शुक्लोत्तर युगीन निबन्ध MCQ Quiz in తెలుగు - Objective Question with Answer for शुक्लोत्तर युगीन निबन्ध - ముఫ్త్ [PDF] డౌన్లోడ్ కరెన్
Last updated on Apr 5, 2025
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शुक्लोत्तर युगीन निबन्ध Question 1:
इनमें से कौैन-सा व्यक्ति ललित निबंधकार नहीं है ?
Answer (Detailed Solution Below)
शुक्लोत्तर युगीन निबन्ध Question 1 Detailed Solution
उपर्युक्त में से कोई भी ललित निबंधकार नहीं है।
Important Pointsललित निबन्धकार व उनके महत्त्वपूर्ण निबंधों के नाम -
हजारीप्रसाद द्विवेदी | विद्यानिवास मिश्र | कुबेरनाथ राय |
अशोक के फूल(1948) कल्पलता(1951) विचार और वितर्क(1957) कुटज(1964) आलोक पर्व(1972) |
छितवन की छाहँ(1953) हल्दी दूब(1955) तुम चन्दन हम मेरे राम का मुकुट भीग रहा है(1974) |
नीलकंठी (1969) रस आखेटक (1970) विषाद योग (1973) निषाद |
Additional Informationललित निबन्ध
- ललित निबन्धों में निबन्धकार अपने भावमात्मक व्यक्तित्व को इस रूप में प्रस्तुत करना चाहता है कि वह सरस्,अनुभूति-जन्य,आत्मीय और रोचक लगे।
- इसमें बल सरस शैली पर दिया जाता है।
- इसकी भाषा मे शुष्कता नही बल्कि कल्पनाशीलता,सहजता व सरसता होती हैं।
- प्रमुख ललित निबन्धकार -हजारीप्रसाद द्विवेदी,विद्यानिवास मिश्र,कुबेरनाथ राय, विवेकी राय आदि।
आचार्य रामचंद्र शुक्ल
- जन्म - 4 अक्टूबर, 1884 ई.
- निधन - 2 फरवरी, 1941 ई.
कृति -
- निबंध - चिन्तामणि, विचार वीथी
- आलोचना - सूरदास, रसमीमांसा, त्रिवेणी
- इतिहास - हिन्दी साहित्य का इतिहास
- अनुवाद - मेगस्थनीज का भारतवर्षीय विवरण, आदर्श जीवन, कल्याण का आनंद, विश्व प्रबंध, बुद्धचरित
- सम्पादन - जायसी ग्रन्थावली, तुलसी ग्रन्थावली, भ्रमरगीत सार, हिन्दीशब्द सागर, काशी नागरी प्रचारिणी पत्रिका, आनन्द कादम्बिनी
शुक्लोत्तर युगीन निबन्ध Question 2:
निम्न में से कौन सी हरिशंकर परसाई की रचना नहीं है ?
Answer (Detailed Solution Below)
शुक्लोत्तर युगीन निबन्ध Question 2 Detailed Solution
'जीप पर सवार इल्लियाँ'(1971) शरद जोशी का निबंध है।
Key Points
- शरद जोशी(1931-1991) व्यंग्यात्मक निबंधकार है।
शरद जोशी का अन्य प्रमुख निबंधः-
- यथा संभव
- हम भ्रष्टन के भ्रष्ट हमारे
- किसी बहाने
- रहा किनारे बैठ
- यत्र-तत्र सर्वत्र।
Additional Informationहरिशंकर परसाई(1924- 1995) की प्रमुख रचनाएँः-
निबंध | विकलांग श्रद्धा का दौर(1980), ठिठुरता हुआ गणतंत्र (1970), प्रेमचंद के फटे जूते, गडंडियों का जमाना (1961), जैसे उनके दिन फिरे (1963), सदाचार की ताबीज (1967)। |
Important Pointsहरिशंकर परसाई व्यंग्यात्मक निबंधकार है।
अन्य प्रमुख व्यंग्यात्मक निबंधकारः-
- प्रभाकर माचवे, अमृतराय, श्रीलाल शुक्ल, शरद जोशी आदि।
शुक्लोत्तर युगीन निबन्ध Question 3:
''हमारे समाज के पुरुष के विवेकहीन जीवन का चित्र देखना हो तो, विवाह के समय गुलाब-सी खिली हुई, स्वस्थ बालिका को पांच वर्ष बाद देख लीजिए। उस समय अममय प्रौढ़ हुई दुर्बल संतानों की रोगिणी पीली माता में कौन-सी विवशता, कौन-सी रूला देनेवाली करुणा न मिले।"
उपरोक्त कथन किस लेखिका का है ?
Answer (Detailed Solution Below)
शुक्लोत्तर युगीन निबन्ध Question 3 Detailed Solution
- यह कथन छायावाद की प्रमुख लेखिका महादेवी वर्मा का है।
- यह पंक्तियां उनके निबंध संग्रह श्रृंखला की कड़ियां से ली गईं हैंI
- महादेवी वर्मा छायावाद के चार प्रमुख स्तंभों में से एक हैंI
- यह निबंध संग्रह नारीवादी निबंधों के लिए महत्वपूर्ण हैI
- प्रकाशन वर्ष - 1943
- महादेवी वर्मा - जन्म - 26 मार्च, 1907
- मृत्यु - 11 सितंबर, 1987
- कविता संग्रह -
- नीहार (1930)
- रश्मि (1932)
- नीरजा (1934)
- सांध्यगीत (1936)
- दीपशिखा (1942),
- सप्तपर्णा (अनूदित 1959)
- प्रथम आयाम (1974)
- अग्निरेखा (1990)
- कथेतर -
- अतीत के चलचित्र (1941)
- स्मृति की रेखाएं (1943)
- श्रृंखला की कड़ियां (1943)
- मेरा परिवार
- पथ के साथी (1956 )
- रमणिका गुप्ता आदिवासी रचनाकार हैंI
- मुख्य कृति -
- हादसे ( आत्मकथा भाग 1 )
- आपहुदरी (आत्मकथा भाग 2)
- आदिवासी कौन ?
- मन्नू भंडारी तथा प्रभा खेतान नारीवादी लेखिका हैं।
- मन्नू भंडारी - एक कहानी यह भी (आत्मकथा), आपका बंटी (उपन्यास), मैं हार गई (कहानी), यही सच है (कहानी), त्रिशंकु (कहानी)
- प्रभा खेतान - अन्या से अनन्या (आत्मकथा), छिन्नमस्ता (उपन्यास),
Key Points
Important Points
Additional Information
शुक्लोत्तर युगीन निबन्ध Question 4:
जन्मकाल के अनुसार निम्नलिखित निबन्धकारों का सही क्रम है।
(A) रामवृक्ष बेनीपुरी
(B) नलिन विलोचन शर्मा
(C) रामविलास शर्मा
(D) नंद दुलारे वाजपेयी
नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए :
Answer (Detailed Solution Below)
शुक्लोत्तर युगीन निबन्ध Question 4 Detailed Solution
जन्मकाल के अनुसार निम्नलिखित निबन्धकारों का सही क्रम है-(A) रामवृक्ष बेनीपुरी,(D) नंद दुलारे वाजपेयी,(C) रामविलास शर्मा,(B) नलिन विलोचन शर्मा
Key Points
निबंधकार | जन्मकाल |
रामवृक्ष बेनीपुरी | (1899-1968ई.) |
नंद दुलारे वाजपेयी | (1906-1967ई.) |
रामविलास शर्मा | (1912-2000ई.) |
नलिन विलोचन शर्मा | (1916-1961ई.) |
Important Points
- रामवृक्ष बेनीपुरी के निबंध-गेहूँ और गुलाब(1950),वन्दे वाणी विनायको(1954)आदि।
- नंद दुलारे वाजपेयी के निबंध-हिंदी साहित्य:बीसवीं शताब्दी(1942),नया साहित्य नये प्रश्न(1955),नयी कविता(1976),रस सिद्धान्त(1977)आदि।
- रामविलास शर्मा के निबंध-प्रगति और परंपरा(1949),साहित्य और संस्कृति(1949),भाषा,साहित्य और संस्कृति(1954),प्रगतिशील साहित्य की समस्याएं(1954),आस्था और सौंदर्य(1961)आदि।
- नलिन विलोचन शर्मा के निबंध-मानदण्ड(1963)आदि।
Additional Information
- शुक्ल-'यदि गद्य कवियों य्य लेखकों की कसौटी है तो निबन्ध गद्य की कसौटी है।भाषा की पूर्ण शक्ति का विकास निबंधो में ही सबसे अधिक संभव है।"
शुक्लोत्तर युगीन निबन्ध Question 5:
कुबेरनाथ राय की कौन-सी ललित-निबंध कृति नहीं है?
Answer (Detailed Solution Below)
शुक्लोत्तर युगीन निबन्ध Question 5 Detailed Solution
सही उत्तर है- उपर्युक्त में से कोई नहीं
Key Pointsकुबेरनाथ राय-
- जन्म- 1933- 2016 ईo
- इनके निबंधों में भारतीय संस्कृति और भारतीय चिंतन के विभिन्न पक्षों की पहचान और व्याख्या की है।
- निबंध संग्रह-
- प्रिया नीलकंठी (1969)
- रस आखेटक (1971 )
- गंधमादन (1972)
- विषाद योग (1973)
- निषाद बाँसुरी (1974)
- पर्ण मुकुट (1978)
- महाकवि की तर्जनी (1979)
शुक्लोत्तर युगीन निबन्ध Question 6:
हरिशंकर परसाई के निबंध-संग्रहों का सही अनुक्रम है :
Answer (Detailed Solution Below)
शुक्लोत्तर युगीन निबन्ध Question 6 Detailed Solution
हरिशंकर परसाई के निबंध-संग्रहों का सही अनुक्रम है :-पगडंडियों का जमाना, ठिठुरता हुआ गणतंत्र, विकलांग श्रद्धा का दौर
- पगडंडियों का जमाना - (1966ई०)
- ठिठुरता हुआ गणतंत्र - (1970ई०)
- विकलांग श्रद्धा का दौर - र(1980ई०)
Key Points
हरिशंकर परसाई -
- प्रसिद्धि - हिंदी के प्रसिद्ध लेखक और व्यंगकार
- प्रमुख रचनाएं -
- निबंध-संग्रह -
- पगडंडियों का जमाना(1966ई०)
- जैसे उनके दिन फिरे(1963ई०)
- सदाचार की ताबीज (1967ई०)
- शिकायत मुझे भी है(1970ई०)
- ठिठुरता हुआ गणतंत्र(1970ई०)
- अपनी-अपनी बीमारी (1972ई०)
- वैष्णव की फिसलन(1967 ई०)
- विकलांग श्रद्धा का दौर(1980ई०)
- सुनो भाई साधो (1983ई०)
- तुलसीदास चंदन घिसे(1986ई०)
- कहत कबीर(1987ई०)
- ऐसा भी सोचा जाता है(1993ई०)
- पाखण्ड का अध्यात्म(1998ई०)
- आवारा भीड़ के खतरे(1998ई०)
शुक्लोत्तर युगीन निबन्ध Question 7:
'चीड़ों पर चाँदनी' किसका निबंध है?
Answer (Detailed Solution Below)
शुक्लोत्तर युगीन निबन्ध Question 7 Detailed Solution
सही उत्तर 'निर्मल वर्मा' है।
Key Points
- यात्रा वृतांत लिखने की परंपरा का सूत्रपात भारतेंदु से माना जाता है।
- भारतेंदु ने 'सरयू पार की यात्रा', लखनऊ की यात्रा आदि यात्रा वृत्तांत लिखें हैं।
- चीड़ों पर चाँदनी ( 1964 ई. ) यात्रा वृत्तांत निर्मल वर्मा द्वारा लिखित है।
Additional Information
अन्य विकल्प:
- कृष्णा सोबती का यात्रा वृतान्त - बुद्ध का कमण्डल : लद्दाख़
- ममता कालिया का नाटक संग्रह : यहाँ रहना मना है, आप न बदलेंगे
- भीष्म साहनी के कहानी संग्रह - मेरी प्रिय कहानियां, भाग्यरेखा, वांगचू, निशाचर
शुक्लोत्तर युगीन निबन्ध Question 8:
नन्ददुलारे बाजपेयी द्वारा लिखित निबन्ध कौनसा है?
Answer (Detailed Solution Below)
शुक्लोत्तर युगीन निबन्ध Question 8 Detailed Solution
- "रीती और शैली " नंदुलारे वाजपेयी का प्रमुख निबन्ध है जो 1979 में प्रकाशित हुआ |
- वाजपयी जी का जन्म 27 अगस्त 1906 में उज्जैन में हुआ |
- ये साहित्यकार , अलोचक , पत्रकार , संपादक के रूप में जाने जाते है |
- नंददुलारे वाजपेयी जी ने सर्वप्रथम छायावाद को प्रतिष्ठित किया |
- वाजपेयी जी ने काशी नागरिणी सभा से सूरसागर का 'संपादन' किया |
- प्रमुख रचनाएँ :-
Key Points
रचना | प्रकाशन वर्ष |
हिन्द साहित्य - बींसवी शताब्दी | 1942 |
आधुनिक साहित्य | 1950 |
नया साहित्य नए प्रश्न | 1955 |
नयी कविता | 1976 |
राष्ट्रिय साहित्य | 1969 |
रस सिद्धांत | 1977 |
हिंदी साहित्य का आधुनिक युग | 1978 |
रीती और शैली | - |
शुक्लोत्तर युगीन निबन्ध Question 9:
निम्नलिखित में से हजारी प्रसाद द्विवेदी का निबन्ध कौनसा है?
Answer (Detailed Solution Below)
शुक्लोत्तर युगीन निबन्ध Question 9 Detailed Solution
"नाखून क्यों बढ़ते हैं", "हजारी प्रसाद द्विवेदी" का निबंध है। अतः उपर्युक्त विकल्पों में से विकल्प (2) नाखून क्यों बढ़ते हैं सही है तथा अन्य विकल्प असंगत हैं।Key Points
- नाखून क्यों बढते है' हजारी प्रसाद द्विवेदी का प्रसिद्ध निबन्ध है।
- नाखून मनुष्य आदिम हिंसक मनोवृत्ति का परिचायक है।
- नाखून बार-बार बढते हैं और मनुष्य उन्हें बार-बार काट देता है तथा हिंसा से मुक्त होने और सभ्य बनने का प्रयत्न करता है।
- हजारीप्रसाद द्विवेदी (19 अगस्त 1907 - 19 मई 1979) हिन्दी निबन्धकार, आलोचक और उपन्यासकार थे।
- 1957 में राष्ट्रपति द्वारा 'पद्मभूषण' की उपाधि से सम्मानित किये गये।
- 1973 में 'आलोक पर्व' निबन्ध संग्रह के लिए उन्हें 'साहित्य अकादमी पुरस्कार' से सम्मानित किया गया।
- इनके निबंध संग्रह निम्नलिखित हैं:-
- अशोक के फूल (1948)
- कल्पलता (1951)
- विचार और वितर्क (1954)
- विचार-प्रवाह (1959)
- कुटज (1964)
- विश के दन्त
- कल्पतरु
- गतिशील चिंतन
- साहित्य सहचर
Additional Information
- कविता क्या है, रामचंद्र शुक्ल जी का निबंध है।
- दिल्ली दरबार दर्पण के रचनाकार भारतेंदु हरिश्चंद हैं। भारतेंदु ने दिल्ली दरबार दर्पण निबंध को वर्णात्मक शैली में लिखा है।
- मजदूरी और प्रेम, सरदार पूर्ण सिंह का प्रसिद्ध निबंध है। इसके लेखक ने मजदूरों के श्रम तथा उसके सच्चे मूल्य का विवेचन किया है।
शुक्लोत्तर युगीन निबन्ध Question 10:
"मनुष्य की बर्बरता घटी कहाँ है वह तो बढ़ती जा रही है मनुष्य के इतिहास में हिरोशिमा का हत्याकांड बार-बार थोड़े ही हुआ है यह तो उसका नवीनतम रूप है।" उद्धरण किस निबंध से है ?
Answer (Detailed Solution Below)
शुक्लोत्तर युगीन निबन्ध Question 10 Detailed Solution
"मनुष्य की बर्बरता घटी कहाँ है वह तो बढ़ती जा रही है मनुष्य के इतिहास में हिरोशिमा का हत्याकांड बार-बार थोड़े ही हुआ है यह तो उसका नवीनतम रूप है।" यह उद्धरण नाखून क्यों बढ़ते हैं निबंध से है।
Key Points
- रचनाकार-हजारीप्रसाद द्विवेदी
- विधा-निबंध
- प्रकाशन वर्ष-1951 ई.
Important Points
- नाखून क्यों बढ़ते हैं हजारी प्रसाद द्विवेदी के "कल्पलता" निबंध-संग्रह में संकलित है।
- यह विचार-प्रधान व्यक्तिनिष्ठ निबंध है।
- इसमें नाख़ून का बढ़ना पशुता का प्रतीक है और नाख़ून का काटना मानवता का प्रतीक है।
- हजारीप्रसाद द्विवेदी ललित निबंधकार है।
- प्रमुख निबंध-
- अशोक के फूल 1948 ई.
- मध्यकालीन धर्म साधना 1952 ई.
- विचार और वितर्क 1957 ई.
- कुटज 1964 ई.
- आलोक पर्व 1972 ई. आदि।
Additional Information अन्य निबंध और उनके रचनाकार-
निबंध | रचनाकार | प्रकाशन वर्ष |
कविता क्या है | राम्चंद्र शुक्ल | 1909 ई. |
शिव शंभू के चिट्ठे | बालकृष्ण भट्ट | 1903 ई. |
राम का मुकुट भीग रहा है | विद्यानिवास मिश्र | 1974 ई. |