अनुप्रास MCQ Quiz - Objective Question with Answer for अनुप्रास - Download Free PDF
Last updated on Jun 13, 2025
Latest अनुप्रास MCQ Objective Questions
अनुप्रास Question 1:
"रघुकुल रीती सदा चलि आई, प्राण जाये पर वचन न जाई।" प्रस्तुत पंक्ति में कौन सा अंलकार प्रयुक्त हुआ है?
Answer (Detailed Solution Below)
अनुप्रास Question 1 Detailed Solution
उक्त पँक्तियों में अन्त्यानुप्रास अलंकार का प्रयोग किया गया है, अत: सही विकल्प 1 अन्त्यानुप्रास अलंकार होगा।
- रघुकुल रीती सदा चलि आई, प्राण जाये पर वचन न जाई। पंक्ति में अन्त्यानुप्रास अलंकार है।
- उदाहरण - नभ लाली, चाली निसा, चटकाली धुनि कौन।
- उपर्युक्त पंक्ति में यहाँ लाली, चाली और चटकाली इन शब्दों के अन्त में बीच के व्यंजन ल् के सहित अन्त के दो स्वरों (आ और ई) की आवृत्ति हुई है।
- जब किसी छंद के चरणों के अंत में एक जैसे स्वरों या व्यंजन वर्णों का प्रयोग होता है तो वहाँ अन्त्यानुप्रास अलंकार माना जाता है।
Additional Information
अलंकार |
परिभाषा |
उदाहरण |
श्रुत्यानुप्रास |
जब किसी पद में एक ही उच्चारण स्थान वाले वर्णों की बार-बार आवृत्ति होती है तो वहाँ श्रुत्यनुप्रास अलंकार माना जाता है। |
तुलसीदास सीदत निस दिन देखत तुम्हारी निठुराई।। |
वृत्यानुप्रास |
जब किसी पद में एक या अनेक वर्णों की एक से अधिक बार आवृत्ति (दो से अधिक बार प्रयोग) होती है तो वहाँ वृत्यनुप्रास अलंकार माना जाता है। |
रघुनंद आनंद कंद कौसल चंद दशरथ नंदनम्। |
लाटानुप्रास |
जब किसी पद में शब्द और अर्थ तो एक ही रहते हैं परन्तु अन्य पद के साथ अन्वय करते ही तात्पर्य या अभिप्राय भिन्न रूप में प्रकट होता है, वहाँ लाटानुप्रास अलंकार माना जाता है। |
पूत सपूत तो क्यों धन संचै। |
अनुप्रास Question 2:
जिन पंक्तियों में एक या अनेक वर्णों की एक ही क्रम में एक बार आवृत्ति हो तो वहाँ कौन-सा अलंकार होता है?
Answer (Detailed Solution Below)
अनुप्रास Question 2 Detailed Solution
- जिन पंक्तियों में एक या अनेक वर्णों की एक ही क्रम में एक बार आवृत्ति हो तो वहाँ छेकानुप्रास अलंकार होता है।
जैसे:-
- “इस करुणा कलित हृदय में,
अब विकल रागिनी बजती” - यहाँ ‘करुणा कलित’ में छेकानुप्रास है।
Key Pointsअन्य विकल्प:
वृत्यानुप्रास अलंकार : वृत्यानुप्रास काव्य में पाँच वृत्तियाँ होती हैं-मधुरा, ललिता, प्रौढ़ा, परुषा और भद्रा। कुछ विद्वानों ने तीन वृत्तियों को ही मान्यता दी है
उपनागरिका, परुषा और कोमला। इन वृत्तियों के अनुकूल वर्ण साम्य को वृत्यानुप्रास कहते हैं।
जैसे:-
- ‘कंकन, किंकिनि, नूपुर, धुनि, सुनि’
- यहाँ पर ‘न’ की आवृत्ति पाँच बार हुई है और कोमला या मधुरा वृत्ति का पोषण हुआ है। अत: यहाँ वृत्यानुप्रास है।
श्रुत्यानुप्रास अलंकार : श्रुत्यनुप्रास जहाँ एक ही उच्चारण स्थान से बोले जाने वाले वर्णों की आवृत्ति होती है, वहाँ श्रुत्यानुप्रास अलंकार होता है।
जैसे:-
- तुलसीदास सीदति निसिदिन देखत तुम्हार निठुराई।
-
यहाँ ‘त’, ‘द’, ‘स’, ‘न’ एक ही उच्चारण स्थान (दन्त्य) से उच्चरित होने। वाले वर्णों की कई बार आवृत्ति हुई है, अत: यहाँ श्रुत्यानुप्रास अलंकार है।
लाटानुप्रास अलंकार : लाटानुप्रास जहाँ समानार्थक शब्दों या वाक्यांशों की आवृत्ति हो परन्तु अर्थ में अन्तर हो, वहाँ लाटानुप्रास अलंकार होता है।
जैसे:-
- “पूत सपूत, तो क्यों धन संचय?
- पूत कपूत, तो क्यों धन संचय”?
-
यहाँ प्रथम और द्वितीय पंक्तियों में एक ही अर्थ वाले शब्दों का प्रयोग हुआ, है परन्तु प्रथम और द्वितीय पंक्ति में अन्तर स्पष्ट है,
अतः यहाँ लाटानुप्रास अलंकार है।
Additional Informationअलंकार:
- अलंकार, कविता के सौन्दर्य को बढ़ाने वाले तत्व होते हैं। जिस प्रकार आभूषण से नारी का लावण्य बढ़ जाता है, उसी प्रकार अलंकार से कविता की शोभा बढ़ जाती है।
- शब्द तथा अर्थ की जिस विशेषता से काव्य का श्रृंगार होता है उसे ही अलंकार कहते हैं।
- अनुप्रास, उपमा, रूपक, अनन्वय, यमक, श्लेष, उत्प्रेक्षा, संदेह, अतिश्योक्ति, वक्रोक्ति आदि प्रमुख अलंकार हैं। इसके अलावा अन्य अलंकार भी हैं।
अनुप्रास Question 3:
शब्दों या पदों की आवृत्ति होने पर होता है:
Answer (Detailed Solution Below)
अनुप्रास Question 3 Detailed Solution
सही उत्तर लाटानुप्रास है।
Key Points
- लाटानुप्रास शब्दों या पदों की आवृत्ति होने पर होता है।
- लाटानुप्रास अलंकार - जब एक शब्द या वाक्यखण्ड की आवृत्ति उसी अर्थ में हो, पर तात्पर्य या अन्वय में भेद हो, तो वहाँ 'लाटानुप्रास अलंकार' होता है।
- उदाहरण- पूत कपूत तो क्यों धन संचय, पूत सपूत तो क्यों धन संचय
Additional Information
अलंकार |
परिभाषा |
उदाहरण |
छेकानुप्रास |
जहाँ अक्षरों का रूप या स्थिति और क्रम एक जैसा ही हो। वहां छेकानुप्रास होता है। |
बंदउँ गुरु पद पदुम परागा। सुरुचि सुबास सरस अनुरागा। |
लाटानुप्रास |
जहां एक शब्द या वाक्यखण्ड की आवृत्ति उसी अर्थ में हो, किंतु तात्पर्य में कुछ भेद हो। वहां लाटानुप्रास अलंकार होता है। |
पंकज तो पंकज, मृगांक भी है, मृगांक री प्यारी। |
वृत्यानुप्रास |
जब किसी पद में एक या अनेक वर्णों की एक से अधिक बार आवृत्ति (दो से अधिक बार प्रयोग) होती है तो वहाँ वृत्यानुप्रास अलंकार माना जाता है। |
काम कोह कलिमल करिगन के। |
अलंकार-
अलंकार |
काव्य अथवा भाषा की शोभा बढ़ाने वाले मनोरंजक ढंग को अलंकार कहते हैं। अर्थात जिन गुण धर्मों द्वारा काव्य की शोभा बढ़ाई जाती है, उन्हें अलंकार कहा जाता है। इसके दो भेद हैं- शब्दालंकार और अर्थालंकार। |
अनुप्रास Question 4:
निम्नलिखित में शब्दालंकार कौन-सा है ?
Answer (Detailed Solution Below)
अनुप्रास Question 4 Detailed Solution
सही उत्तर अनुप्रास है।
Key Points
- 'अनुप्रास' शब्दालंकार का भेद है।
- शब्दालंकार = शब्द + अलंकार दो शब्दों से मिलकर बना होता है।
- जब कोई अलंकार किसी खास शब्द की स्थिति में रहे और यदि उस शब्द के स्थान पर कोई दूसरा पर्यायवाची शब्द के रख देने पर उस शब्द का अस्तित्व ही न रहे तो उसे शब्दालंकार कहते हैं।
- शब्दालंकार के भेद- अनुप्रास, यमक, पुनरुक्ति, विप्सा, वक्रोक्ति, श्लेष
अन्य विकल्प-
- रूपक अलंकार- जहाँ पर उपमेय और उपमान में कोई अंतर न दिखाई दे वहाँ रूपक अलंकार होता है अथार्त जहाँ पर उपमेय और उपमान के बीच के भेद को समाप्त करके उसे एक कर दिया जाता है वहाँ पर रूपक अलंकार होता है।
- उल्लेख अलंकार- जहाँ एक वस्तु का वर्णन अनेक प्रकार से किया जाए, वहाँ उल्लेख अलंकार होता है।
- अतिश्योक्ति अलंकार- जहाँ किसी वस्तु का इतना बढ़ा-चढ़ाकर वर्णन किया जाए कि सामान्य लोक सीमा का उल्लंघन हो जाए वहाँ अतिश्योक्ति अलंकार होता है। अ
Additional Informationअलंकार मुख्य रूप से तीन प्रकार के होते हैं-
- शब्दालंकार
- अर्थालंकार
- उभयालंकार
अनुप्रास Question 5:
जिन पंक्तियों में एक ही उच्चारण स्थान से उच्चरित होने वाले वर्णों की आवृत्ति होती है तो वहाँ कौन-सा अलंकार होता है?
Answer (Detailed Solution Below)
अनुप्रास Question 5 Detailed Solution
जिन पंक्तियों में एक ही उच्चारण स्थान से उच्चरित होने वाले वर्णों की आवृत्ति होती है तो वहाँ श्रुत्यनुप्रास अलंकार होता है।
Key Points
- जिन पंक्तियों में एक ही उच्चारण स्थान से उच्चरित होने वाले वर्णों की आवृत्ति होती है तो वहाँ श्रुत्यनुप्रास अलंकार होता है।
- उदाहरण- सुमन समान सुंदर। (यहाँ 'स' वर्ग के वर्णों की आवृत्ति हुई है।)
- जब किसी काव्य को सुंदर बनाने के लिए किसी वर्ण की बार-बार आवृति हो तो वह अनुप्रास अलंकार कहलाता है।
उदाहरण -
- कालिंदी कूल कदंब की डारिन।
- (यहाँ पर ‘स’ वर्ण की आवृति हो रही है।)
अनुप्रास अलंकार के भेद 5 है:-
- छेकानुप्रास अलंकार
- वृत्यनुप्रास अलंकार
- लाटानुप्रास अलंकार
- अन्त्यानुप्रास अलंकार
- श्रुत्यानुप्रास अलंकार
Additional Information
अनुप्रास अलंकार | परिभाषा | उदाहरण |
छेकानुप्रास | जिन पंक्तियों में एक या अनेक वर्षों की एक ही क्रम में एक बार आवृत्ति हो तो वहाँ छेकानुप्रास अलंकार होता है। | तरनि तनुजा तट तमाल तरुवरि बहु छाए। |
वृत्यनुप्रास | जहाँ एक वर्ण की कई बार आवृत्ति होती है वहां वृत्यनुप्रास अलंकार पाया जाता है। | चामर- सी ,चन्दन – सी, चंद – सी, चाँदनी चमेली चारु चंद- सुघर है। |
लाटानुप्रास | लाट शब्द का तात्पर्य समूह से है। अत: जहाँ शब्द व अर्थ दोनों की आवृत्ति एक साथ हो वहां लाटानुप्रास अलंकार होता है। | तेगबहादुर, हाँ, वे ही थे गुरु-पदवी के पात्र समर्थ, तेगबहादुर, हाँ, वे ही थे गुरु-पदवी थी जिनके अर्थ। |
अंत्यानुप्रास | जहाँ पर पंक्ति के अंत में या पद के अंत में एक समान वर्ण से हों वहां पर अनन्त्यानुप्रास अलंकार होता है। | लगा दी किसने आकर आग। कहाँ था तू संशय के नाग ? |
Top अनुप्रास MCQ Objective Questions
“रघुपति राघव राजा राम।” में कौन सा अलंकार है?
Answer (Detailed Solution Below)
अनुप्रास Question 6 Detailed Solution
Download Solution PDF‘अनुप्रास अलंकर’, यहाँ सही विकल्प है, अन्य विकल्प असंगत है।
यहाँ ‘रघुपति राघव राजा राम’ में ‘र’ वर्ण की आवृति हुई है, अत: यह 2 अनुप्रास अलंकर है।
- जब वाक्य में एक ही वर्ण का बार-बार प्रयोग किया जाता है तो उसे अनुप्रास अलंकर कहते है। जैसे- सेवक सचिव सुमंत्र बुलाए।
अन्य अलंकार:-
अलंकार |
परिभाषा |
उदाहरण |
श्लेष |
जहाँ एक शब्द अनेक अर्थों में प्रयुक्त हो |
पानी गए न ऊबरे, मोती, मानुस, चून। |
रूपक |
उपमेय और उपमान को अभेद रूप में बताना। |
अम्बर-पनघट, रात-दिन, चन्द्र खिलौना |
उपमा |
किसी से किसी की तुलना। |
राम का चाँद सा मुखड़ा। |
निम्नलिखित प्रश्न में, चार विकल्पों में से, उस सही विकल्प का चयन करें जो दिए गए पद्य के उचित अलंकार रूप का सबसे अच्छा विकल्प है|
रघुपति राघव राजा राम
Answer (Detailed Solution Below)
अनुप्रास Question 7 Detailed Solution
Download Solution PDFरघुपति राघव राजा राम में अनुप्रास अलंकार है, अत: विकल्प 1 अनुप्रास अलंकार सही है |
अनुप्रास अलंकार - जब किसी काव्य को सुंदर बनाने के लिए किसी वर्ण की बार-बार आवृति होती है। जैसे - चारु चन्द्र की चंचल किरणें खेल रही थी जल थल में। |
निम्नलिखित प्रश्न में चार विकल्पों में से, उस सही विकल्प का चयन करें जो दिए गए पदूय के उचित अलंकार रूप का सबसे अच्छा विकल्प है।
तरनि तनुजा तट - तमाल तरूवर बहु छाये
Answer (Detailed Solution Below)
अनुप्रास Question 8 Detailed Solution
Download Solution PDFउपरोक्त पंक्तियों में 'अनुप्रास' अलंकर है। अतः सही उत्तर विकल्प 1 अनुप्रास अलंकार है।
Key Points
- 'तरनि तनुजा तट - तमाल तरूवर बहु छाये' पंक्ति में तरनि - तनुजा यानी सूर्य की पुत्री यमुना। पुराणों में यमुना को सूर्य की पुत्री बताया गया है और यम को उनका भाई। तो उसी सूर्य की पुत्री और यम की बहन यमुना के तट पर बहुत सारे ऊँचे घने तमाल के वृक्ष छाये हुए हैं मानो झुक-झुक कर जल का स्पर्श करने की चेष्टा कर रहे हों, या उस जल के दर्पण में अपनी शोभा निहार रहे हों, या यमुना के जल को अत्यन्त पावन जानकर उसे प्रणाम कर रहे हों।
- अनुप्रास अलंकार का अर्थ है, जब किसी काव्य को सुंदर बनाने के लिए किसी वर्ण की बार-बार आवृति होती है, वह अनुप्रास अलंकार कहलाता है। किसी विशेष वर्ण की आवृति से वाक्य सुनने में सुंदर लगता है। इस अलंकार में किसी वर्ण या व्यंजन की एक बार या अनेक वणों या व्यंजनों की अनेक धार आवृत्ति होती है।
अन्य विकल्प -
- यमक अलंकार - जिस प्रकार अनुप्रास अलंकार में किसी एक वर्ण की आवृति होती है उसी प्रकार यमक अलंकार में किसी काव्य का सौन्दर्य बढ़ाने के लिए एक शब्द की बार-बार आवृति होती है।
- श्लेष अलंकार - श्लेष का अर्थ होता है चिपका हुआ या मिला हुआ। जब एक ही शब्द से हमें विभिन्न अर्थ मिलते हों तो उस समय श्लेष अलंकार होता है। यानी जब किसी शब्द का प्रयोग एक बार ही किया जाता है लेकिन उससे अर्थ कई निकलते हैं तो वह श्लेष अलंकार कहलाता है।
- उपमा अलंकार - उपमा शब्द का अर्थ होता है – तुलना।, जब किसी व्यक्ति या वस्तु की तुलना किसी दूसरे यक्ति या वस्तु से की जाए वहाँ पर उपमा अलंकार होता है। अर्थात जब किन्ही दो वस्तुओं के गुण, आकृति, स्वभाव आदि में समानता दिखाई जाए या दो भिन्न वस्तुओं कि तुलना कि जाए, तब वहां उपमा अलंकर होता है।
Additional Information
अलंकार |
परिभाषा |
प्रकार |
शब्दालंकार |
जब अलंकार किसी विशेष शब्द की स्थिति में ही रहे और उस शब्द की जगह पर कोई और पर्यायवाची शब्द का इस्तेमाल कर देने से फिर उस शब्द का अस्तित्व ही न बचे तो ऐसी स्थिति को शब्दालंकार कहते हैं। |
अनुप्रास, यमक, श्लेष, पुनरुक्ति, विप्सा, वक्रोक्ति |
अर्थालंकार |
काव्य में जहाँ शब्दों के अर्थ से चमत्कार उत्पन्न होता है, वहाँ अर्थालंकार होता है। |
उपमा, रूपक, उत्प्रेक्षा, अतिशयोक्ति, अन्योक्ति, विरोधाभास, अपह्नुति, भ्रांतिमान, संदेह, व्याजस्तुति, व्याजनिंदा, विशेषोक्ति, विभावना, मानवीकरण, व्यतिरेक, दृष्टान्त, |
उभयालंकार |
जहाँ काव्य में ऐसा प्रयोग किया जाए जिससे शब्द और अर्थ दोनों में चमत्कार हो वहाँ उभयालंकार होता है। |
संसृष्टि, संकर |
अवनी ने अम्बर की आभा को छू लिया है I पंक्ति में अलंकार होगा :
Answer (Detailed Solution Below)
अनुप्रास Question 9 Detailed Solution
Download Solution PDF- इस शब्दालंकार में पद में अ अक्षर का प्रयोग एक बार से ज़्यादा हुआ है ,इसलिए ये अनुप्रास अलंकार है।
- वह शब्दालंकार जिसमें किसी पद में एक ही अक्षर बार-बार आता है,उसे अनुप्रास अलंकार कहते है।
- अवनी का सीधा अर्थ होता है जहा हम रहते है हमारे लिए पृथ्वी है तो पंक्तियों में कहा जा रहा है की पृथ्वी ने आकाश की छाया को छू लिया है।
Additional Informationअवनी
- परिभाषा - सौर जगत का वह ग्रह जिस पर हम लोग निवास करते हैं
- समानार्थी शब्द - पृथ्वी , धरती , धरा , भू , वसुंधरा
आभा
- परिभाषा - एक तरह का प्रकाश
- समानार्थी शब्द - चमक , कांति , ओज
अनुप्रास | वह शब्दालंकार जिसमें किसी पद में एक ही अक्षर बार-बार आता है | चारु चंद्र की चंचल किरणें, खेल रही थीं जल-थल में" वाक्य में अनुप्रास अलंकार है । |
यमक | साहित्य में एक प्रकार का शब्दालंकार जिसमें एक शब्द एक से अधिक बार आता है और उसका अर्थ भिन्न-भिन्न होता है | कनक कनक ते सौ गुनी मादकता अधिकाय" में यमक है । |
उपमा | साहित्य में एक अलंकार जिसमें दो वस्तुओं में भेद रहते हुए भी उन्हें समान बतलाया जाता है | हरि पद कोमल कमल इस उदाहरण में हरि के पैरों कि तुलना कमल के फूल से की गयी है। हरि के चरणों को कमल के फूल के जैसे कोमल बताया गया है।। |
उत्प्रेक्षा | एक अर्थालंकार जिसमें भेदज्ञान पर भी उपमेय में उपमान की प्रतीति होती है | ज्यों भिक्षुक लेकर स्वर्ण |
'मधुर मधुर मुस्कान मनोहर, मनुज वेश का उजियाला' पंक्ति में कौन-सा अलंकार है?
Answer (Detailed Solution Below)
अनुप्रास Question 10 Detailed Solution
Download Solution PDFसही उत्तर 'अनुप्रास' है।
- 'मधुर मधुर मुस्कान मनोहर, मनुज वेश का उजियाला' पंक्ति में 'अनुप्रास' अलंकार है।
- क्योंकि प्रस्तुत पंक्ति में अनुप्रास अलंकार है। इसमें एक ही वर्ण का बार बार प्रयोग हुआ है ।
अन्य विकल्प:
- उपमा - जब किसी व्यक्ति या वस्तु की तुलना किसी दूसरे यक्ति या वस्तु से की जाए वहाँ पर उपमा अलंकार होता है। अर्थात जब किन्ही दो वस्तुओं के गुण, आकृति, स्वभाव आदि में समानता दिखाई जाए या दो भिन्न वस्तुओं कि तुलना कि जाए, तब वहां उपमा अलंकर होता है।
उदाहरण - मुख चन्द्रमा-सा सुन्दर है
- श्लेष - जब किसी शब्द का प्रयोग एक बार ही किया जाता है लेकिन उससे अर्थ कई निकलते हैं तो वह श्लेष अलंकार कहलाता है।
उदाहरण- रहिमन पानी राखिये,बिन पानी सब सून।
पानी गये न ऊबरै, मोती मानुष चून।
- यमक - यमक अलंकार में किसी काव्य का सौन्दर्य बढ़ाने के लिए एक शब्द की बार-बार आवृति होती है।
उदाहरण : कनक कनक ते सौगुनी मादकता अधिकाय। या खाए बौरात नर या पा बौराय।
Additional Information
अलंकार के तीन भेद हैं-
अलंकार |
परिभाषा |
प्रकार |
शब्दालंकार |
जब अलंकार किसी विशेष शब्द की स्थिति में ही रहे और उस शब्द की जगह पर कोई और पर्यायवाची शब्द का इस्तेमाल कर देने से फिर उस शब्द का अस्तित्व ही न बचे तो ऐसी स्थिति को शब्दालंकार कहते हैं। |
अनुप्रास, यमक, श्लेष, पुनरुक्ति, विप्सा, वक्रोक्ति |
अर्थालंकार |
काव्य में जहाँ शब्दों के अर्थ से चमत्कार उत्पन्न होता है, वहाँ अर्थालंकार होता है। |
उपमा, रूपक, उत्प्रेक्षा, अतिशयोक्ति, अन्योक्ति, विरोधाभास, अपह्नुति, भ्रांतिमान, संदेह, व्याजस्तुति, व्याजनिंदा, विशेषोक्ति, विभावना, मानवीकरण, व्यतिरेक, दृष्टान्त, |
उभयालंकार |
जहाँ काव्य में ऐसा प्रयोग किया जाए जिससे शब्द और अर्थ दोनों में चमत्कार हो वहाँ उभयालंकार होता है। |
संसृष्टि, संकर |
'मोहन ने मोहक मुस्कान से अपनी माँ का दिल मोह लिया'। प्रस्तुत पंक्ति में कौन सा अलंकार है?
Answer (Detailed Solution Below)
अनुप्रास Question 11 Detailed Solution
Download Solution PDFउक्त पंक्ति में 'म' वर्ण की बार-बार आवृत्ति हो रही है, इसलिए यहाँ अनुप्रास अलंकार होगा।
- म, क,ख... :- वर्ण
- मोहक, मनोज.... :- शब्द
Key Points
- अनुप्रास अलंकार के उदाहरण:
- मुदित महिपति मंदिर आए। ...
- बंदौ गुरु पद पदुम परगा। ...
- चारु चंद्र की चंचल किरणें खेल रही थी जल थल में ( 'च' की आवृत्ति )
Additional Information
- श्लेष अलंकार:
- एक ही शब्द के कई अर्थ निकलते हैं तो वहां श्लेष अलंकार होता है ध्यान रखने योग्य बात यह है कि यमक के शब्द आवृत्ति होती है,
- और एकाधिक अर्थ होते हैं जबकि श्लेष में बिना शब्द की आवृत्ति ही शब्द के एकाधिक अर्थ होते हैं।
- उत्प्रेक्षा अलंकार:
- जब समानता होने के कारण उपमेय में उपमान के होने कि कल्पना की जाए या संभावना हो तब वहां उत्प्रेक्षा अलंकार होता है।
- यदि पंक्ति में -मनु, जनु, जनहु, जानो, मानहु मानो, निश्चय, ईव, ज्यों आदि आता है वहां उत्प्रेक्षा अलंकार होता है। जैसे :
-
ले चला साथ मैं तुझे कनक। ज्यों भिक्षुक लेकर स्वर्ण।।
-
- उपमा अलंकार:
- जहाँ उपमे और उपमान में तुलना की जाए
- हरि पद कोमल कमल इस उदाहरण में हरि के पैरों कि तुलना कमल के फूल से की गयी है। हरि के चरणों को कमल के फूल के जैसे कोमल बताया गया है।
Answer (Detailed Solution Below)
अनुप्रास Question 12 Detailed Solution
Download Solution PDFबंदऊँ गुरुपद पदुम परागा' इसमें अलंकार है- 'अनुप्रास'
- 'प' और 'द' वर्णों की बार-बार आवृत्ति के कारण काव्य में चमत्कार उत्पन्न हो रहा है। अत: यहाँ अनुप्रास अलंकार है।
- जब किसी काव्य को सुंदर बनाने के लिए किसी वर्ण की बार-बार आवृति हो तो वह अनुप्रास अलंकार कहलाता है।
- उदाहरण-
- मुदित महापति मंदिर आये।
- (यहां पर "म" वर्ण की आवृत्ति बार-बार आ रही है इसलिए यहां पर अनुप्रास अलंकार है।)
Key Pointsअनुप्रास अलंकार के अन्य उदाहरण:-
- बल बिलोकी बहुत मेज बचा।
- रघुपति राघव राजा राम।
- कायर क्रूर कपूत कुचली यूँ ही मर जाते हैं।
- तरनी तनुजा तात तमाल तरुवर बहु छाए।
- सुरभित सुंदर सुखद सुमन तुम पर खिलते हैं।
Additional Information
वक्रोक्ति अलंकार:-
उदाहरण-
यमक अलंकार:-
उदाहरण-
उपमा अलंकार:-
उदाहरण-
|
जहाँ एक ही वर्ण की बार-बार आवृत्ति होती वहाँ अलंकार होगा |
Answer (Detailed Solution Below)
अनुप्रास Question 13 Detailed Solution
Download Solution PDFजहाँ एक ही वर्ण की बार-बार आवृत्ति होती वहाँ अनुप्रास अलंकार होगा | जैसे चारु चन्द्र की चंचल किरणें खेल रही थी जल थल में, अत: विकल्प 2 अनुप्रास सही है।
1. अनुप्रास अलंकार - जब किसी काव्य को सुंदर बनाने के लिए किसी वर्ण की बार-बार आवृति होती है। जैसे - चारु चन्द्र की चंचल किरणें खेल रही थी जल थल में। |
निम्नलिखित पंक्तियों में कौन सा अलंकार है?
तरनि तनूजा तट तमाल तरुवर बहु छाए।
Answer (Detailed Solution Below)
अनुप्रास Question 14 Detailed Solution
Download Solution PDFउपरोक्त दी गई काव्य पंक्तियों में ‘अनुप्रास अलंकार’ है। इसलिए इसका उचित उत्तर विकल्प 3 ‘अनुप्रास अलंकार’ होगा। अन्य विकल्प असंगत हैं।
स्पष्टीकरण:
- ‘तरनि तनूजा तट तमाल तरुवर बहु छाए।’ इन काव्य पंक्तियों में ‘अनुप्रास अलंकार’ होगा।
- क्योंकि यहाँ ‘त’ वर्ण कई बार आया है।
Key Points
अनुप्रास |
जहां एक ही वर्ण की आवृत्ति एक से अधिक बार हो वह अनुप्रास अलंकार होता है। |
चारु चंद्र की चंचल किरणें, खेल रही थी जल थल में |
Additional Information
श्लेष |
जहां पर किसी एक शब्द का अनेक अर्थों में प्रयोग हो, वहाँ श्लेष अलंकार होता है। |
मधुवान की छाती को देखो, सुखी कितनी इसकी कलियाँ। |
उपमा |
जहां एक वस्तु या प्राणी की तुलना किसी दूसरी वस्तु या प्राणी से की जाए, वहाँ उपमा अलंकार होता है। |
सागर-सा गंभीर हृदय हो, गिरि-सा ऊंचा हो जिसका मन। |
अतिशयोक्ति अलंकार |
जब किसी वस्तु का बहुत अधिक बढ़ा-चढ़ाकर वर्णन किया जाये वहां पर अतिश्योक्ति अलंकार होता है। |
हनुमान की पूंछ में लगन न पायी आगि। |
कोकिल - कूकैं लगै तन लूकैं।
उठे हिय हूकैं विजागिन ती कैं।
इन पंक्तियों में कौन सा अलंकार है ?
Answer (Detailed Solution Below)
अनुप्रास Question 15 Detailed Solution
Download Solution PDFकोकिल - कूकैं लगै तन लूकैं।
उठे हिय हूकैं विजागिन ती कैं।
इन पंक्तियों में अलंकार है - 'अनुप्रास'
- (यहाँ ‘क’ वर्ण की आवृति हो रही है। अत: यहाँ अनुप्रास अलंकार होगा।)
Key Pointsअनुप्रास अलंकार:-
- जब किसी काव्य को सुंदर बनाने के लिए किसी वर्ण की बार-बार आवृति हो तो वह अनुप्रास अलंकार कहलाता है।
उदाहरण-
- मुदित महापति मंदिर आये।
- (यहाँ ‘म’ वर्ण की आवृति हो रही है।)
- कालिंदी कूल कदम्ब की डरनी।
- (यहाँ ‘क’ वर्ण की आवृति हो रही है।)
Additional Information
प्रतीप अलंकार:-
उदाहरण-
अतिशयोक्ति अलंकार:-
उदाहरण-
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