श्लेष MCQ Quiz - Objective Question with Answer for श्लेष - Download Free PDF
Last updated on Jun 19, 2025
Latest श्लेष MCQ Objective Questions
श्लेष Question 1:
निम्नलिखित दोहे में कौन-सा अलंकार है?
मेरी भव बाधा हरी, राधा नागरि सोय।
जातन की झाँईं परै, स्याम हरित दुति होय॥
Answer (Detailed Solution Below)
श्लेष Question 1 Detailed Solution
उपर्युक्त दोहे में श्लेष अलंकार का प्रयोग हुआ है। अतः सही विकल्प ‘श्लेष अलंकार’ है।
Key Points
स्पष्टीकरण -
- श्लेष अलंकार अर्थात जब एक ही शब्द के विभिन्न अर्थ निकलते हों।
- जैसे – ‘रहिमन पानी राखिए बिन पानी सब सून ‘पानी’ गए न ऊबरे मोती मानस चून’ यहाँ ‘पानी’ मोती के सन्दर्भ में ‘चमक’, मनुष्य के सन्दर्भ में ‘विनम्रता’ तथा ‘चून (आटा)’ के सन्दर्भ में ‘जल अर्थात पानी’ है।
- उपर्युक्त पद्य में राधा जी के पीले शरीर की छाया नीले कृष्ण पर पड़ने से वे हरे लगने लगते है।
- दूसरा अर्थ है कि राधा की छाया पड़ने से कृष्ण हरित (प्रसन्न) हो उठते हैं।
Important Points
अन्य विकल्प
अलंकार |
परिभाषा |
उदाहरण |
अन्योक्ति |
जहाँ उपमान के बहाने उपमेय का वर्णन किया जाय या कोई बात सीधे न कहकर किसी के सहारे की जाय। |
"नहिं पराग नहिं मधुर मधु, नहिं विकास इहिकाल, अली कली ही सौं बंध्यो, आगे कौन हवाल।" यहाँ कवि बिहारी ने भौंरे को लक्ष्यकर महाराज जयसिंह को उनकी यथार्थ स्थिति का बोधा कराया है, जो अपनी छोटी रानी के प्रेमपास में जकड़े रहने के कारण अपने राजकीय दायित्व को भूल गए थे। |
यमक |
जहाँ एक ही शब्द जितनी बार आए उतने ही अलग-अलग अर्थ दे। |
काली ‘घटा’ का घमंड ‘घटा’। |
रूपक |
जब उपमान और उपमेय में अभिन्नता या अभेद दिखाया जाए। |
"मैया मैं तो चन्द्र-खिलौना लैहों" में चन्द्रमा और खिलौने में समानता न दिखाकर चन्द्र को ही खिलौना बोल दिया गया है। |
श्लेष Question 2:
विषमय यह गोदावरी, अमृतम् फल देत । इस पंक्ति में कौन-सा अलंकार है -
Answer (Detailed Solution Below)
श्लेष Question 2 Detailed Solution
सही उत्तर है- उपर्युक्त में से कोई नहीं
विषमय यह गोदावरी, अमृतम् फल देत । इस पंक्ति में अलंकार है - विरोधाभास
Key Pointsविरोधाभास अलंकार-
- विरोधाभास अलंकार के अंतर्गत एक ही वाक्य में आपस में कटाक्ष करते हुए दो या दो से अधिक भावों का प्रयोग किया जाता है।
- उदाहरण-
- मोहब्बत एक मीठा ज़हर है।
Important Pointsयमक अलंकार-
- जब एक शब्द प्रयोग दो बार होता है और दोनों बार उसके अर्थ अलग-अलग होते हैं तब यमक अलंकार होता है।
- उदाहरण-
- ऊँचे घोर मन्दर के अन्दर रहन वारी, ऊँचे घोर मन्दर के अन्दर रहाती हैं।
रूपक अलंकार-
- जब एक वस्तु पर दूसरी वस्तु का आरोप किया जाये अर्थात् जब एक वस्तु को दूसरी वस्तु का रूप दिया जाये तो रूपक अलंकार कहलाता है।
- उदाहरण-
- पायो जी मैंने राम रतन धन पायो।
- (राम रतन को ही धन बता दिया गया है। ‘राम रतन’ – उपमेय पर ‘धन’ – उपमान का आरोप है।)
श्लेष अलंकार-
- जब किसी शब्द का प्रयोग एक बार ही किया जाता है पर उसके एक से अधिक अर्थ निकलते हैं,तब श्लेष अलंकार होता है।
- उदाहरण-
- चरण धरत चिंता करत, चितवत चारहु ओर।
सुबरन को खोजत फिरत, कवि, व्यभिचारी, चोर।
- चरण धरत चिंता करत, चितवत चारहु ओर।
- यहाँ सुबरन का प्रयोग एक बार किया गया है,किन्तु पंक्ति में प्रयुक्त सुबरन शब्द के तीन अर्थ हैं,कवि के सन्दर्भ में सुबरन का अर्थ अच्छे शब्द,व्यभिचारी के सन्दर्भ में सुबरन अर्थ सुन्दर वर,चोर के सन्दर्भ में सुबरन का अर्थ सोना है।
श्लेष Question 3:
'श्लेष अलंकार' कौन-सा अलंकार है?
Answer (Detailed Solution Below)
श्लेष Question 3 Detailed Solution
'श्लेष अलंकार' अलंकार है- शब्दालंकार
Key Points
- श्लेष का अर्थ है चिपकाना,
- जहां शब्द तो एक बार प्रयुक्त किया जाए पर उसके एक से अधिक अर्थ निकले वहाँ श्लेष अलंकार होता है।
- उदाहरण-
- सुबरन को ढूँढत फिरत कवि, व्यभिचारी, चोर।
- (इस दोहे में सुबरन शब्द के तीन अर्थ है। कवि 'सुबरन' अर्थात् अच्छे शब्द,
- व्यभिचारी 'सुबरन' अर्थात् अच्छा रूप-रंग और चोर भी 'सुबरन' अर्थात् स्वर्ण ढूंढ रहा है।)
Important Pointsअलंकार के तीन भेद होते है:-
- शब्दालंकार
- अर्थालंकार
- उभयालंकार
Additional Informationशब्दालंकार:-
- शब्दालंकार शब्द “शब्द” और “अलंकार” के संयोजन से बना है। शब्द के दो प्रमुख रूप होते हैं: ध्वनि और अर्थ।
- शब्दालंकार की रचना ध्वनि के आधार पर होती है।
- जब किसी अलंकार में शब्दों के प्रयोग से चमत्कार उत्पन्न होता है,
- और उन शब्दों के स्थान पर समानार्थी शब्द रखने पर वह चमत्कार खत्म हो जाता है, तो इसे भी शब्दालंकार माना जाता है।
- उदाहरण - तरनि तनूजा तट तमाल तरुवर बहु छाये।
- (उपर्युक्त दिए गए उदाहरण में 'त' शब्द की आवर्त्ति हुई है अतः यहाँ पर अनुप्रास अलंकार है।)
- शब्दालंकार के मुख्यतः 6 प्रकार हैं-
- अनुप्रास अलंकार
- यमक अलंकार
- पुनरुक्ति अलंकार
- विप्सा अलंकार
- वक्रोक्ति अलंकार
- श्लेष अलंकार
अर्थालंकार:-
- जहाँ अर्थ के माध्यम से काव्य में चमत्कार या विशेष प्रभाव उत्पन्न होता है, उसे अर्थालंकार कहते हैं।
- यह अलंकार शब्दों के अर्थ को गहराई और संजीवनी प्रदान करता है, जिससे पाठक या श्रोता को एक नई दृष्टि मिलती है।
- उदाहरण - “कर कमल-सा कोमल है।” (उपमा अलंकार)
- (यहाँ पर कर और कमल के बीच की समानता को दर्शाते हुए वाक्य को संवादित किया गया है।)
- अर्थालंकार के मुख्य रूप से पांच प्रकार होते हैं:
- उपमा अलंकार
- रूपक अलंकार
- उत्प्रेक्षा अलंकार
- अतिशयोक्ति अलंकार
- मानवीकरण अलंकार
उभयालंकार:-
- जहाँ पर अलंकार में शब्द और अर्थ दोनो का प्रयोग किया जाता है
- अर्थात जो अलंकार शब्दालंकार तथा अर्थालंकार के प्रयोग से बनता है, वह उभयालंकार कहलता है।
- इसका निर्माण दो अलंकारों के योग से होता है।
- उदाहरण - "अंधा क्या चाहे, दो आँखें”
- (यहाँ ‘अंधा’ शब्द का अर्थ ‘जिसकी आँखें नहीं हैं’ है और ‘दो आँखें’ का अर्थ ‘समझ’ है।
- इस वाक्य में अर्थ के संगठन और शब्दों का सही चयन वाक्य की समृद्धि और गहराई को बढ़ाता है।
श्लेष Question 4:
"चीरजीवो जोरी जुरे, क्यों न स्नेह गंभीर। को घटि ये वृषभानुजा, वे हलधर के बीर।।" में कौन-सा अलंकार है?
Answer (Detailed Solution Below)
श्लेष Question 4 Detailed Solution
"चीरजीवो जोरी जुरे, क्यों न स्नेह गंभीर। को घटि ये वृषभानुजा, वे हलधर के बीर।।" में अलंकार है- श्लेष
Key Points
- यहाँ "चीर" शब्द का एक अर्थ वस्त्र है और दूसरा अर्थ जीवनकाल है।
- इसी प्रकार "वृषभानुजा" राधा जी का और "हलधर" बलराम जी का सूचक है।
- इस प्रकार एक ही शब्द के दो अर्थ होते हैं, इसलिये इसे श्लेष अलंकार कहते हैं।
- श्लेष का अर्थ है चिपकाना,
- जहां शब्द तो एक बार प्रयुक्त किया जाए पर उसके एक से अधिक अर्थ निकले वहाँ श्लेष अलंकार होता है।
- उदाहरण-
- मेरी भव बाधा हरो राधा नागरि सोय।
- जा तन की झाँई परे श्याम हरित दुति होय।।
- ( यहाँ हरित शब्द के अर्थ हैं- हर्षित (प्रसन्न होना) और हरे रंग का होना।
- अतः यह उदाहरण श्लेष के अंतर्गत आएगा क्योंकि एक ही शब्द के दो अर्थ प्रकट हो रहे हैं।)
Additional Information
उत्प्रेक्षा:-
उदाहरण-
रूपक:-
उदाहरण-
यमक:-
उदाहरण -
|
श्लेष Question 5:
जहाँ एक शब्द के साथ अनेक अर्थ चिपके रहते हैं, वहाँ कौन-सा अलंकार होता है?
Answer (Detailed Solution Below)
श्लेष Question 5 Detailed Solution
जहाँ एक शब्द के साथ अनेक अर्थ चिपके रहते हैं, वहाँ अलंकार होता है- श्लेष
Key Points
- श्लेष का अर्थ है चिपकाना,
- जहां शब्द तो एक बार प्रयुक्त किया जाए पर उसके एक से अधिक अर्थ निकले वहाँ श्लेष अलंकार होता है।
- उदाहरण-
- मेरी भव बाधा हरो राधा नागरि सोय।
- जा तन की झाँई परे श्याम हरित दुति होय।।
- (यहाँ हरित शब्द के अर्थ हैं- हर्षित (प्रसन्न होना) और हरे रंग का होना। अतः यह उदाहरण श्लेष के अंतर्गत आएगा क्योंकि एक ही शब्द के दो अर्थ प्रकट हो रहे हैं।)
Additional Information
अनुप्रास:-
उदाहरण -
यमक:-
उदाहरण-
वक्रोक्ति:-
उदाहरण-
|
Top श्लेष MCQ Objective Questions
निम्नलिखित दोहे में कौन-सा अलंकार है?
रहिमन पानी रखिये बिन पानी सब सुन।
पानी गए न उबरे मोती मानस चुन।
Answer (Detailed Solution Below)
श्लेष Question 6 Detailed Solution
Download Solution PDFउपर्युक्त दोहे में 'श्लेष' अलंकार है। अन्य विकल्प असंगत हैं। अतः सही विकल्प 'श्लेष' है।
Key Points
अन्य विकल्प
श्लेष अलंकार - जब एक ही शब्द के विभिन्न अर्थ निकलते हों। जैसे –‘रहिमन पानी राखिए बिन पानी सब सून ‘पानी’ गए न ऊबरे मोती मानस चून’ यहाँ ‘पानी’ मोती के सन्दर्भ में ‘चमक’, मनुष्य के सन्दर्भ में ‘विनम्रता’ तथा ‘चून (आटा)’ के सन्दर्भ में ‘जल अर्थात पानी’ है। |
रूपक अलंकार - जब उपमान और उपमेय में अभिन्नता या अभेद दिखाया जाए। जैसे - मैया मैं तो चन्द्र-खिलौना लैहों में चन्द्रमा और खिलौने में समानता न दिखाकर चन्द्र को ही खिलौना बोल दिया गया है। |
उपमा अलंकार - जब दो भिन्न वस्तुओं में समानता दिखाई जाती है। जैसे – कर कमल-सा कोमल है। |
उत्प्रेक्षा अलंकार - जहाँ उपमेय में उपमान के होने की संभावना का वर्णन होता हो। जैसे - मुख मानो चन्द्रमा है में मुख को चंद्रमा कहा जा रहा है। |
“रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून ।
पानी गए न ऊबरे, मोती, मानुस, चून ।”
इन पंक्तियों में कौन सा अलंकार है ?
Answer (Detailed Solution Below)
श्लेष Question 7 Detailed Solution
Download Solution PDF- श्लेष अलंकार यहाँ उचित विकल्प है, अन्य सभी विकल्प असंगत है। उपरोक्त पंक्ति में श्लेष अलंकार के भाव स्पष्ट झलक रहे हैं।
- अत: सही विकल्प श्लेष ही होगा।
Key Points
श्लेष अलंकार की परिभाषा :-
- जहां शब्द एक बार प्रयोग हो परंतु उसके अर्थ अलग-अलग होते हैं अर्थात उसके दो या दो से अधिक अर्थ निकलते हैं तो वहां श्लेष अलंकार होता है।
श्लेष अलंकार की पहचान :-
- इस अलंकार की पहचान शब्दों के आपस में चिपके होने से की जाती है। मतलब की एक ही शब्द में दो अर्थ चिपके होते हैं , वहां श्लेष अलंकार होता है। उदाहरण के लिए आप ऊपर दिए गए दोहे में देख सकते हैं कि पानी शब्द का प्रयोग तीन बार हुआ है और सब का अर्थ भिन्न है।
Important Points
श्लेष |
जहां पर किसी एक शब्द का अनेक अर्थों में प्रयोग हो, वहाँ श्लेष अलंकार होता है। |
जहाँ एक शब्द अनेक अर्थों में प्रयुक्त होता है, वहाँ शब्द-श्लेष होता है। रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून। पानी गए न ऊबरे, मोती, मानुस, चून।। इस एक शब्द के द्वारा अनेक अर्थों का बोध कराए जाने के कारण यहाँ श्लेष अलंकार है। |
यमक |
जहां एक ही शब्द कई बार अलग-अलग अर्थों में प्रयुक्त होता है वहाँ यमक अलंकार होता है। |
काली घटा का घमंड घटा, उपर्युक्त काब्य पंक्ति में शरद के आगमन पर उसके सौंदर्य का चित्रण किया गया है। वर्षा बीत गई है, शरद ऋतु आ गई है। काली घटा का घमंड घट गया है। "घटा" शब्द के दो विभिन्न अर्थ है- घटा= काले बादल और घटा= कम हो गया। घटा शब्द ने इस पंकित में सौंदर्य उतपन्न कर दिया है। यह यमक का सौंदर्य है। इसलिए यहां पर यमक अलंकार होगा। |
निम्नलिखित प्रश्न में, चार विकल्पों में से, उस सही विकल्प का चयन करें जो दिए गए पद्य के उचित अलंकार रूप का सबसे अच्छा विकल्प है।
भिखारिन को देखकर पट देत बार - बार
Answer (Detailed Solution Below)
श्लेष Question 8 Detailed Solution
Download Solution PDFसही उत्तर 'श्लेष अलंकार' है।
- 'भिखारिन को देखकर पट देत बार-बार है' इस पंक्ति में 'श्लेष अलंकार' है।
- इसमें 'पट' के दो अर्थ हैं– (1) वस्त्र और (2) किवाड़।
- पहला अर्थ– वह व्यक्ति किसी याचक को देखकर उसे बार-बार 'वस्त्र' देता और और दूसरा अर्थ है– वह व्यक्ति याचक को देखते ही दरवाजा बंद कर लेता है।
- 'श्लेष' का अर्थ है 'चिपकना'।
- जहां एक शब्द एक ही बार प्रयुक्त होने पर दो अर्थ दें वहां श्लेष अलंकार होता है।
अन्य विकल्प:
- आतिशयोक्ति अलंकार - जब किसी वस्तु का बहुत अधिक बढ़ा-चढ़ाकर वर्णन किया जाये वहां पर अतिश्योक्ति अलंकार होता है।
- रूपक अलंकार - जहाँ गुण की अत्यंत समानता के कारण उपमेय में ही उपमान का अभेद आरोप कर दिया हो, वहाँ रूपक अलंकार होता है।
- उत्प्रेक्षा अलंकार - जहां समानता के कारण उपमेय में संभावना या कल्पना की जाए, वहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार होता है।
Additional Information
- अलंकार का शाब्दिक अर्थ होता है ‘आभूषण या गहना’ जिस प्रकार स्वर्ण आदि के आभूषणों से शरीर की शोभा बढ़ती है उसी प्रकार काव्य अलंकारों से काव्य की शोभा बढ़ती है।
- अलंकार के तीन प्रकार अथवा भेद होते हैं, किन्तु प्रधान रूप से अलंकार के दो भेद माने जाते हैं — शब्दालंकार तथा अर्थालंकार।
निम्नलिखित में से किस अलंकार में शब्द का प्रयोग एक ही बार किया जाता है पर उसके एक से अधिक अर्थ निकलते हैं ?
Answer (Detailed Solution Below)
श्लेष Question 9 Detailed Solution
Download Solution PDF''श्लेष अलंकार'' में शब्द का प्रयोग एक ही बार किया जाता है पर उसके एक से अधिक अर्थ निकलते हैं। अन्य विकल्प असंगत हैं। Key Points
अलंकार | परिभाषा | उदाहरण |
श्लेष | श्लेष का अर्थ होता है चिपका हुआ या मिला हुआ। जब किसी शब्द का प्रयोग एक बार ही किया जाता है पर उसके एक से अधिक अर्थ निकलते हैं, तब श्लेष अलंकार होता है। |
सुबरन को ढूँढ़त फिरत कवि, व्यभिचारी, चोर। |
Additional Information अन्य विकल्प-
अलंकार | परिभाषा | उदाहरण |
उपमा | जब किन्ही दो वस्तुओं के गुण, आकृति, स्वभाव आदि में समानता दिखाई जाए या दो भिन्न वस्तुओं कि तुलना कि जाए, तब वहां उपमा अलंकर होता है। |
हरि पद कोमल कमल से। |
यमक |
जब एक शब्द का प्रयोग दो बार होता है और दोनों बार उसके अर्थ अलग-अलग होते हैं तब यमक अलंकार होता है। |
कनक कनक ते सौगुनी मादकता अधिकाय। वा खाये बौराय जग या पाये बौराय।। |
रूपक | जहॉं उपमेय पर उपमान का आरोप हो या उपमान और उपमेय का अभेद हो, वहॉं रूपक अलंकार होता है। | 'बन्द नहीं, अब भी चलते हैं, नियति-नटी के कार्य कलाप।' |
"सुबरन को ढूँढ़त फिरत कवि, व्यभिचारी, चोर।"
उपर्युक्त पंक्तियों में निम्नलिखित में से कौन-सा अलंकार है?
Answer (Detailed Solution Below)
श्लेष Question 10 Detailed Solution
Download Solution PDFउपर्युक्त पंक्ति में "श्लेष अलंकार" है। अन्य विकल्प असंगत हैं।
Key Points
- "सुबरन को ढूँढ़त फिरत कवि, व्यभिचारी, चोर।"
- उपर्युक्त पंक्ति का भावार्थ- यहाँ सुबरन के तीन अर्थ हैं- कवि अच्छे शब्द, व्यभिचारी अच्छा रूप-रंग तथा चोर स्वर्ण ढूँढ़ रहा है, अर्थात् यहाँ श्लेष अलंकार है।
अलंकार | परिभाषा | उदाहरण |
श्लेष | श्लेष का अर्थ होता है चिपका हुआ या मिला हुआ। जब किसी शब्द का प्रयोग एक बार ही किया जाता है पर उसके एक से अधिक अर्थ निकलते हैं, तब श्लेष अलंकार होता है। |
सुबरन को ढूँढ़त फिरत कवि, व्यभिचारी, चोर। |
Additional Information अन्य विकल्प-
अलंकार | परिभाषा | उदाहरण |
विरोधाभास | एक ही वाक्य में आपस में कटाक्ष करते हुए दो या दो से अधिक भावों का प्रयोग किया जाता है। |
आई ऐसी अद्भुत बेला ना रो सका न विहँस सका। |
यमक |
जब एक शब्द का प्रयोग दो बार होता है और दोनों बार उसके अर्थ अलग-अलग होते हैं तब यमक अलंकार होता है। |
कनक कनक ते सौगुनी मादकता अधिकाय। वा खाये बौराय जग या पाये बौराय।। |
रूपक | जहॉं उपमेय पर उपमान का आरोप हो या उपमान और उपमेय का अभेद हो, वहॉं रूपक अलंकार होता है। | 'बन्द नहीं, अब भी चलते हैं, नियति-नटी के कार्य कलाप।' |
निम्नलिखित में कौन-सा अलंकार है?
"रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून ।
पानी गए न ऊबरे, मोती मानस चून ।।"
Answer (Detailed Solution Below)
श्लेष Question 11 Detailed Solution
Download Solution PDFसही उत्तर 'श्लेष' है।
Key Points
- 'रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून। पानी गए न ऊबरे, मोती मानस चून।।' में श्लेष अलंकार है।
- जहाँ एक शब्द अनेक अर्थों में प्रयुक्त होता है, वहाँ शब्द-श्लेष होता है।
- यहाँ एक शब्द 'पानी' के द्वारा अनेक अर्थों का बोध कराए जाने के कारण यहाँ श्लेष अलंकार है।
अन्य विकल्प -
अलंकार |
परिभाषा |
उदाहरण |
रूपक अलंकार |
जहाँ पर उपमेय और उपमान में कोई अंतर न दिखाई दे वहाँ रूपक अलंकार होता है अथार्त जहाँ पर उपमेय और उपमान के बीच के भेद को समाप्त करके उसे एक कर दिया जाता है वहाँ पर रूपक अलंकार होता है। |
मैंने राम रतन धन पायो। |
अनुप्रास अलंकार |
जब किसी वाक्य में किसी वर्ण या व्यंजन की एक से अधिक बार आवृति होती है तब वहां अनुप्रास अलंकार होता है। |
चारु चन्द्र की चंचल किरणें, खेल रही थी जल-थल में। |
उत्प्रेक्षा अलंकार |
जहाँ उपमेय में उपमान होने की संभावना या कल्पना की जाती है, वहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार होता है। इसके लक्षण है- जनु, मनु, इव, मानो, मनो, मनहुँ, आदि। पहचान – मनो, मानो, मनु, मनुह, जानो, इव, जनु, जानहु, ज्यों आदि शब्द अगर किसी अलंकार में आते है तो वह उत्प्रेक्षा अलंकार होता है। |
ले चला मैं तुझे कनक, ज्यों भिक्षुक लेकर स्वर्ण झनक। |
Additional Information
अलंकार की परिभाषा |
अलंकार का शाब्दिक अर्थ होता है- 'आभूषण', जिस प्रकार स्त्री की शोभा आभूषण से उसी प्रकार काव्य की शोभा अलंकार से होती है अर्थात जो किसी वस्तु को अलंकृत करे वह अलंकार कहलाता है। |
रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून पानी गए न उबरे, मोती मानुष चुन। उक्त पंक्ति में कोन सा अलंकार है ?
Answer (Detailed Solution Below)
श्लेष Question 12 Detailed Solution
Download Solution PDFरहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून पानी गए न उबरे, मोती मानुष चुन। उक्त पंक्ति में श्लेष अलंकार है
Key Pointsश्लेष अलंकार-
- जब किसी शब्द का प्रयोग एक बार ही किया जाता है पर उसके एक से अधिक अर्थ निकलते हैं,तब श्लेष अलंकार होता है।
- उदाहरण-
- चरण धरत चिंता करत, चितवत चारहु ओर।
सुबरन को खोजत फिरत, कवि, व्यभिचारी, चोर।
- चरण धरत चिंता करत, चितवत चारहु ओर।
- यहाँ सुबरन का प्रयोग एक बार किया गया है,किन्तु पंक्ति में प्रयुक्त सुबरन शब्द के तीन अर्थ हैं,कवि के सन्दर्भ में सुबरन का अर्थ अच्छे शब्द,व्यभिचारी के सन्दर्भ में सुबरन अर्थ सुन्दर वर,चोर के सन्दर्भ में सुबरन का अर्थ सोना है।
- श्लेष अलंकार के दो भेद होते हैं-
- सभंग श्लेष
- अभंग श्लेष
Important Pointsउपमा अलंकार-
- जब किन्ही दो वस्तुओं के गुण,आकृति,स्वभाव आदि में समानता दिखाई जाए या दो भिन्न वस्तुओं कि तुलना कि जाए,तब वहां उपमा अलंकर होता है।
- उपमा अलंकार में एक वस्तु या प्राणी कि तुलना दूसरी प्रसिद्ध वस्तु के साथ की जाती है।
- उदाहरण-
- हरि पद कोमल कमल।
- उदाहरण में हरि के पैरों कि तुलना कमल के फूल से की गयी है।
यमक अलंकार-
- जब एक शब्द प्रयोग दो बार होता है और दोनों बार उसके अर्थ अलग-अलग होते हैं तब यमक अलंकार होता है।
- उदाहरण-
- ऊँचे घोर मन्दर के अन्दर रहन वारी, ऊँचे घोर मन्दर के अन्दर रहाती हैं।
रूपक अलंकार-
- जब गुण की अत्यंत समानता के कारण उपमेय को ही उपमान बता दिया जाए, तब वह रूपक अलंकार कहलाता है।
- रूपक अलंकार अर्थालंकारों में से एक है।
- उदाहरण-
- पायो जी मैंने राम रतन धन पायो।
- उदाहरण में राम रतन को ही धन बता दिया गया है।
- ‘राम रतन’- उपमेय पर ‘धन’- उपमान का आरोप है।
रहिमन जो गति दीप की, कुल कपूत गति सोय।
बारे उजियारै लगै, बढ़ै अंधेरो होय।।
उपर्युक्त पंक्तियों में कौन सा अलंकार है?
Answer (Detailed Solution Below)
श्लेष Question 13 Detailed Solution
Download Solution PDFउपर्युक्त पंक्तियों में - 'श्लेष' अलंकार है।
Key Points
- प्रस्तुत पंक्तियों में श्लेष अलंकार है |
- श्लेष अलंकार में एक शब्द के दो अर्थ निकलते हैं। 1) बारे = बचपन में तथा जलाने पर इस संदर्भ में अर्थ लिया गया है | 2) बढ़े = बड़ा होने पर तथा बुझने पर|
- यहाँ प्रस्तुत दीप के जलने में अप्रस्तुत बुरे पुत्र का आरोप किया गया है।
- जिस प्रकार दीपक के जलने की गति से तेल समाप्त हो जाता है उसी प्रकार एक बुरा पुत्र सम्पूर्ण कुल को नष्ट कर देता है।
- श्लेष अलंकार में एक शब्द के दो अर्थ निकलते हैं। यहाँ भी दीप के निकल ही रहे हैं। यहाँ पर दीपक के दो अर्थ - एक दीया और दूसरा कुल दीपक अर्थात् पुत्र
- जैसे रहिमन पानी राखिये,बिन पानी सब सून। इस दोहे में पानी के दो अर्थ निकलते है, एक पानी और एक जीवन।
Additional Information
- अलंकार,कविता कामिनी के सौन्दर्य को बढ़ाने वाले तत्व होते हैं।
- श्लेष अलंकार में एक शब्द के दो अर्थ निकलते हैं।
- जैसे रहिमन पानी राखिये,बिन पानी सब सून।
Important Points
अन्य विकल्प:
अलंकार |
परिभाषा |
उदाहरण |
रूपक |
जहाँ गुण की अत्यंत समानता के कारण उपमेय में ही उपमान का अभेद आरोप कर दिया हो, वहाँ रूपक अलंकार होता है। |
संतो भाई आई ज्ञान की आंधी रे |
उपमा | जहां एक वस्तु या प्राणी की तुलना किसी दूसरी वस्तु या प्राणी से की जाए, वहाँ उपमा अलंकार होता है। | पीपर पात सरिस मन डोला। |
यमक |
जहां एक शब्द एक से अधिक बार आए और उसका अर्थ भिन्न हो, वहाँ यमक अलंकार होता है। |
- ‘काली घटा का घमंड घटा।’ - ‘तीन बेर खाती थी वे तीन बेर खाती हैं।’ |
रहिमन पानी राखिए, बिनु पानी सब सून ।
पानी गए न उबरै मोती मानुस चून ।।
उपर्युक्त पंक्तियों में कौन-सा अलंकार है ?
Answer (Detailed Solution Below)
श्लेष Question 14 Detailed Solution
Download Solution PDFदिए गए सभी विकल्पों में सही उत्तर 'श्लेष' है।
Key Points
- दी गई पंक्ति में एक ही शब्द का प्रयोग तीन बार किया गया है। यहाँ 'पानी' शब्द का प्रयोग तीन बार हुआ है और तीनों बार उसका अर्थ भिन्न है।
- तीन अर्थ हैं – चमक (मोती के पक्ष में), प्रतिष्ठा (मनुष्य के पक्ष में) तथा जल (चूने के पक्ष में)। इस आधार पर यहाँ श्लेष अलंकार है।
- जिस अंलकार में शब्दों की आवृत्ति एक से अधिक बार आवृति हुए बिना प्रसन्न अनुसार दो या दो से अधिक अर्थ निकले वहां पर श्लेष अलंकार होगा।
अन्य विकल्प:-
- रूपक अलंकार:- जहां उपमेय को उपमान के रूप में बताया जाए वहाँ रूपक अलंकार होता है।
- जैसे:- - अपलक नभ नील नयन विशाल। यहां खुले आकाश (उपमेय) पर अपलक नयन (उपमान) का आरोप है।
- यमक अलंकार:- जब शब्द की एक से ज़्यादा बार आवृति होती है एवं विभिन्न अर्थ निकलते हैं तो वहाँ यमक अलंकार होता है।
- जैसे - तीन बेर खाती थी वे तीन बेर खाती हैं।
- भ्रांतिमान अलंकार- जब एक जैसे दिखाई देने के कारण एक वस्तु को दूसरी वस्तु मान लिया जाता है या समानता के कारण किसी दूसरी वस्तु का भ्रम होता है तब इसे भ्रांतिमान अलंकार कहते हैं।
- जैसे:- ओस बिन्दु चुग रही हंसिनी मोती उनको जान।
Additional Information
- अलंकार का अर्थ है-आभूषण। अर्थात् सुंदरता बढ़ाने के लिए प्रयुक्त होने वाले वे साधन जो सौंदर्य में चार चाँद लगा देते हैं। कविगण कविता रूपी कामिनी की शोभा बढ़ाने हेतु अलंकार नामक साधन का प्रयोग करते हैं। इसीलिए कहा गया है-‘अलंकरोति इति अलंकार।’
- अलंकार;- जिन गुण धर्मों द्वारा काव्य की शोभा बढ़ाई जाती है, उन्हें अलंकार कहते हैं।
- काव्य में कभी अलग-अलग शब्दों के प्रयोग से सौंदर्य में वृद्धि की जाती है तो कभी अर्थ में चमत्कार पैदा करके। इस आधार पर अलंकार के दो भेद होते हैं –
- शब्दालंकार
- अर्थालंकार
"सीधी चलते राह जो, रहते सदा निशंक।
जो करते विप्लव, उन्हें, 'हरि' का है आतंक।।" इस पंक्ति में कौन-सा अलंकार है?Answer (Detailed Solution Below)
श्लेष Question 15 Detailed Solution
Download Solution PDFश्लेष अलंकार
- जहाँ एक शब्द अनेक अर्थों में प्रयुक्त होता है, वहाँ शब्द-श्लेष होता है।
- रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून।
- पानी गए न ऊबरे, मोती, मानुस, चून।।
विरोधाभास अलंकार
- जहाँ वास्तविक विरोध न होकर केवल विरोध का आभास हो, वहाँ विरोधाभास अलंकार होता है।
जल उठो फिर सींचने को।
- जल के उठने की बात कही गई है जबकि जल की प्रकृति बहने की है।
भ्रांतिमान अलंकार
- जब किसी पद में किसी सादृश्य विशेष के कारण उपमेय (जिसकी तुलना की जाए) में उपमान (जिससे तुलना की जाए) का भ्रम उत्पन्न हो जाता है तो वहाँ भ्रांतिमान अलंकार माना जाता है।
- ''ओस बिन्दु चुग रही हंसिनी मोती उनको जान।''
पुनरुक्ति अलंकार
- जिस वाक्य में शब्दों की पुनरावृति होती है वहां पुनरुक्ति अलंकार माना जाता है।
- पुनरुक्ति अलंकार का दूसरा नाम-वीप्सा अलंकार है।