वक्रोक्ति MCQ Quiz in தமிழ் - Objective Question with Answer for वक्रोक्ति - இலவச PDF ஐப் பதிவிறக்கவும்

Last updated on Mar 20, 2025

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Latest वक्रोक्ति MCQ Objective Questions

Top वक्रोक्ति MCQ Objective Questions

वक्रोक्ति Question 1:

जहाँ शिलष्ट शब्दों से दो अर्थ लगाकर अन्य अर्थ की कल्पना होती है वहाँ कौन सा अलंकार होता है?

  1. वक्रोक्ति
  2. श्लेष
  3. श्लेष वक्रोक्ति
  4. काकु वक्रोक्ति

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : श्लेष वक्रोक्ति

वक्रोक्ति Question 1 Detailed Solution

जहाँ शिलष्ट शब्दों से दो अर्थ लगाकर अन्य अर्थ की कल्पना होती है वहाँ श्लेष वक्रोक्ति अलंकार होता है।

  • अतः सही उत्तर श्लेष वक्रोक्ति होगा।

Key Points

जहाँ एक शब्द अनेक अर्थों में प्रयुक्त होता है, वहाँ शब्द-श्लेष होता है।

  • रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून। पानी गए न ऊबरे, मोती, मानुस, चून।।
  • इस एक शब्द के द्वारा अनेक अर्थों का बोध कराए जाने के कारण यहाँ श्लेष अलंकार है।

Additional Information

अन्य विकल्प:

वक्रोक्ति अलंकार

 जहाँ किसी उक्ति का अर्थ जान बूझकर वक्ता के अभिप्राय से अलग लिया जाता है, वहाँ वक्रोक्ति अलंकार होता है।

श्लेष अलंकार

जब किसी शब्द का प्रयोग एक बार ही किया जाता है पर उसके एक से अधिक अर्थ निकलते हैं तब श्लेष अलंकार होता है। 

काकु वक्रोक्ति अलंकार

कण्ठध्वनि की विशेषता से अन्य अर्थ कल्पित हो जाना ही काकु वक्रोक्ति है।

वक्रोक्ति Question 2:

'जाओ मत बैठो’ में कौन-सा अलंकार है? 

  1. अनुप्रास अलंकार
  2. वक्रोक्ति अलंकार  
  3. उपमा अलंकार
  4. उत्प्रेक्षा अलंकार

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : वक्रोक्ति अलंकार  

वक्रोक्ति Question 2 Detailed Solution

दिए गए विकल्पों में सही उत्तर विकल्प 2 वक्रोक्ति अलंकारहै। अन्य विकल्प इसके अनुचित उत्तर हैं।

Key Points

  • 'जाओ मत बैठो' पंक्ति में वक्रोक्ति अलंकार है।
  • वक्रोक्ति अलंकार में किसी बात का एक आशय से कहा जाता है और श्रोता उस बात को उससे भिन्न अर्थ समझता है।

Additional Information

अलंकार

परिभाषा

उदाहरण

अनुप्रास

जहां एक ही वर्ण की आवृत्ति एक से अधिक बार हो, वहाँ अनुप्रास अलंकार होता है।

चारु चंद्र की चंचल किरणें,

खेल रही थी जल थल में।

उपमा

जहां एक वस्तु या प्राणी की तुलना किसी दूससरी वस्तु या प्राणी से की जाए, वहाँ उपमा अलंकार होता है।

सागर-सा गंभीर हृदय हो,

गिरि-सा ऊंचा हो जिसका मन।

उत्प्रेक्षा

उपमान के न होने पर उपमेय को ही उपमान मान लिया जाए वहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार होता है।

सोहत ओढ़े पीत पट, स्याम सलौने गात।

मनहु नीलमणि सैल  पर, आवत परयो प्रभात।

वक्रोक्ति Question 3:

किस अलंकार में वाच्यार्थ गौण और व्यंग्यार्थ प्रधान होता है?

  1. वक्रोक्ति
  2. समासोक्ति
  3. अन्योक्ति
  4. अतिशयोक्ति

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : वक्रोक्ति

वक्रोक्ति Question 3 Detailed Solution

उपर्युक्त विकल्पों में से विकल्प "वक्रोक्ति" सही है तथा अन्य विकल्प असंगत हैं।

Key Points
  • जिस शब्द से कहने वाले व्यक्ति के कथन का अभिप्रेत अर्थ ग्रहण न कर श्रोता अन्य ही कल्पित या चमत्कारपूर्ण अर्थ लगाये और उसका उत्तर दे, उसे वक्रोक्ति कहते हैं।
  • जहाँ किसी के कथन का कोई दूसरा पुरुष श्लेष या काकु (उच्चारण के ढंग) से दूसरा अर्थ करे, वहाँ वक्रोक्ति अलंकार होता है।
  • रुद्रट ने इसे शब्दालंकार के रूप में स्वीकार कर इसके दो भेद किये है-
    • 1) श्लेष वक्रोक्ति अलंकार
    • 2) काकु वक्रोक्ति अलंकार
Important Points
  • वक्रोक्ति में चार बातों का होना आवश्यक है-
    • (क) वक्ता की एक उक्ति।
    • (ख) उक्ति का अभिप्रेत अर्थ होना चाहिए।
    • (ग) श्रोता उसका कोई दूसरा अर्थ लगाये।
    • (घ) श्रोता अपने लगाये अर्थ को प्रकट करे।  
Additional Information
  • समसोक्ति
    • काव्य में जब 'प्रस्तुत' के द्वारा 'अप्रस्तुत' का वर्णन हो, वहाँ समासोक्ति अलंकार होता है।
  • अन्योक्ति अलंकार
    • जहाँ उपमान के माध्यम से उपमेय का वर्णन हो। उपमान अप्रस्तुत एवं उपमेय प्रस्तुत हो , वहां अन्योक्ति अलंकार होता है। इस अलंकार को अप्रस्तुत प्रशंसा भी कहते हैं।
  • अतिश्योक्ति अलंकार
    • जहाँ किसी वस्तु का इतना बढ़ा-चढ़ाकर वर्णन किया जाए कि सामान्य लोक सीमा का उल्लंघन हो जाए वहाँ अतिशयोक्ति अलंकार होता है।
    • अर्थात जब किसी व्यक्ति या वस्तु का वर्णन करने में लोक समाज की सीमा या मर्यादा टूट जाये उसे अतिश्योक्ति अलंकार कहते हैं।

वक्रोक्ति Question 4:

अलंकार का नाम बतांएः

को तुम हौ इत आये कहां घनस्याम हौ तौ कितहूं बरसो।

चितचोर कहावत हैं हम तौ तहां जाहूुं धन है सरसों।।

  1. अन्योक्ति अलंकार
  2. उपमा अलंकार
  3. वक्रोक्ति अलंकार
  4. रुपक अलंकार

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : वक्रोक्ति अलंकार

वक्रोक्ति Question 4 Detailed Solution

उपरोक्त पंक्तियों में 'वक्रोक्ति' अलंकर है। अतः सही उत्तर विकल्प 3 'वक्रोक्ति अलंकार है।

Key Points

को तुम हौ इत आये कहां घनस्याम हौ तौ कितहूं बरसो।

चितचोर कहावत हैं हम तौ तहां जाहूुं धन है सरसों।।

  • उपरोक्त पंक्ति में राधा 'घनश्याम' का अर्थ बादल लगाकर उत्तर देती है _'कहीं और जाकर बरसो'| पुनः कृष्ण द्वारा 'चितचोर' नाम बताने पर वह कहती है __'चोर हो तो वहां जाओ जहां धन है | इस तरह घनश्याम और चितचोर का दूसरा अर्थ श्लेष  से लिया गया है यहां वक्ता के कथन का श्रोता ने चमत्कार पूर्ण भिन्न अर्थ श्लेष  से ग्रहण किया है इसलिए श्लेष वक्रोक्ति है |

  • 'वक्रोक्ति' का अर्थ है 'वक्र उक्ति' अर्थात 'टेढ़ी उक्ति'। जिस शब्द से कहने वाले व्यक्ति के कथन का अभिप्रेत अर्थ ग्रहण न कर श्रोता अन्य ही कल्पित या चमत्कारपूर्ण अर्थ लगाये और उसका उत्तर दे, उसे वक्रोक्ति कहते हैं।

अन्य विकल्प - 

  • अन्योक्ति अलंकार - जहां प्रस्तुत व्यवस्था का वर्णन कर उसके माध्यम से किसी अप्रस्तुत वस्तु को व्यंजना की जाती है वहां और अतिशयोक्ति अलंकार होता है। 
  • उपमा अलंकार -  उपमा शब्द का अर्थ होता है – तुलना।, जब किसी व्यक्ति या वस्तु की तुलना किसी दूसरे यक्ति या वस्तु से की जाए वहाँ पर उपमा अलंकार होता है।
  • रूपक अलंकार - जब गुण की अत्यंत समानता के कारण उपमेय को ही उपमान बता दिया जाए यानी उपमेय ओर उपमान में अभिन्नता दर्शायी जाए तब वह रूपक अलंकार कहलाता है।

Additional Information

अलंकार

अलंकार का अर्थ है आभूषण। अतः काव्य में आभूषण अर्थात सौंदर्यवर्धक गुण अलंकार कहलाते हैं। मुख्य रूप से अलंकार के दो भेद माने गए हैं- शब्दालंकार और अर्थालंकार। जब शब्दों में चमत्कार उत्पन्न होता है तो शब्दालंकार कहलाता है। जब अर्थों में चमत्कार उत्पन्न होता है तो अर्थालंकार कहलाता है।

जैसे - सिंधु से अथाह ( उपमा) - शब्दालंकार

काली घटा का घमंड घटा (अनुप्रास) - अर्थालंकार

वक्रोक्ति Question 5:

निम्नलिखित में से कौन-सा अलंकार अर्थालंकार नहीं है?

  1. असंगति
  2. वक्रोक्ति
  3. अतिशयोक्ति
  4. उपर्युक्त में से एक से अधिक
  5. उपर्युक्त में से कोई नहीं

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : वक्रोक्ति

वक्रोक्ति Question 5 Detailed Solution

सही उत्तर 'वक्रोक्तिहै। Key Points 

  • 'वक्रोक्तिअलंकार अर्थालंकार नहीं है 
  • 'वक्रोक्तिअलंकार शब्दालंकार है
  • शब्दालंकार के प्रकार- अनुप्रास, यमक, श्लेष, पुनरुक्ति, विप्सा, वक्रोक्ति

अलंकार

परिभाषा

उदाहरण

वक्रोक्ति 

किसी काव्य अंश में किसी व्यक्ति द्वारा कही गयी बात में कोई दूसरा व्यक्ति जब मूल से भिन्न अर्थ की कल्पना करता है तब वक्रोक्ति अलंकार होता है।

कौन द्वार पर? हरि मैं राधे!

क्या वानर का काम यहाँ?

Additional Information 

  • अलंकार का शाब्दिक अर्थ होता है आभूषण या गहना।
  • जैसे विभिन्न प्रकार के आभूषणों से शरीर की शोभा और सुंदरता में वृद्धि होती है।
  • उसी प्रकार अलंकारों से काव्य या कविता की सुंदरता बढ़ जाती है।
  • अलंकार के तीन भेद हैं- शब्दालंकार, अर्थालंकार, उभयालंकार 

अलंकार

परिभाषा

प्रकार

शब्दालंकार

जब अलंकार किसी विशेष शब्द की स्थिति में ही रहे और उस शब्द की जगह पर कोई और पर्यायवाची शब्द का इस्तेमाल कर देने से फिर उस शब्द का अस्तित्व ही न बचे तो ऐसी स्थिति को शब्दालंकार कहते हैं। 

अनुप्रास, यमक, श्लेष, पुनरुक्ति, विप्सा, वक्रोक्ति

अर्थालंकार

काव्य में जहाँ शब्दों के अर्थ से चमत्कार उत्पन्न होता है, वहाँ अर्थालंकार होता है।

उपमा, रूपक, उत्प्रेक्षा, अतिशयोक्ति, अन्योक्ति, विरोधाभास,  अपह्नुति, भ्रांतिमान, संदेह,  व्याजस्तुति,  व्याजनिंदा,  विशेषोक्ति,  विभावना, मानवीकरण,  व्यतिरेक, दृष्टान्त,

उभयालंकार

जहाँ काव्य में ऐसा प्रयोग किया जाए जिससे शब्द और अर्थ दोनों में चमत्कार हो वहाँ उभयालंकार होता है।

संसृष्टि, संकर

 

वक्रोक्ति Question 6:

'क़ों तुम? हम हैं हरी, हरी। बानर क़ों नहीं काम' - में कौन सा अलंकार हैं।

  1. वक्रोक्ति
  2. अतिश्योक्ति
  3. अन्योक्ति
  4. उपर्युक्त में से एक से अधिक
  5. उपर्युक्त में से कोई नहीं

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : वक्रोक्ति

वक्रोक्ति Question 6 Detailed Solution

इसका सही उत्तर विकल्प वक्रोक्ति है। अन्य विकल्प सही उत्तर नहीं हैं।

Key Points

  • ''क़ों तुम? हम हैं हरी, हरी। बानर क़ों नहीं काम'- में वक्रोक्ति अलंकार है।
  • जब कहने वाले व्यक्ति के कथन का अर्थ श्रोता द्वारा चमत्कारपूर्ण रूप से लिया जाता है तो वहाँ वक्रोक्ति अलंकार होता है।

अन्य विकल्प:

अलंकार

परिभाषा

उदाहरण

अतिश्योक्ति

जब किसी वस्तु का बहुत अधिक बढ़ा-चढ़ाकर वर्णन किया जाये वहां पर अतिश्योक्ति अलंकार होता है।

हनुमान की पूंछ में लगन न पायी आगि।

सगरी लंका जल गई, गये निसाचर भागि।

अन्योक्ति

जब उपमान प्रस्तुत न हो परंतु उसके द्वारा उपमेय का वर्णन हो वहाँ अन्योक्ति अलंकार होता है।

नहिं पराग नहिं मधुर मधु, नहिं विकास इहिकाल।

अली कली ही सौं बंध्यो, आगे कौन हवाल।।

यमक

जब शब्द की एक से ज़्यादा बार आवृति होती है एवं विभिन्न अर्थ निकलते हैं तो वहाँ यमक अलंकार होता है।

तीन बेर खाती थी वे तीन बेर खाती हैं।

 

Additional Information

अलंकार

परिभाषा

उदाहरण

अनुप्रास

जहां एक ही वर्ण की आवृत्ति एक से अधिक बार हो, वहाँ अनुप्रास अलंकार होता है।

चारु चंद्र की चंचल किरणें,

खेल रही थी जल थल में।

उपमा

जहां एक वस्तु या प्राणी की तुलना किसी दूससरी वस्तु या प्राणी से की जाए, वहाँ उपमा अलंकार होता है।

सागर-सा गंभीर हृदय हो,

गिरि-सा ऊंचा हो जिसका मन।

उत्प्रेक्षा

उपमान के न होने पर उपमेय को ही उपमान मान लिया जाए वहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार होता है।

सोहत ओढ़े पीत पट, स्याम सलौने गात।

मनहु नीलमणि सैल  पर, आवत परयो प्रभात।

यमक

यमक अलंकार में एक शब्द का दो या दो से अधिक बार प्रयोग होता है और प्रत्येक प्रयोग में अर्थ की भिन्नता होती है।

कनक कनक तै सौ गुनी मादकता अधिकाय।

 

श्लेष

जब किसी शब्द का प्रयोग एक बार ही किया जाता है पर उसके एक से अधिक अर्थ निकलते हैं तब श्लेष अलंकार होता है।

पानी गये न ऊबरै, मोती मानुष चून।

रूपक

जहाँ गुण की अत्यंत समानता के कारण उपमेय में ही उपमान का अभेद आरोप कर दिया हो, वहाँ रूपक अलंकार होता है।

चरण-कमल बंदौ हरि राई!

अतिश्योक्ति

जब किसी वस्तु का बहुत अधिक बढ़ा-चढ़ाकर वर्णन किया जाये वहां पर अतिश्योक्ति अलंकार होता है।

हनुमान की पूंछ में लगन न पायी आगि।

सगरी लंका जल गई, गये निसाचर भागि।

वक्रोक्ति Question 7:

निम्नलिखित में से 'काकु वक्रोक्ति' का उदाहरण नहीं है :

  1. 'बल्लभ' विचारि कै सुनु री सयानी अली।

    ऐसे समय नाथ परदेस तें न आएँगे।।

  2. भरतभूप सियराम लखन बन सुनि सानन्द सहौंगो।

    पुर परिजन अवलोकि मातु सब सुख सन्तोष लहौंगो।।

  3. हैं री लाल तेरे? सखी ऐसी निधि पाई कहाँ?

    हैं री खगयान? कह्यो हौं तो नहीं पाले हौं?

  4. मैं सुकुमारी नाथ बन जोगू।

    तुमहिं उचित तप मों कहँ भोगू।।

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 :

'बल्लभ' विचारि कै सुनु री सयानी अली।

ऐसे समय नाथ परदेस तें न आएँगे।।

वक्रोक्ति Question 7 Detailed Solution

'काकु वक्रोक्ति' का उदाहरण नहीं हैं- 'बल्लभ' विचारि कै सुनु री सयानी अली। ऐसे समय नाथ परदेस तें न आएँगे।।

Key Pointsकाकु वक्रोक्ति-

  • कण्ठध्वनि की विशेषता से अन्य अर्थ कल्पित हो जाना ही काकु वक्रोक्ति है।
  • उदाहरण-
    • कह अंगद सलज्ज जग माहीं। रावण तोहि समान कोउ नाहीं।
      कह कपि धर्मसीलता तोरी। हमहुँ सुनी कृत परतिय चोरी।। – तुलसीदास

Important Pointsवक्रोक्ति अलंकार-

  • जिस शब्द से कहने वाले व्यक्ति के कथन का अभिप्रेत अर्थ ग्रहण न कर श्रोता अन्य ही कल्पित या चमत्कारपूर्ण अर्थ लगाये और उसका उत्तर दे, उसे वक्रोक्ति कहते हैं।
  • वक्रोक्ति अलंकार के दो भेद हैं-
    • श्लेष वक्रोक्ति अलंकार 
    • काकु वक्रोक्ति अलंकार 
  • उदाहरण-
    • एक कबूतर देख हाथ में पूछा कहाँ अपर है ?
      कहा अपर कैसा ? वह उड़ गया सपर है॥
    • यहाँ जहाँगीर ने दूसरे कबूतर के बारे में पूछने के लिये "अपर" (दूसरा) उपयोग किया है जबकि उत्तर में नूरजहाँ ने 'अपर' का अर्थ 'अ-पर' अर्थात 'बिना पंख वाला' किया है।

वक्रोक्ति Question 8:

निम्नलिखित में से 'काकु वक्रोक्ति' का उदाहरण नहीं है:

  1. 'बल्लभ' विचारि कै सुनु री सयानी अली।

    ऐसे समय नाथ परदेस तें न आएँगे।।

  2. भरतभूप सियराम लखन बन सुनि सानन्द सहौंगो।

    पुर परिजन अवलोकि मातु सब सुख सन्तोष लहौंगो।।

  3. हैं री लाल तेरे? सखी ऐसी निधि पाई कहाँ?

    हैं री खगयान? कह्यो हौं तो नहीं पाले हौं?

  4. मैं सुकुमारी नाथ बन जोगू।

    तुमहिं उचित तप मों कहॅं भोगू।।

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 :

हैं री लाल तेरे? सखी ऐसी निधि पाई कहाँ?

हैं री खगयान? कह्यो हौं तो नहीं पाले हौं?

वक्रोक्ति Question 8 Detailed Solution

सही उत्तर है-

हैं री लाल तेरे? सखी ऐसी निधि पाई कहाँ?

हैं री खगयान? कह्यो हौं तो नहीं पाले हौं?

Key Points

  • हैं री लाल तेरे? सखी ऐसी निधि पाई कहाँ?
  • हैं री खगयान? कह्यो हौं तो नहीं पाले हौं? - श्लेष वक्रोक्ति का उदहारण है
  • श्लेष अलंकार- काव्य में जहाँ शब्द एक बार प्रयोग होता है किंतु उसके अर्थ भिन्न-भिन्न होते हैं, अर्थात उसके अर्थ दो या दो से अधिक निकलते हैं वहाँ श्लेष अलंकार होता है।
  • काकु वक्रोक्ति- जब बोलने वाले व्यक्ति के द्वारा बोले गये शब्दों का उसकी कंठ ध्वनी के कारण सुनने वाला व्यक्ति कुछ और अर्थ निकाले तब वहाँ पर काकु वक्रोक्ति अलंकार होता है। मैं सुकुमारि नाथ बन जोगू। कह अंगद सलज्ज जग माहीं।

वक्रोक्ति Question 9:

'हे गिरजा, हैं भिक्षु कहाँ?/ बलि द्वार गया है आज रमा!' - पंक्ति में है:

  1. अन्योक्ति अलंकार
  2. सहोक्ति अलंकार
  3. वक्रोक्ति अलंकार
  4. अतिशयोक्ति अलंकार

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : वक्रोक्ति अलंकार

वक्रोक्ति Question 9 Detailed Solution

सही विकल्प है - वक्रोक्ति अलंकार

  • उपरोक्त वाक्य - "हे गिरजा, हैं भिक्षु कहाँ?,बलि द्वार गया है आज रमा!" में भिक्षु शब्द केवल एक बार उपयोग हुआ है लेकिन पहले वाक्य में उसका अर्थ शिव से हैं जो पार्वती को मांगने उसके पिता हिमाचल के पास गए थे जबकि दूसरे वाक्य में इसका अर्थ वामन अवतार से है जिन्होंने राजा बलि से दान में 3 पग भूमि माँगी थी।

Key Points

  • श्लेष वक्रोक्ति अलंकार- जहाँ शब्द केवल एक बार उपयोग हो लेकिन कहने वाले और सुनने वाले के लिए उसका अर्थ अलग - अलग हो तो वहन श्लेष वक्रोक्ति अलंकार होता हैं

यहाँ सुनने वाला जानबूझकर शब्द का दूसरा अर्थ समझता है जैसे -

  • "कौन द्वार पर? राधे! मैं हरि, क्या वानर का काम यहाँ?", यहाँ 'राधे! मैं हरि' में हरि का अर्थ भगवान कृष्ण से हैं लेकिन दूसरे वाक्य 'क्या वानर का काम यहाँ?' में राधा जी ने हरि का अर्थ जन बूझकर वानर समझ लिया हैं

Additional Information

अन्योक्ति अलंकार - इस अलंकार में अप्रस्तुत के माध्यम से प्रस्तुत का वर्णन किया जाता है। जैसे - 

  • जिन दिन देखे वे कुसुम, गई सु बीति बहार। अब, अलि रही गुलाब में, अपत कॅटीली डार।
  • यहाँ गुलाब के सूखने के माध्यम से आश्रयदाता के उजड़ने की व्यथा कही गई है।

सहोक्ति अलंकार - जहां कई बातों का एक साथ होना सरल रीति से कहा जाता है इसमें सह, समेत, साथ, संग आदि शब्दों के द्वारा एक शब्द दो पक्षों में लगता है। जैसे-

  • जस, प्रताप, वीरता, बड़ाई। नाक, पिनाकहिं संग सीधाई।।
  • यहाँ नाक और धनुष दोनों को एक ही क्रिया सीधाई का उपयोग किया गया है।

अतिशयोक्ति अलंकार - जहाँ किसी वस्तु का इतना बढ़ा-चढ़ाकर वर्णन किया जाए जैसे -

  • "आगे नदियां पड़ी अपार घोडा कैसे उतरे पार, राणा ने सोचा इस पार तब तक चेतक था उस पार।"
  • यहाँ घोड़े चेतक की गति राणा के सोचने से भी अधिक बताई गयी है, जो कि एक अतिश्योक्ति है

वक्रोक्ति Question 10:

‘मो सम कौन कुटिल खल कामी’ इन पंक्तियों में कौन सा अलंकार होगा? 

  1. यमक 
  2. वक्रोक्ति  
  3. श्लेष 
  4. उपर्युक्त में से एक से अधिक
  5. उपर्युक्त में से कोई नहीं

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : वक्रोक्ति  

वक्रोक्ति Question 10 Detailed Solution

दिए गए विकल्पों में से ‘वक्रोक्ति’ अलंकार यहाँ उचित है। अन्य विकल्प असंगत हैं। अत: विकल्प 2 वक्रोक्तिइसका सही उत्तर होगा।

स्पष्टीकरण:

  • ‘मो सम कौन कुटिल खल कामी।’ इस पंक्ति में वक्रोक्ति अलंकार है। वक्रोक्ति अर्थात टेढ़ा-मेढ़ा।
  • जहाँ किसी उक्ति में वक्ता के अभिप्राय से दूसरे अर्थ की कल्पना की जाए वहाँ वक्रोक्ति अलंकार होता है।
  • अर्थात सुनने वाला (श्रोता) कहने वाले (वक्ता) की बातों का गलत अर्थ निकाल लेता है। इसके दो भेद होते हैं –
  • श्लेष वक्रोक्ति --​जहां पर एक शब्द के एक से अधिक अर्थ होने के कारण श्रोता वक्ता की बात का गलत अर्थ निकाल लेता है 
  • काकु वक्रोक्ति -- ​जहां पर उच्चारण के कारण श्रोता वक्ता की बात का गलत अर्थ निकाल लेता है। 
  • अतः 'मो सम कौन कुटिल खल कामी। वाक्य में वक्रोक्ति अलंकार है यहाँ वक्ता स्वयं के विषय में बता रहा है| 
  • " मेरे समान टेढ़ा , दुष्ट और कामी इस संसार में कौन होगा ! हे दयालु भगवन् ! आपसे कौन - सी बात छिपी हुई है , आप तो सबके हृदय की बातें जाननेवाले हैं।​

वक्रोक्ति

जब श्रोता, वक्ता की बातों का गलत अर्थ निकाल लेता है, वहाँ वक्रोक्ति अलंकार होता है।

मो सम कौन कुटिल खल कामी।

विशेष:

अलंकार

परिभाषा

उदाहरण

यमक

जहां एक शब्द एक से अधिक बार आए और उसका अर्थ भिन्न हो, वहाँ यमक अलंकार होता है।

काली घटा का घमंड घटा।

श्लेष

जहां पर किसी एक शब्द का अनेक अर्थों में प्रयोग हो, वहाँ श्लेष अलंकार होता है।

मधुवान की छाती को देखो,

सुखी कितनी इसकी कलियाँ।

उपमा

जहां एक वस्तु या प्राणी की तुलना किसी दूसरी वस्तु या प्राणी से की जाए, वहाँ उपमा अलंकार होता है।

सागर-सा गंभीर हृदय हो,

गिरि-सा ऊंचा हो जिसका मन।

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