वक्रोक्ति MCQ Quiz - Objective Question with Answer for वक्रोक्ति - Download Free PDF

Last updated on Jun 12, 2025

Latest वक्रोक्ति MCQ Objective Questions

वक्रोक्ति Question 1:

जहाँ शिलष्ट शब्दों से दो अर्थ लगाकर अन्य अर्थ की कल्पना होती है वहाँ कौन सा अलंकार होता है?

  1. वक्रोक्ति
  2. श्लेष
  3. श्लेष वक्रोक्ति
  4. काकु वक्रोक्ति
  5. उपर्युक्त में से कोई नहीं

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : श्लेष वक्रोक्ति

वक्रोक्ति Question 1 Detailed Solution

जहाँ शिलष्ट शब्दों से दो अर्थ लगाकर अन्य अर्थ की कल्पना होती है वहाँ श्लेष वक्रोक्ति अलंकार होता है।

  • अतः सही उत्तर श्लेष वक्रोक्ति होगा।

Key Points

जहाँ एक शब्द अनेक अर्थों में प्रयुक्त होता है, वहाँ शब्द-श्लेष होता है।

  • रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून। पानी गए न ऊबरे, मोती, मानुस, चून।।
  • इस एक शब्द के द्वारा अनेक अर्थों का बोध कराए जाने के कारण यहाँ श्लेष अलंकार है।

Additional Information

अन्य विकल्प:

वक्रोक्ति अलंकार

 जहाँ किसी उक्ति का अर्थ जान बूझकर वक्ता के अभिप्राय से अलग लिया जाता है, वहाँ वक्रोक्ति अलंकार होता है।

श्लेष अलंकार

जब किसी शब्द का प्रयोग एक बार ही किया जाता है पर उसके एक से अधिक अर्थ निकलते हैं तब श्लेष अलंकार होता है। 

काकु वक्रोक्ति अलंकार

कण्ठध्वनि की विशेषता से अन्य अर्थ कल्पित हो जाना ही काकु वक्रोक्ति है।

वक्रोक्ति Question 2:

"मो सम कौन कुटिल खल कामी।" में कौन-सा अलंकार है?

  1. उत्प्रेक्षा
  2. विभावना
  3. वक्रोक्ति 
  4. उपमा

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : वक्रोक्ति 

वक्रोक्ति Question 2 Detailed Solution

"मो सम कौन कुटिल खल कामी।" में अलंकार है- वक्रोक्ति 

Key Points

  • इस उदाहरण में, लेखक अपने आप को कुटिल, खल और कामी कहकर वक्रोक्ति का प्रयोग कर रहे हैं।
  • वक्रोक्ति का अर्थ है वक्र उक्ति अर्थात टेढ़ी उक्ति 
  • जहाँ बात किसी एक आशय से कही जाय और सुनने वाला उससे भिन्न दूसरा अर्थ लगा दे, वहाँ वक्रोक्ति अलंकार होता है।
  • उदाहरण-
    • मै सुकुमारि नाथ बन जोगू। 
    • तुमहि उचित तप, मो कह बोगू।
  • (सीता द्वारा राम को वन के योग्य कहे जाने में व्यंग्य है और सम्पूर्ण छंद के शब्दों पर बलाघात रखने का भाव यह है
  • कि क्या मैं (सीता) कोमल हूँ और आप (राम) वन के योग्य है, अर्थात् ऐसा नहीं है।)

Additional Information  

उत्प्रेक्षा:-

  • जहाँ उपमेय में उपमान होने की संभावना या कल्पना की जाती है, वहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार होता है। 
  • पहचान- जनु, मनु, इव, मानो, मनो, मनहुँ, आदि।

उदाहरण- 

  • सोहत ओढ़े पीत पट, स्याम सलोने गात।
    मनहुँ नील मणि सैल पर, आपत पर्यो प्रभात।
  • (इन काव्य पंक्तियों में, श्रीकृष्ण के सुन्दर शरीर में नीलमणि पर्वत की और इनके शरीर पर शोभायमान पीतांबर में प्रभात की धूप की मनोरम संभावना अथवा कल्पना की गई है।)​

विभावना:-

  • जहाँ कारण के न होते हुए भी कार्य का होना पाया जाय, वहां विभावना अलंकार होता है।

उदाहरण-

  • राजभवन को छोड़ कृष्ण थे चले गये।
  • तेज चमकता था उनका फिर भी भास्वर।।
  • (यहाँ पर श्री कृष्ण (कारण रूप) के राजभवन को छोड़कर चले जाने पर भी उनके भास्वर तेज के चमकते रहने का वर्णन किया गया है।)

उपमा:-

  • जब किन्ही दो वस्तुओं के गुण, आकृति, स्वभाव आदि में समानता दिखाई जाए या दो भिन्न वस्तुओं कि तुलना कि जाए, तब वहां उपमा अलंकर होता है।

उदाहरण-

  • पीपर पात सरिस मन डोला
  • (यहाँ पर पीपल के पत्तों के समान मन के डोलने का वर्णन है।)

वक्रोक्ति Question 3:

मैं सुकुमारि नाथ बन जोगू। तुमहिं उचित तप मोकहँ भोगू। - में निम्न में से कौन सा अलंकार है?

  1. रूपक अलंकार
  2. वक्रोक्ति अलंकार
  3. अनुप्रास अलंकार
  4. श्लेष अलंकार
  5. उपर्युक्त में से कोई नहीं

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : वक्रोक्ति अलंकार

वक्रोक्ति Question 3 Detailed Solution

यहाँ दिए गये वाक्य में ‘वक्रोक्ति अलंकार’ है। क्योंकि यहाँ वाक्य में उच्चारण पर वक्रता उत्पन्न होती है। वक्रोक्ति अलंकार से तात्पर्य है जिस शब्द से कहने वाले व्यक्ति के कथन का अभिप्रेत अर्थ ग्रहण न कर श्रोता अन्य ही कल्पित या चमत्कारपूर्ण अर्थ लगाये और उसका उत्तर दे, उसे वक्रोक्ति कहते हैं। अतः सही विकल्प वक्रोक्ति अलंकार है।

अन्य विकल्प

अलंकार

परिभाषा

रूपक

जब गुण की अत्यंत समानता के कारण उपमेय को ही उपमान बता दिया जाए यानी उपमेय ओर उपमान में अभिन्नता दर्शायी जाए तब वह रूपक अलंकार कहलाता है।

अनुप्रास

जब किसी काव्य को सुंदर बनाने के लिए किसी वर्ण की बार-बार आवृति हो तो वह अनुप्रास अलंकार कहलाता है।

श्लेष

जहाँ एक ही शब्द के द्वारा एक से अधिक अर्थ का बोध हो उसे श्लेष अलंकार कहते हैं।

वक्रोक्ति Question 4:

निम्नलिखित पंक्तियों में निहित अलंकार का नाम बताओ:

कौन द्वार पर?

राधे! मैं हरि।

क्या वानर का काम यहाँ?

  1. अतिशयोक्ति अलंकार
  2. समासोक्ति अलंकार
  3. अन्योक्ति अलंकार
  4. वक्रोक्ति अलंकार
  5. उपर्युक्त में से कोई नहीं

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : वक्रोक्ति अलंकार

वक्रोक्ति Question 4 Detailed Solution

उपरोक्त पद्यांश में 'वक्रोक्ति अलंकर' है। अत: सही उत्तर विकल्प 4 'वक्रोक्ति अलंकार' होगा। अन्य विकल्प अनुचित उत्तर हैं। 

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  • वक्रोक्ति अलंकार - जिस शब्द से कहने वाले व्यक्ति के कथन का अभिप्रेत अर्थ ग्रहण न कर श्रोता अन्य ही कल्पित या चमत्कारपूर्ण अर्थ लगाये और उसका उत्तर दे, उसे वक्रोक्ति कहते हैं।

​अन्य विकल्प  - 

  • अतिशयोक्ति अलंकार - जब किसी बात का वर्णन बहुत बढ़ा-चढ़ाकर किया जाए। जैसे - आगे नदियाँ पड़ी अपार, घोडा कैसे उतरे पार। राणा ने सोचा इस पार , तब तक चेतक था उस पार। यहाँ चेतक की शक्तियों व स्फूर्ति का बहुत बढ़ा-चढ़ाकर वर्णन किया गया है।
  • समासोक्ति अलंकार - जहाँ पर कार्य, लिंग या विशेषण की समानता के कारण प्रस्तुत के कथन में अप्रस्तुत व्यवहा रका समारोप होता है अथवा अप्रस्तुत का स्फुरण होता है, वहाँ समासोक्ति अलंकार होता है।
  • अन्योक्ति अलंकार-  यहाँ पर अप्रस्तुत के वर्णन द्वारा प्रस्तुत का बोध कराया गया है अतः यहाँ अन्योक्ति अलंकार है। जैसे - “नहिं पराग नहिं मधुर मधु, नहिं विकास एहि काल। अली कली ही सो बिंध्यौ, आगे कौन हवाल।।”

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अलंकार - काव्य अथवा भाषा की शोभा बढ़ाने वाले मनोरंजक ढंग को अलंकार कहते हैं।

वक्रोक्ति Question 5:

‘मैं सुकुमारि नाथ बन जोगू।’ में कौन-सा अलंकार है?

  1. अनुप्रास
  2. उपमा
  3. वक्रोक्ति 
  4. उपर्युक्त में से एक से अधिक
  5. उपर्युक्त में से कोई नहीं

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : वक्रोक्ति 

वक्रोक्ति Question 5 Detailed Solution

दिए गए विकल्पों में सही उत्तर विकल्प 3 वक्रोक्तिहै। अन्य विकल्प इसके अनुचित उत्तर हैं।

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‘मैं सुकुमारि नाथ बन जोगू।’ यहां सीता जी के कथन का अर्थ कि हे नाथ यदि आप बन जाने के योग्य हैं तो मैं क्यों नहीं? का अर्थ समझते हुए भी दूसरा अर्थ लिया जा रहा है। अतः यहाँ ‘वक्रोक्ति अलंकार’ है।

अलंकार

परिभाषा

उदाहरण

वक्रोक्ति अलंकार

जहाँ किसी उक्ति का अर्थ जान बूझकर वक्ता के अभिप्राय से अलग लिया जाता है, वहाँ वक्रोक्ति अलंकार होता है

कौ तुम? हैं घनश्याम हम ।

तो बरसों कित जाई।

 

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अनुप्रास

जहां एक ही वर्ण की आवृत्ति एक से अधिक बार हो, वहाँ अनुप्रास अलंकार होता है।

चारु चंद्र की चंचल किरणें,

खेल रही थी जल थल में

उपमा

जहां एक वस्तु या प्राणी की तुलना किसी दूसरी वस्तु या प्राणी से की जाए, वहाँ उपमा अलंकार होता है।

सागर-सा गंभीर हृदय हो,

गिरि-सा ऊंचा हो जिसका मन। 

उत्प्रेक्षा

जहां समानता के कारण उपमेय में संभावना या कल्पना की जाए, वहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार होता है।

सोहत ओढ़े पीत पट, स्याम सलोने गात। मनहुँ नीलमनि सैल पर, आतप परयौ प्रभात।

Top वक्रोक्ति MCQ Objective Questions

"मेघमय आसमान से उतर रही है वह संध्या-सुंदरी परी सी धीरे धीरे'।

दी गई पंक्ति में कौन-सा अलंकार है?

  1. उपमा अंलकार
  2. मानवीकरण अलंकार
  3. विभावना अलंकार
  4. उत्प्रेक्षा अलंकार

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : मानवीकरण अलंकार

वक्रोक्ति Question 6 Detailed Solution

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सही उत्तर "मानवीकरण अलंकार" है।

Key Pointsमानवीकरण अलंकार-

  • जहाँ अचेतन वस्तु का चेतन अथवा जीवित (प्राणी) के समान वर्णन किया जाये अर्थात जब प्रकृति के पदार्थो पर मानवीय क्रियाकलापों का आरोप कर दिया अथवा प्रकृति की वस्तुओं को मनुष्य की तरह कार्य करते हुए प्रकट किया जाये, वहां मानवीकरण अलंकार होता है।

Important Pointsअन्य विकल्प - 

अलंकार

परिभाषा

उदाहरण

उपमा अंलकार

जब किसी व्यक्ति या वस्तु की तुलना किसी दूसरे यक्ति या वस्तु से की जाए वहाँ पर उपमा अलंकार होता है। 

कर कमल-सा कोमल।

विभावना अलंकार

जहाँ पर कारण के न होते हुए भी कार्य का हुआ जाना पाया जाए वहाँ पर विभावना अलंकार होता है। अर्थात हेतु क्रिया (कारण) का निषेध होने पर भी फल की उत्पत्ति विभावनालंकार है।

बिनु पग चलै सुनै बिनु काना। कर बिनु कर्म करै विधि नाना। आनन रहित सकल रस भोगी। बिनु वाणी वक्ता बड़ जोगी।

उत्प्रेक्षा अलंकार

जहाँ उपमेय में उपमान होने की संभावना या कल्पना की जाती है, वहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार होता है। इसके लक्षण है- जनु, मनु, इव, मानो, मनो, मनहुँ, आदि। पहचान – मनो, मानो, मनु, मनुह, जानो, इव, जनु, जानहु, ज्यों आदि शब्द अगर किसी अलंकार में आते है तो वह उत्प्रेक्षा अलंकार होता है।

ले चला मैं तुझे कनक, ज्यों भिक्षुक लेकर स्वर्ण झनक।

Additional Information

अलंकार की​ परिभाषा

अलंकार का शाब्दिक अर्थ होता है- 'आभूषण', जिस प्रकार स्त्री की शोभा आभूषण से उसी प्रकार काव्य की शोभा अलंकार से होती है अर्थात जो किसी वस्तु को अलंकृत करे वह अलंकार कहलाता है।

'कैसे-कैसे मंज़र सामने आने लगे हैं, गाते-गाते लोग चिल्लाने लगे हैं'- पंक्ति में है

  1. सहोक्ति अलंकार
  2. वक्रोक्ति अलंकार
  3. अतिशयोक्ति अलंकार
  4. वीप्सा अलंकार

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : वक्रोक्ति अलंकार

वक्रोक्ति Question 7 Detailed Solution

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सही उत्तर वक्रोक्ति अलंकार है

Key Points

  • 'कैसे-कैसे मंज़र सामने आने लगे हैं, गाते-गाते लोग चिल्लाने लगे हैं'- पंक्ति में वक्रोक्ति अलंकार है
  • कैसे मंज़र सामने आने लगे हैं, गाते-गाते लोग चिल्लाने लगे हैं
  • प्रस्तुत पंक्ति में दुष्यंत कुमार की इस ग़ज़ल में 'मंज़र', 'गाते', ''चिल्लाने', 'तालाब', 'पानी', 'फूल', तथा 'कुम्हलाने' शब्दों में काकु ध्वनि से उत्पन्न व्यंग्यार्थ ने आपातकाल में सेंसरशिप के बावजूद कवि का शासन परिवर्तन का सन्देश लोगों को दिया।
  • वक्रोक्ति अलंकार- किसी काव्य अंश में किसी व्यक्ति द्वारा कही गयी बात में कोई दूसरा व्यक्ति जब मूल से भिन्न अर्थ की कल्पना करता है तब वक्रोक्ति अलंकार होता है।
  • वक्र उक्ति का अर्थ 'मूल से भिन्न' होता है. एक अर्थ में कही गयी बात को जान-बूझकर दूसरे अर्थ में लेने पर वक्रोक्ति अलंकार होता है।
    • उदाहरण- 
    • कौन द्वार पर? हरि मैं राधे!
      क्या वानर का काम यहाँ?
      स्पष्टीकरण:- राधा भीतर से पूछती है कि बाहर तुम कौन हो? कृष्ण उत्तर देते है कि राधे मैं हरि हूँ। राधा ‘हरि’ का अर्थ कृष्ण न लगाकर वानर लगाती है और कहती है कि इस नगर में वानर का क्या काम? कृष्ण द्वारा एक अर्थ में कहे गये ‘हरि’ शब्द का राधा दूसरा अर्थ ‘वानर’ कल्पित करती है।

Additional Information

  • सहोक्ति अलंकार - जब कार्य-कारण रहित सहवाची शब्दों द्वारा अनेक व्यापारों अथवा स्थानों में एक धर्म का वर्णन किया जाता है तो वहाँ सहोक्ति अलंकार होता है। 
    • 'कीरति अरि कुल संग ही जलनिधि पहुंची जाय।' 'नाक पिनकहीं संग सिधाई।'
  • अतिशयोक्ति अलंकार - जब किसी व्यक्ति या वस्तु का वर्णन करने में लोक समाज की सीमा या मर्यादा टूट जाये उसे अतिश्योक्ति अलंकार कहते हैं।
    • हनुमान की पूंछ में लगन न पायी आगि, लंका सिगरी जल गई, गए निशाचर भाग।।
  • वीप्सा अलंकार- जब दुख, आश्चर्य, आदर, हर्ष, शोक, इत्यादि जैसे विस्मयादिबोधक भावों को व्यक्त करने के लिए शब्दों की पुनरावृत्ति की जाए तब उसे ही वीप्सा अलंकार कहते है।​
    • मोहि-मोहि मोहन को मन भयो राधामय। राधा मन मोहि-मोहि मोहन मयी-मयी।।

निम्नलिखित पंक्तियों में निहित अलंकार का नाम बताओ:

कौन द्वार पर?

राधे! मैं हरि।

क्या वानर का काम यहाँ?

  1. अतिशयोक्ति अलंकार
  2. समासोक्ति अलंकार
  3. अन्योक्ति अलंकार
  4. वक्रोक्ति अलंकार

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : वक्रोक्ति अलंकार

वक्रोक्ति Question 8 Detailed Solution

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उपरोक्त पद्यांश में 'वक्रोक्ति अलंकर' है। अत: सही उत्तर विकल्प 4 'वक्रोक्ति अलंकार' होगा। अन्य विकल्प अनुचित उत्तर हैं। 

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  • वक्रोक्ति अलंकार - जिस शब्द से कहने वाले व्यक्ति के कथन का अभिप्रेत अर्थ ग्रहण न कर श्रोता अन्य ही कल्पित या चमत्कारपूर्ण अर्थ लगाये और उसका उत्तर दे, उसे वक्रोक्ति कहते हैं।

​अन्य विकल्प  - 

  • अतिशयोक्ति अलंकार - जब किसी बात का वर्णन बहुत बढ़ा-चढ़ाकर किया जाए। जैसे - आगे नदियाँ पड़ी अपार, घोडा कैसे उतरे पार। राणा ने सोचा इस पार , तब तक चेतक था उस पार। यहाँ चेतक की शक्तियों व स्फूर्ति का बहुत बढ़ा-चढ़ाकर वर्णन किया गया है।
  • समासोक्ति अलंकार - जहाँ पर कार्य, लिंग या विशेषण की समानता के कारण प्रस्तुत के कथन में अप्रस्तुत व्यवहा रका समारोप होता है अथवा अप्रस्तुत का स्फुरण होता है, वहाँ समासोक्ति अलंकार होता है।
  • अन्योक्ति अलंकार-  यहाँ पर अप्रस्तुत के वर्णन द्वारा प्रस्तुत का बोध कराया गया है अतः यहाँ अन्योक्ति अलंकार है। जैसे - “नहिं पराग नहिं मधुर मधु, नहिं विकास एहि काल। अली कली ही सो बिंध्यौ, आगे कौन हवाल।।”

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अलंकार - काव्य अथवा भाषा की शोभा बढ़ाने वाले मनोरंजक ढंग को अलंकार कहते हैं।

'खोले जू किवॉर तुम को ही ऐती बाट 'हरि' नाम है हमारी, बसी कानन पहार में अलंकार पहचानिए । 

  1. छेकानुप्रास अलंकार
  2. लाटानुप्रास अलंकार
  3. वक्रोक्ति अलंकार
  4. श्लेषा अलंकार

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : वक्रोक्ति अलंकार

वक्रोक्ति Question 9 Detailed Solution

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'खोले जू किवॉर तुम को ही ऐती बाट 'हरि' नाम है हमारी, बसी कानन पहार में अलंकार है- वक्रोक्ति अलंकार । 

Key Pointsवक्रोक्ति अलंकार- 

  • किसी काव्य अंश में किसी व्यक्ति द्वारा कही गयी बात में कोई दूसरा व्यक्ति जब मूल से भिन्न अर्थ की कल्पना करता है तब वक्रोक्ति अलंकार होता है।
  • वक्र उक्ति का अर्थ 'मूल से भिन्न' होता है. एक अर्थ में कही गयी बात को जान-बूझकर दूसरे अर्थ में लेने पर वक्रोक्ति अलंकार होता है।
  • उदाहरण- 
    • कौन द्वार पर? हरि मैं राधे!
      क्या वानर का काम यहाँ?
  • स्पष्टीकरण- 
    • राधा भीतर से पूछती है कि बाहर तुम कौन हो? कृष्ण उत्तर देते है कि राधे मैं हरि हूँ। राधा ‘हरि’ का अर्थ कृष्ण न लगाकर वानर लगाती है और कहती है कि इस नगर में वानर का क्या काम? कृष्ण द्वारा एक अर्थ में कहे गये ‘हरि’ शब्द का राधा दूसरा अर्थ ‘वानर’ कल्पित करती है।

Important Pointsछेकानुप्रास अलंकार -

  • जब किसी पद में किसी वर्ण का दो बार प्रयोग (एक बार ही आवृत्ति) होता है तो वहाँ छेकानुप्रास अलंकार माना जाता है।
  • यह आवृत्ति कम से कम दो अलग-अलग वर्णों में होनी आवश्यक हैं।
  • उदाहरण- 
    • ’कानन कठिन भयंकर भारी। घोर घाम हिम बार-बयारी।’
    • प्रस्तुत पद में ’क’, ’भ’, ’घ’ एवं ’ब’ वर्णों का एक निश्चित क्रमानुसार दो-दो बार प्रयोग (एक बार आवृत्ति) हुआ है, अतएव यहाँ छेकानुप्रास अलंकार है।

लाटानुप्रास अलंकार-

  • जहां एक शब्द या वाक्यखण्ड की आवृत्ति उसी अर्थ में हो, किंतु तात्पर्य में कुछ भेद हो। वहां लाटानुप्रास अलंकार होता है।
  • उदाहरण-
    • पंकज तो पंकज, मृगांक भी है, मृगांक री प्यारी।

श्लेषालंकार- 

  • जब किसी शब्द का प्रयोग एक बार ही किया जाता है लेकिन उससे अर्थ कई निकलते हैं तो वह श्लेष अलंकार कहलाता है।
  • उदाहरण-
    • रहिमन पानी राखिये,बिन पानी सब सून।
      पानी गये न ऊबरै, मोती मानुष चून।

को तुम?  हैं घनस्याम हम, तो बरसो कित जाय।

नहि मनमोहन हैं प्रिय, दिर क्यों पकरत पाँय। - में निम्न में से कौनसा अलंकार है?

  1. रूपक अलंकार
  2. अतिश्याक्ति अलंकार
  3. वक्रोक्ति अलंकार
  4. उत्प्रेक्षा अलंकार

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : वक्रोक्ति अलंकार

वक्रोक्ति Question 10 Detailed Solution

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को तुम?  हैं घनस्याम हम, तो बरसो कित जाय।

नहि मनमोहन हैं प्रिय, दिर क्यों पकरत पाँय। - में निम्न में से कौन-सा अलंकार है?

इन पंक्तियों में वक्रोक्ति अलंकार है। 

Key Points पंक्तियों का भाव-

  • इन पंक्तियों में बाहर से आनेवाले कृष्ण से राधा पूछती है- कौन तुम?
  • कृष्ण कहते है- ‘हम घनश्याम है।'
  • जवाब मिलने पर राधा कहती है कि ‘घनश्याम अर्थात् काला बादल  हो तो कही जाकर बरसो।
  • कहने का अर्थ है- जब श्री कृष्ण राधा को अपना नाम घनश्याम बताते है तो वह उसका अर्थ 'काले बादल' से समझती है और उन्हें कही जाकर वर्षा करने को कहती है। 
  • यहाँ घनश्याम का अर्थ सीधे रूप से नाम ने समझकर, गलत अर्थ 'काले बादल' में समझा गया है। इसलिए यहाँ वक्रोक्ति अलंकार है। 

वक्रोक्ति अलंकार-

  • जब सुननेवाला व्यक्ति, कहने वाले व्यक्ति की बातों का गलत अर्थ निकलता है, तब वहाँ वक्रोक्ति अलंकार होता है। 
  • अर्थात् बात को सीधे समझने की जगह उसका उल्टे या टेढ़े अर्थ में समझना। 
  • जैसे-
    • कई बार हमारे मित्र बात सही कर रहे होते है परंतु हम उन बातों का अर्थ गलत निकाल लेते है।  
  • उदाहरण-
    • एक कह्यौ वर देत भव भाव चाहिए चित्त।
      सुनि कह कोउ भोले भवहिं भाव चाहिए मित्त।।
    • किसी ने कहा शिव वर देते हैं लेकिन उसके लिए चित्त में भाव होना चाहिये।
    • यह सुन कर दूसरे ने कहा – अरे मित्र, शिव इतने भोले हैं कि उनके रिझाने के लिए ‘भाव’ की भी आवश्यकता नहीं।

Additional Information

अन्य विकल्प

अलंकार

परिभाषा

उदाहरण

रूपक

जहां गुण की अत्यंत समानता के कारण 

उपमेय में उपमान का भेद आरोप कर 

दिया जाए वहाँ रूपक अलंकार होता है। इसमें 

वाचक शब्द का प्रयोग नहीं होता।

जैसे– मैया मैं तो 

चन्द्र खिलोना 

लेहों। 

अतिश्योक्ति

जब किसी बात का वर्णन बहुत 

बढ़ा-चढ़ाकर किया जाए।

जैसेआगे नदियाँ 

पड़ी अपार घोडा कैसे 

उतरे पारराणा ने सोचा

इस पार तब तक

 चेतक था उस पार।

उत्प्रेक्षा

जहाँ उपमेय में उपमान के होने 

की संभावना का वर्णन होता हो।

जैसे– लता भवन ते प्रगट भे, तेहि अवसर दोउ भाइ। निकसे जुग-जुग विमल विधु, जलद पटल विलगाइ।।

'क़ों तुम? हम हैं हरी, हरी। बानर क़ों नहीं काम' - में कौन सा अलंकार हैं।

  1. वक्रोक्ति
  2. अतिश्योक्ति
  3. अन्योक्ति
  4. यमक

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : वक्रोक्ति

वक्रोक्ति Question 11 Detailed Solution

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इसका सही उत्तर विकल्प वक्रोक्ति है। अन्य विकल्प सही उत्तर नहीं हैं।

Key Points

  • ''क़ों तुम? हम हैं हरी, हरी। बानर क़ों नहीं काम'- में वक्रोक्ति अलंकार है।
  • जब कहने वाले व्यक्ति के कथन का अर्थ श्रोता द्वारा चमत्कारपूर्ण रूप से लिया जाता है तो वहाँ वक्रोक्ति अलंकार होता है।

अन्य विकल्प:

अलंकार

परिभाषा

उदाहरण

अतिश्योक्ति

जब किसी वस्तु का बहुत अधिक बढ़ा-चढ़ाकर वर्णन किया जाये वहां पर अतिश्योक्ति अलंकार होता है।

हनुमान की पूंछ में लगन न पायी आगि।

सगरी लंका जल गई, गये निसाचर भागि।

अन्योक्ति

जब उपमान प्रस्तुत न हो परंतु उसके द्वारा उपमेय का वर्णन हो वहाँ अन्योक्ति अलंकार होता है।

नहिं पराग नहिं मधुर मधु, नहिं विकास इहिकाल।

अली कली ही सौं बंध्यो, आगे कौन हवाल।।

यमक

जब शब्द की एक से ज़्यादा बार आवृति होती है एवं विभिन्न अर्थ निकलते हैं तो वहाँ यमक अलंकार होता है।

तीन बेर खाती थी वे तीन बेर खाती हैं।

 

Additional Information

अलंकार

परिभाषा

उदाहरण

अनुप्रास

जहां एक ही वर्ण की आवृत्ति एक से अधिक बार हो, वहाँ अनुप्रास अलंकार होता है।

चारु चंद्र की चंचल किरणें,

खेल रही थी जल थल में।

उपमा

जहां एक वस्तु या प्राणी की तुलना किसी दूससरी वस्तु या प्राणी से की जाए, वहाँ उपमा अलंकार होता है।

सागर-सा गंभीर हृदय हो,

गिरि-सा ऊंचा हो जिसका मन।

उत्प्रेक्षा

उपमान के न होने पर उपमेय को ही उपमान मान लिया जाए वहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार होता है।

सोहत ओढ़े पीत पट, स्याम सलौने गात।

मनहु नीलमणि सैल  पर, आवत परयो प्रभात।

यमक

यमक अलंकार में एक शब्द का दो या दो से अधिक बार प्रयोग होता है और प्रत्येक प्रयोग में अर्थ की भिन्नता होती है।

कनक कनक तै सौ गुनी मादकता अधिकाय।

 

श्लेष

जब किसी शब्द का प्रयोग एक बार ही किया जाता है पर उसके एक से अधिक अर्थ निकलते हैं तब श्लेष अलंकार होता है।

पानी गये न ऊबरै, मोती मानुष चून।

रूपक

जहाँ गुण की अत्यंत समानता के कारण उपमेय में ही उपमान का अभेद आरोप कर दिया हो, वहाँ रूपक अलंकार होता है।

चरण-कमल बंदौ हरि राई!

अतिश्योक्ति

जब किसी वस्तु का बहुत अधिक बढ़ा-चढ़ाकर वर्णन किया जाये वहां पर अतिश्योक्ति अलंकार होता है।

हनुमान की पूंछ में लगन न पायी आगि।

सगरी लंका जल गई, गये निसाचर भागि।

वक्रोक्ति अलंकार कितने प्रकार के होते है?

  1. चार
  2. सात
  3. तीन
  4. दो

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : दो

वक्रोक्ति Question 12 Detailed Solution

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उपरोक्त विकल्पों में वक्रोक्ति अलंकार दो प्रकार के होते है हैl अतः स्पष्ट है कि दो विकल्प उचित विकल्प हैl अन्य विकल्प असंगत हैl

विशेष

1) श्लेष वक्रोक्ति अलंकार

2) काकु वक्रोक्ति अलंकार

मैं सुकुमारि नाथ बन जोगू। तुमहिं उचित तप मोकहँ भोगू। - में निम्न में से कौन सा अलंकार है?

  1. रूपक अलंकार
  2. वक्रोक्ति अलंकार
  3. अनुप्रास अलंकार
  4. श्लेष अलंकार

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : वक्रोक्ति अलंकार

वक्रोक्ति Question 13 Detailed Solution

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यहाँ दिए गये वाक्य में ‘वक्रोक्ति अलंकार’ है। क्योंकि यहाँ वाक्य में उच्चारण पर वक्रता उत्पन्न होती है। वक्रोक्ति अलंकार से तात्पर्य है जिस शब्द से कहने वाले व्यक्ति के कथन का अभिप्रेत अर्थ ग्रहण न कर श्रोता अन्य ही कल्पित या चमत्कारपूर्ण अर्थ लगाये और उसका उत्तर दे, उसे वक्रोक्ति कहते हैं। अतः सही विकल्प वक्रोक्ति अलंकार है।

अन्य विकल्प

अलंकार

परिभाषा

रूपक

जब गुण की अत्यंत समानता के कारण उपमेय को ही उपमान बता दिया जाए यानी उपमेय ओर उपमान में अभिन्नता दर्शायी जाए तब वह रूपक अलंकार कहलाता है।

अनुप्रास

जब किसी काव्य को सुंदर बनाने के लिए किसी वर्ण की बार-बार आवृति हो तो वह अनुप्रास अलंकार कहलाता है।

श्लेष

जहाँ एक ही शब्द के द्वारा एक से अधिक अर्थ का बोध हो उसे श्लेष अलंकार कहते हैं।

जहाँ शिलष्ट शब्दों से दो अर्थ लगाकर अन्य अर्थ की कल्पना होती है वहाँ कौन सा अलंकार होता है?

  1. वक्रोक्ति
  2. श्लेष
  3. श्लेष वक्रोक्ति
  4. काकु वक्रोक्ति

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : श्लेष वक्रोक्ति

वक्रोक्ति Question 14 Detailed Solution

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जहाँ शिलष्ट शब्दों से दो अर्थ लगाकर अन्य अर्थ की कल्पना होती है वहाँ श्लेष वक्रोक्ति अलंकार होता है।

  • अतः सही उत्तर श्लेष वक्रोक्ति होगा।

Key Points

जहाँ एक शब्द अनेक अर्थों में प्रयुक्त होता है, वहाँ शब्द-श्लेष होता है।

  • रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून। पानी गए न ऊबरे, मोती, मानुस, चून।।
  • इस एक शब्द के द्वारा अनेक अर्थों का बोध कराए जाने के कारण यहाँ श्लेष अलंकार है।

Additional Information

अन्य विकल्प:

वक्रोक्ति अलंकार

 जहाँ किसी उक्ति का अर्थ जान बूझकर वक्ता के अभिप्राय से अलग लिया जाता है, वहाँ वक्रोक्ति अलंकार होता है।

श्लेष अलंकार

जब किसी शब्द का प्रयोग एक बार ही किया जाता है पर उसके एक से अधिक अर्थ निकलते हैं तब श्लेष अलंकार होता है। 

काकु वक्रोक्ति अलंकार

कण्ठध्वनि की विशेषता से अन्य अर्थ कल्पित हो जाना ही काकु वक्रोक्ति है।

अलंकार का नाम बतांएः

को तुम हौ इत आये कहां घनस्याम हौ तौ कितहूं बरसो।

चितचोर कहावत हैं हम तौ तहां जाहूुं धन है सरसों।।

  1. अन्योक्ति अलंकार
  2. उपमा अलंकार
  3. वक्रोक्ति अलंकार
  4. रुपक अलंकार

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : वक्रोक्ति अलंकार

वक्रोक्ति Question 15 Detailed Solution

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उपरोक्त पंक्तियों में 'वक्रोक्ति' अलंकर है। अतः सही उत्तर विकल्प 3 'वक्रोक्ति अलंकार है।

Key Points

को तुम हौ इत आये कहां घनस्याम हौ तौ कितहूं बरसो।

चितचोर कहावत हैं हम तौ तहां जाहूुं धन है सरसों।।

  • उपरोक्त पंक्ति में राधा 'घनश्याम' का अर्थ बादल लगाकर उत्तर देती है _'कहीं और जाकर बरसो'| पुनः कृष्ण द्वारा 'चितचोर' नाम बताने पर वह कहती है __'चोर हो तो वहां जाओ जहां धन है | इस तरह घनश्याम और चितचोर का दूसरा अर्थ श्लेष  से लिया गया है यहां वक्ता के कथन का श्रोता ने चमत्कार पूर्ण भिन्न अर्थ श्लेष  से ग्रहण किया है इसलिए श्लेष वक्रोक्ति है |

  • 'वक्रोक्ति' का अर्थ है 'वक्र उक्ति' अर्थात 'टेढ़ी उक्ति'। जिस शब्द से कहने वाले व्यक्ति के कथन का अभिप्रेत अर्थ ग्रहण न कर श्रोता अन्य ही कल्पित या चमत्कारपूर्ण अर्थ लगाये और उसका उत्तर दे, उसे वक्रोक्ति कहते हैं।

अन्य विकल्प - 

  • अन्योक्ति अलंकार - जहां प्रस्तुत व्यवस्था का वर्णन कर उसके माध्यम से किसी अप्रस्तुत वस्तु को व्यंजना की जाती है वहां और अतिशयोक्ति अलंकार होता है। 
  • उपमा अलंकार -  उपमा शब्द का अर्थ होता है – तुलना।, जब किसी व्यक्ति या वस्तु की तुलना किसी दूसरे यक्ति या वस्तु से की जाए वहाँ पर उपमा अलंकार होता है।
  • रूपक अलंकार - जब गुण की अत्यंत समानता के कारण उपमेय को ही उपमान बता दिया जाए यानी उपमेय ओर उपमान में अभिन्नता दर्शायी जाए तब वह रूपक अलंकार कहलाता है।

Additional Information

अलंकार

अलंकार का अर्थ है आभूषण। अतः काव्य में आभूषण अर्थात सौंदर्यवर्धक गुण अलंकार कहलाते हैं। मुख्य रूप से अलंकार के दो भेद माने गए हैं- शब्दालंकार और अर्थालंकार। जब शब्दों में चमत्कार उत्पन्न होता है तो शब्दालंकार कहलाता है। जब अर्थों में चमत्कार उत्पन्न होता है तो अर्थालंकार कहलाता है।

जैसे - सिंधु से अथाह ( उपमा) - शब्दालंकार

काली घटा का घमंड घटा (अनुप्रास) - अर्थालंकार

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