Question
Download Solution PDFकस्य माहेश्वरसूत्रस्य मध्ये अकारस्येत्संज्ञा भवति ?
Answer (Detailed Solution Below)
Detailed Solution
Download Solution PDFप्रश्न का हिंदी भाषांतर : किस माहेश्वरसूत्र में अकार की इत्संज्ञा होती है?
स्पष्टीकरण -
- माहेश्वर सूत्रअष्टाध्यायी में आए १४ सूत्र (अक्षरों के समूह) हैं जिनका उपयोग करके व्याकरण के नियमों को अत्यन्त लघु रूप देने में पाणिनि ने सफलता पायी है।
- शिवसूत्रों को संस्कृत व्याकरण का आधार माना जाता है। पाणिनि ने संस्कृत भाषा के तत्कालीन स्वरूप को परिष्कृत एवं नियमित करने के उद्देश्य से भाषा के विभिन्न अवयवों एवं घटकों यथा ध्वनि-विभाग (अक्षरसमाम्नाय), नाम (संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण), पद, आख्यात, क्रिया, उपसर्ग, अव्यय, वाक्य, लिंग इत्यादि तथा उनके अन्तर्सम्बन्धों का समावेश अष्टाध्यायी में किया है।
- माहेश्वर सूत्रों की कुल संख्या १४ है जो निम्नलिखित हैं -
अइउण् |
ऋऌक् |
एओङ् |
ऐऔच् |
हयवरट् |
लण् |
ञमङणनम् |
झभञ् |
घढधष् |
जबगडदश् |
खफछठथचटतव् |
कपय् |
शषसर् |
हल् |
- इत् संज्ञा होने से इन अन्तिम वर्णों का उपयोग प्रत्याहार बनाने के लिए केवल अनुबन्ध हेतु किया जाता है, लेकिन व्याकरणीय प्रक्रिया मे इनकी गणना नही की जाती है अर्थात् इनका प्रयोग नही होता है।
- माहेश्वर सूत्रोंं में छठे सूत्र 'लण्' सूत्र में विद्यमान 'अ' (ल् + अ + ण्) के उच्चारण के लिए तो है ही साथ - साथ एक प्रयोजन और भी है कि यह इत् संज्ञक भी है। अर्थात् जैसे चौदह माहेश्वर सूत्रों के अन्त्य वर्णों (ण् क् आदि) की इत् संज्ञा होती है, वैसे ही 'लण्' सूत्र में विद्यमान अकार भी इत् संज्ञक है।
अतः स्पष्ट है, 'लण्' यह इस प्रश्न का सही उत्तर है।
Last updated on Jun 6, 2025
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