द्विवेदी युग MCQ Quiz in हिन्दी - Objective Question with Answer for द्विवेदी युग - मुफ्त [PDF] डाउनलोड करें
Last updated on Mar 16, 2025
Latest द्विवेदी युग MCQ Objective Questions
Top द्विवेदी युग MCQ Objective Questions
द्विवेदी युग Question 1:
'खड़ी बोली में इतना बड़ा काव्य अभी तक नहीं निकला है, बड़ी भारी विशेषता इस काव्य की यह है कि यह सारा संस्कृत के वर्णवृत्तो में है जिसमें अधिक परिमाण में रचना करना कठिन काम है।'
आ. रामचंद्र शुक्ल ने यह मत किस ग्रन्थ के लिये प्रगट किया है -
Answer (Detailed Solution Below)
द्विवेदी युग Question 1 Detailed Solution
रामचंद्र शुक्ल ने यह मत- 4)प्रिय प्रवास के लिये प्रगट किया है।Important Points
- प्रिय प्रवास अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध' की रचना है।
- यह हिंदी खड़ी बोली का प्रथम महाकाव्य है।
- इसकी रचना 1914 ई.में हुई।
- इसमें 17 सर्ग है।
- यह एक विरह काव्य है।
- इनकी अन्य रचनायें-वैदेही वनवास,पारिजात,रस-कलश,ठेठ हिंदी का ठाठ,अधखिला फूल आदि हैं।
Additional Information
महाकाव्य |
कवि |
प्रकाशन वर्ष |
साकेत |
मैथिलीशरण गुप्त |
1931 |
सांध्य अटन |
श्रीधर पाठक |
1918 |
कामायनी |
जयशंकर प्रशाद |
1936 |
प्रिय प्रवास |
अयोध्यासिंह उपाध्याय हरिऔध |
1914 |
द्विवेदी युग Question 2:
निम्न में से कौन सी रचना मैथिलीशरण गुप्त की नहीं है?
Answer (Detailed Solution Below)
द्विवेदी युग Question 2 Detailed Solution
निम्न में से प्रियप्रवास रचना मैथिलीशरण गुप्त की नहीं है?
प्रियप्रवास एक महाकाव्य है जो अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध' द्वारा रचित है।
Key Points
राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त
- राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त (1886 – 1964) हिन्दी के प्रसिद्ध कवि थे।
- मैथिलीशरण गुप्त हिन्दी साहित्य के इतिहास में वे खड़ी बोली के प्रथम महत्त्वपूर्ण कवि हैं।
- मैथिलीशरण गुप्त ने साहित्य जगत में 'दद्दा' नाम से सम्बोधित किया जाता था।
- मैथिलीशरण गुप्त की कृति भारत-भारती (1912) भारत के स्वतन्त्रता संग्राम के समय में काफी प्रभावशाली सिद्ध हुई थी
- मैथिलीशरण गुप्त को महात्मा गांधी ने उन्हें 'राष्ट्रकवि' की पदवी भी दी थी।
- मैथिलीशरण गुप्त की जयन्ती 3 अगस्त को हर वर्ष 'कवि दिवस' के रूप में मनाया जाता है।
- सन 1954 में भारत सरकार ने मैथिलीशरण गुप्त को पद्मभूषण से सम्मानित किया।
मैथिलीशरण गुप्त द्वारा रचित खण्डकाव्य-
- जयद्रथ वध 1910
- भारत-भारती 1912
- पंचवटी 1925
- द्वापर 1936
- रंग में भंग 1909
Additional Information
अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध'
- अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध' (15 अप्रैल, 1865-16 मार्च, 1947) हिन्दी के कवि, निबन्धकार तथा सम्पादक थे।
- अयोध्यासिंह उपाध्याय ने हिंदी साहित्य सम्मेलन के सभापति के रूप में कार्य किया। अयोध्यासिंह उपाध्याय को सम्मेलन द्वारा विद्यावाचस्पति की उपाधि से सम्मानित किया गया था।
- अयोध्यासिंह उपाध्याय ने प्रिय प्रवास नामक खड़ी बोली हिंदी का पहला महाकाव्य लिखा जिसे मंगलाप्रसाद पारितोषिक से सम्मानित किया गया था।
अयोध्यासिंह उपाध्याय द्वारा रचित ग्रन्थ:
- प्रिय प्रवास (1914 ई .)
- वैदेही वनवास (1940 ई .)
- पारिजात (1937 ई .)
- रस-कलश (1940 ई .)
द्विवेदी युग Question 3:
मैथिलीशरण गुप्त की कृति 'पंचवटी' है :
Answer (Detailed Solution Below)
द्विवेदी युग Question 3 Detailed Solution
सही विकल्प है - खंडकाव्य।
- मैथिलीशरण गुप्त की कृति 'पंचवटी' एक खंडकाव्य हैं।
- प्रकाशन वर्ष - 1925
Key Points
- खण्डकाव्य जीवन के किसी एक प्रसंग पर आधारित होता है।
- पंचवटी खण्डकाव्य रामायण के शूर्पणखा प्रसंग पर आधारित है।
- सारांश - इसमें रावण की बहन शूर्पणखा पंचवटी में राम और लक्ष्मण के सामने विवाह प्रस्ताव रखती है, लेकिन मना करने पर सीता पर हमला करती है, तब लक्ष्मण उसके नाक व कान काट देते हैं।
Additional Information
- मैथलीशरण गुप्त एक राष्ट्रकवि और खड़ी बोली के पहले प्रसिद्ध कवि है
- इनकी अन्य प्रसिद्ध रचनाएँ भारत-भारती, जयद्रथ वध, यशोधरा, साकेत आदि है।
- अन्य विकल्प -
- महाकाव्य - ऐसी रचना जो प्रसिद्ध कथा पर आधारित हो, मानव जीवन का विस्तृत विवरण हो, नायक उदात्त प्रकृति का हो तथा सर्गो का निबंधन हो।
- गीतिकाव्य - संगीतबद्ध काव्य रचना जिसे गाया भी जा सके, जैसे - गीत गोविन्द, विद्यापति की पदावली, ऋतुसंहार, मेघदूत आदि।
- प्रगीत - आधुनिक काव्यों में लिखे गए वे गीत जो काव्य होने के साथ ही गाने योग्य हो।
द्विवेदी युग Question 4:
निम्नलिखित काव्य पंक्तियाँ किस कृति की है-
“रह चिर दिन तू हरी भरी,
बढ़, सुख से बढ़, सृष्टि सुंदरी |”
Answer (Detailed Solution Below)
द्विवेदी युग Question 4 Detailed Solution
उपर्युक्त पंक्तियां "साकेत" की है। अतः प्रयुक्त विकल्पों में से विकल्प (1) साकेत सही है तथा अन्य विकल्प असंगत हैं।
Key Points
- मैथिलीशरण गुप्त ने ’साकेत’ (1931 ई.) की रचना की।
- राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त (3 अगस्त 1886 – 12 दिसम्बर 1964)
- उन्हें साहित्य जगत में "दद्दा" नाम से सम्बोधित किया जाता था।
- उनकी जयन्ती 3 अगस्त को हर वर्ष "कवि दिवस" के रूप में मनाया जाता है।
- सन 1954 में भारत सरकार ने उन्हें "पद्मभूषण" से सम्मानित किया।
- महात्मा गांधी ने उन्हें "राष्ट्रकवि" की पदवी भी दी थी।
द्विवेदी युग Question 5:
कौन सा कथन मैथिलीशरण गुप्त के कृतित्व से मेल नहीं खा रहा है ?
Answer (Detailed Solution Below)
द्विवेदी युग Question 5 Detailed Solution
'इसकी सर्वाधिक प्रचारित रचना - 'भारत भारती' पाँच खंडों में विभक्त हैं' मेल नहीं खा रहा हैं। क्योकि भारत भारती तीन खंडों में हैं।
Key Points
- भारत भारती (1912 ई.) मैथिलीशरण गुप्त की रचना हैं।
- भारत भारती देश भक्ति काव्य हैं।
- जो तीन खंडों में विभक्त है।
- अतीत खंड, वर्तमान खंड, भविष्य खंड
अतीत खंड | इसमे अतीत का गौरव गान किया गया हैं। |
वर्तमान खंड | वर्तमान की बुरी स्थिति का चित्रण किया गया हैं। |
भविष्य खंड | अच्छे भविष्य की कामना की गयी हैं। |
Additional Information
कवि | रचनाएँ |
मैथिलीशरण गुप्त ( 1886 - 1964 ) |
साकेत (1931), जयभारत (1952), द्वापर (1936) विष्णु प्रिया (1957), सिद्धराज (1936) हिन्दू (1927) वैतालिक, पंचवटी (1925) आदि। प्रथम कविता - हेमंत (1905) प्रथम कव्य संग्रह - रंग में भंग (1909) |
Important Points
- मैथिलीशरण गुप्त को भारत भारती लिखने की प्रेरणा मुसद्दसे हाली।
- तथा ब्रजमोहन दत्तात्रेय कैफी कृत भारत दर्पण पुस्तक से प्राप्त हुईं।
- मैथिलीशरण गुप्त ने स्वंय को कौटुंबिक कविमात्र कहा हैं।
- भारत भारती लिखने पर महात्मा गाँधी ने गुप्त जी को राष्ट्रकवि की उपाधि दी।
द्विवेदी युग Question 6:
"पथिक" किसका काव्य संग्रह है?
Answer (Detailed Solution Below)
द्विवेदी युग Question 6 Detailed Solution
- मिलन (1918)
- पथिक (1920)
- मानसी (1927)
- स्वप्न (1929)
द्विवेदी युग Question 7:
खड़ीबोली हिन्दी का प्रथम महाकाव्य कौन सा है ?
Answer (Detailed Solution Below)
द्विवेदी युग Question 7 Detailed Solution
खड़ीबोली हिन्दी का प्रथम महाकाव्य है-प्रिय प्रवास।
प्रिय प्रवास-
- रचनाकार-अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध'
- प्रकाशन वर्ष-1914 ई.
- विधा-प्रबंध काव्य
- सर्ग-17
- सबसे पहले ये 'ब्रजंगना विलाप' नाम से प्रकाशित हुआ था।
- विषय-
- कृष्ण के बचपन से लेकर मथुरा गमन टक का वर्णन किया गया है।
- यह काव्य संस्कृत के वर्णवृत्तों पर आधारित है।
Key Pointsअयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध'-
- जन्म-1865-1947 ई.
- गणपतिचंद्र गुप्त ने इन्हें 'आधुनिक युग का सूरदास' कहा है।
- मुख्य रचनाएँ-
- कृष्ण शतक(1882 ई.),रसिक रहस्य(1899 ई.),प्रेम प्रपंच(1900 ई.),चुभते चौपदे(1924 ई.),रस कलश(1931 ई.),चोखे चौपदे(1932 ई.) आदि।
- प्रबंध काव्य-
- पारिजात(1937 ई.) आदि।
Important Pointsवैदेही वनवास-
- रचनाकार-अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध'
- विधा-प्रबंध काव्य
- प्रकाशन वर्ष-1940 ई.
- विषय-
- इसमें 18 सर्ग हैं।
- इसमें सीता परित्याग का वर्णन किया गया है।
कामायनी-
- विधा-महाकाव्य
- दर्शन-समरसतावाद
- छंद-तांटक
- रस-निर्वेद(शांत)
- सर्ग-15
- चिंता,आशा,श्रद्धा,काम,वासना,लज्जा,इडा,निर्वेद,आनंद आदि।
- विषय-
- प्रतीकात्मक महाकाव्य है।
- इसमें शतपथ ब्रह्मण से घटनाएं ली गयी है।
- मूल मनोभावों का पात्रों के रूप मे रूपांतरण किया गया है।
- पात्र-
- मनु,श्रद्धा,इडा,कुमार आदि।
साकेत-
- रचनाकार-मैथिलीशरण गुप्त
- विधा-काव्य
- प्रकाशन वर्ष-1931 ई.
- सर्ग-12
- विषय-
- इसकी मूल प्रेरणा महावीरप्रसाद द्विवेदी के लेख 'कवियों की उर्मिला-विषयक उदासीनता' से मिली।
- साकेत शब्द मूलतः पालि भाषा का शब्द है।
- साकेत का अर्थ है-अयोध्या
- डॉ. नगेंद्र ने इसे 'जनवादी काव्य' कहा।
Additional Informationमैथिलीशरण गुप्त-
- जन्म-1886-1964 ई.
- ब्रजभाषा उपनाम-रसिकेन्द्र
- बांग्ला भाषा उपनाम-मधुप
- महात्मा गांधी ने 'राष्ट्रकवि' की उपाधि दी।
- रचनाएँ-
- जयद्रथ वध(1910 ई.),किसान(1917 ई.),विकट भट(1929 ई.),झंकार(1929 ई.),साकेत(1931 ई.),यशोधरा(1932 ई.) आदि।
जयशंकर प्रसाद-
- जन्म-1889-1937 ई.
- छायावाद के महत्तवपूर्ण कवि रहे है।
- इन्हें प्रेम और मस्ती का कवि कहा जाता है।
- रचनाएँ-
- काव्य संग्रह-
- उर्वशी(1909 ई.),वन मिलन(1909 ई.),कानन कुसुम(1913 ई.),प्रेमपथिक(1913 ई.) आदि।
द्विवेदी युग Question 8:
'प्रियप्रवास' किस कवि की प्रसिद्ध कृति है ?
Answer (Detailed Solution Below)
द्विवेदी युग Question 8 Detailed Solution
प्रिय प्रवास की रचना अयोध्यासिंह हरिऔध ने की।
- यदि 'प्रियप्रवास' खड़ी बोली का प्रथम महाकाव्य है तो 'हरिऔध' खड़ी बोली के प्रथम महाकवि।
- इसका रचनाकाल सन् 1909 से सन् 1913 है।
- कृष्णकाव्य की परंपरा में होते हुए भी, उससे भिन्न है।
- प्रियप्रवास" विरहकाव्य है।
Important Points
- आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने “प्रिय प्रवास” की इसकी कथावस्तु एक अच्छे प्रबन्ध के लिए पर्याप्त है विशेषता का उल्लेख नहीं किया है।
- इसका रचनाकाल सन् 1909 से 1913 है।
- इनकी अन्य रचनायें-प्रिय प्रवास,पारिजात,फूल पत्ते,चोखे चौपदे,चुभते चौपदे आदि।
- प्रिय प्रवास महाकाव्य खड़ी बोली का प्रथम महाकाव्य है।
Additional Information
- प्रिय प्रवास की विशेषताएं-
- कृष्ण के चरित्र की तरह "प्रियप्रवास" की राधा के चरित्र में भी नवीनता है।
- वात्सल्य,सख्य और माधुर्य का प्राधान्य है और भाव में लालित्य है,तथापि यथास्थान ओज का भी समावेश है।
द्विवेदी युग Question 9:
"अबला जीवन हाय तुम्हारी यही कहानी
आँचल में है दूध और आँखो में पानी।"
यह पंक्ति किस काव्यकृति की है?
Answer (Detailed Solution Below)
द्विवेदी युग Question 9 Detailed Solution
उक्त पंक्तियाँ 'यशोधरा' महाकाव्य से ली गयी हैं। अत: सही विकल्प 3 यशोधरा है।
Key Points
- यशोधरा मैथिलीशरण गुप्त रचित महाकाव्य का नाम है। इसका प्रथम प्रकाशन सन् 1933 में हुआ था।
- ‘यशोधरा’ महाकाव्य में गौतम बुद्ध के गृह त्याग की कहानी को केन्द्र में रखकर यह महाकाव्य लिखा गया है।
- मैथिलीशरण गुप्त द्वारा रचित प्रसिद्ध प्रबंध काव्य है, जिसका प्रकाशन सन् 1933 ई. में हुआ। अपने छोटे भाई सियारामशरण गुप्त के अनुरोध करने पर मैथिलीशरण गुप्त ने यह पुस्तक लिखी थी।
Additional Information
- कामायनी :- जयशंकर प्रसाद
- यशोधरा :- मैथिली शरण गुप्त
- साकेत - मैथिली शरण गुप्त
- वह तोड़ती पत्थर :- निराला
Important Points
- राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त (3 अगस्त 1886 – 12 दिसम्बर 1964)
- उन्हें साहित्य जगत में "दद्दा" नाम से सम्बोधित किया जाता था।
- उनकी जयन्ती 3 अगस्त को हर वर्ष "कवि दिवस" के रूप में मनाया जाता है।
- सन 1954 में भारत सरकार ने उन्हें "पद्मभूषण" से सम्मानित किया।
- महात्मा गांधी ने उन्हें "राष्ट्रकवि" की पदवी भी दी थी।
Additional Information
द्विवेदी युग Question 10:
हिन्दी खड़ीबोली का प्रथम महाकाव्य कौन-सा है ?
Answer (Detailed Solution Below)
द्विवेदी युग Question 10 Detailed Solution
हिन्दी खड़ीबोली का प्रथम महाकाव्य प्रियप्रवास है,अन्य विकल्प असंगत है, अत: विकल्प 4 'प्रियप्रवास' सही उत्तर होगा।
Key Points
|
Additional Information
रचना |
रचनाकार |
साकेत |
मैथिलीशरण गुप्त |
सामधेनी |
रामधारी सिंह 'दिनकर' |
हल्दीघाटी |
श्यामनारायण पाण्डेय |
Important Points
"हरिऔध" जी ने कहा है -
- "मैंने श्री कृष्णचंद्र को इस ग्रंथ में एक महापुरुष की भाँति अंकित किया है, ब्रह्म करके नहीं। कृष्णचरित को इस प्रकार अंकित किया है जिससे आधुनिक लोग भी सहमत हो सकें।"