माहेश्वर सूत्र MCQ Quiz in मराठी - Objective Question with Answer for माहेश्वर सूत्र - मोफत PDF डाउनलोड करा

Last updated on Apr 14, 2025

पाईये माहेश्वर सूत्र उत्तरे आणि तपशीलवार उपायांसह एकाधिक निवड प्रश्न (MCQ क्विझ). हे मोफत डाउनलोड करा माहेश्वर सूत्र एमसीक्यू क्विझ पीडीएफ आणि बँकिंग, एसएससी, रेल्वे, यूपीएससी, स्टेट पीएससी यासारख्या तुमच्या आगामी परीक्षांची तयारी करा.

Latest माहेश्वर सूत्र MCQ Objective Questions

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माहेश्वर सूत्र Question 1:

माहेश्वरसूत्रेषु इत्संज्ञकाः व्यञ्जनवर्णाः सन्ति-

  1. पञ्चदश
  2. चतुर्दश
  3. त्रयोदश
  4. द्वाद्वश

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : चतुर्दश

माहेश्वर सूत्र Question 1 Detailed Solution

प्रश्न अनुवाद - माहेश्वरसूत्र में इत्संज्ञक व्यञ्जन वर्ण हैं- 
स्पष्टीकरण -
माहेश्वर सूत्र - 

  1. अ इ उ ण्
  2. ऋ लृ क् 
  3. ए ओ ङ् 
  4. ऐ औ च् 
  5. ह य व र ट् 
  6. ल ण् 
  7. ञ म ङ ण न म् 
  8. झ भ ञ्,
  9. घ ढ ध ष् 
  10. ज ब ग ड द श्, 
  11. ख फ छ ठ थ च ट त व्
  12. क प य्
  13. श ष स र् 
  14. ह ल्
  • उपर्युक्त सभी 14 सूत्रों में अन्तिम वर्ण की इत् संज्ञा पाणिनि ने की है।
  • 14 सूत्रों का अन्तिम वर्ण एक व्यंजन वर्ण है। (अ इ उ ण् से ह ल् तक) इन व्यंजन वर्णों को ‘हल्’ भी कहते हैं।
  • इस तरह स्पष्ट है कि माहेश्वर सूत्रों में इत्संज्ञक व्यंजन वर्ण 14 है।

 

इस प्रकार इत्संज्ञक व्यञ्जन वर्ण चतुर्दश (14) है। 

माहेश्वर सूत्र Question 2:

माहेश्वर सूत्रों में कौन-सा वर्ण दो बार आया है ?

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : ह

माहेश्वर सूत्र Question 2 Detailed Solution

स्पष्टीकरण -

  • संस्कृत व्याकरण की रचना महर्षि पाणिनि द्वारा की गई।
  • पाणिनि व्याकरण में 14 सूत्र है। जिन्हें माहेश्वर सूत्र भी कहते हैं। 
  • इन 14 सूत्रों के आधार पर 42 प्रत्याहारों की रचना होती है।
  • इन 14 सूत्रों के अन्तिम वर्ण की अन्त्य संज्ञा होने से उनकी गणना नहीं की जाती है।
    • पहले चार सूत्रों में स्वरों की गणना की गयी है। इसे अच् प्रत्याहार कहते है।
    • हयवरट् सूत्र से लेकर हल् अन्तिम सूत्र तक व्यंजनों की गणना की गयी है। इसे हल् प्रत्याहार कहते हैं।
  • वर्ण ऐसा वर्ण है, जो इन माहेश्वर सूत्रों में दो बार आता है।
  • हयवरट् और हल् सूत्र में आता है।
 

अतः यहाँ वर्ण सही उत्तर है।

Additional Information

14 माहेश्वर सूत्र निम्नलिखित है -

क्र.सं.

सूत्र

सूत्रों में आने वाले वर्ण

1

अइउण् 

अ इ उ  

2

ऋलृक्

ऋ लृ 

3

एओङ्

ए ओ 

4

ऐऔच्

ऐ औ 

5

हयवरट्

य व र 

6

लण्

7

ञमङणनम्

ञ म ङ ण न

8

झभञ्

झ भ

9

घढधष्

घ ढ ध

10

जबगडदश्

ज ब ग ड द 

11

खफछठथचटतव्

ख फ छ ठ थ च ट त 

12

कपय्

क प 

13

शषसर्

श ष स 

14

हल्

ह 

माहेश्वर सूत्र Question 3:

माहेश्वरसूत्रेषु को वर्णः द्विरुक्तः?

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : ह

माहेश्वर सूत्र Question 3 Detailed Solution

प्रश्नानुवाद - माहेश्वर सूत्रों में किस वर्ण को दो बार कहा गया है।

स्पष्टीकरण - माहेश्वर सूत्रों में वर्ण को दो बार कहा गया है। हयवरट् एवं हल् सूत्र में।

  • संस्कृत व्याकरण की रचना महर्षि पाणिनि द्वारा की गई।
  • पाणिनि व्याकरण में 14 सूत्र है। जिन्हें माहेश्वर सूत्र भी कहते हैं। 
  • इन 14 सूत्रों के आधार पर 42 प्रत्याहारों की रचना होती है।
  • इन 14 सूत्रों के अन्तिम वर्ण की अन्त्य संज्ञा होने से उनकी गणना नहीं की जाती है।
    • पहले चार सूत्रों में स्वरों की गणना की गयी है। इसे अच् प्रत्याहार कहते है।
    • हयवरट् सूत्र से लेकर हल् अन्तिम सूत्र तक व्यंजनों की गणना की गयी है। इसे हल् प्रत्याहार कहते हैं।
  • वर्ण ऐसा वर्ण है, जो इन माहेश्वर सूत्रों में दो बार आता है।
  • हयवरट् और हल् सूत्र में आता है।
 

अतः स्पष्ट है कि यहाँ वर्ण सही उत्तर है।

Additional Information

14 माहेश्वर सूत्र निम्नलिखित है -

क्र.सं.

सूत्र

सूत्रों में आने वाले वर्ण

1

अइउण् 

अ इ उ  

2

ऋलृक्

ऋ लृ 

3

एओङ्

ए ओ 

4

ऐऔच्

ऐ औ 

5

हयवरट्

य व र 

6

लण्

7

ञमङणनम्

ञ म ङ ण न

8

झभञ्

झ भ

9

घढधष्

घ ढ ध

10

जबगडदश्

ज ब ग ड द 

11

खफछठथचटतव्

ख फ छ ठ थ च ट त 

12

कपय्

क प 

13

शषसर्

श ष स 

14

हल्

ह 

माहेश्वर सूत्र Question 4:

केन वर्णेन द्वयोः माहेश्वरसूत्रयोः आरम्भो भवति?

  1. ण्

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : ह

माहेश्वर सूत्र Question 4 Detailed Solution

प्रश्न का अनुवाद- किस वर्ण से दो माहेश्वर सूत्रोंं का आरंभ होता है?

माहेश्वरसूत्र- 

  • संस्कृत व्याकरण की रचना महर्षि पाणिनि द्वारा की गई।
  • पाणिनि व्याकरण के आरम्भ में 14 सूत्र है। जिन्हें माहेश्वर सूत्र भी कहते हैं। 
  • इन चौदह सूत्रों से 42 प्रत्याहारों की रचना होती है।
  • पहले चार सूत्रों में स्वरों की गणना की गयी है। इसे अच् प्रत्याहार कहते हैं।
  • हयवरट् सूत्र से लेकर हल् अन्तिम सूत्र तक व्यंजनों की गणना की गयी है। इसे हल् प्रत्याहार कहते हैं।
क्र. सूत्र सूत्रोंं में आनेवाले वर्ण
अइउण्  अ इ उ  
ऋलृक् ऋ लृ 
एओङ् ए ओ 
ऐऔच् ऐ औ 
हयवरट् य व र 
लण्
ञमङणनम् ञ म ङ ण न
झभञ् झ भ
घढधष् घ ढ ध
१० जबगडदश् ज ब ग ड द 
११ खफछठथचटतव् ख फ छ ठ थ च ट त
१२ कपय् क प 
१३ शषसर् श ष स 
१४ हल् ह 

 

अत: स्पष्ट होता है की, 'ह' इस वर्ण से दो माहेश्वर सूत्रोंं का आरंभ होता है- एक हयवरट् और दुसरा हल्

माहेश्वर सूत्र Question 5:

एषु अशुद्धं सूत्रं वर्तते-

  1. ह य व र ट्
  2. श ष स र्
  3. ञङ्मणनम्
  4. खफछठथचटतव्

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : ञङ्मणनम्

माहेश्वर सूत्र Question 5 Detailed Solution

प्रश्नानुवाद- इनमें अशुद्ध सूत्र है-

स्पष्टीकरण -

  • दिये गये विकल्पों में ञङ्मणनम् अशुद्ध सूत्र है। क्योंकि 14 माहेश्वर सूत्रों में केवल अन्तिम् वर्ण की इत् संज्ञा है, किसी मध्य वर्ण की नहीं।
  • शुद्ध सूत्र है - ञ म ङ ण न म्।
  • अन्य सभी सूत्र (हयवरट्, शषसर्, खफछठथचटतव्) ये शुद्ध रूप में है।
Important Points 
  • संस्कृत व्याकरण की रचना महर्षि पाणिनि द्वारा की गई।
  • पाणिनि व्याकरण में 14 सूत्र है। जिन्हें माहेश्वर सूत्र भी कहते हैं। 
  • इन 14 सूत्रों के अन्तिम वर्ण की अन्त्य संज्ञा होने से उनकी गणना नहीं की जाती है।
  • पहले चार सूत्रों में स्वरों की गणना की गयी है। इसे अच् प्रत्याहार कहते हैं।
  • हयवरट् सूत्र से लेकर हल् अन्तिम सूत्र तक व्यंजनों की गणना की गयी है। इसे हल् प्रत्याहार कहते हैं।

14 माहेश्वर सूत्र निम्नलिखित हैं-

क्र.सं.

सूत्र

सूत्रों में आने वाले वर्ण

1

अइउण् 

अ इ उ  

2

ऋलृक्

ऋ लृ 

3

एओङ्

ए ओ 

4

ऐऔच्

ऐ औ 

5

हयवरट्

ह य व र 

6

लण्

7

ञमङणनम्

ञ म ङ ण न

8

झभञ्

झ भ

9

घढधष्

घ ढ ध

10

जबगडदश्

ज ब ग ड द 

11

खफछठथचटतव्

ख फ छ ठ थ च ट त 

12

कपय्

क प 

13

शषसर्

श ष स 

14

हल्

ह 

 

अतः स्पष्ट है कि यहाँ ञङ्मणनम् अशुद्ध सूत्र है

माहेश्वर सूत्र Question 6:

‘चर्’ प्रत्याहार किस माहेश्वर सूत्र से आरम्भ होता हैं?

  1. ऐऔच्
  2. कपय्
  3. जबगडदश्
  4. खफछठथचटतव्

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : खफछठथचटतव्

माहेश्वर सूत्र Question 6 Detailed Solution

स्पष्टीकरण -

  • संस्कृत व्याकरण की रचना महर्षि पाणिनि द्वारा की गई।
  • पाणिनि व्याकरण में 14 सूत्र है। जिन्हें माहेश्वर सूत्र भी कहते हैं। 
  • इन 14 सूत्रों के आधार पर 42 प्रत्याहारों की रचना होती है।
  • इन 14 सूत्रों के अन्तिम वर्ण की अन्त्य संज्ञा होने से उनकी गणना नहीं की जाती है।

 

चर् प्रत्याहार की रचना इन तीन सूत्रों से मिलकर हुयी है। जिसमें खफछठथचटतव्, कपय, शषसर् ये तीनों सूत्र आते हैं।

  • चर् प्रत्याहार का आरम्भ खफछठथटतव् सूत्र के से आरम्भ होता है।
  • चर् प्रत्याहार - च, ट, त, क, प, श, ष, स

 

अतः यहाँ खफछठथचटतव् सही उत्तर है।

Additional Information

14 माहेश्वर सूत्र निम्नलिखित है -

  • पहले चार सूत्रों में स्वरों की गणना की गयी है। इसे अच् प्रत्याहार कहते है।
  • हयवरट् सूत्र से लेकर हल् अन्तिम सूत्र तक व्यंजनों की गणना की गयी है। इसे हल् प्रत्याहार कहते हैं।

क्र.सं.

सूत्र

सूत्रों में आने वाले वर्ण

1

अइउण् 

अ इ उ  

2

ऋलृक्

ऋ लृ 

3

एओङ्

ए ओ 

4

ऐऔच्

ऐ औ 

5

हयवरट्

ह य व र 

6

लण्

7

ञमङणनम्

ञ म ङ ण न

8

झभञ्

झ भ

9

घढधष्

घ ढ ध

10

जबगडदश्

ज ब ग ड द 

11

खफछठथचटतव्

ख फ छ ठ थ ट त 

12

कपय्

क प 

13

शषसर्

श ष स 

14

हल्

ह 

माहेश्वर सूत्र Question 7:

पाणिनेः अष्टाध्यायी-ग्रन्थस्य अपरं नाम किम्?

  1. शब्दानुशासनम्।
  2. वाक्यपदीयम्।
  3. महाभाष्यम्।
  4. सरस्वतीकण्ठाभरणम्।

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : शब्दानुशासनम्।

माहेश्वर सूत्र Question 7 Detailed Solution

प्रश्नानुवाद - पाणिनि अष्टाध्यायी ग्रन्थ का अपर नाम क्या है।

स्पष्टीकरण

पाणिनि का अष्टाध्यायी शब्दानुशासन के नाम से विद्वानों में प्रसिद्ध है।

आठ अध्यायों में विभक्त होने के कारण यही शब्दानुशासन लोक में अष्टाध्यायी अथवा पाणिनीयाष्टक के रूप में जाना जाता है।

 Additional Information

पाणिनीय अष्टाध्यायी के आठ अध्यायों में से प्रत्येक अध्याय में चार पद हैं और कुल मिलाकर लगभग चार हज़ार सूत्र हैं। अष्टाध्यायी की सूत्र संख्या के विषय में विद्वानों में थोड़ा विवाद है। कुछ विद्वान् इसके सूत्रों की संख्या 3981 मानते हैं। इनमें यदि 14 प्रत्याहार–सूत्र जोड़ दें तो यह संख्या 3995 हो जाती है। अष्टाध्यायी को वेदाङ्ग मानने वालों की परम्परा में प्रचलित मौखिक पाठ में यह संख्या 3983 है। काशिका और सिद्धान्त–कौमुदी के परम्परागत पाठ के अनुसार 3983 संख्या ही दी हुई है।

माहेश्वर सूत्र Question 8:

"खरवसानयोः _____" इति सूत्रस्य रिक्तस्थानं पूरणीयम्-

  1. रुः
  2. विसर्जनीयः
  3. विसर्गः
  4. शरः

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : विसर्जनीयः

माहेश्वर सूत्र Question 8 Detailed Solution

प्रश्न का अनुवाद - "खरवसानयोः _____" रिक्त स्थान की पूर्ति करें।

स्पष्टीकरण - उपरोक्त प्रश्न के अनुसार सही पर्याय ''विसर्जनीयः'' है। इस तरह पूर्ण सूत्र होगा - खरवसानयोर्विसर्जनीयः।

Key Pointsपाणिनीय अष्टाध्यायी के अनुसार विसर्ग के बारे में बताते हुए यह सूत्र आया है- 
सूत्र - खरवसानयोर्विसर्जनीयः। 
खरि अवसाने च पदान्तस्य रेफस्य विसर्गः। 
अर्थात् ''खर'' परे रहते पदान्त रेफ को विसर्ग होता है। 
खर् प्रत्याहार परे रहते या विराम होने पर शब्द के अन्तिम र् को विसर्ग हो जाता है। यह र् शब्द के अन्तिम स् के स्थान पर होता है (ससजुषो रुः)।
उदाहरण-

बालकस् + चलति - बालकः चलति। यहाँ पहले स् को र् हुआ फिर र् के स्थान पर उपर्युक्त नियम से खर् प्रत्याहार वाले वर्ण च् के परे रहते विसर्ग हो गया।
अन्य उदाहरण - 

  • हरिस् + कथयति= हरिः कथयति ।
  • देवदत्तस् + पालयति= देवदत्तः पालयति।

 

इस प्रकार रिक्त स्थान में विसर्जनीयः शब्द आयेगा। जिससे पूर्ण सूत्र होगा - खरवसानयोर्विसर्जनीयः । 

माहेश्वर सूत्र Question 9:

माहेश्वरसूत्रेषु अस्य वर्णस्य द्विवारम् उपदेशः वर्तते-

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : ह

माहेश्वर सूत्र Question 9 Detailed Solution

प्रश्नानुवाद - माहेश्वर सूत्रों में इस वर्ण का दो बार उपदेश है-

स्पष्टीकरण -

  • संस्कृत व्याकरण की रचना महर्षि पाणिनि द्वारा की गई।
  • पाणिनि व्याकरण में 14 सूत्र है। जिन्हें माहेश्वर सूत्र भी कहते हैं। 
  • इन 14 सूत्रों में ह वर्ण का दो बार उपदेश हुआ है।
  • हयवरट् और हल् सूत्र में दो स्थानों पर ह वर्ण आया है।
  • केवल (ह) इसी वर्ण की दो बार आवृत्ति हुयी है और जो इत्संज्ञक भी नहीं है।
 

अतः यहाँ सही उत्तर है।

Additional Information

  • 14 माहेश्वर सूत्र निम्नलिखित है।
  • पहले चार सूत्रों में स्वरों की गणना की गयी है। इसे अच् प्रत्याहार कहते है।
  • हयवरट् सूत्र से लेकर हल् अन्तिम सूत्र तक व्यंजनों की गणना की गयी है। इसे हल् प्रत्याहार कहते हैं।

क्र.सं.

सूत्र

सूत्रों में आने वाले वर्ण

1

अइउण् 

अ इ उ  

2

ऋलृक्

ऋ लृ 

3

एओङ्

ए ओ 

4

ऐऔच्

ऐ औ 

5

हयवरट्

य व र 

6

लण्

7

ञमङणनम्

ञ म ङ ण न

8

झभञ्

झ भ

9

घढधष्

घ ढ ध

10

जबगडदश्

ज ब ग ड द 

11

खफछठथचटतव्

ख फ छ ठ थ च ट त 

12

कपय्

क प 

13

शषसर्

श ष स 

14

हल्

 

माहेश्वर सूत्र Question 10:

व्याकरणसम्मत शिवप्रदत्त मूल सूत्रों की संंख्या है-

  1. 14
  2. 10
  3. 7
  4. 5

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : 14

माहेश्वर सूत्र Question 10 Detailed Solution

स्पष्टीकरण-

  •  माहेश्वरसूत्र व्याकरण का महत्वपूर्ण अङ्ग है। पाणिनि कि विशेषता यह थी कि वह हर नियम को अत्यन्त सरलता से प्रस्तुत करते थे। इसीलिये उनकी अष्टाध्यायी को वैज्ञानिक व्याकरण की संज्ञा दी जाती है।
  • उन्होंने पूरी वर्णमाला को 14 छोटे-छोटे सूत्रों में क्रमबद्ध कर दिया | उन 14 सूत्रों को माहेश्वरसूत्र एवं शिवसूत्र नाम दिया गया। 
 
अतः यहाँ 14 सही उत्तर है।
Additional Information
माहेश्वर सूत्रों के नाम -
  1. अइउण्
  2. ऋऌक्
  3. एओङ्
  4. ऐऔच्
  5. हयवरट्
  6. लण्
  7. ञमङणनम्
  8. झभञ्
  9. घढधष्
  10. जबगडदश्
  11. खफछठथचटतव्
  12. कपय्
  13. शषसर्
  14. हल्
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