रूपक MCQ Quiz - Objective Question with Answer for रूपक - Download Free PDF
Last updated on Jun 19, 2025
Latest रूपक MCQ Objective Questions
रूपक Question 1:
निम्नलिखित पंक्तियों में कौन-सा अलंकार है?
‘बीती विभावरी जागरी
अम्बर पनघट में डुबो रही
Answer (Detailed Solution Below)
रूपक Question 1 Detailed Solution
- उपर्युक्त पद्य में 'रूपक' अलंकार है क्योंकि इसमें 'अम्बर' (उपमेय) पर 'पनघट' (उपमान) का 'तारा' (उपमेय) पर 'घट' (उपमान) का तथा 'उषा' (उपमेय) पर 'नागरी' (उपमान) का अभेद आरोप है।
- इस प्रकार इसमें 'रूपक अलंकार' प्रयुक्त है। अन्य विकल्प असंगत हैं। अतः सही विकल्प 'रूपक' है।
Additional Information
अन्य विकल्प
अलंकार |
परिभाषा |
उदाहरण |
रूपक |
जब उपमान और उपमेय में अभिन्नता या अभेद दिखाया जाए। |
“मैया मैं तो चन्द्र-खिलौना लैहों” में चन्द्रमा और खिलौने में समानता न दिखाकर चन्द्र को ही खिलौना बोल दिया गया है। |
उपमा |
उपमा शब्द का अर्थ होता है ‘तुलना’। जब किसी व्यक्ति या वस्तु की तुलना किसी दूसरे यक्ति या वस्तु से की जाए, वहाँ पर उपमा अलंकार होता है। |
कर कमल-सा कोमल है। |
यमक |
जहाँ एक ही शब्द जितनी बार आए उतने ही अलग-अलग अर्थ दे। |
काली ‘घटा’ का घमंड ‘घटा’। |
उत्प्रेक्षा |
जहाँ उपमेय में उपमान के होने की संभावना का वर्णन होता हो। |
“मुख मानो चन्द्रमा है” में मुख को चंद्रमा कहा जा रहा है। |
रूपक Question 2:
"राम कृपा भव-निसा सिरानी।" उपर्युक्त पंक्तियों में निम्नलिखित में से कौन-सा अलंकार है?
Answer (Detailed Solution Below)
रूपक Question 2 Detailed Solution
- राम कृपा भव-निसा सिरानी में रूपक अलंकार है।
- इस पंक्ति में कवि यह कह रहे है कि संसार रूपी रात्रि भगवान की कृपा से व्यतीत हो रही है।
- इस पंक्ति में रात्रि पर संसार का आरोप किया गया है, इसलिए यहाँ रुपक अलंकार है।
- दूसरे शब्दों में यह कहा जा सकता है कि रात और संसार में कोई भेद नहीं होने के कारण दोनों एकाकार हो गयें है, इसे ही उपमेय पर उपमान का आरोप कहतें हैं।
Key Points
रूपक अलंकार की मुख्य परिभाषा -
- उपमेय पर उपमान का आरोप या उपमान और उपमेय का अभेद ही 'रूपक' है।
- जब उपमेय पर उपमान का निषेध-रहित आरोप करते हैं, तब रूपक अलंकार होता है।
- उपमेय में उपमान के आरोप का अर्थ है- दोनों में अभिन्नता या अभेद दिखाना। इस आरोप में निषेध नहीं होता है।
- जैसे- यह जीवन क्या है ? निर्झर है।''
- इस उदाहरण में जीवन को निर्झर के समान न बताकर जीवन को ही निर्झर कहा गया है। अतएव, यहाँ रूपक अलंकार हुआ।
Additional Information
अलंकार |
परिभाषा |
उदाहरण |
विरोधाभास अलंकार |
जहाँ वास्तविक विरोध न होकर केवल विरोध का आभास हो, वहाँ विरोधाभास अलंकार होता है। |
या अनुरागी चित्त की, गति समुझै नहि कोय। |
श्लेष अलंकार |
श्लेष का अर्थ होता है चिपका हुआ या मिला हुआ। जब किसी शब्द का प्रयोग एक बार ही किया जाता है पर उसके एक से अधिक अर्थ निकलते हैं, तब श्लेष अलंकार होता है। |
रहिमन पानी राखिये,बिन पानी सब सून। |
यमक अलंकार |
जब एक शब्द का प्रयोग दो बार होता है और दोनों बार उसके अर्थ अलग-अलग होते हैं तब यमक अलंकार होता है। |
कनक कनक ते सौगुनी मादकता अधिकाय। वा खाये बौराय जग या पाये बौराय।। |
रूपक Question 3:
निम्नलिखित दोहे में कौन-सा अलंकार है?
बढ़त-बढ़त संपत्ति-सलिल, मन-सरोवर बढ़ जाइ
घटत-घटत सुन फिरि घटे, बरु समूल कुम्हिलाइ।
Answer (Detailed Solution Below)
रूपक Question 3 Detailed Solution
बढ़त-बढ़त संपत्ति-सलिल, मन-सरोवर बढ़ जाइ
घटत-घटत सुन फिरि घटे, बरु समूल कुम्हिलाइ।
उपमेय (संपत्ति एवं फन) को उपमान (सलिल एवं सरोज) के रूप में दिखाने के कारण रूपक अलंकार हुआ।
उपरोक्त दोहे में रूपक अलंकार है।
Key Points
- जब गुण की अत्यंत समानता के कारण उपमेय को ही उपमान बता दिया जाए यानी उपमेय ओर उपमान में अभिन्नता दर्शायी जाए तब वह रूपक अलंकार कहलाता है।
- रूपक अलंकार अर्थालंकारों में से एक है।
- रूपक अलंकार में उपमान और उपमेय में कोई अंतर नहीं दिखायी पड़ता है।
अन्य विकल्प:
अलंकार |
परिभाषा |
उदाहरण |
उपमा |
जहां एक वस्तु या प्राणी की तुलना किसी दूससरी वस्तु या प्राणी से की जाए, वहाँ उपमा अलंकार होता है। |
सागर-सा गंभीर हृदय हो, गिरि-सा ऊंचा हो जिसका मन। |
यमक |
जब शब्द की एक से ज़्यादा बार आवृति होती है एवं विभिन्न अर्थ निकलते हैं तो वहाँ यमक अलंकार होता है। |
तीन बेर खाती थी वे तीन बेर खाती हैं। |
उत्प्रेक्षा |
जहां समानता के कारण उपमेय में संभावना या कल्पना की जाए, वहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार होता है। |
सोहत ओढ़े पीत पट, स्याम सलोने गात। मनहुँ नीलमनि सैल पर, आतप परयौ प्रभात। |
Additional Information
अलंकार |
काव्य अथवा भाषा की शोभा बढ़ाने वाले मनोरंजक ढंग को अलंकार कहते हैं। अर्थात जिन गुण धर्मों द्वारा काव्य की शोभा बढ़ाई जाती है, उन्हें अलंकार कहा जाता है। इसके दो भेद हैं- शब्दालंकार और अर्थालंकार। |
रूपक Question 4:
"संतौ भाई आई ग्यान की आँधी रे"'-पंक्ति में कौनसा अलंकार है?
Answer (Detailed Solution Below)
रूपक Question 4 Detailed Solution
सही उत्तर है - 'रूपक' lKey Points
- "संतौ भाई आई ग्यान की आँधी रे" - यहां पर रूपक अलंकार का प्रयोग किया गया है l
- ज्ञान की आंधी - ज्ञान का प्रकाश, आंधी - अज्ञान को उड़ा ले जाने वाली l
- ज्ञान को आंधी का रूप देकर परिणामों के बारे में भी बता रहे हैं। ज्ञान की आंधी से अज्ञान का अँधेरा दूर हो जाता है
- रूपक अलंकार - जब गुण की अत्यंत समानता के कारण उपमेय को ही उपमान बता दिया जाए यानी उपमेय ओर उपमान में अभिन्नता दर्शायी जाए तब वह रूपक अलंकार कहलाता है।
अन्य विकल्प :-
उपमा |
जहां एक वस्तु या प्राणी की तुलना किसी दूसरी वस्तु या प्राणी से की जाए, वहाँ उपमा अलंकार होता है।
|
अन्योक्ति |
'अन्योक्ति' का अर्थ है- "अन्य के प्रति कही गई उक्ति"। इस अलंकार में अप्रस्तुत के माध्यम से प्रस्तुत का वर्णन किया जाता है।
|
अतिशयोक्ति |
जहाँ किसी वस्तु का इतना बढ़ा-चढ़ाकर वर्णन किया जाए कि सामान्य लोक सीमा का उल्लंघन हो जाए वहाँ अतिशयोक्ति अलंकार होता है।
|
Additional Information
- अलंकार का शाब्दिक अर्थ होता है ‘आभूषण या गहना’ जिस प्रकार स्वर्ण आदि के आभूषणों से शरीर की शोभा बढ़ती है उसी प्रकार काव्य अलंकारों से काव्य की शोभा बढ़ती है।
- अलंकार के तीन प्रकार अथवा भेद होते हैं, किन्तु प्रधान रूप से अलंकार के दो भेद माने जाते हैं - शब्दालंकार तथा अर्थालंकार l
- रूपक अलंकार के उदाहरण :-
- मैया ! मैं तो चन्द्र-खिलौना लैहों।
- पायो जी मैंने नाम-रतन धन पायो।
रूपक Question 5:
'चरण कमल बन्द हरि राई' में कौन-सा अलंकार है ?
Answer (Detailed Solution Below)
रूपक Question 5 Detailed Solution
'चरण कमल बन्द हरि राई' में अलंकार है - रुपक
Key Points
- (इस पंक्ति में चरणों की तुलना कमल से की गई है, यहां चरणों को कमल के समान बताया गया है, इस तरह रुपक अलंकार का प्रयोग हुआ है।)
- जब एक वस्तु पर दूसरी वस्तु का आरोप किया जाये अर्थात् जब एक वस्तु को दूसरी वस्तु का रूप दिया जाये तो रुपक अलंकार कहलाता है।
- उदाहरण-
- पायो जी मैंने राम रतन धन पायो।
- (यहाँ पर राम रतन को ही धन बता दिया गया है।)
Additional Information
उपमा:-
उदाहरण-
अतिशयोक्ति-
उदाहरण-
श्लेष:-
उदाहरण-
|
Top रूपक MCQ Objective Questions
“यह जीवन क्या है, निर्झर है।” इस वाक्य में प्रयुक्त अलंकार पहचानिए।
Answer (Detailed Solution Below)
रूपक Question 6 Detailed Solution
Download Solution PDFरूपक अलंकार, यहाँ सही विकल्प है। अन्य विकल्प असंगत है। अत: सही विकल्प 4 'रूपक अलंकार' है।
इस उदाहरण में जीवन को निर्झर के समान न बताकर जीवन को ही निर्झर कहा गया है। अतएव, यहाँ रूपक अलंकार हुआ। जब उपमेय पर उपमान का निषेध-रहित आरोप करते हैं, तब रूपक अलंकार होता है।
अन्य विशेष
अलंकार |
परिभाषा |
उदहारण |
उत्प्रेक्षा |
जहाँ उपमेय में उपमान की संभावना का वर्णन हो, वहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार होता है। |
फूले कास सकल महि छाई। जनु बरसा रितु प्रकट बुढ़ाई।। |
अतिश्योक्ति |
जहाँ किसी का वर्णन इतना बढ़ा-चढ़ाकर किया जाय कि सीमा या मर्यादा का उल्लंघन हो जाय, वहाँ 'अतिशयोक्ति अलंकार' होता है। |
बाँधा था विधु को किसने, इन काली जंजीरों से, मणिवाले फणियों का मुख, क्यों भरा हुआ हीरों से। |
व्यतिरेक |
जहाँ कारण बताते हुए उपमेय की श्रेष्ठता उपमान से बताई जाए वहाँ व्यतिरेक अलंकार होता है। |
स्वर्ग कि तुलना उचित ही है यहाँ, किन्तु सुर सरिता कहाँ सरयू कहाँ। |
‘अम्बर पनघट में डुबो रही ताराघट उषा नागरी’ में कौन-सा अलंकार है?
Answer (Detailed Solution Below)
रूपक Question 7 Detailed Solution
Download Solution PDF‘अम्बर पनघट में डुबो रही ताराघट उषा नागरी’ में 'रूपक' अलंकार है। शेष विकल्प असंगत हैं। अतः सही विकल्प 'रूपक' है।
स्पष्टीकरण
- जहाँ उपमेय को उपमान मान लिया जाता है वहां रूपक अलंकार होता है।
- 'उपर्युक्त पंक्ति में 'अम्बर' (उपमेय) पर 'पनघट' (उपमान) का 'तारा' (उपमेय) पर 'घट' (उपमान) का तथा 'उषा' (उपमेय) पर 'नागरी' (उपमान) का अभेद आरोप है।
- आकाश रूपी पनघट में उषा (सुबह, भोर, प्रभात) रूपी स्त्री तारा रूपी घड़े डुबो रही है। यहाँ आकाश पर पनघट का, उषा पर स्त्री का और तारा पर घड़े का आरोप होने से रूपक अलंकार है।
अन्य विकल्प
अलंकार |
परिभाषा |
उदाहरण |
रूपक अलंकार |
जब उपमान और उपमेय में अभिन्नता या अभेद दिखाया जाए। |
“मैया मैं तो चन्द्र-खिलौना लैहों” में चन्द्रमा और खिलौने में समानता न दिखाकर चन्द्र को ही खिलौना बोल दिया गया है। |
उपमा अलंकार |
उपमा शब्द का अर्थ होता है ‘तुलना’। जब किसी व्यक्ति या वस्तु की तुलना किसी दूसरे यक्ति या वस्तु से की जाए, वहाँ पर उपमा अलंकार होता है। |
कर कमल-सा कोमल है। |
यमक अलंकार |
जहाँ एक ही शब्द जितनी बार आए उतने ही अलग-अलग अर्थ दे। |
काली ‘घटा’ का घमंड ‘घटा’। |
उत्प्रेक्षा अलंकार |
जहाँ उपमेय में उपमान के होने की संभावना का वर्णन होता हो। |
"मुख मानो चन्द्रमा है" में मुख को चंद्रमा कहा जा रहा है। |
रूपक अलंकार है -
Answer (Detailed Solution Below)
रूपक Question 8 Detailed Solution
Download Solution PDFरूपक अलंकार है - माया दीपक नर पतंग।
Key Points
रूपक |
जहां उपमेय और उपमान में कोई अंतर नहीं होता है वहाँ पर रूपक अलंकार होता है। |
मैया मैं तो चन्द्र खिलौना लेहौं। और चरण-कमल बंदौ हरि राई! |
अन्य विकल्प-
- विमल वाणी ने वीणा ली। : अनुप्रास अलंकार।
- काली घटा का धमंड घटा। : यमक अलंकार।
- सीता का मुख मानों चंद्रमा है। : उत्प्रेक्षा अलंकार।
“बीती विभावरी जाग री,
अम्बर-पनघट में डुबो रही,
तारा-घट ऊषा-नागरी।"
उपर्युक्त पंक्तियों में कौन-सा अलंकार है ?
Answer (Detailed Solution Below)
रूपक Question 9 Detailed Solution
Download Solution PDFउपर्युक्त पंक्ति में रूपक अलंकार है। अतः उपर्युक्त विकल्पों में से विकल्प रूपक अलंकार सही है तथा अन्य विकल्प असंगत है।
- उपर्युक्त पंक्तियों में रूपक अलंकार है।
- यह पंक्तियां जयशंकर प्रसाद की है।
- यह लहर (1935) काव्य संग्रह में संकलित है।
- रूपक के साथ-साथ इसमें मानवीकरण अलंकार भी है।
- रूपक
- रूपक साहित्य में एक प्रकार का अर्थालंकार है जिसमें बहुत अधिक साम्य के आधार पर प्रस्तुत में अप्रस्तुत का आरोप करके अर्थात् उपमेय या उपमान के साधर्म्य का आरोप करके और दोंनों भेदों का अभाव दिखाते हुए उपमेय या उपमान के रूप में ही वर्णन किया जाता है। इसके सांग रूपक, अभेद रुपक, तद्रूप रूपक, न्यून रूपक, परम्परित रूपक आदि अनेक भेद हैं।
- उदाहरण- चरन कमल बन्दउँ हरिराई
- अनुप्रास
- अनुप्रास शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है – अनु + प्रास। यहाँ पर अनु का अर्थ है- बार -बार और प्रास का अर्थ होता है – वर्ण। जब किसी वर्ण की बार – बार आवर्ती हो तब जो चमत्कार होता है उसे अनुप्रास अलंकार कहते है।
- वर्णों की आवृत्ति को अनुप्रास कहते हैं।
- उदाहरण -
- चारु चन्द्र की चंचल किरणें, खेल रहीं थीं जल-थल में।
- स्वच्छ चाँदनी बिछी हुई थी, अवनि और अम्बरतल में॥
- अन्योक्ति अलंकार
- जहां उपमान के माध्यम से उपमेय का वर्णन हो। उपमान अप्रस्तुत एवं उपमेय प्रस्तुत हो , वहां अन्योक्ति अलंकार होता है। इस अलंकार को अप्रस्तुत प्रशंसा भी कहते हैं।
- “नहिं पराग नहिं मधुर मधु, नहिं विकास एहि काल। अली कली ही सो बिंध्यौ, आगे कौन हवाल।।”
- यहाँ पर अप्रस्तुत के वर्णन द्वारा प्रस्तुत का बोध कराया गया है अतः यहाँ अन्योक्ति अलंकार है।
- उपमा अलंकर
- उपमा शब्द का अर्थ होता है – तुलना।, जब किसी व्यक्ति या वस्तु की तुलना किसी दूसरे यक्ति या वस्तु से की जाए वहाँ पर उपमा अलंकार होता है। अर्थात जब किन्ही दो वस्तुओं के गुण, आकृति, स्वभाव आदि में समानता दिखाई जाए या दो भिन्न वस्तुओं कि तुलना कि जाए, तब वहां उपमा अलंकर होता है।
- उदाहरण -
- हरि पद कोमल कमल से -यहाँ हरि (भगवान) के पैरों को कमल के समान कोमल बताया गया है।
'राम कृपा भव-निसा सिरानी' में कौन सा अलंकार है ?
Answer (Detailed Solution Below)
रूपक Question 10 Detailed Solution
Download Solution PDF- राम कृपा भव-निसा सिरानी में रूपक अलंकार है।
- इस पंक्ति में कवि यह कह रहे है कि संसार रूपी रात्रि भगवान की कृपा से व्यतीत हो रही है।
- इस पंक्ति में रात्रि पर संसार का आरोप किया गया है, इसलिए यहाँ रुपक अलंकार है।
- दूसरे शब्दों में यह कहा जा सकता है कि रात और संसार में कोई भेद नहीं होने के कारण दोनों एकाकार हो गयें है, इसे ही उपमेय पर उपमान का आरोप कहतें हैं।
Key Points
रूपक अलंकार की मुख्य परिभाषा -
- उपमेय पर उपमान का आरोप या उपमान और उपमेय का अभेद ही 'रूपक' है।
- जब उपमेय पर उपमान का निषेध-रहित आरोप करते हैं, तब रूपक अलंकार होता है।
- उपमेय में उपमान के आरोप का अर्थ है- दोनों में अभिन्नता या अभेद दिखाना। इस आरोप में निषेध नहीं होता है।
- जैसे- यह जीवन क्या है ? निर्झर है।''
- इस उदाहरण में जीवन को निर्झर के समान न बताकर जीवन को ही निर्झर कहा गया है। अतएव, यहाँ रूपक अलंकार हुआ।
Additional Information
अलंकार |
परिभाषा |
उदाहरण |
उपमा अलंकार |
जब किसी वस्तु की तुलना किसी दूसरी वस्तु से की जाती है, और यह बताया जाता है कि वह पहली वस्तु दूसरी वस्तु की तरह ही है, तो यह उपमा अलंकार होता है। |
उसका मुख चन्द्रमा-सा सुन्दर है। (उपमेय = मुख, उपमान = चन्द्रमा, साधारण धर्म = सुंदरता, वाचक शब्द = सा) |
श्लेष अलंकार |
श्लेष का अर्थ होता है चिपका हुआ या मिला हुआ। जब किसी शब्द का प्रयोग एक बार ही किया जाता है पर उसके एक से अधिक अर्थ निकलते हैं, तब श्लेष अलंकार होता है। |
रहिमन पानी राखिये,बिन पानी सब सून। |
उत्प्रेक्षा अलंकार |
जहां उपमेय में उपमान की संभावना या कल्पना प्रकट की जाए, वहां उत्प्रेक्षा अलंकार होता है। इस अलंकार में जनु, मनु, इव, मानो, मनो, मनहुँ, आदि शब्द आते है। |
उस वक्त मारे क्रोध के तनु कांपने उनका लगा |
'अम्बर-पनघट में डुबो रही तारा-घट ऊषा-नागरी' में कौन सा अलंकार है ?
Answer (Detailed Solution Below)
रूपक Question 11 Detailed Solution
Download Solution PDF- अम्बर-पनघट में डुबो रही तारा-घाट ऊषा-नागरी में 'रुपक' अलंकार है।
- अतः 'रुपक' सही विकल्प होगा। अन्य सभी विकल्प असंगत है।
अलंकार का नाम | पहचान | उदाहरण |
रुपक | उपमेय में उपमान का आरोप। | मुख चन्द्र है। |
उत्प्रेक्षा | उपमेय में उपमान की संभावना। | मुख मानो चन्द्र है। |
उपमा | भिन्न पदार्थी का सादृश्य प्रतिपादन। | मुख चन्द्र सा सुन्दर है। |
अन्योक्ति | अप्रतुत(प्रतीकों) के माध्यम से प्रस्तुत का वर्णन। | नाहि पराग नहि मधुर मधु,..... |
Additional Information
- अलंकार का शाब्दिक अर्थ है 'आभूषण'।जिस प्रकार स्वर्ण के आभूषणों से शरीर की शोभा बढ़ती है।
- उसी प्रकार काव्य अलंकारों से काव्य की।
- 'काव्य शोभाकरान धर्मान अलंकारं प्रचक्षते'।
निम्नलिखित में से कौन-सा शब्दालंकार नहीं है?
Answer (Detailed Solution Below)
रूपक Question 12 Detailed Solution
Download Solution PDFरूपक, शब्दालंकार नहीं है।Key Points
- अलंकार- 'काव्य की शोभा बढ़ाने वाले शब्दों को अलंकार कहते है'।
- अलंकार के भेद- 3 भेद होते।
- शब्दालंकार।
- अर्थालंकार।
- आधुनिक या उभयालंकार।
- रूपक अलंकार- जहां उपमेय में उपमान का आरोप किया जाए वहाँ रूपक अलंकार होता है।
- उदाहरण- मैया मैं तो चंद्र खिलौना लैहों।
Additional Informationशब्दालंकार- जिसमें शब्द के माध्यम से चमत्कार उत्पन्न हों, ऐसे अलंकार शब्दालंकार कहलाते है।
शब्दालंकार- 5 भेद।
- अनुप्रास अलंकार।
- यमक अलंकार।
- श्लेष अलंकार।
- वक्रोक्ति अलंकार।
- वीप्सा अलंकार।
अर्थालंकार- जिसमें अर्थ के माध्यम से चमत्कार उत्पन्न हों, ऐसे अलंकार अर्थालंकार कहलाते है।
अर्थालंकार के भेद-
- उपमा अलंकार।
- उत्प्रेक्षा अलंकार।
- रूपक अलंकार।
- भ्रान्तिमान अलंकार।
- अतिश्योक्ति अलंकार, आदि।
अम्बर पनघट में डूबो रही तारा - घट उषा - नागरी में कौन सा अलंकार है?
Answer (Detailed Solution Below)
रूपक Question 13 Detailed Solution
Download Solution PDFदिए गए विकल्पों में सही उत्तर विकल्प 2 ‘रूपक अलंकार’ है। अन्य विकल्प इसके अनुचित उत्तर हैं।
Key Points
- बीती विभावरी जाग री। अम्बर-पनघट में डुबो रही तारा-घट ऊषा-नागरी।’ इस काव्य पंक्तियों में रूपक अलंकार है क्योंकि यहां 'अम्बर-पनघट' 'तारा-घट' एवं 'ऊषा-नगरी' को उपमेय उपमान माना गया है।
- जहाँ गुण की अत्यंत समानता के कारण उपमेय में ही उपमान का अभेद आरोप कर दिया हो, वहाँ रूपक अलंकार होता है।
Additional Information
अलंकार |
परिभाषा |
उदाहरण |
अतिशयोक्ति |
जहाँ किसी वस्तु का इतना बढ़ा-चढ़ाकर वर्णन किया जाए कि सामान्य लोक सीमा का उल्लंघन हो जाए वहाँ अतिशयोक्ति अलंकार होता है। |
हनुमान की पूँछ में लगन न पाई आग, सारी लंका जरि गई, गए निशाचर भाग। |
उपमा |
जहां एक वस्तु या प्राणी की तुलना किसी दूससरी वस्तु या प्राणी से की जाए, वहाँ उपमा अलंकार होता है। |
सागर-सा गंभीर हृदय हो, गिरि-सा ऊंचा हो जिसका मन। |
उत्प्रेक्षा |
उपमान के न होने पर उपमेय को ही उपमान मान लिया जाए वहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार होता है। |
सोहत ओढ़े पीत पट, स्याम सलौने गात। मनहु नीलमणि सैल पर, आवत परयो प्रभात। |
निम्न पंक्तियों में रूपक अलंकार का कौन-सा उदाहरण है?
Answer (Detailed Solution Below)
रूपक Question 14 Detailed Solution
Download Solution PDFउपरोक्त विकल्पों में रूपक अलंकार का उदाहरण है- 'चरण कमल बंदौ रघुराई'
- यहाँ पर हरि के चरण को कमल का रूप दिया गया है, अतः यहां रूपक अलंकार है।
Key Pointsरूपक अलंकार:-
- जहां किन्हीं दो व्यक्ति या वस्तुओं में इतनी समानता हो कि दोनों में अंतर करना मुश्किल हो जाए वहां रूपक अलंकार होता है।
- जैसे:- वन शारदी चंद्रिका-चादर ओढ़े।
Important Points रूपक अलंकार का अन्य उदाहरण:-
- मैया ! मैं तो चन्द्र-खिलौना लैहों।
- राम कृपा भव-निसा सिरानी।
- प्रेम-सलिल से द्वेष का सारा मल धुल जाएगा।
- चरण-सरोज पखारन लागा।
- प्रभात यौवन है वक्ष-सर में कमल भी विकसित हुआ है कैसा।
- बंदौं गुरुपद-पदुम परागा सुरुचि सुवास सरस अनुरागा।
- पायो जी मैंने नाम-रतन धन पायो।
Additional Informationउत्प्रेक्षा अलंकार:-
- जहां पर एक विषय, वस्तु, भाव, रूप या गुण आदि को किसी दूसरे विषय, वस्तु, भाव, रूप या गुण के समान बताने का संभावित प्रयास किया जाता है।
- इसमें संभावना की प्रधानता होती है, उसे उत्प्रेक्षा अलंकार कहते है।
- यदि पंक्ति में - मनु, जनु, जनहु, जानो, मानहु मानो, निश्चय, ईव, ज्यों आदि आता है वहां उत्प्रेक्षा अलंकार होता है।
- जैसे- ले चला साथ मैं तुझे कनक ज्यों भिक्षुक लेकर स्वर्ण झनक
यमक अलंकार:-
- जब एक शब्द दो बार आये और दोनों बार उसके अर्थ अलग-अलग हो तो वहाँ पर यमक अलंकार होता है।
- जैसे- तीन बेर खाती थी वो तीन बेर खाती है।
लाटानुप्रास अलंकार:-
- किसी शब्द या वाक्य खंड की आवृत्ति दूसरी लाइन में उसी रूप में हो, लेकिन दूसरी लाइन में वाक्य का अर्थ बदल जाये उसे लाटानुप्रास अलंकार कहते है।
- जैसे- वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए मरे
- इसमें 'मनुष्य' शब्द की आवृत्ति दो बार हुई है। दोनों का अर्थ 'आदमी' है। पर तात्पर्य या अन्वय में भेद है। पहला मनुष्य कर्ता है और दूसरा सम्प्रदान।
Answer (Detailed Solution Below)
रूपक Question 15 Detailed Solution
Download Solution PDFदिए गए विकल्पों में से सही विकल्प रूपक अलंकार है। अन्य विकल्प सही नही हैं। अतः सही विकल्प 2 रूपक अलंकार है।
Key Points
- चरण-कमल बंदौं हरिराई। रूपक अलंकार का उदहारण है।
- पंक्ति में चरणों की तुलना कमल से की गयी है. यहां पर चरणों को कमल के समान ना बताकर उन्हे कमल की एकरूपता दे दी है।
- जहां उपमेय में उपमान का भेद रहित आरोप हो वहां रूपक अलंकार होता है।
Additional Information
अलंकार |
परिभाषा |
उदाहरण |
उपमा |
जहां एक वस्तु या प्राणी की तुलना किसी दूससरी वस्तु या प्राणी से की जाए, वहाँ उपमा अलंकार होता है। |
सागर-सा गंभीर हृदय हो, गिरि-सा ऊंचा हो जिसका मन। |
श्लेष |
जब किसी शब्द का प्रयोग एक बार ही किया जाता है लेकिन उससे अर्थ कई निकलते हैं तो वह श्लेष अलंकार कहलाता है। |
रहिमन पानी राखिये,बिन पानी सब सून। |
उत्प्रेक्षा |
जहाँ पर उपमान के न होने पर उपमेय को ही उपमान मान लिया जाए। अर्थात जहाँ पर अप्रस्तुत को प्रस्तुत मान लिया जाए वहाँ पर उत्प्रेक्षा अलंकार होता है। |
ले चला साथ मैं तुझे कनक। ज्यों भिक्षुक लेकर स्वर्ण।। |