उच्चारण - स्थान MCQ Quiz in मराठी - Objective Question with Answer for उच्चारण - स्थान - मोफत PDF डाउनलोड करा

Last updated on Apr 13, 2025

पाईये उच्चारण - स्थान उत्तरे आणि तपशीलवार उपायांसह एकाधिक निवड प्रश्न (MCQ क्विझ). हे मोफत डाउनलोड करा उच्चारण - स्थान एमसीक्यू क्विझ पीडीएफ आणि बँकिंग, एसएससी, रेल्वे, यूपीएससी, स्टेट पीएससी यासारख्या तुमच्या आगामी परीक्षांची तयारी करा.

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उच्चारण - स्थान Question 1:

'अकुहविसर्जनीयानां कण्ठः' इत्यत्र 'कु' नाम-

  1. ककारः
  2. क वर्गः
  3. कमलम्
  4. कुम्भम्

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : क वर्गः

उच्चारण - स्थान Question 1 Detailed Solution

प्रश्नानुवाद'अकुहविसर्जनीयानां कण्ठः' यहाँ 'कु' है -

  • वर्णों का उच्चारण करते समय जिह्वा जिस स्थान को स्पर्श करती है अथवा जिस स्थान से ध्वनि निकलती है उसे उच्चारण स्थान कहते हैं। मुख्य रूप से 6 उच्चारण स्थान होते हैं -

उच्चारणस्थान

स्थान

सूत्र

व्याख्या

कण्ठ्य

अकुहविसर्जनीयानां कण्ठः

अ, क वर्ग (क्, ख्, ग्, घ्, ङ्) ह् और विसर्ग का उच्चारणस्थान कण्ठ्य होता है।

तालव्य

इचुयशानां तालुः

इ, च वर्ग (च्, छ्, ज्, झ्, ञ्) य् और श् का उच्चारणस्थान तालव्य होता है।

मूर्द्धन्य

ऋटुरषाणां मूर्द्धा

ऋ, ट वर्ग (ट्, ठ्, ड्, ढ्, ण्) र् और ष् का उच्चारणस्थान मूर्धा होता है।

दन्त्य

लृतुलसानां दन्ताः

लृ, त वर्ग (त्, थ्, द्, ध्, न्) ल् और स् का उच्चारणस्थान दन्त्य होता है।

ओष्ठ्य

उपूपध्मानीयानां ओष्ठौ

उ, प वर्ग (प्, फ्, ब्, भ्, म्) उपधमानीय ( ऍ, ऑ) का उच्चारणस्थान ओष्ठ्य है।

नासिक्य

ञमङणनानां नासिका च

ञ्, म्, ङ्, ण्, न् और अनुनासिक का उच्चारणस्थान नासिका होता है।

  • अतः, उपर्युक्त पंक्तियों से स्पष्ट है कि ‘अकुहविसर्जनीयानां कण्ठः' से अ, क वर्ग (क्, ख्, ग्, घ्, ङ्) ह् और विसर्ग का उच्चारणस्थान कंठ होता है।' अर्थात् 'कु' का अर्थ 'ट वर्ग' होता है।

उच्चारण - स्थान Question 2:

लृ-तु-ल-सानां _____

  1. कण्ठ्यः
  2. मूर्धा
  3. दन्तः
  4. तालु

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : दन्तः

उच्चारण - स्थान Question 2 Detailed Solution

वर्णों का उच्चारण करते समय जिह्वा जिस स्थान को स्पर्श करती है अथवा जिस स्थान से ध्वनि निकलती है उसे उच्चारण स्थान कहते हैं। मुख्य रूप से 6 उच्चारण स्थान होते हैं -

उच्चारणस्थान

स्थान

सूत्र

व्याख्या

कण्ठ्य

अकुहविसर्जनीयानां कण्ठः

अ, क वर्ग (क्, ख्, ग्, घ्, ङ्) ह् और विसर्ग का उच्चारणस्थान कण्ठ्य होता है।

तालव्य

इचुयशानां तालुः

इ, च वर्ग (च्, छ्, ज्, झ्, ञ्) य् और श् का उच्चारणस्थान तालव्य होता है।

मूर्द्धन्य

ऋटुरषाणां मूर्द्धा

ऋ, ट वर्ग (ट्, ठ्, ड्, ढ्, ण्) र् और ष् का उच्चारणस्थान मूर्धा होता है।

दन्त्य

लृतुलसानां दन्ताः

लृ, त वर्ग (त्, थ्, द्, ध्, न्) ल् और स् का उच्चारणस्थान दन्त्य होता है।

ओष्ठ्य

उपूपध्मानीयानां ओष्ठौ

उ, प वर्ग (प्, फ्, ब्, भ्, म्) उपधमानीय ( ऍ, ऑ) का उच्चारणस्थान ओष्ठ्य है।

नासिक्य

ञमङणनानां नासिका च

ञ्, म्, ङ्, ण्, न् और अनुनासिक का उच्चारणस्थान नासिका होता है।


अतः, उपर्युक्त पंक्तियों से स्पष्ट है कि लृतुलसानां दन्ताः' यह पूर्ण उक्ति है।

उच्चारण - स्थान Question 3:

'ज्' इति वर्णस्य उच्चारण स्थानं किम्?

  1. तालु
  2. कण्ठः
  3. दन्तः
  4. जिह्वा

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : तालु

उच्चारण - स्थान Question 3 Detailed Solution

प्रश्नानुवाद - 'ज्' वर्ण का उच्चारण स्थान क्या है?

स्पष्टीकरण -

वर्णों का उच्चारण करते समय जिह्वा जिस स्थान को स्पर्श करती है, अथवा जिस स्थान से ध्वनि निकलती है, उसे उच्चारण स्थान कहते हैं।

मुख्य रूप से 6 उच्चारण स्थान होते हैं -

उच्चारणस्थान

स्थान

सूत्र

व्याख्या

कण्ठ्य

अकुहविसर्जनीयानां कण्ठः

अ, आ, क वर्ग (क्, ख्, ग्, घ्, ङ्) ह् और विसर्ग का उच्चारणस्थान कण्ठ्य होता है।

तालव्य

इचुयशानां तालुः

इ, ई, च वर्ग (च्, छ्, ज्, झ्, ञ्) य् और श् का उच्चारणस्थान तालव्य होता है।

मूर्द्धन्य

ऋटुरषाणां मूर्द्धा

ऋ, ट वर्ग (ट्, ठ्, ड्, ढ्, ण्) र् और ष् का उच्चारणस्थान मूर्धा होता है।

दन्त्य

लृतुलसानां दन्ताः

लृ, त वर्ग (त्, थ्, द्, ध्, न्) ल् और स् का उच्चारणस्थान दन्त्य होता है।

ओष्ठ्य

उपूपध्मानीयानां ओष्ठौ

उ, ऊ, प वर्ग (प्, फ्, ब्, भ्, म्) उपधमानीय ( ऍ, ऑ) का उच्चारणस्थान ओष्ठ्य है।

नासिक्य

ञमङणनानां नासिका च

ञ्, म्, ङ्, ण्, न् और अनुनासिक का उच्चारणस्थान नासिका होता है।

 

इसके अतिरिक्त अरबी फारसी में प्रयुक्त 'क़, ख़, ग़‌' वर्णों को जिह्वामूलीय कहा जाता है। 

अतः, उपर्युक्त पंक्तियों से स्पष्ट है कि 'ज्' का उच्चारण स्थान ‘तालुहै।

Additional Information

दो स्थानों को मिलाकर भी कुछ वर्णों के उच्चारण स्थान होते हैं-

स्थान

सूत्र

व्याख्या

कण्ठतालव्य

एदैतो कण्ठतालु

ए और ऐ का उच्चारणस्थान कण्ठतालु होता है।

दन्तोष्ठं

वकारस्य दन्तोष्ठं

व का उच्चारणस्थान दन्तोष्ठ होता है।

कण्ठोष्ठं दौतो कण्ठोष्ठ्म् ओ तथा औ का उच्चारणस्थान कण्ठोष्ठ होता है।

उच्चारण - स्थान Question 4:

'फ' का उच्चारण स्थान है-

  1. कण्ठ
  2. ओष्ठ
  3. तालु
  4. मूर्धा

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : ओष्ठ

उच्चारण - स्थान Question 4 Detailed Solution

स्पष्टीकरण -

  • वर्णों का उच्चारण करते समय जिह्वा जिस स्थान को स्पर्श करती है अथवा जिस स्थान से ध्वनि निकलती है, उसे उच्चारण स्थान कहते हैं। मुख्य रूप से 6 उच्चारण स्थान होते हैं -

उच्चारण स्थान

स्थान

सूत्र

व्याख्या

कण्ठ्य

अकुहविसर्जनीयानां कण्ठः

अ, आ, क वर्ग (क्, ख्, ग्, घ्, ङ्) ह् और विसर्ग का उच्चारणस्थान कण्ठ्य होता है।

तालव्य

इचुयशानां तालुः

इ, ई, च वर्ग (च्, छ्, ज्, झ्, ञ्) य् और श् का उच्चारणस्थान तालव्य होता है।

मूर्द्धन्य

ऋटुरषाणां मूर्द्धा

ऋ, ट वर्ग (ट्, ठ्, ड्, ढ्, ण्) र् और ष् का उच्चारणस्थान मूर्धा होता है।

दन्त्य

लृतुलसानां दन्ताः

लृ, त वर्ग (त्, थ्, द्, ध्, न्) ल् और स् का उच्चारणस्थान दन्त्य होता है।

ओष्ठ्य

उपूपध्मानीयानां ओष्ठौ

उ, ऊ, प वर्ग (प्, फ्, ब्, भ्, म्) उपधमानीय ( ऍ, ऑ) का उच्चारणस्थान ओष्ठ्य है।

नासिक्य

ञमङणनानां नासिका च

ञ्, म्, ङ्, ण्, न् और अनुनासिक का उच्चारणस्थान नासिका होता है।

 

इसके अतिरिक्त अरबी फारसी में प्रयुक्त 'क़, ख़, ग़‌' वर्णों को जिह्वामूलीय कहा जाता है। 

अतः उपर्युक्त पंक्तियों से स्पष्ट है कि 'फ' का उच्चारण स्थान ‘ओष्ठहै।

Additional Information

दो स्थानों को मिलाकर भी कुछ वर्णों के उच्चारण स्थान होते हैं-

स्थान

सूत्र

व्याख्या

कण्ठतालव्य

एदैतो कण्ठतालु

ए और ऐ का उच्चारणस्थान कण्ठतालु होता है।

दन्तोष्ठं

वकारस्य दन्तोष्ठं

व का उच्चारणस्थान दन्तोष्ठ होता है।

कण्ठोष्ठं दौतो कण्ठोष्ठ्म् ओ तथा औ का उच्चारणस्थान कण्ठोष्ठ होता है।

उच्चारण - स्थान Question 5:

"च" वर्ण का उच्चारण स्थान होता है-

  1. कण्ठ्य
  2. तालु
  3. मूर्धा
  4. दन्त्य

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : तालु

उच्चारण - स्थान Question 5 Detailed Solution

वर्णों का उच्चारण करते समय जिह्वा जिस स्थान को स्पर्श करती है अथवा जिस स्थान से ध्वनि निकलती है उसे उच्चारण स्थान कहते हैं। मुख्य रूप से 6 उच्चारण स्थान होते हैं -

उच्चारणस्थान

स्थान

सूत्र

व्याख्या

कण्ठ्य

अकुहविसर्जनीयानां कण्ठः

अ, आ, क वर्ग (क्, ख्, ग्, घ्, ङ्) ह् और विसर्ग का उच्चारणस्थान कण्ठ्य होता है।

तालव्य

इचुयशानां तालुः

इ, ई, च वर्ग (च्, छ्, ज्, झ्, ञ्) य् और श् का उच्चारणस्थान तालव्य होता है।

मूर्द्धन्य

ऋटुरषाणां मूर्द्धा

ऋ, ट वर्ग (ट्, ठ्, ड्, ढ्, ण्) र् और ष् का उच्चारणस्थान मूर्धा होता है।

दन्त्य

लृतुलसानां दन्ताः

लृ, त वर्ग (त्, थ्, द्, ध्, न्) ल् और स् का उच्चारणस्थान दन्त्य होता है।

ओष्ठ्य

उपूपध्मानीयानां ओष्ठौ

उ, ऊ, प वर्ग (प्, फ्, ब्, भ्, म्) उपधमानीय ( ऍ, ऑ) का उच्चारणस्थान ओष्ठ्य है।

नासिक्य

ञमङणनानां नासिका च

ञ्, म्, ङ्, ण्, न् और अनुनासिक का उच्चारणस्थान नासिका होता है।

 

इसके अतिरिक्त अरबी फारसी में प्रयुक्त 'क़, ख़, ग़‌' वर्णों को जिह्वामूलीय कहा जाता है। 

अतः, उपर्युक्त पंक्तियों से स्पष्ट है कि 'च्' का उच्चारण स्थान ‘तालुहै।

Additional Information

दो स्थानों को मिलाकर भी कुछ वर्णों के उच्चारण स्थान होते हैं-

स्थान

सूत्र

व्याख्या

कण्ठतालव्य

एदैतो कण्ठतालु

ए और ऐ का उच्चारणस्थान कण्ठतालु होता है।

दन्तोष्ठं

वकारस्य दन्तोष्ठं

व का उच्चारणस्थान दन्तोष्ठ होता है।

कण्ठोष्ठं दौतो कण्ठोष्ठ्म् ओ तथा औ का उच्चारणस्थान कण्ठोष्ठ होता है।

उच्चारण - स्थान Question 6:

'त्' वर्ग का उच्चारण स्थान होता है-

  1. दन्तोष्ठ
  2. तालु
  3. दन्त
  4. कण्ठ और तालु

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : दन्त

उच्चारण - स्थान Question 6 Detailed Solution

स्पष्टीकरण - 'लृतुलसानां दन्ताः' इस सूत्र के अनुसार त्’ का उच्चारण स्थान ‘दन्त’ होता है-

Hint

उच्चारण स्थान

स्वर

व्यञ्जन

वर्गीय

अन्तस्थ

उष्म

कण्ठ

अ आ

क् ख् ग् घ् ङ्

 

ह्  :(विसर्ग)

तालु

इ ई

च् छ् ज् झ् ञ्

य्

श्

मूर्धा

ऋ ॠ

ट् ठ् ड् ढ् ण्

र्

ष्

दन्त

त् थ् द् ध् न्

ल्

स्

ओष्ठ

उ ऊ

प् फ् ब् भ् म्

 

 

कण्ठ और तालु

ए ऐ

 

 

 

कण्ठोष्ठ

ओ औ

 

 

 

दन्तोष्ठ

 

 

 

नासिका

अनुस्वार (स्वराश्रित)

 

 

 

 

Additional Information

उच्चारणस्थान

स्थान

सूत्र

व्याख्या

कण्ठ्य

अकुहविसर्जनीयानां कण्ठः

अ, आ, क वर्ग (क्, ख्, ग्, घ्, ङ्) ह् और विसर्ग का उच्चारणस्थान कण्ठ्य होता है।

तालव्य

इचुयशानां तालुः

इ, ई, च वर्ग (च्, छ्, ज्, झ्, ञ्) य् और श् का उच्चारणस्थान तालव्य होता है।

मूर्द्धन्य

ऋटुरषाणां मूर्द्धा

ऋ, ट वर्ग (ट्, ठ्, ड्, ढ्, ण्) र् और ष् का उच्चारणस्थान मूर्धा होता है।

दन्त्य

लृतुलसानां दन्ताः

लृ, त वर्ग (त्, थ्, द्, ध्, न्) ल् और स् का उच्चारणस्थान दन्त्य होता है।

ओष्ठ्य

उपूपध्मानीयानां ओष्ठौ

उ, ऊ, प वर्ग (प्, फ्, ब्, भ्, म्) उपधमानीय ( ऍ, ऑ) का उच्चारणस्थान ओष्ठ्य है।

नासिक्य

ञमङणनानां नासिका च

ञ्, म्, ङ्, ण्, न् और अनुनासिक का उच्चारणस्थान नासिका होता है।

 

दो स्थानों को मिलाकर भी कुछ वर्णों के उच्चारण स्थान होते हैं-

स्थान

सूत्र

व्याख्या

कण्ठतालव्य

एदैतो कण्ठतालु

ए और ऐ का उच्चारणस्थान कण्ठतालु होता है।

दन्तोष्ठं

ओदौतो दन्तोष्ठं, वकारस्य दन्तोष्ठं

ओ, औ तथा व का उच्चारणस्थान दन्तोष्ठ होता है।

उच्चारण - स्थान Question 7:

'म्' कारस्य उच्चारणस्थानम् अस्ति -

  1. कण्ठ
  2. ओष्ठ
  3. दन्त
  4. कण्ठोष्ठ

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : ओष्ठ

उच्चारण - स्थान Question 7 Detailed Solution

प्रश्न का हिंदी अनुवाद -  'म्' कार का उच्चारण स्थान होता है -

  • 'उपूपध्मानीयानां ओष्ठौ' इस सूत्र के अनुसार 'म्' का उच्चारण स्थान ओष्ठ होता है।

Hint

उच्चारण स्थान

स्वर

व्यञ्जन

वर्गीय

अन्तस्थ

उष्म

कण्ठ

अ आ

क् ख् ग् घ् ङ्

 

ह्  :(विसर्ग)

तालु

इ ई

च् छ् ज् झ् ञ्

य्

श्

मूर्धा

ऋ ॠ

ट् ठ् ड् ढ् ण्

र्

ष्

दन्त

त् थ् द् ध् न्

ल्

स्

ओष्ठ

उ ऊ

प् फ् ब् भ् म्

 

 

कण्ठ और तालु

ए ऐ

 

 

 

कण्ठोष्ठ

ओ औ

 

 

 

दन्तोष्ठ

 

 

व्

 

नासिका

अनुस्वार (स्वराश्रित)

 

 

 

Additional Information

उच्चारणस्थान

स्थान

सूत्र

व्याख्या

कण्ठ्य

अकुहविसर्जनीयानां कण्ठः

अ, आ, क वर्ग (क्, ख्, ग्, घ्, ङ्) ह् और विसर्ग का उच्चारणस्थान कण्ठ्य होता है।

तालव्य

इचुयशानां तालुः

इ, ई, च वर्ग (च्, छ्, ज्, झ्, ञ्) य् और श् का उच्चारणस्थान तालव्य होता है।

मूर्द्धन्य

ऋटुरषाणां मूर्द्धा

ऋ, ट वर्ग (ट्, ठ्, ड्, ढ्, ण्) र् और ष् का उच्चारणस्थान मूर्धा होता है।

दन्त्य

लृतुलसानां दन्ताः

लृ, त वर्ग (त्, थ्, द्, ध्, न्) ल् और स् का उच्चारणस्थान दन्त्य होता है।

ओष्ठ्य

उपूपध्मानीयानां ओष्ठौ

उ, ऊ, प वर्ग (प्, फ्, ब्, भ्, म्) उपधमानीय (ऍ, ऑ) का उच्चारणस्थान ओष्ठ्य है।

नासिक्य

ञमङणनानां नासिका च

ञ्, म्, ङ्, ण्, न् और अनुनासिक का उच्चारणस्थान नासिका होता है।

 

इसके अतिरिक्त अरबी फारसी में प्रयुक्त 'क़, ख़, ग़‌' वर्णों को जिह्वामूलीय कहा जाता है।

दो स्थानों को मिलाकर भी कुछ वर्णों के उच्चारण स्थान होते हैं-

स्थान

सूत्र

व्याख्या

कण्ठतालव्य

एदैतो कण्ठतालु

ए और ऐ का उच्चारणस्थान कण्ठतालु होता है।

दन्तोष्ठं

वकारस्य दन्तोष्ठं

व का उच्चारणस्थान दन्तोष्ठ होता है।

कण्ठोष्ठं दौतो कण्ठोष्ठम् ओ तथा औ का उच्चारणस्थान कण्ठोष्ठ होता है।

उच्चारण - स्थान Question 8:

अन्तःस्थवर्णानां क्रमः कः ?

  1. व्, य्, र्, ल्    
  2. य्, र्, ल्‌, व् ‌
  3. य्, र्, व्  ल्‌
  4. य्‌, व्‌, र्, ल् 

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : य्‌, व्‌, र्, ल् 

उच्चारण - स्थान Question 8 Detailed Solution

प्रश्नानुवाद - अन्तःस्थ वर्णों का क्रम क्या है?

स्पष्टीकरण :- 

  • नियम - यणोऽन्तस्थाः
  • अर्थ - इस नियम के अनुसार चार अन्तःस्थ वर्ण हैं, जो यण् प्रत्याहार के अन्तर्गत आते हैं। 
  • यण् प्रत्याहार - य, व, र, ल।
  • यण प्रत्याहार को 14 महेश्वर सूत्रों में से लिया गया है, जिसमें हयवरट् और लण् सूत्र से क्रमशः य, व, र, ल को ग्रहण किया गया है।

 

इस नियम से स्पष्ट होता है कि य, व, र्, ल् सही उत्तर होगा।

Additional Information

माहेश्वर सूत्र 14 हैं।

  1. अइउण्
  2. ऋलृक्
  3. एओङ्
  4. ऐऔच्
  5. हयवरट्
  6. लण्
  7. ञमङ्णनम्
  8. झभञ्
  9. घढधष्
  10. जबगडदश्
  11. खफछठथचटतव्
  12. कपय्
  13. शषसर्
  14. हल्

उच्चारण - स्थान Question 9:

'व' कारस्य उच्चारणस्थानं विद्यते

  1. कण्ठतालु
  2. दन्तोष्ठम् 
  3. कण्ठोष्ठम् 
  4. ओष्ठौ 

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : दन्तोष्ठम् 

उच्चारण - स्थान Question 9 Detailed Solution

प्रश्न का हिंदी अनुवाद -  'व' कार का उच्चारण स्थान है -

  • वकारास्य दन्त्तोष्ठम्’ इस सूत्र के अनुसार 'व्' का उच्चारण स्थान ‘दन्त्तोष्ठ’ होता है।

Hint

उच्चारण स्थान

स्वर

व्यञ्जन

वर्गीय

अन्तस्थ

उष्म

कण्ठ

अ आ

क् ख् ग् घ् ङ्

 

ह्  :(विसर्ग)

तालु

इ ई

च् छ् ज् झ् ञ्

य्

श्

मूर्धा

ऋ ॠ

ट् ठ् ड् ढ् ण्

र्

ष्

दन्त

त् थ् द् ध् न्

ल्

स्

ओष्ठ

उ ऊ

प् फ् ब् भ् म्

 

 

कण्ठ और तालु

ए ऐ

 

 

 

कण्ठोष्ठ

ओ औ

 

 

 

दन्तोष्ठ

 

व्

 

 

नासिका

अनुस्वार (स्वराश्रित)

 

 

 

उच्चारण - स्थान Question 10:

वर्णानाम् उच्चारणस्थानानि सन्ति 

  1. त्रयोस्थानानि 
  2. पञ्चस्थानानि 
  3. सप्तस्थानानि
  4. अष्टौस्थानानि

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : अष्टौस्थानानि

उच्चारण - स्थान Question 10 Detailed Solution

प्रश्नार्थ - वर्णों का उच्चारण स्थान है-

स्पष्टीकरण - 

पाणिनीय शिक्षा में उच्चारण स्थान

शिक्षा शास्त्र का समावेश वेदांगोंं में होता है। यह शास्त्रवर्णोच्चारणसे संबंधित है।

  • पाणिनीय शिक्षाऋग्वेदी परंपरासे संलग्न वेदोच्चारण संबंधी पद्यात्मक ग्रंथ है, जिस मेंं कुल६० श्लोकहैं।
  • पाणिनी के अनुयायी लोगोंं ने इस ग्रंथ की रचना की, ऐसा माना जाता है।
  • पाणिनीय शिक्षा में उच्चारणस्थान पर एक प्रसिद्ध श्लोक का उल्लेख है - 

अष्टौ स्थानानि वर्णानामुरः कण्ठः शिरस्तथा।

जिव्हामूलं च् दन्ताश्च नासिकोष्ठौ च तालु च॥ (पाणिनीय शिक्षा-१३)

अर्थ - वर्णों के उच्चारण स्थान आठ हैं - (१) उरस् (२) कण्ठ (३) शिर (४) जिव्हामूल (५) दन्त (६) नासिका (७) दोनों ओष्ठ और (८) तालु

अतः उचित पर्याय 'अष्टौस्थानानि' होता है।

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