम गति दीप की, कुल कपूत की सोय।
बारे उजियारे करे, बढ़े अंधेरो होय।।"
Answer (Detailed Solution Below)
श्लेष Question 9 Detailed Solution
उपर्युक्त विकल्पों में से विकल्प 3 ‘श्लेष अलंकार’ इसका सही उत्तर है। अन्य विकल्प इसके सही उत्तर नहीं हैं।
Key Points
"जो रहीम गति दीप की, कुल कपूत की सोय।
बारे उजियारे करे, बढ़े अंधेरो होय।।"
उपरोक्त पंक्तियों में श्लेष अलंकार होगा।
- रहीम जी ने दोहे के द्वारा दीये एवं कुपुत्र के चरित्र को एक जैसा दर्शाने की कोशिश की है। रहीम जी कहते हैं कि शुरू में दोनों ही उजाला करते हैं लेकिन बढ़ने पर अन्धेरा हो जाता है।
- यहाँ बढे शब्द से दो विभिन्न अर्थ निकल रहे हैं। दीपक के सन्दर्भ में बढ़ने का मतलब है बुझ जाना जिससे अन्धेरा हो जाता है। कुपुत्र के सन्दर्भ में बढ़ने से मतलब है बड़ा हो जाना।
- बड़े होने पर कुपुत्र कुकर्म करता है जिससे परिवार में अँधेरा छा जात है।
श्लेष अलंकार:
- श्लेष का अर्थ होता है चिपका हुआ या मिला हुआ। जब एक ही शब्द से हमें विभिन्न अर्थ मिलते हों तो उस समय श्लेष अलंकार होता है।
- यानी जब किसी शब्द का प्रयोग एक बार ही किया जाता है, लेकिन उससे अर्थ कई निकलते हैं तो वह श्लेष अलंकार कहलाता है।
अन्य विकल्प:
अलंकार |
परिभाषा |
उदाहरण |
अनुप्रास अलंकार |
जब किसी काव्य को सुंदर बनाने के लिए किसी वर्ण की बार-बार आवृति हो तो वह अनुप्रास अलंकार कहलाता है। |
मधुर मधुर मुस्कान मनोहर, मनुज वेश का उजियाला। |
यमक अलंकार |
जिस काव्य में समान शब्द के अलग-अलग अर्थों में आवृत्ति हो, वहाँ यमक अलंकार होता है। यानी जहाँ एक ही शब्द जितनी बार आए उतने ही अलग-अलग अर्थ दे। |
कनक कनक ते सौगुनी मादकता अधिकाय। या खाए बौरात नर या पा बौराय।। |
उपमा अलंकार |
जहां एक वस्तु या प्राणी की तुलना अत्यंत समानता के कारण किसी अन्य प्रसिद्ध वस्तु या प्राणी से की जाती है। वहाँ उपमा अलंकार माना जाता है। |
चन्द्रमा-सा कान्तिमय मुख रूप दर्शन है तुम्हारा। |
Additional Information
अलंकार- कविता-कामिनी के सौन्दर्य को बढ़ाने वाले तत्व होते हैं। जिस प्रकार आभूषण से नारी का लावण्य बढ़ जाता है, उसी प्रकार अलंकार से कविता की शोभा बढ़ जाती है। शब्द तथा अर्थ की जिस विशेषता से काव्य का श्रृंगार होता है उसे ही अलंकार कहते हैं। |
श्लेष Question 10:
रहिमन पानी राखिये, बिन पानी सब सून ।
पानी गये न ऊबरै, मोती, मानस, चून ।।
इस दोहे में कौन सा अलंकार है ?
Answer (Detailed Solution Below)
श्लेष Question 10 Detailed Solution
सही उत्तर 'श्लेष अलंकार' है।
- इस दोहे में श्लेष अलंकार है।
- दी गयी पंक्ति में एक ही शब्द का प्रयोग तीन बार किया गया है।
- यहाँ पानी ’शब्द का प्रयोग तीन बार हुआ है और तीनों बार उसका अर्थ भिन्न है।
- तीन अर्थ हैं – चमक (मोती के पक्ष में), प्रतिष्ठा (मनुष्य के पक्ष में) तथा जल (चूने के पक्ष में)।
- इस आधार पर यहाँ श्लेष अलंकार है।
- जिस अंलकार में शब्दों की आवृत्ति एक से अधिक बार आवृति हुए बिना प्रसन्न अनुसार दो या दो से अधिक अर्थ निकले वहां पर श्लेष अलंकार होगा।
Key Points
अन्य विकल्पों का विश्लेषण:
- वक्रोक्ति अलंकार - जिस शब्द से कहने वाले व्यक्ति के कथन का अभिप्रेत अर्थ ग्रहण न कर श्रोता अन्य ही कल्पित या चमत्कारपूर्ण अर्थ लगाये और उसका उत्तर दे, उसे वक्रोक्ति कहते हैं।
- जब अर्थों में चमत्कार उत्पन्न होता है तो अर्थालंकार कहलाता है।
- विभावना अलंकार - जहाँ पर कारण के ना होते हुए भी कार्य का होना पाया जाए वहां विभावना अलंकार हैI