अतिशयोक्ति MCQ Quiz - Objective Question with Answer for अतिशयोक्ति - Download Free PDF
Last updated on Jun 17, 2025
Latest अतिशयोक्ति MCQ Objective Questions
अतिशयोक्ति Question 1:
जब् किसी की अत्यंत प्रशंसा के लिए कोई बात बहुत बढा-चढ़ाकर अथवा लोकसीमा का उल्लघन करके कहा जाए तब वहाँ ______ अलंकार होता है।
Answer (Detailed Solution Below)
अतिशयोक्ति Question 1 Detailed Solution
दिए गए विकल्पों के अनुसार अतिश्योक्ति अलंकार ही सही विकल्प है अन्य विकल्प असंगत है l
Key Points
अलंकार |
परिभाषा |
उदाहरण |
अतिश्योक्ति |
जब किसी वस्तु, व्यक्ति आदि का वर्णन बहुत बाधा चढ़ा कर किया जाए तब वहां अतिशयोक्ति अलंकार होता है। |
हनुमान की पूंछ में लगन न पाई आग, लंका सिगरी जल गई गए निशाचर भाग। |
Additional Information
अन्य विकल्प :
अलंकार |
परिभाषा |
उदाहरण |
अन्योक्ति |
जब अप्रस्तुत के वर्णन के द्वारा प्रस्तुत का बोध कराया जाय तब वहाँ अन्योक्ति अलंकार होता है |
सिरस ' कुसुम मंडरात अलि न झकि अपटि ' लपटात । दरसत अति सकुमार तन ' परसत मन न पत्यात ॥ |
व्यतिरेक |
जहां उपमान की अपेक्षा ' उपमेय ' के गुणाधिक्य का वर्णन हो कर उसका उत्कर्ष दिखाया गया हो , वहां ' व्यतिरेक ' अलंकार होता है l |
जनम सिंधु पुनि बंधु विष, दिन मलीन सकलंक। |
भ्रांतिमान |
जब किसी पद में किसी सादृश्य विशेष के कारण उपमेय में उपमान का भ्रम उत्पन्न हो जाता है तो वहाँ भ्रांतिमान अलंकार माना जाता है। |
नाक का मोती अधर की कान्ति से, बीज दाड़िम का समझकर भ्रान्ति से। देखकर सहसा हुआ शुक मौन है। सोचता है अन्य शुक यह कौन है? |
अतिशयोक्ति Question 2:
"देख लो साकेत नगरी है यही। स्वर्ग से गगन में मिलने जा रही।।"
उपर्युक्त पंक्ति में कौन-सा अलंकार है?
Answer (Detailed Solution Below)
अतिशयोक्ति Question 2 Detailed Solution
"देख लो साकेत नगरी है यही। स्वर्ग से गगन में मिलने जा रही।।"
उपर्युक्त पंक्ति में अलंकार है- अतिशयोक्ति
Key Points
- इस पंक्ति में, साकेत नगरी को ऐसा वर्णित किया गया है जैसे वह स्वर्ग से गगन में मिल रही हो।
- यह वर्णन अत्यधिक और वास्तविकता से काफी अधिक बढ़ा-चढ़ा कर किया गया है, जो अतिशयोक्ति अलंकार का उदाहरण है।
- जब किसी वस्तु, व्यक्ति आदि का वर्णन बहुत बाधा चढ़ा कर किया जाए तब वहां अतिशयोक्ति अलंकार होता है।
- इस अलंकार में नामुमकिन तथ्य बोले जाते हैं।
- उदाहरण-
- हनुमान की पूँछ में लगन न पाई आग।
- लंका सगरी जल गई, गए निशाचर भाग।।
- (स्पष्टीकरण – पूँछ में आग लगने से पहले लंका का जलना अतिशयोक्ति है।)
Additional Information
व्यतिरेक-
उदाहरण -
सन्देह:-
उदाहरण-
अन्योक्ति अलंकार:-
उदाहरण-
|
अतिशयोक्ति Question 3:
"देख लौ साकेत नगरी है यही, स्वर्ग सै मिलने गगन जा रही है।" में कौन-सा अलंकार है?
Answer (Detailed Solution Below)
अतिशयोक्ति Question 3 Detailed Solution
"देख लौ साकेत नगरी है यही, स्वर्ग सै मिलने गगन जा रही है।" में अलंकार है- अतिशयोक्ति
Key Points
- यहाँ साकेत नगरी को स्वर्ग से मिलने के लिए आकाश की ओर जाते हुए दिखाया गया है, जो कि वास्तव में संभव नहीं है, इसलिए यह अतिशयोक्ति है।
- जब किसी वस्तु, व्यक्ति आदि का वर्णन बहुत बाधा चढ़ा कर किया जाए तब वहां अतिशयोक्ति अलंकार होता है।
- इस अलंकार में नामुमकिन तथ्य बोले जाते हैं।
- उदाहरण-
- हनुमान की पूँछ में लगन न पाई आग।
- लंका सगरी जल गई, गए निशाचर भाग।।
- (स्पष्टीकरण – पूँछ में आग लगने से पहले लंका का जलना अतिशयोक्ति है।)
Additional Information
रूपक:-
उदाहरण -
श्लेष:-
उदाहरण-
उपमा:-
उदाहरण-
|
अतिशयोक्ति Question 4:
Answer (Detailed Solution Below)
अतिशयोक्ति Question 4 Detailed Solution
प्रश्न में दी गयी पंक्ति में अतिशयोक्ति अलंकार है।
Key Points
- "हनुमान की पूंछ में लग न पाई आग, लंका सगरी जल गई, गए निशाचर भाग" इस उक्ति में अतिश्योक्ति अलंकार है l
- अतिश्योक्ति - जब किसी वस्तु, व्यक्ति आदि का वर्णन बहुत बाधा चढ़ा कर किया जाए तब वहां अतिशयोक्ति अलंकार होता।
- उदाहरण - "उसके रोने से सारा समुद्र भर गया।"
- अन्य विकल्प -
अलंकार | परिभाषा | उदाहरण |
यमक | यमक अलंकार में एक ही शब्द का बार-बार प्रयोग होता है, लेकिन प्रत्येक बार शब्द का अर्थ अलग होता है। | "कनक कनक ते सौ गुनी मादकता अधिकाय, या खाए बौराय नर, या पाए बौराय |
अनुप्रास | अनुप्रास अलंकार की परिभाषा अनु + प्रास। यहाँ अनु का मतलब है आवृत्ति यानी दोहराना होता है। किसी वर्ण को जब बार बार दोहराया जाता है तो वहां अनुप्रास अलंकार होता है। | कल कानन कुंडल मोर पखा उर पे बनमाल विराजती है। |
Additional Information
- अलंकार के कुल तीन भेद होते है -
- 1. शब्दालंकार।
- 2. अर्थालंकार।
- 3. उभयालंकार।
अतिशयोक्ति Question 5:
बाँधा था विधु को किसने इन काली जंजीरो से ।
मणिवाले कवियों का मुख क्यों भरा हुआ हीरों से।।
Answer (Detailed Solution Below)
अतिशयोक्ति Question 5 Detailed Solution
सही उत्तर है - अतिश्योक्ति
Key Points
- जब किसी वस्तु, व्यक्ति आदि का वर्णन बहुत बाधा चढ़ा कर किया जाए तब वहां अतिशयोक्ति अलंकार होता है।
- इस अलंकार में नामुमकिन तथ्य बोले जाते हैं।
- उदाहरण-
- पानी परात को छुयो नहीं , नैनन के जल सों पग धोए।
- (यहाँ पानी के बिना, आंसुओ से पैरो को धोने की बात पर जोर दिया गया है। जो असमान्य बात है।)
Additional Information
स्वभावोक्ति:-
उदाहरण-
रूपक:-
उदाहरण-
यमक:-
उदाहरण-
|
Top अतिशयोक्ति MCQ Objective Questions
'कुहुकि कुहुकि जस कोयल रोई, रकत आँसु घुँघची बन बोई'- पंक्ति में है:
Answer (Detailed Solution Below)
अतिशयोक्ति Question 6 Detailed Solution
Download Solution PDFसही उत्तर अतिशयोक्ति अलंकार है।
Key Points
- प्रस्तुत पंक्तियाँ मालिक मोहम्मद जायसी के 'नागमती के वियोग वर्णन' से उद्धृत हैं।
- 'कुहुकि कुहुकि जस कोयल रोई, रकत आँसु घुँघची बन बोई'- प्रस्तुत पंक्ति में नागमती कोयल की भाँति कुहुक- कुहुक कर रोई, रक्त के आँसुओं के रूप में मानो उसने घुघचियाँ वन में बो दीं।
- प्रस्तुत पद में कुछ ज्यादा ही बढ़ा - चढ़ा कर वर्णन किया जा रहा है, अतः स्पष्ट है कि यहाँ अतिशयोक्ति अलंकार है।
Additional Information
- अतिशयोक्ति अलंकार- अतिशयोक्ति शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है – अतिशय+उक्ति। ‘अतिशय’ मतलब बहुत अधिक और ‘उक्ति‘ मतलब कह दिया अर्थात जब कोई बात बहुत बढ़ा चढ़ाकर या लोकसीमा का उल्लंघन करके कही जाए, तब वहाँ अतिश्योक्ति अलंकार होता है।
- उदहारण- “देख सुदामा की दीन दशा करुणा करके करुणानिधि रोए, पानी परात को हाथ छुयो नहिं नैनन के जल सों पग धोए।”
- हिंदी अनुवाद - पानी और बर्तन (परात) को छुए बिना कोई भी किसी के पैर नहीं धो सकता है क्योकि मनुष्य की आँखों से इतना जल नहीं निकल सकता। ऐसा करना बिलकुल असंभव है लेकिन सुदामा और कृष्ण की बहुत ही गहरी मित्रता और प्रेम को व्यक्त करने के लिए ऐसा कहा गया।
- सहोक्ति अलंकार- जहाँ कई बातों का एक साथ होना सरल रीति से कहा जाता है वहाँ सहोक्ति अलंकार होता है। इसमें सह, समेत, साथ, संग आदि शब्दों के द्वारा एक शब्द दो पक्षों में लगता है, एक में प्रधान रूप से और दूसरे में अप्रधान रूप से।
- उदाहरण- 'कीरति अरि कुल संग ही जलनिधि पहुंची जाय |' 'नाक पिनकहीं संग सिधाई।'
- वक्रोक्ति अलंकार- जिस शब्द से कहने वाले व्यक्ति के कथन का अर्थ न ग्रहण कर सुनने वाला व्यक्ति अन्य ही चमत्कारपूर्ण अर्थ लगाये और उसका उत्तर दे, तब उसे वक्रोक्ति अलंकार कहते हैं। दूसरे शब्दों में जहाँ किसी के कथन का कोई दूसरा पुरुष दूसरा अर्थ निकाले, वहाँ वक्रोक्ति अलंकार होता है।
- इसमें चार बातों का होना आवश्यक है-
- वक्ता की एक उक्ति।
- उक्ति का अभिप्रेत अर्थ होना चाहिए।
- श्रोता उसका कोई दूसरा अर्थ लगाये।
- श्रोता अपने लगाये अर्थ को प्रकट करे।
- उदाहरण- एक कह्यौ वर देत भव भाव चाहिए चित्त। सुनि कह कोउ भोले भवहिं भाव चाहिए मित्त।।
अलंकार का नाम बताएँ:
हनुमान की पूंछ में, लगन न पायी आग।
सिगरी लंका जरि गई, चले निसाचर भाग।।
Answer (Detailed Solution Below)
अतिशयोक्ति Question 7 Detailed Solution
Download Solution PDFउपरोक्त पंक्तियों में 'अतिशयोक्ति' अलंकार है।
Key Points
- हनुमान की पूंछ में, लगन न पायी आग।
- सिगरी लंका जरि गई, चले निसाचर भाग।।
- उपरोक्त पंक्ति में हनुमान द्वारा लंका जलाने की घटना का बढ़ा- चढ़ा कर वर्णन किया गया है, इसलिए अतिश्योक्ति अलंकार है।
- जहां प्रस्तुत व्यवस्था का वर्णन कर उसके माध्यम से किसी अप्रस्तुत वस्तु को व्यंजना की जाती है वहां और अतिशयोक्ति अलंकार होता है।
Important Pointsअन्य विकल्प -
- उल्लेख अलंकार - जब एक ही वस्तु का अनेक व्यक्तियों द्वारा अनेक प्रकार से वर्णन होता है, वहाँ 'प्रथम उल्लेख अलंकार' होता है।
उदाहरण -हरीतिमा का सुविशाल सिंधु-सा, मनोज्ञता की स्मरणीय भूमि-सा।, विचित्रता का शुभ सिध्द पीठ-सा ,प्रशांत वृन्दावन दर्शनीय था।
- व्यतिरेक अलंकार - जहाँ कारण बताते हुए उपमेय की श्रेष्ठता उपमान से बताई जाए वहाँ व्यतिरेक अलंकार होता है।
उदाहरण: जनम सिंधु पुनि बंधु विष, दिन मलीन सकलंक। सिय मुख समता पाव किमि, चंद बापुरो रंक।। -
प्रस्तुत पद में उपमान (चन्द्र) की अपेक्षा उपमेय (सिय मुख) की शोभा का उत्कर्षपूर्ण वर्णन किया गया है, अतः यहाँ व्यतिरेक अलंकार है।
-
निदर्शना अलंकार - जब उपमेय और उपमान के वाक्यों में भिन्नता होते हुए भी, एक दूसरे से ऐसा सम्बन्ध स्थापित हुआ हो की उनमें समानता दिखाई पड़े, वहाँ निदर्शना अलंकार होता है।
उदाहरण -कविता समुझाइबो मुढ़न को
सविता गहि भूमि मै डारिबो है ।इन पंक्ति में कहा गया है कि मूर्खो को कविता समझाना सूर्य को भूमि पर लाना है । यहाँ दो वाक्य है - 1- मूर्खो को कविता समझाना और 2 -सूर्य को पृथ्वी पर लाना । इन दोनों वाक्यों का अर्थ अलग - अलग है किन्तु फल दोनों का एक ही है - असंभवता । अर्थात् जिस प्रकार सूर्य को पृथ्वी पर लाना असंभव है , उसी प्रकार मूर्खो को कविता समझाना भी असंभव है । इस तरह दोनों वाक्यों में अभेद - सा प्रतीत होता है। अतः यहाँ निदर्शना अलंकार है।
Additional Information
अलंकार |
अलंकार का अर्थ है आभूषण। अतः काव्य में आभूषण अर्थात सौंदर्यवर्धक गुण अलंकार कहलाते हैं। मुख्य रूप से अलंकार के दो भेद माने गए हैं- शब्दालंकार और अर्थालंकार। जब शब्दों में चमत्कार उत्पन्न होता है तो शब्दालंकार कहलाता है। जब अर्थों में चमत्कार उत्पन्न होता है तो अर्थालंकार कहलाता है। |
जैसे - सिंधु से अथाह ( उपमा) - शब्दालंकार काली घटा का घमंड घटा (अनुप्रास) - अर्थालंकार |
हनुमान की पूंछ में लगन न पाई आग। लंका सिगरी जल गई, गए निशाचर भाग। - निम्न में से कौन सा अलंकार है?
Answer (Detailed Solution Below)
अतिशयोक्ति Question 8 Detailed Solution
Download Solution PDFहनुमान की पूंछ में लगन न पाई आग। लंका सिगरी जल गई, गए निशाचर भाग।“ इस दोहे में अतिशयोक्ति अलंकार हैl अतःस्पष्ट है कि विकल्प अतिशयोक्ति अलंकार सटीक विकल्प हैl अन्य विकल्प असंगत हैl
विशेष:
संदेह अलंकार: इस प्रकार के अलंकार में उपमेय में उपमान का संदेह बना रहता है। संदेह अलंकार का उदाहरण –विरह है अथवा यह वरदान। |
अतिशयोक्ति अलंकार - जब किसी बात का वर्णन बहुत बढ़ा-चढ़ाकर किया जाए। जैसे - आगे नदियाँ पड़ी अपार, घोडा कैसे उतरे पार। राणा ने सोचा इस पार, तब तक चेतक था उस पार। यहाँ चेतक की शक्तियों व स्फूर्ति का बहुत बढ़ा-चढ़ाकर वर्णन किया गया है। |
जहाँ प्रस्तुत को देखकर किसी विशेष साम्यता के कारण किसी दूसरी वस्तु का भ्रम हो जाता है, वहाँ भ्रांतिमान अलंकार होता है। उदाहरण-चंद के भरम होत मोड़ है कुमुदनी। |
हनुमान की पूँछ में लगन न पाई आग।
लंका सिगरी जल गई, गए निसाचर भाग।।'
इसमें अलंकार है?
Answer (Detailed Solution Below)
अतिशयोक्ति Question 9 Detailed Solution
Download Solution PDFउपरोक्त पंक्तियों में 'अतिशयोक्ति' अलंकार है।
Key Points
हनुमान की पूंछ में, लगन न पायी आग।
सिगरी लंका जरि गई, चले निसाचर भाग। ।
- उपरोक्त पंक्ति में हनुमान द्वारा लंका जलाने की घटना का बढ़ा- चढ़ा कर वर्णन किया गया है, इसलिए अतिशयोक्ति अलंकार है।
- जहां प्रस्तुत व्यवस्था का वर्णन कर उसके माध्यम से किसी अप्रस्तुत वस्तु को व्यंजना की जाती है वहां और अतिशयोक्ति अलंकार होता है।
Additional Information
अलंकार |
परिभाषा |
उदाहरण |
उपमा |
जहां एक वस्तु या प्राणी की तुलना किसी दूसरी वस्तु या प्राणी से की जाए, वहाँ उपमा अलंकार होता है। |
सागर-सा गंभीर हृदय हो, गिरि-सा ऊंचा हो जिसका मन। |
रूपक |
रूपक साहित्य में एक प्रकार का अर्थालंकार है जिसमें बहुत अधिक साम्य के आधार पर प्रस्तुत में अप्रस्तुत का आरोप करके अर्थात् उपमेय या उपमान के साधर्म्य का आरोप करके और दोंनों भेदों का अभाव दिखाते हुए उपमेय या उपमान के रूप में ही वर्णन किया जाता है। इसके सांग रूपक, अभेद रुपक, तद्रूप रूपक, न्यून रूपक, परम्परित रूपक आदि अनेक भेद हैं। |
“उदित उदयगिरी मंच पर रघुबर बाल पतंग, बिकसे संत सरोज सब हरषे लोचन भृंग |” |
उत्प्रेक्षा |
उपमान के न होने पर उपमेय को ही उपमान मान लिया जाए वहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार होता है। |
सोहत ओढ़े पीत पट, स्याम सलौने गात। मनहु नीलमणि सैल पर, आवत परयो प्रभात। |
अन्य अलंकार-
- उल्लेख अलंकार - जब एक ही वस्तु का अनेक व्यक्तियों द्वारा अनेक प्रकार से वर्णन होता है, वहाँ 'प्रथम उल्लेख अलंकार' होता है।
- व्यतिरेक अलंकार - जहाँ कारण बताते हुए उपमेय की श्रेष्ठता उपमान से बताई जाए वहाँ व्यतिरेक अलंकार होता है।
-
निदर्शना अलंकार - जब उपमेय और उपमान के वाक्यों में भिन्नता होते हुए भी, एक दूसरे से ऐसा सम्बन्ध स्थापित हुआ हो की उनमें समानता दिखाई पड़े, वहाँ निदर्शना अलंकार होता है।
Important Points
अलंकार |
अलंकार का अर्थ है आभूषण। अतः काव्य में आभूषण अर्थात सौंदर्यवर्धक गुण अलंकार कहलाते हैं। मुख्य रूप से अलंकार के दो भेद माने गए हैं- शब्दालंकार और अर्थालंकार। जब शब्दों में चमत्कार उत्पन्न होता है तो शब्दालंकार कहलाता है। जब अर्थों में चमत्कार उत्पन्न होता है तो अर्थालंकार कहलाता है। |
जैसे - सिंधु से अथाह ( उपमा) - शब्दालंकार काली घटा का घमंड घटा (अनुप्रास) - अर्थालंकार |
‘पानी परात को हाथ छुयौ नहिं
नैनन के जल सों पग धोए ||’
इसमें कौन सा अलंकार है?
Answer (Detailed Solution Below)
अतिशयोक्ति Question 10 Detailed Solution
Download Solution PDFउपरोक्त पंक्तियों में 'अतिश्योक्ति' अलंकर है। अतः सही उत्तर विकल्प 1 'अतिश्योक्ति अलंकार है।
Key Points
'पानी परात को हाथ छुयौ नहिं
नैनन के जल सों पग धोए ||’
-
उपरोक्त पंक्ति में कृष्ण द्वारा अपने सखा सुदामा के पैर धोने की क्रिया का बढ़ा- चढ़ा कर वर्णन किया गया है, अत: अतिश्योक्ति अलंकर है।
- जहां प्रस्तुत व्यवस्था का वर्णन कर उसके माध्यम से किसी अप्रस्तुत वस्तु को व्यंजना की जाती है वहां और अतिशयोक्ति अलंकार होता है।
- दोहे का अर्थ- प्रस्तुत दोहे में यह कहा गया है कि सुदामा की दीनदशा को देखकर श्रीकृष्ण व्याकुल हो उठे। श्रीकृष्ण ने सुदामा के आगमन पर उनके पैरों को धोने के लिए परात में पानी मँगवाया परन्तु सुदामा की दुर्दशा देखकर श्रीकृष्ण को इतना कष्ट हुआ कि वे स्वयं रो पड़े और उनके आँसुओं से ही सुदामा के पैर धुल गए।
अन्य विकल्प -
- श्लेष अलंकार - श्लेष का अर्थ होता है चिपका हुआ या मिला हुआ। जब एक ही शब्द से हमें विभिन्न अर्थ मिलते हों तो उस समय श्लेष अलंकार होता है। यानी जब किसी शब्द का प्रयोग एक बार ही किया जाता है लेकिन उससे अर्थ कई निकलते हैं तो वह श्लेष अलंकार कहलाता है।
-
उपमा अलंकार - उपमा शब्द का अर्थ होता है – तुलना।, जब किसी व्यक्ति या वस्तु की तुलना किसी दूसरे यक्ति या वस्तु से की जाए वहाँ पर उपमा अलंकार होता है। अर्थात जब किन्ही दो वस्तुओं के गुण, आकृति, स्वभाव आदि में समानता दिखाई जाए या दो भिन्न वस्तुओं कि तुलना कि जाए, तब वहां उपमा अलंकर होता है।
- रूपक अलंकार - जहां उपमेय और उपमान भिन्नता हो और वह एक रूप दिखाई दे जैसे चरण कमल बंदों हरि राइ।
Additional Information
अलंकार |
अलंकार का अर्थ है आभूषण। अतः काव्य में आभूषण अर्थात सौंदर्यवर्धक गुण अलंकार कहलाते हैं। मुख्य रूप से अलंकार के दो भेद माने गए हैं- शब्दालंकार और अर्थालंकार। जब शब्दों में चमत्कार उत्पन्न होता है तो शब्दालंकार कहलाता है। जब अर्थों में चमत्कार उत्पन्न होता है तो अर्थालंकार कहलाता है। |
काली घटा का घमंड घटा (यमक) - शब्दालंकार जैसे - सिंधु से अथाह (उपमा) - अर्थालंकार |
बाँधा था विधु को किसने, इन काली जंजीरों से। मणिवाले फणियों का मुख क्यों भरा हुआ हीरों से।
इस काव्य-पंक्तियों में कौन-सा अलंकार है?
Answer (Detailed Solution Below)
अतिशयोक्ति Question 11 Detailed Solution
Download Solution PDFसही विकल्प 4 अतिशयोक्ति है।
Key Points
- 'बांधा था विधु को किसने, इन काली जंजीरों से। मणिवाले फणियों का मुख, क्यों भरा हुआ हीरों से।' -
- इन पंक्तियों में चन्द्र से मुख का, काली जंजीरों से बालों का तथा मणिवाले फणियों से मोती भरी मांग की प्रतीति होती है। अत: मोतियों से भरी हुई प्रिया की मांग का अतिशयोक्ति पूर्ण वर्णन किए जाने के कारण यहां अतिशयोक्ति अलंकार है।
- अतिशयोक्ति अलंकार- जहां किसी विषय वस्तु का उक्ति चमत्कार द्वारा लोक मर्यादा के विरुद्ध बढ़ा-चढ़ाकर वर्णन किया जाता है, वहां अतिशयोक्ति अलंकार होता है।
Additional Information
अलंकार |
परिभाषा |
उदाहरण |
श्लेष |
जब किसी शब्द का प्रयोग एक बार ही किया जाता है लेकिन उससे अर्थ कई निकलते हैं तो वह श्लेष अलंकार कहलाता है। |
रहिमन पानी राखिये,बिन पानी सब सून। |
अनुप्रास |
जब किसी व्यंजन वर्ण को बार बार दुहराया जाता है तो वहा अनुप्रास अलंकार होता है। |
लाली मेरे लाल की जित देखौं तित लाल। |
यमक |
जब एक शब्द प्रयोग दो बार होता है और दोनों बार उसके अर्थ अलग-अलग होते हैं तब यमक अलंकार होता है। |
कनक-कनक ते सौ गुनी मादकता अधिकाय, या खाये बौराय जग, वा पाये बौराय। |
भूप सहस दस एकहि बारा। लगे उठावन टरइ न टारा॥ पंक्ति में कौन-सा अलंकार है?
Answer (Detailed Solution Below)
अतिशयोक्ति Question 12 Detailed Solution
Download Solution PDFसही उत्तर- अतिश्योक्ति अलंकार होगा।
Key Points
- भूप सहस दस एकहि बारा। लगे उठावन टरइ न टारा॥ पंक्ति में कौन-सा अलंकार है।
- जब किसी वस्तु का बहुत अधिक बढ़ा-चढ़ाकर वर्णन किया जाये तो वहाँ पर अतिश्योक्ति अलंकार होता है।
- जैसे-
लहरें व्योम चूमती उठती
देख लो साकेत नगरी है यही!
स्वर्ग से मिलने गगन जा रही हैं!!
अन्य विकल्प:
अलंकार |
परिभाषा |
उदाहरण |
उपमा |
जहां एक वस्तु या प्राणी की तुलना किसी दूससरी वस्तु या प्राणी से की जाए, वहाँ उपमा अलंकार होता है। |
सागर-सा गंभीर हृदय हो, गिरि-सा ऊंचा हो जिसका मन। |
रूपक |
जहां उपमेय और उपमान में कोई अंतर नहीं होता है वहाँ पर रूपक अलंकार होता है। |
चरण-कमल बंदौ हरि राई! |
संदेह |
जहां उपमेय और उपमान के निर्धारण में दुविधा बनी रहे वहाँ संदेह अलंकार होता है। |
सारी बीच नारी है, कि नारी बीच सारी है। कि सारी है की नारी है, कि नारी है की सारी है। |
'मैं रोया परदेस में भीगा माँ का प्यार, दुख ने दुख से बात की बिन चिठ्ठी बिन तार'- पंक्ति में है:
Answer (Detailed Solution Below)
अतिशयोक्ति Question 13 Detailed Solution
Download Solution PDFसही उत्तर 'अतिशयोक्ति अलंकार' है।
Key Points
- ''मैं रोया परदेस में भीगा माँ का प्यार, दुख ने दुख से बात की बिन चिठ्ठी बिन तार" इस काव्य पंक्ति में अतिशयोक्ति अलंकार है।
- इसमें 'प्यार' का बहुत बढ़ा-चढ़ा कर वर्णन किया गया है।
- जब किसी व्यक्ति या वस्तु का वर्णन करने में लोक समाज की सीमा या मर्यादा टूट जाये उसे अतिश्योक्ति अलंकार कहते हैं।
अन्य विकल्प:
- अन्योक्ति अलंकार - जहाँ किसी उक्ति के माध्यम से किसी अन्य को कोई बात कही जाए, वहाँ अन्योक्ति अलंकार होता है।
- जैसे - नहि पराग नहिं मधुर मधु नहिं विकास इहिं काल।
अली कली ही सौं बँध्यौ, आगे कौन हवाल।
- जैसे - नहि पराग नहिं मधुर मधु नहिं विकास इहिं काल।
- वक्रोक्ति अलंकार - जिस शब्द से कहने वाले व्यक्ति के कथन का अर्थ न ग्रहण कर सुनने वाला व्यक्ति अन्य ही चमत्कारपूर्ण अर्थ लगाये और उसका उत्तर दे, तब उसे वक्रोक्ति अलंकार कहते हैं।
- जैसे - मैं सुकुमारी नाथ बन जोगु। तुमही उचित तप मो कह भोगू।
Additional Information
- अलंकार का शाब्दिक अर्थ होता है ‘आभूषण या गहना’ जिस प्रकार स्वर्ण आदि के आभूषणों से शरीर की शोभा बढ़ती है उसी प्रकार काव्य अलंकारों से काव्य की शोभा बढ़ती है।
- अलंकार के तीन प्रकार अथवा भेद होते हैं, किन्तु प्रधान रूप से अलंकार के दो भेद माने जाते हैं — शब्दालंकार तथा अर्थालंकार
'आगे नदियाँ पड़ी अपार घोड़ा उतरे कैसे पार। राणा ने सोचा इस पार, तब तक चेतक था उस पार। पंक्ति में कौन सा अलंकार समाहित है?
Answer (Detailed Solution Below)
अतिशयोक्ति Question 14 Detailed Solution
Download Solution PDF- परिभाषा - साहित्य में एक अलंकार जिसमें दो वस्तुओं में भेद रहते हुए भी उन्हें समान बतलाया जाता है।
- वाक्य में प्रयोग - चरण कमल बंदौ हरिराई में उपमा अलंकार है ।
- समानार्थी शब्द - उपमा अलंकार , उपमालंकार , अर्थोपमा।
- लिंग - स्त्रीलिंग।
- एक तरह का - अर्थालंकार।
उत्प्रेक्षा
- परिभाषा - एक अर्थालंकार जिसमें भेदज्ञान पर भी उपमेय में उपमान की प्रतीति होती है।
- वाक्य में प्रयोग - कविता की इन पंक्तियों में उत्प्रेक्षा है ।
- समानार्थी शब्द - उत्प्रेक्षा अलंकार।
- लिंग - स्त्रीलिंग।
अतिशयोक्ति
- परिभाषा - एक अलंकार जिसमें भेद में अभेद, असंबंध में संबंध आदि दिखाकर किसी वस्तु का बहुत बढ़ाकर वर्णन होता है।
- वाक्य में प्रयोग - आदिकालीन कवियों की रचनाएँ अतिशयोक्ति अलंकार से भरी पड़ी हैं ।
- समानार्थी शब्द - अतिशयोक्ति अलंकार।
- लिंग - स्त्रीलिंग।
रूपक
- परिभाषा - जहाँ गुण की अत्यंत समानता के कारण उपमेय में उपमान का अभेद आरोपण हो।
- वाक्य में प्रयोग - मैया मैं तो चंद्र खिलौना लैहों में चंद्रमा में खिलौना का आरोप होने से रुपकालंकार है ।
- समानार्थी शब्द - रूपकालंकार , रूपक अलंकार।
- लिंग - पुल्लिंग।.
निम्नलिखित पंक्तियों में निहित अलंकार बताएं:
आगे नदिया पड़ी अपार, घोडा कैसे उतरे पार।
राणा ने सोचा इस पार, तब तक चेतक था उस पार।।
Answer (Detailed Solution Below)
अतिशयोक्ति Question 15 Detailed Solution
Download Solution PDFउपरोक्त पंक्तियों में 'अतिश्योक्ति' अलंकार है। अतः सही उत्तर विकल्प 1 'अतिश्योक्ति अलंकार है।
Key Points
'आगे नदिया पड़ी अपार, घोडा कैसे उतरे पार।
राणा ने सोचा इस पार, तब तक चेतक था उस पार।।'
-
उपरोक्त पंक्ति में घोड़े की दौड़ने की क्रिया का बढ़ा- चढ़ा कर वर्णन किया गया है, अत: अतिश्योक्ति अलंकर है।
- जहां प्रस्तुत व्यवस्था का वर्णन कर उसके माध्यम से किसी अप्रस्तुत वस्तु को व्यंजना की जाती है वहां और अतिशयोक्ति अलंकार होता है।
अन्य विकल्प -
- रूपक अलंकार - जहां उपमेय और उपमान भिन्नता हो और वह एक रूप दिखाई दे जैसे चरण कमल बंदों हरि राइ।
- अन्योक्ति अलंकार - अप्रस्तुत के माध्यम से प्रस्तुत का वर्णन करने वाले काव्य अन्योक्ति अलंकार कहलाते है।
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उपमा अलंकार - उपमा शब्द का अर्थ होता है – तुलना।, जब किसी व्यक्ति या वस्तु की तुलना किसी दूसरे यक्ति या वस्तु से की जाए वहाँ पर उपमा अलंकार होता है। अर्थात जब किन्ही दो वस्तुओं के गुण, आकृति, स्वभाव आदि में समानता दिखाई जाए या दो भिन्न वस्तुओं कि तुलना कि जाए, तब वहां उपमा अलंकर होता है।
Additional Information
अलंकार |
अलंकार का अर्थ है आभूषण। अतः काव्य में आभूषण अर्थात सौंदर्यवर्धक गुण अलंकार कहलाते हैं। मुख्य रूप से अलंकार के दो भेद माने गए हैं- शब्दालंकार और अर्थालंकार। जब शब्दों में चमत्कार उत्पन्न होता है तो शब्दालंकार कहलाता है। जब अर्थों में चमत्कार उत्पन्न होता है तो अर्थालंकार कहलाता है। |
जैसे - सिंधु से अथाह ( उपमा) - शब्दालंकार काली घटा का घमंड घटा (अनुप्रास) - अर्थालंकार |