प्रतिवस्तूपमा MCQ Quiz - Objective Question with Answer for प्रतिवस्तूपमा - Download Free PDF
Last updated on Apr 4, 2025
Latest प्रतिवस्तूपमा MCQ Objective Questions
प्रतिवस्तूपमा Question 1:
"तिनहि सुहाय न नगर बधावा ।
चोरहिं चाँदनि रात न भावा II"
प्रस्तुत पंक्तियों में कौन - सा अलंकार है?
Answer (Detailed Solution Below)
प्रतिवस्तूपमा Question 1 Detailed Solution
"तिनहि सुहाय न नगर बधावा ।
चोरहिं चाँदनि रात न भावा II"
प्रस्तुत पंक्तियों मे प्रतिवस्तूपमा अलंकार है।
Key Pointsप्रतिवस्तूपमा अलंकार;-
- प्रतिवस्तूपमा से तात्पर्य है 'प्रतिवस्तु' से है, अर्थात प्रत्येक वाक्य के अर्थ में उपमा हो, इसमें दो वाक्य - उपमेय और उपमान। इसमें समानता वाले दो वाक्यों में एक सामान्य धर्म का अलग शब्दों में कथन किया जाता है।
- उदाहरण- लसत सूर सायक धनु - धारी, रवि प्रताप सन सोहत भारी।
विभावना अलंकार;-
- बिना कारण के काम हो जाना अर्थात जहाँ किसी कार्य कारण के सम्बंध में कोई विलक्षण बात कही जाती है, तब वहाँ विभावना अलंकार होता है।
- उदाहरण- "मुनि तापस जिन तें दुख लहहीं | ते नरेस बिनु पावक दहहीं ||"
बिनु पग चलै सुनें बिनु काना।कर बिनु करम करै विधि नाना।।
अन्योक्ति अलंकार;-
- जहाँ किसी उक्ति के माध्यम से किसी अन्य को कोई बात कही जाए, वहाँ अन्योक्ति अलंकार होता है।
- उदाहरण- “नहिं पराग नहिं मधुर मधु, नहिं विकास एहि काल। अली कली ही सो बिंध्यौ, आगे कौन हवाल।।”
इसमें कली और भँवरे के माध्यम से नव-विवाहित राजा जयसिंह को कर्तव्यनिष्ठा की प्रेरणा दी गई है।
असंगति अलंकार;-
- जहाँ पर जो कारण होता है, कार्य भी वहीं होना चाहिए। चोट पाँव में लगे, तो दर्द भी पांव में ही होना चाहिए। लेकिन जहाँ कारण कहीं और कार्य कहीं और होने का वर्णन होता है, तो वहाँ 'असंगति अलंकार' होता है।
- उदाहरण- ह्रदय घाव मेरे पीर रघुवीरै
Additional Information
अलंकार;-
- 'काव्य की शोभा बढ़ाने वाले शब्दों को अलंकार कहते है'।
- अलंकार सम्प्रदाय के प्रतिष्ठापक 'भामह' को माना जाता है।
अलंकार के भेद- 3 भेद होते।
शब्दालंकार-
- जिसमें शब्द के माध्यम से चमत्कार उत्पन्न हों, ऐसे अलंकार शब्दालंकार कहलाते है।
शब्दालंकार भेद-
- अनुप्रास अलंकार
- यमक अलंकार
- श्लेष अलंकार
- वक्रोक्ति अलंकार
- वीप्सा अलंकार
अर्थालंकार-
- जिसमें अर्थ के माध्यम से चमत्कार उत्पन्न हों, ऐसे अलंकार अर्थालंकार कहलाते है।
अर्थालंकार के भेद- कुछ भेद निम्न है
- उपमा अलंकार
- उत्प्रेक्षा अलंकार
- रूपक अलंकार
- भ्रान्तिमान अलंकार
- अतिशयोक्ति अलंकार
- अतद्गुण अलंकार आदि
उभयालंकार-
- शब्द व अर्थ दोनों के माध्यम से चमत्कार उत्पन्न करने वाले शब्दों को उभयालंकार कहते।
- उदाहरण: 'कजरारी अंखियन में कजरारी न लखाय।' इस अलंकार में शब्द और अर्थ दोनों है।
प्रतिवस्तूपमा Question 2:
"तिनहि सुहाय न नगर बधावा ।
चोरहिं चाँदनि रात न भावा II"
प्रस्तुत पंक्तियों में कौन - सा अलंकार है?
Answer (Detailed Solution Below)
प्रतिवस्तूपमा Question 2 Detailed Solution
"तिनहि सुहाय न नगर बधावा ।
चोरहिं चाँदनि रात न भावा II"
प्रस्तुत पंक्तियों मे प्रतिवस्तूपमा अलंकार है।
Key Pointsप्रतिवस्तूपमा अलंकार;-
- प्रतिवस्तूपमा से तात्पर्य है 'प्रतिवस्तु' से है, अर्थात प्रत्येक वाक्य के अर्थ में उपमा हो, इसमें दो वाक्य - उपमेय और उपमान। इसमें समानता वाले दो वाक्यों में एक सामान्य धर्म का अलग तत्व ों में कथन किया जाता है।
- उदाहरण- लसत सूर सायक धनु - धारी, रवि प्रताप सन सोहत भारी।
विभावना अलंकार;-
- बिना कारण के काम हो जाना अर्थात जहाँ किसी कार्य कारण के सम्बंध में कोई विलक्षण बात कही जाती है, तब वहाँ विभावना अलंकार होता है।
- उदाहरण- "मुनि तापस जिन तें दुख लहहीं | ते नरेस बिनु पावक दहहीं ||"
बिनु पग चलै सुनें बिनु काना।कर बिनु करम करै विधि नाना।।
अन्योक्ति अलंकार;-
- जहाँ किसी उक्ति के माध्यम से किसी अन्य को कोई बात कही जाए, वहाँ अन्योक्ति अलंकार होता है।
- उदाहरण- “नहिं पराग नहिं मधुर मधु, नहिं विकास एहि काल। अली कली ही सो बिंध्यौ, आगे कौन हवाल।।”
इसमें कली और भँवरे के माध्यम से नव-विवाहित राजा जयसिंह को कर्तव्यनिष्ठा की प्रेरणा दी गई है।
असंगति अलंकार;-
- जहाँ पर जो कारण होता है, कार्य भी वहीं होना चाहिए। चोट पाँव में लगे, तो दर्द भी पांव में ही होना चाहिए। लेकिन जहाँ कारण कहीं और कार्य कहीं और होने का वर्णन होता है, तो वहाँ 'असंगति अलंकार' होता है।
- उदाहरण- ह्रदय घाव मेरे पीर रघुवीरै
Additional Information
अलंकार;-
- 'काव्य की शोभा बढ़ाने वाले तत्व ों को अलंकार कहते है'।
- अलंकार सम्प्रदाय के प्रतिष्ठापक 'भामह' को माना जाता है।
अलंकार के भेद- 3 भेद होते।
तत्व ालंकार-
- जिसमें तत्व के माध्यम से चमत्कार उत्पन्न हों, ऐसे अलंकार तत्व ालंकार कहलाते है।
तत्व ालंकार भेद-
- अनुप्रास अलंकार
- यमक अलंकार
- श्लेष अलंकार
- वक्रोक्ति अलंकार
- वीप्सा अलंकार
अर्थालंकार-
- जिसमें अर्थ के माध्यम से चमत्कार उत्पन्न हों, ऐसे अलंकार अर्थालंकार कहलाते है।
अर्थालंकार के भेद- कुछ भेद निम्न है
- उपमा अलंकार
- उत्प्रेक्षा अलंकार
- रूपक अलंकार
- भ्रान्तिमान अलंकार
- अतिशयोक्ति अलंकार
- अतद्गुण अलंकार आदि
उभयालंकार-
- तत्व व अर्थ दोनों के माध्यम से चमत्कार उत्पन्न करने वाले तत्व ों को उभयालंकार कहते।
- उदाहरण: 'कजरारी अंखियन में कजरारी न लखाय।' इस अलंकार में तत्व और अर्थ दोनों है।
प्रतिवस्तूपमा Question 3:
‘फिर-फिर आये जीवन में सावन मन-भावन' इस पंक्ति में प्रयुक्त अलंकार पहचानिए।
Answer (Detailed Solution Below)
प्रतिवस्तूपमा Question 3 Detailed Solution
‘फिर-फिर आये जीवन में सावन मन-भावन' इस पंक्ति में प्रयुक्त अलंकार पहचानिए - 'प्रतिवस्तूपमा अलंकार'
- (उपर्युक्त पंक्ति में 'फिर' शब्द का एक से अधिक बार प्रयोग हुआ है।)
- एक ही तथ्य को प्रकट करने वाले दो वाक्यों में जब एक अर्थ वाले दो शब्दों का या एक ही प्रकार के दो शब्दों का प्रयोग होता है अर्थात
- जहाँ उपमेय और उपमान वाक्यों का विभिन्न शब्दों द्वारा एक ही धर्म कहा जाता है, वहाँ प्रतिवस्तूपमा अलंकार होता है।
- उदाहरण-
- मुख सोहत मुस्कान सों, लसत जुन्हैया चन्द्र।
- यहाँ 'मुख मुस्कान से सोहता है' यह उपमेय वाक्य है और 'चन्द्र जुन्हाई(चाँदनी) से लसता
(अच्छा लगता) है' यह उपमान वाक्य है. दोनों का साधारण धर्म है 'शोभा देता है' - यह साधारण धर्म प्रथम वाक्य में 'सोहत' शब्द से तथा द्वितीय वाक्य में 'लसत' शब्द से कहा
गया है।
Key Pointsप्रतिवस्तूपमा अलंकार के कुछ अन्य उदाहरण:-
- नेता झूठे हो गए, अफसर हुए लबार।
- हम अनुशासन तोड़ते, वे लाँघे मर्याद।
- पंकज पंक न छोड़ता, शशि ना ताजे कलंक।
- ज्यों वर्षा में किनारा, तोड़े सलिला-धार।
- त्यों लज्जा को छोड़ती, फिल्मों में जा नार।
- तेज चाल थी चोर की, गति न पुलिस की तेज।
Additional Information
अनुप्रास अलंकार:-
उदाहरण-
विरोधाभास अलंकार:-
उदाहरण-
उपमा अलंकार:-
उदाहरण-
|
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‘फिर-फिर आये जीवन में सावन मन-भावन' इस पंक्ति में प्रयुक्त अलंकार पहचानिए।
Answer (Detailed Solution Below)
प्रतिवस्तूपमा Question 4 Detailed Solution
Download Solution PDF‘फिर-फिर आये जीवन में सावन मन-भावन' इस पंक्ति में प्रयुक्त अलंकार पहचानिए - 'प्रतिवस्तूपमा अलंकार'
- (उपर्युक्त पंक्ति में 'फिर' शब्द का एक से अधिक बार प्रयोग हुआ है।)
- एक ही तथ्य को प्रकट करने वाले दो वाक्यों में जब एक अर्थ वाले दो शब्दों का या एक ही प्रकार के दो शब्दों का प्रयोग होता है अर्थात
- जहाँ उपमेय और उपमान वाक्यों का विभिन्न शब्दों द्वारा एक ही धर्म कहा जाता है, वहाँ प्रतिवस्तूपमा अलंकार होता है।
- उदाहरण-
- मुख सोहत मुस्कान सों, लसत जुन्हैया चन्द्र।
- यहाँ 'मुख मुस्कान से सोहता है' यह उपमेय वाक्य है और 'चन्द्र जुन्हाई(चाँदनी) से लसता
(अच्छा लगता) है' यह उपमान वाक्य है. दोनों का साधारण धर्म है 'शोभा देता है' - यह साधारण धर्म प्रथम वाक्य में 'सोहत' शब्द से तथा द्वितीय वाक्य में 'लसत' शब्द से कहा
गया है।
Key Pointsप्रतिवस्तूपमा अलंकार के कुछ अन्य उदाहरण:-
- नेता झूठे हो गए, अफसर हुए लबार।
- हम अनुशासन तोड़ते, वे लाँघे मर्याद।
- पंकज पंक न छोड़ता, शशि ना ताजे कलंक।
- ज्यों वर्षा में किनारा, तोड़े सलिला-धार।
- त्यों लज्जा को छोड़ती, फिल्मों में जा नार।
- तेज चाल थी चोर की, गति न पुलिस की तेज।
Additional Information
अनुप्रास अलंकार:-
उदाहरण-
विरोधाभास अलंकार:-
उदाहरण-
उपमा अलंकार:-
उदाहरण-
|
प्रतिवस्तूपमा Question 5:
"तिनहि सुहाय न नगर बधावा ।
चोरहिं चाँदनि रात न भावा II"
प्रस्तुत पंक्तियों में कौन - सा अलंकार है?
Answer (Detailed Solution Below)
प्रतिवस्तूपमा Question 5 Detailed Solution
"तिनहि सुहाय न नगर बधावा ।
चोरहिं चाँदनि रात न भावा II"
प्रस्तुत पंक्तियों मे प्रतिवस्तूपमा अलंकार है।
Key Pointsप्रतिवस्तूपमा अलंकार;-
- प्रतिवस्तूपमा से तात्पर्य है 'प्रतिवस्तु' से है, अर्थात प्रत्येक वाक्य के अर्थ में उपमा हो, इसमें दो वाक्य - उपमेय और उपमान। इसमें समानता वाले दो वाक्यों में एक सामान्य धर्म का अलग शब्दों में कथन किया जाता है।
- उदाहरण- लसत सूर सायक धनु - धारी, रवि प्रताप सन सोहत भारी।
विभावना अलंकार;-
- बिना कारण के काम हो जाना अर्थात जहाँ किसी कार्य कारण के सम्बंध में कोई विलक्षण बात कही जाती है, तब वहाँ विभावना अलंकार होता है।
- उदाहरण- "मुनि तापस जिन तें दुख लहहीं | ते नरेस बिनु पावक दहहीं ||"
बिनु पग चलै सुनें बिनु काना।कर बिनु करम करै विधि नाना।।
अन्योक्ति अलंकार;-
- जहाँ किसी उक्ति के माध्यम से किसी अन्य को कोई बात कही जाए, वहाँ अन्योक्ति अलंकार होता है।
- उदाहरण- “नहिं पराग नहिं मधुर मधु, नहिं विकास एहि काल। अली कली ही सो बिंध्यौ, आगे कौन हवाल।।”
इसमें कली और भँवरे के माध्यम से नव-विवाहित राजा जयसिंह को कर्तव्यनिष्ठा की प्रेरणा दी गई है।
असंगति अलंकार;-
- जहाँ पर जो कारण होता है, कार्य भी वहीं होना चाहिए। चोट पाँव में लगे, तो दर्द भी पांव में ही होना चाहिए। लेकिन जहाँ कारण कहीं और कार्य कहीं और होने का वर्णन होता है, तो वहाँ 'असंगति अलंकार' होता है।
- उदाहरण- ह्रदय घाव मेरे पीर रघुवीरै
Additional Information
अलंकार;-
- 'काव्य की शोभा बढ़ाने वाले शब्दों को अलंकार कहते है'।
- अलंकार सम्प्रदाय के प्रतिष्ठापक 'भामह' को माना जाता है।
अलंकार के भेद- 3 भेद होते।
शब्दालंकार-
- जिसमें शब्द के माध्यम से चमत्कार उत्पन्न हों, ऐसे अलंकार शब्दालंकार कहलाते है।
शब्दालंकार भेद-
- अनुप्रास अलंकार
- यमक अलंकार
- श्लेष अलंकार
- वक्रोक्ति अलंकार
- वीप्सा अलंकार
अर्थालंकार-
- जिसमें अर्थ के माध्यम से चमत्कार उत्पन्न हों, ऐसे अलंकार अर्थालंकार कहलाते है।
अर्थालंकार के भेद- कुछ भेद निम्न है
- उपमा अलंकार
- उत्प्रेक्षा अलंकार
- रूपक अलंकार
- भ्रान्तिमान अलंकार
- अतिशयोक्ति अलंकार
- अतद्गुण अलंकार आदि
उभयालंकार-
- शब्द व अर्थ दोनों के माध्यम से चमत्कार उत्पन्न करने वाले शब्दों को उभयालंकार कहते।
- उदाहरण: 'कजरारी अंखियन में कजरारी न लखाय।' इस अलंकार में शब्द और अर्थ दोनों है।
प्रतिवस्तूपमा Question 6:
‘फिर-फिर आये जीवन में सावन मन-भावन' इस पंक्ति में प्रयुक्त अलंकार पहचानिए।
Answer (Detailed Solution Below)
प्रतिवस्तूपमा Question 6 Detailed Solution
‘फिर-फिर आये जीवन में सावन मन-भावन' इस पंक्ति में प्रयुक्त अलंकार पहचानिए - 'प्रतिवस्तूपमा अलंकार'
- (उपर्युक्त पंक्ति में 'फिर' शब्द का एक से अधिक बार प्रयोग हुआ है।)
- एक ही तथ्य को प्रकट करने वाले दो वाक्यों में जब एक अर्थ वाले दो शब्दों का या एक ही प्रकार के दो शब्दों का प्रयोग होता है अर्थात
- जहाँ उपमेय और उपमान वाक्यों का विभिन्न शब्दों द्वारा एक ही धर्म कहा जाता है, वहाँ प्रतिवस्तूपमा अलंकार होता है।
- उदाहरण-
- मुख सोहत मुस्कान सों, लसत जुन्हैया चन्द्र।
- यहाँ 'मुख मुस्कान से सोहता है' यह उपमेय वाक्य है और 'चन्द्र जुन्हाई(चाँदनी) से लसता
(अच्छा लगता) है' यह उपमान वाक्य है. दोनों का साधारण धर्म है 'शोभा देता है' - यह साधारण धर्म प्रथम वाक्य में 'सोहत' शब्द से तथा द्वितीय वाक्य में 'लसत' शब्द से कहा
गया है।
Key Pointsप्रतिवस्तूपमा अलंकार के कुछ अन्य उदाहरण:-
- नेता झूठे हो गए, अफसर हुए लबार।
- हम अनुशासन तोड़ते, वे लाँघे मर्याद।
- पंकज पंक न छोड़ता, शशि ना ताजे कलंक।
- ज्यों वर्षा में किनारा, तोड़े सलिला-धार।
- त्यों लज्जा को छोड़ती, फिल्मों में जा नार।
- तेज चाल थी चोर की, गति न पुलिस की तेज।
Additional Information
अनुप्रास अलंकार:-
उदाहरण-
विरोधाभास अलंकार:-
उदाहरण-
उपमा अलंकार:-
उदाहरण-
|
प्रतिवस्तूपमा Question 7:
"तिनहि सुहाय न नगर बधावा ।
चोरहिं चाँदनि रात न भावा II"
प्रस्तुत पंक्तियों में कौन - सा अलंकार है?
Answer (Detailed Solution Below)
प्रतिवस्तूपमा Question 7 Detailed Solution
"तिनहि सुहाय न नगर बधावा ।
चोरहिं चाँदनि रात न भावा II"
प्रस्तुत पंक्तियों मे प्रतिवस्तूपमा अलंकार है।
Key Pointsप्रतिवस्तूपमा अलंकार;-
- प्रतिवस्तूपमा से तात्पर्य है 'प्रतिवस्तु' से है, अर्थात प्रत्येक वाक्य के अर्थ में उपमा हो, इसमें दो वाक्य - उपमेय और उपमान। इसमें समानता वाले दो वाक्यों में एक सामान्य धर्म का अलग तत्व ों में कथन किया जाता है।
- उदाहरण- लसत सूर सायक धनु - धारी, रवि प्रताप सन सोहत भारी।
विभावना अलंकार;-
- बिना कारण के काम हो जाना अर्थात जहाँ किसी कार्य कारण के सम्बंध में कोई विलक्षण बात कही जाती है, तब वहाँ विभावना अलंकार होता है।
- उदाहरण- "मुनि तापस जिन तें दुख लहहीं | ते नरेस बिनु पावक दहहीं ||"
बिनु पग चलै सुनें बिनु काना।कर बिनु करम करै विधि नाना।।
अन्योक्ति अलंकार;-
- जहाँ किसी उक्ति के माध्यम से किसी अन्य को कोई बात कही जाए, वहाँ अन्योक्ति अलंकार होता है।
- उदाहरण- “नहिं पराग नहिं मधुर मधु, नहिं विकास एहि काल। अली कली ही सो बिंध्यौ, आगे कौन हवाल।।”
इसमें कली और भँवरे के माध्यम से नव-विवाहित राजा जयसिंह को कर्तव्यनिष्ठा की प्रेरणा दी गई है।
असंगति अलंकार;-
- जहाँ पर जो कारण होता है, कार्य भी वहीं होना चाहिए। चोट पाँव में लगे, तो दर्द भी पांव में ही होना चाहिए। लेकिन जहाँ कारण कहीं और कार्य कहीं और होने का वर्णन होता है, तो वहाँ 'असंगति अलंकार' होता है।
- उदाहरण- ह्रदय घाव मेरे पीर रघुवीरै
Additional Information
अलंकार;-
- 'काव्य की शोभा बढ़ाने वाले तत्व ों को अलंकार कहते है'।
- अलंकार सम्प्रदाय के प्रतिष्ठापक 'भामह' को माना जाता है।
अलंकार के भेद- 3 भेद होते।
तत्व ालंकार-
- जिसमें तत्व के माध्यम से चमत्कार उत्पन्न हों, ऐसे अलंकार तत्व ालंकार कहलाते है।
तत्व ालंकार भेद-
- अनुप्रास अलंकार
- यमक अलंकार
- श्लेष अलंकार
- वक्रोक्ति अलंकार
- वीप्सा अलंकार
अर्थालंकार-
- जिसमें अर्थ के माध्यम से चमत्कार उत्पन्न हों, ऐसे अलंकार अर्थालंकार कहलाते है।
अर्थालंकार के भेद- कुछ भेद निम्न है
- उपमा अलंकार
- उत्प्रेक्षा अलंकार
- रूपक अलंकार
- भ्रान्तिमान अलंकार
- अतिशयोक्ति अलंकार
- अतद्गुण अलंकार आदि
उभयालंकार-
- तत्व व अर्थ दोनों के माध्यम से चमत्कार उत्पन्न करने वाले तत्व ों को उभयालंकार कहते।
- उदाहरण: 'कजरारी अंखियन में कजरारी न लखाय।' इस अलंकार में तत्व और अर्थ दोनों है।
प्रतिवस्तूपमा Question 8:
"लसत सूर सायक धनु - धारी, रवि प्रताप सन सोहत भारी" में अलंकार बताइये -
Answer (Detailed Solution Below)
प्रतिवस्तूपमा Question 8 Detailed Solution
"लसत सूर सायक धनु - धारी, रवि प्रताप सन सोहत भारी" में प्रतिवस्तूपमा अलंकार है। प्रतिवस्तूपमा से तात्पर्य है 'प्रतिवस्तु' से है, अर्थात प्रत्येक वाक्य के अर्थ में उपमा हो, इसमें दो वाक्य - उपमेय और उपमान। इसमें समानता वाले दो वाक्यों में एक सामान्य धर्म का अलग शब्दों में कथन किया जाता है। सही उत्तर - 4 प्रतिवस्तूपमा अलंकार है।
उल्लेख अलंकार - जब एक वास्तु का वर्णन अनेक तरीके से किया जाये, वहां उल्लेख अलंकार होता है।
यमक अलंकार - यमक अलंकार में एक शब्द की आवृत्ति बार -बार होती है लेकिन हर एक शब्द का अर्थ हर बार भिन्न होता है।
उपमा अलंकार - जब दो अलग - अलग वस्तुओं कि तुलना आपस में आकृति, स्वाभाव, गुण के आधार पर की जाये तब वहां उपमा अलंकार होता है।