'कर्म का भोग भोग का कर्म, यही जड का चेतन आनन्द' - पंक्तियाँ किस काव्य-कृति से उद्धृत है?

This question was previously asked in
UP Junior Aided Teacher (UPJASE) 2021 (Hindi/English/Sanskrit) Official Paper
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  1. यशोधरा
  2. उर्वशी
  3. साकेत
  4. कामायनी

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : कामायनी
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SUPER TET Full Test 1
150 Qs. 150 Marks 150 Mins

Detailed Solution

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उपर्युक्त विकल्पों में से विकल्प "कामायनी" सही है तथा अन्य विकल्प असंगत है।Key Points

  • उपर्युक्त पंक्तियां कामायनी की है।
  • कामायनी हिंदी भाषा का एक महाकाव्य है। 
  • यह आधुनिक छायावादी युग का सर्वोत्तम और प्रतिनिधि हिंदी महाकाव्य है। 
  • 'प्रसाद' जी की यह अंतिम काव्य रचना 1936 ई. में प्रकाशित हुई।
  • कामायनी एक प्रतीकात्मक काव्य है जिसमेंं मनु,श्रद्धा,इड़ा,किलात-आकुलि,श्वेत वृषभ आदि क्रमशः मन, बुद्धि,मानव,आसुरी भाव,धर्म के प्रतीक हैं।
Important Points
  • कामायनी 15 सर्ग (अध्यायों) का महाकाव्य है। ये सर्ग निम्नलिखित हैं-
    • 1. चिन्ता 2. आशा 3. श्रद्धा 4. काम 5. वासना 6. लज्जा 7. कर्म 8. ईर्ष्या 9. इडा (तर्क, बुद्धि) 10. स्वप्न 11. संघर्ष 12. निर्वेद (त्याग) 13. दर्शन 14. रहस्य 15. आनन्द सूत्र :- (1) चिंता की आशा से श्रद्धा ने काम वासना को लज्जित किया। (2) कर्म की ईर्ष्या से इड़ा ने स्वप्न में संघर्ष किया। (3) निदरआ (निद्रा)  
Additional Information
  • यशोधरा (1933 ईस्वी) :- मैथिलीशरण गुप्त
  • उर्वशी (1961 ईस्वी) :- रामधारी सिंह दिनकर
  • साकेत (1931 ईस्वी) :- मैथिलीशरण गुप्त

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