'रामचरितमानस' के 'अरण्यकांड' में नवधा भक्ति पर उपदेश करते हुए पहली भक्ति बताई है-

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MPPSC Assistant Prof 2022 (Hindi) Official Paper-II (Held On: 28 Jan, 2024)
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  1. कथा प्रसंग में प्रेम
  2. मंत्र जाप
  3. गुरु सेवा
  4. संतों का सत्संग

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Option 4 : संतों का सत्संग
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MPPSC Assistant Professor UT 1: MP History, Culture and Literature
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'रामचरितमानस' के 'अरण्यकांड' में नवधा भक्ति पर उपदेश करते हुए पहली भक्ति बताई है- संतों का सत्संग

Key Points

  • 'रामचरितमानस' के 'अरण्यकांड' में भगवान श्रीराम ने शबरी को नवधा भक्ति (भक्ति के नौ प्रकार) के बारे में उपदेश दिया है।
  • इनमें से पहली भक्ति बताई है: प्रथम भगति संतन कर संगा।
  • इसका अर्थ है कि पहली भक्ति है संतों के साथ संगति करना, अर्थात् संतों और सद्गुरुओं का साथ प्राप्त करना।
  • संतों के संग से भक्त को अच्छे संस्कार, सदाचार और धार्मिक प्रवृत्तियों को सीखने का अवसर प्राप्त होता है,
  • जो भक्ति मार्ग पर चलने के लिए आवश्यक है।
  • भक्ति के नौ प्रकार का उल्लेख किया गया है:
    • प्रथम भगति संतन्ह कर संगा। - पहली भक्ति संतों की संगति करनी है।
    • दूसरि रति मम कथा प्रसंगा। - दूसरी भक्ति भगवान की कथा और लीलाओं में प्रेम करना है।
    • गुरु पद पंकज सेवा। - तीसरी भक्ति गुरुओं के चरण कमलों की सेवा करना है।
    • चौथी नामु गुन गन बस सेवा। - चौथी भक्ति भगवान के नाम और गुणों का गुणगान करना है।
    • मंत्र जाप मम दृढ़ बिस्वासा। - पांचवी भक्ति है भगवान के नाम मंत्र का जाप करते हुए दृढ़ विश्वास रखना।
    • छठ दम सील बिरति बहु करमा। - छठी भक्ति है इंद्रियों को वश में करना, शील और वैराग्य को धारण करना।
    • सतसंगति मनु हरि चरन कर। - सातवी भक्ति है सत्संगति ने मन को भगवान के चरणों में लगाना।
    • निर्मल मन जन सो मोहि पावा। - आठवी भक्ति है निर्मल मन से भगवान को प्राप्त करना।
    • नवम सरल सबहिं षृष्टी समाना। - नवमी भक्ति है सरलता और सभी प्राणियों से समभाव रखना।

Important Pointsरामचरितमानस -

  • रचियता - तुलसीदास 
  • रचनाकाल - 1574 ई. (संवत् 1631) चैत्र शुक्ल रामनवमी मंगलवार को हुआ।
  • समय  - 2 वर्ष 7 माह और 26 दिन लगे।
  • रामचरितमानस में सात कांड या सोपान है -
    1. बालकांड
    2. अयोध्या कांड
    3. अरण्यकांड
    4. किष्किंधा कांड
    5. सुंदरकांड
    6. लंकाकांड
    7. उत्तरकांड
  • तुलसीदास ने सर्वप्रथम रामचरितमानस रसखान को सुनाया
    • रामचरितमानस की प्रथम टीका अयोध्या के बाबा राम चरण दास ने लिखी।
    • अयोध्या कांड को रामचरितमानस का हृदय स्थल कहा जाता है।
    • इस कांड में चित्रकूट सभा को आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने एक अध्यात्मिक घटना की संज्ञा प्रदान की है।
  • रामचरितमानस की रचना गोस्वामी ने स्वान्त सुखाय के साथ-साथ लोकहित लोकमंगल के लिए किया।

Additional Information तुलसीदास जी की रचनाएं-

  • वैराग्य संदीपनी (1626)
  • बरवै रामायण (1626)
  • रामाज्ञा प्रश्नावली (1627)
  • रामलला नहछु (1628)
  • जानकी मंगल (1629)
  • गीतावली (1630)
  • विनय पत्रिका (1631)
  • दोहावली (1631)
  • कवितावली (1631)
  • रामचरितमानस (1631)
  • पार्वती मंगल (1643)
  • कृष्ण गीतावली (1643)
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