वैदिकमन्त्राणां सङ्कलनं कुत्र भवति ? 

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  1. ब्राह्मणग्रंथेषु 
  2. उपनिषदि 
  3. संहितायां 
  4. आरण्यके

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Option 3 : संहितायां 
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HTET PGT Official Computer Science Paper - 2019
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प्रश्न का अनुवाद - वैदिक मंत्र कहाँ संकलित हैं?
स्पष्टीकरण - संहिताओं में वैदिक मन्त्र संकलित है।

Key Points

  • भारत  निवासियों की साहित्यिक अभिव्यक्ति मौखिक रूप से जिस भाषा में हुई उसे वैदिक संस्कृत कहते हैं। इस भाषा में बहुमूल्य साहित्यिक परम्परा चली जो धार्मिक एवं लौकिक विषयों से भी भरी थी । वैदिक साहित्य तात्कालिक समाज की प्रवृत्तियों को समझने में बहुत उपादेय है। वैदिक साहित्य के धार्मिक विषयों में यज्ञ, देवता, उनके स्वभाव, भेद आदि आए हैं, तो लौकिक विषयों में मानव की इच्छाएँ, संकट और उनके निवारण, समाज का स्वरूप, चिकित्सा, दान, विवाह आदि हैं। इनसे समाज के विविध पक्षों का बोध होता है। वैदिक साहित्य के विकास का समय 6000 ई.पू. से 800 ई.पू. तक माना जाता है। इस कालावधी में चार चरणों में साहित्य का विकास देखा जाता है।
  1. संहिता 
  2. ब्राह्मण 
  3. आरण्यक 
  4. उपनिषद्     

Important Points

  •  संहिता संहिताओं में वैदिक मन्त्रों का संग्रह है। इनके चार मुख्य रूप हैं: ऋग्वेदसंहिता, यजुर्वेदसंहिता, सामवेदसंहिता तथा अथर्ववेदसंहिता । इन चारो वेदो में वैदिक मन्त्र संकलित है।
  • इनका विभाजन वैदिक यज्ञों में काम करने वाले चार ऋत्विजों (यज्ञ कराने वालों) के कार्यों को ध्यान में रखकर हुआ था।
  • यज्ञों में ये चार ऋत्विज होते थे— होता, अध्वर्यु, उद्गाता तथा ब्रह्मा। होता देवताओं को यज्ञ में बुलाता है और ऋचाओं का पाठ करते हुए यज्ञ-देवों की स्तुति करता है।
  • होता के प्रयोग के लिए उपयोगी मन्त्रों का संग्रह ऋग्वेदसंहिता में है। अध्वर्यु का काम यज्ञ का विधिपूर्वक सम्पादन है। इसके लिए आवश्यक मन्त्र यजुर्वेदसंहिता में संकलित हैं।
  • उद्गाता का काम यज्ञ में ऋचाओं का सस्वर गान करना है। वह मधुर स्वर में देवताओं को प्रसन्न करता है। उसके उपयोग के लिए ऋग्वेदसंहिता के मंत्र सामवेदसंहिता में संकलित किए गए हैं।
  • ब्रह्मा नामक ऋत्विज् यज्ञ का पूरा निरीक्षण करता है, जिससे कोई त्रुटि न हो। यद्यपि वह सभी वेदों का ज्ञाता होता है, किन्तु उसका अपना विशिष्ट वेद अथर्ववेद-संहिता है।
  • इन संहिताओं का अध्ययन विभिन्न परिवारों में पृथक्-पृथक् रूप से होता था, परिणामस्वरूप कालान्तर में इनकी अनेक शाखाएँ हो गईं।   अतः स्पष्ट है कि , वैदिक मंत्र संहिता में संकलित है। 
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