उत्तर छायावाद MCQ Quiz - Objective Question with Answer for उत्तर छायावाद - Download Free PDF

Last updated on Jun 13, 2025

Latest उत्तर छायावाद MCQ Objective Questions

उत्तर छायावाद Question 1:

'कुरुक्षेत्र' किसका काव्य है?

  1. रामधारी सिंह दिनकर
  2. त्रिलोचन
  3. नागार्जुन
  4. मैथिलीशरण गुप्त
  5. उपर्युक्त में से कोई नहीं

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : रामधारी सिंह दिनकर

उत्तर छायावाद Question 1 Detailed Solution

दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर विकल्प 1 'रामधारी सिंह 'दिनकर है।

  • 'कुरुक्षेत्र' काव्य : दिनकर जी का है।

Key Points

  • 'कुरुक्षेत्र' के रचनाकार रामधारी सिंह 'दिनकर' हैं।
  • कुरुक्षेत्र महाकाव्य में केवल दो ही पात्र थे - युधिष्ठिर और पितामह भीष्म
  • कुरुक्षेत्र रचना का प्रकाशन 1946 में हुआ था।
  • यह समस्या प्रधान काव्य है।
  • दिनकर की अन्य रचनाएँ हैं - रश्मिरथी, उर्वशी, रेणुका, बापू आदि।

उत्तर छायावाद Question 2:

'खिलौनेवाला' के रचयिता हैं :

  1. भवानी प्रसाद मिश्र
  2. माखनलाल चतुर्वेदी
  3. सुभद्रा कुमारी चौहान
  4. रामधारी सिंह दिनकर
  5. उपर्युक्त में से कोई नहीं

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : सुभद्रा कुमारी चौहान

उत्तर छायावाद Question 2 Detailed Solution

'खिलौनेवाला' के रचयिता हैं : सुभद्रा कुमारी चौहान

Key Pointsखिलौनेवाला -

  • ​प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक ‘रिमझिम कक्षा-5 हिन्दी पाठ-3 में संकलित कविता ‘खिलौनेवाला’ हैं।
  • प्रस्तुत कविता की कवियित्री सुभद्रा कुमारी चौहान है। 
  • प्रस्तुत कविता मे एक बालक के मन में खिलौने वाले को देखकर आने वाले उत्साह के बारे मे बताया गया हैं।

Important Pointsसुभद्रा कुमारी चौहान -

  • (16 अगस्त 1904 - 15 फ़रवरी 1948)
  • एक भारतीय कवियित्री थीं। 
  • कविताओं का संग्रह -
    • त्रिधरा
    • मुकुल (1930)
  • प्रसिद्ध कविताएं -
    • स्वदेश के प्रति,
    • झंडे की इज्जत में,
    • झांसी की रानी,
    • सभा का खेल,
    • बोल उठी बिटिया मेरी,
    • वीरों का कैसा हो बसंत,
    • जलियांवाला बाग में बसंत इत्यादि।

Additional Information

कवि  कविता
भवानी प्रसाद मिश्र गीत फरोश, चकित है दुख, गान्धी पंचशती, बुनी हुई रस्सी, खुशबू के शिलालेख, त्रिकाल सन्ध्या, व्यक्तिगत, परिवर्तन जिए, अनाम तुम आते हो, इदम् न मम, शरीर कविता: फसलें और फूल, मानसरोवर दिन, सम्प्रति, अँधेरी कविताएँ, तूस की आग, कालजयी, नीली रेखा तक और सन्नाटा।
माखनलाल चतुर्वेदी हिमकिरीटिनी, हिम तरंगिणी, युग चारण, समर्पण, मरण ज्वार, माता, वेणु लो गूंजे धरा, बीजुरी काजल आँज रही आदि। 
रामधारी सिंह दिनकर प्राणभंग (1929), रेणुका (1935), हुंकार (महाकाव्य) (1938), रसवंती (1939), द्वंद्वगीत (1940), कुरुक्षेत्र (1946), धूप छाह (1946), सामधेनी (1947), बापू (1947), इतिहास के आँसू (1951), धूप और धुआँ (1951), मिर्च का मज़ा (1951), रश्मिरथी (1952), नीम के पत्ते (1954), सूरज का ब्याह (1955) आदि 

उत्तर छायावाद Question 3:

आधुनिक हिन्दी की निम्नलिखित कृतियों का प्रकाशन काल की दृष्टि से सही अनुक्रम क्या है ?

  1. आत्मजयी - कनुप्रिया - उर्वशी - यशोधरा 
  2. कनुप्रिया - उर्वशी - आत्मजयी - यशोधरा 
  3. उर्वशी - कनुप्रिया - यशोधरा - आत्मजयी 
  4. यशोधरा - उर्वशी - कनुप्रिया - आत्मजयी 
  5. उपर्युक्त में से कोई नहीं

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : यशोधरा - उर्वशी - कनुप्रिया - आत्मजयी 

उत्तर छायावाद Question 3 Detailed Solution

आधुनिक हिन्दी की कृतियों का प्रकाशन काल की दृष्टि से सही अनुक्रम -यशोधरा - उर्वशी - कनुप्रिया - आत्मजयी

Key Points

  • यशोधरा-1933 
  • उर्वशी-1961
  • कनुप्रिया 1963 
  • आत्मजयी -1965

Additional Information आधुनिक काल (1800 से अब तक):

  • गद्य का विकास
    • भारतेन्दु पूर्व युग - (1800 ई. से 1850 ई. तक)
    • भारतेन्दु युग - (1850 ई. से 1900 ई. तक)
    • द्विवेदी युग - (1900 ई. से 1920 ई. तक)
    • रामचन्द्र शुक्ल तथा प्रेमचन्द युग - (1920 ई. से 1936 ई. तक)
    • अद्यतन युग - (1936 ई. से आज तक)
  • आधुनिक हिन्दी साहित्य में पद्य का विकास
    • नवजागरण काल (भारतेन्दु युग) - 1850 ई. से 1900 ई. तक
    • सुधार काल (द्विवेदी युग) - 1900 ई. से 1920 ई. तक
    • छायावादी युग - 1920 ई. से 1936 ई. तक
    • प्रगतिवाद-प्रयोगवाद - 1936 ई. से 1953 ई. तक
    • नई कविता व समकालीन कविता - 1953 ई. से अब तक

उत्तर छायावाद Question 4:

मत व्यर्थ पुकारे शूल-शूल,
कह फूल-फूल, सह फूल-फूल।

हरि को ही-तल में बंद किये,
केहरि से कह नख हूल-हूल।

उपर्युक्त पंक्तियाँ किस कविता की है?

  1. बलि पंथी के लिए 
  2. पुष्प की अभिलाषा 
  3. वीरों का कैसा हो वसंत 
  4. विप्लवगान 

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : बलि पंथी के लिए 

उत्तर छायावाद Question 4 Detailed Solution

सही उत्तर है - बलि पंथी के लिए 

 

उत्तर छायावाद Question 5:

"पर गए कुछ लोग इस पर छोड़ पैरों की निशानी" में "पैरों की निशानी" का प्रतीकात्मक अर्थ क्या है? 

  1. प्राकृतिक मार्ग पर छोड़े गए निशान 
  2. जीवन में किए गए महान कार्य और अनुभव
  3. प्रेम और सौंदर्य के निशान 
  4. स्वतंत्रता संग्राम की स्मृतियाँ

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : जीवन में किए गए महान कार्य और अनुभव

उत्तर छायावाद Question 5 Detailed Solution

उत्तर - जीवन में किए गए महान कार्य और अनुभव 

**विश्लेषण**: "पैरों की निशानी" उन महान कार्यों और अनुभवों का प्रतीक है, जो कुछ लोग जीवन के मार्ग पर छोड़ जाते हैं, जो दूसरों के लिए प्रेरणा बनते हैं।

 

पथ की पहचान 

Top उत्तर छायावाद MCQ Objective Questions

'कुरुक्षेत्र' किसका काव्य है?

  1. रामधारी सिंह दिनकर
  2. त्रिलोचन
  3. नागार्जुन
  4. मैथिलीशरण गुप्त

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : रामधारी सिंह दिनकर

उत्तर छायावाद Question 6 Detailed Solution

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दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर विकल्प 1 'रामधारी सिंह 'दिनकर है।

  • 'कुरुक्षेत्र' काव्य : दिनकर जी का है।

Key Points

  • 'कुरुक्षेत्र' के रचनाकार रामधारी सिंह 'दिनकर' हैं।
  • कुरुक्षेत्र महाकाव्य में केवल दो ही पात्र थे - युधिष्ठिर और पितामह भीष्म
  • कुरुक्षेत्र रचना का प्रकाशन 1946 में हुआ था।
  • यह समस्या प्रधान काव्य है।
  • दिनकर की अन्य रचनाएँ हैं - रश्मिरथी, उर्वशी, रेणुका, बापू आदि।

रामधारी सिंह 'दिनकर' की पहली रचना है

  1. हुंकार
  2. रश्मिरथी
  3. प्रणभंग
  4. रेणुका

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : प्रणभंग

उत्तर छायावाद Question 7 Detailed Solution

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पहली रचना: प्रणभंग (1929)

  • रामधारी सिंह दिनकर 'अनल कवि' के रूप में प्रसिद्ध हैं ।
  • दिनकर की आरंभिक रचनाओं 'रेणुका' और 'हुंकार' को लेकर तत्कालीन अंग्रेज़ी सरकार ने दिनकर से स्पष्टीकरण माँगा था ।

Key Points

  • दिनकर ने खुद को मैथिलीशरण गुप्त की तुलना में खुद को महज डिप्टी राष्टकवि ही माना ।

  • दिनकर की मुख्य रचनाएं - रेणुका (1935 ई.) , कुरुक्षेत्र (1946 ई.) , रश्मिरथी (1952 ई.) , उर्वशी (1961 ई.) , परशुराम की प्रतीक्षा (1963 ई.) ।
  • केदारनाथ अग्रवाल की मुख्य रचनाएं - युग की गंगा (1947 ई.) , फूल नहीं रंग बोलते हैं (1965 ई.) , अपूर्वा (1984 ई.) ।
  • नागार्जुन की मुख्य रचनाएं - युगधारा , सतरंगे पंखो वाली , प्यासी पथराई आँखें , तुमने कहा है । 

'उर्वशी' के रचनाकार है -

  1. जयशंकर प्रसाद
  2. रामधारी सिंह दिनकर
  3. मैथलीशरण गुप्त
  4. महादेवी वर्मा

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : रामधारी सिंह दिनकर

उत्तर छायावाद Question 8 Detailed Solution

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'उर्वशी' के रचनाकार है - "रामधारी सिंह दिनकर"। अन्य विकल्प असंगत है।

Key Points

  • 'उर्वशी' के रचनाकार है - "रामधारी सिंह दिनकर"।
  • उर्वशी रामधारी सिंह 'दिनकर' द्वारा रचित काव्य नाटक है।
  • वर्ष 1961 में रामधारी सिंह दिनकर उनकी प्रसिद्ध काव्य रचना ‘उर्वशी’ के लिए ‘ज्ञानपीठ पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया।

रामधारी सिंह दिनकर की अन्य  प्रसिद्ध रचनाएँ-

  • रश्मिरथी
  • रेणुका
  • संस्कृति के चार अध्याय
  • हुंकार, सामधेनी
  • नीम के पत्ते।

Additional Information

कवि  रचनाएँ
जयशंकर प्रसाद झरना, ऑसू, लहर, कामायनी, प्रेम पथिक आदि।
मैथलीशरण गुप्त जयद्रथवध, साकेत, पंचवटी, सैरन्ध्री, यशोधरा आदि।
महादेवी वर्मा यामा, नीरजा, रश्मि, नीहार, दीपशिखा आदि।

“बुंदेले हरबोलो के मुँह हमने सुनी कहानी थी। खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।” प्रस्तुत पंक्तियों के रचयिता कौन हैं ?

  1. माखनलाल चतुर्वेदी
  2. सुभद्राकुमारी चौहान
  3. सोहनलाल द्विवेदी
  4. रामनरेश त्रिपाठी

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : सुभद्राकुमारी चौहान

उत्तर छायावाद Question 9 Detailed Solution

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उपर्युक्त प्रश्न का सही उत्तर सुभद्रा कुमारी चौहान है ।

Key Points

  • झाँसी की रानी हिंदी भाषा की कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान द्वारा लिखी गयी एक कविता है।
  • कविता का विषय 1857 के प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में लड़ने वाली, झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई और उनके द्वारा अंग्रेजों के साथ लड़ा गया युद्ध है।
  • झाँसी की रानी एक वीर रस की कविता है जो उस दौर में लिखी गयी जब हिंदी भाषा के साहित्य में छायावाद मुखर था।

Additional Information

  • कविता -

सिंहासन हिल उठे राजवंशों ने भृकुटी तानी थी,

बूढ़े भारत में भी आई फिर से नयी जवानी थी,

गुमी हुई आज़ादी की कीमत सबने पहचानी थी,

दूर फिरंगी को करने की सबने मन में ठानी थी।

चमक उठी सन सत्तावन में, वह तलवार पुरानी थी,

बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,

खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी॥

मैं उनका आदर्श कहीं जो व्यथा न खोल सकेंगे

पूछेगा जग किन्तु पिता का नाम न बोल सकेंगे

जिनका निखिल विश्व में कोई कहीं न अपना होगा

श्रम से नहीं विमुख होंगे जो दुख से नहीं डरेंगे।

पंक्ति किस रचनाकार द्वारा लिखित है?

  1. सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'
  2. भगवती चरण वर्मा
  3. रामधारी सिंह 'दिनकर'
  4. नरेश मेहता

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : रामधारी सिंह 'दिनकर'

उत्तर छायावाद Question 10 Detailed Solution

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मैं उनका आदर्श कहीं जो व्यथा न खोल सकेंगे.. पंक्तियाँ दिनकर द्वारा रचित है।

  • रश्मिरथी में संकलित
  • 1952 में प्रकाशित
  • आठ सर्ग
  • कर्ण की जीवन पर आधरित

  • दिनकर की मुख्य रचनाएं -
    • रेणुका (1935 ई.) , कुरुक्षेत्र (1946 ई.) , रश्मिरथी (1952 ई.)
    • उर्वशी (1961 ई.) , परशुराम की प्रतीक्षा (1963 ई.) ।
  • केदारनाथ अग्रवाल की मुख्य रचनाएं -
    • युग की गंगा (1947 ई.) , फूल नहीं रंग बोलते हैं (1965 ई.) , अपूर्वा (1984 ई.) ।
  • नागार्जुन की मुख्य रचनाएं -
    • युगधारा , सतरंगे पंखो वाली , प्यासी पथराई आँखें , तुमने कहा है ।

निम्नलिखित में से माखनलाल चतुर्वेदी की रचनाएँ हैं -

A. स्वर्णधूलि

B. हिमकिरीटिनी

C. विष्णुप्रिया

D. हिमतरंंगिणी

नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर चुनिये:

  1. केवल C और D
  2. केवल A और B
  3. केवल B और D
  4. केवल A और C

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : केवल B और D

उत्तर छायावाद Question 11 Detailed Solution

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'हिमकिरीटनी व हिम तरंगिणी" "माखनलाल चतुर्वेदी" की रचनाएँ हैं। अतः उपर्युक्त विकल्पों में से विकल्प (3) B  और D  सही है तथा अन्य विकल्प असंगत है।

Key Points
  • माखनलाल चतुर्वेदी (4 अप्रैल 1889-30 जनवरी 1968)
  • 1943 में उस समय का हिन्दी साहित्य का सबसे बड़ा 'देव पुरस्कार' माखनलालजी को 'हिम किरीटिनी' पर दिया गया था।
  • 1963 में भारत सरकार ने 'पद्मभूषण' से अलंकृत किया।
  • उनके काव्य संग्रह 'हिमतरंगिणी' के लिये उन्हें 1955 में हिन्दी के 'साहित्य अकादमी पुरस्कार' से सम्मानित किया गया।

Important Points

माखनलाल चतुर्वेदी जी की रचनाएं निम्नलिखित हैं:-

काव्य कृतियाँ

गद्यात्मक कृतियाँ

हिमकिरीटिनी

कृष्णार्जुन युद्ध

हिम तरंगिणी

साहित्य के देवता

युग चरण

समय के पांव

समर्पण

अमीर इरादे :गरीब इरादे 

मरण ज्वार

माता

वेणु लो गूंजे धरा

बीजुरी काजल आँज रही

 Additional Information

रचना

रचनाकार

स्वर्ण धूली (1947)

सुमित्रानंदन पंत

विष्णु प्रिया

मैथिलीशरण गुप्त

रामधारी सिंह दिनकर ने 'कुरुक्षेत्र' में किसका आलम्बन लेकर युद्ध की समस्या के प्रश्न को उपस्थित किया है ?

  1. केवल भीष्म का
  2. केवल युधिष्ठिर का
  3. भीष्म एवं युधिष्ठिर दोनों का
  4. श्री कृष्ण का

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : भीष्म एवं युधिष्ठिर दोनों का

उत्तर छायावाद Question 12 Detailed Solution

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सही उत्तर 'भीष्म एवं युधिष्ठिर दोनों का' है।

Key Points

  • कुरुक्षेत्र प्रबंध काव्य है 
  • कुरुक्षेत्र के रचनाकार रामधारी सिंह दिनकर है।
  • कुरुक्षेत्र विचारात्मक एंव समस्या प्रधान काव्य है।
  • इसे सात सर्गो मे बाँटा गया है।
  • कुरुक्षेत्र का विषयः- 
  • महाभारत की पृष्ठभूमि पर लिखी गई है।
  • महाभारत की युद्ध की समस्या को वर्तमान की समस्या से जोडा है।
  • इसके प्रमुख पात्रः- अर्जुन , कृष्ण , भीष्म , युधिष्ठिर , पांडव आदि।

Additional Information दिनकर (1908- 1974 ई.) की अन्य प्रमुख कृतियाँः-

कृतियाँ रेणुका ( 1935 ) , हुंकार (1939 ) , रसवंति (1940 ) , कुरुक्षेत्र (1946 ) प्रबंध काव्य , रश्मिरथी (1952 ) खंड काव्य , उर्वशी (1961) गीति नाट्य , इतिहास के आँसू (1951) आदि।
पंक्तियाँ

1) ओ द्विधाग्रस्त शार्दूल बोल।

2) श्वानों को मिलता दूध - भात बच्चे भूखे अकुलाते हैं।

3) रे रोक युधिष्ठिर को न यहाँ ,जाने दे उनको स्वर्ग धीर।

Important Points

  • दिनकर को समय -सूर्य तथा अधैर्य का कवि कहा जाता है।
  • दिनकर को उर्वशी के लिए 1972 में भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला है।

'पुष्प की अभिलाषा' नामक प्रसिद्ध कविता किसने लिखी है ?

  1. रामनरेश त्रिपाठी
  2. माखनलाल चतुर्वेदी
  3. अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध' 
  4. मैथिलीशरण गुप्त

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : माखनलाल चतुर्वेदी

उत्तर छायावाद Question 13 Detailed Solution

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'पुष्प की अभिलाषा' नामक प्रसिद्ध कविता के रचयिता माखनलाल चतुर्वेदी हैं।

पुष्प की अभिलाषा

  •  चाह नहीं, मैं सुरबाला के
    गहनों में गूँथा जाऊँ,
    चाह नहीं प्रेमी-माला में बिंध
    प्यारी को ललचाऊँ,
    चाह नहीं सम्राटों के शव पर
    हे हरि डाला जाऊँ,
    चाह नहीं देवों के सिर पर
    चढूँ भाग्य पर इठलाऊँ,
    मुझे तोड़ लेना बनमाली,
    उस पथ पर देना तुम फेंक!
    मातृ-भूमि पर शीश- चढ़ाने,
    जिस पथ पर जावें वीर अनेक!

Key Points

  • माखनलाल चतुर्वेदी जी की विश्व प्रसिद्ध कविता पुष्प की अभिलाषा हर उस व्यक्ति के जुबान पर रहता है जो हिन्दी साहित्य में थोड़ी भी रूचि लेते हैं।
  • पुष्प की अभिलाषा कविता माखन लाल चतुर्वेदी जी की कलम यानी हिन्दी साहित्य के प्रति समर्पण की पराकाष्ठा है।

Additional Information

अन्य विकल्प : 

बालकृष्ण शर्मा 'नवीन' 

 विप्लव गायन,असिधारा पथ,ओस बिंदु   सम ढरके,प्राप्तव्य,फागुन,भिक्षा,मधुमय स्वप्न रंगीले आदि। 

रामधारी सिंह 'दिनकर' 

कुरुक्षेत्र, उर्वशी, रेणुका, रश्मिरथी आदि। 

रामनरेश त्रिपाठी 

 'पथिक', 'मिलन' और 'स्वप्न' (खण्ड काव्य), 'मानसी' (स्फुट कविता संग्रह), 'कविता-कौमुदी', 'ग्राम्य गीत' (सम्पादित), 'गोस्वामी तुलसीदास और उनकी कविता' (आलोचना)।

 

 

 

 

 

 

 

 

Important Points

  • माखनलाल चतुर्वेदी को 1955 मेें उनकी कृति 'हिम तरंगिणी' के लिए साहित्य अकादमी पुस्कार से सम्मानित किया गया। 
  • माखनलाल चतुर्वेदी को 1963 मेें पद्म भूषण  से सम्मानित किया गया। 

'उर्वशी' पर लिखी गई किसकी समीक्षा से विवाद उत्पन्न हो गया था?

  1. नेमिचन्द्र जैन
  2. धर्मवीर भारती
  3. भारतभूषण अग्रवाल
  4. भगवतशरण उपाध्याय

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : भगवतशरण उपाध्याय

उत्तर छायावाद Question 14 Detailed Solution

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  • सही उत्तर विकल्प 3 है।
  • 'उर्वशी' पर लिखी गई भगवत शरण उपाध्याय की समीक्षा से विवाद उत्पन्न हुआ था।

Key Points
  • उर्वशी के रचयिता - रामधारी सिंह दिनकर
  • प्रकाशन वर्ष - 1961
  • गीतिनाट्य
  • 'कल्पना ' पत्रिका के अप्रैल 1963 के अंक में भगवत शरण उपाध्याय का समीक्षात्मक लेख प्रस्तुत हुआ।

Important Points
  • 5 अंकों का नाट्य
  • उर्वशी और पुरुरवा का प्राचीन मिथकीय संदर्भ
  • दिनकर के अन्य काव्य संग्रह -
  1. रेणुका - 1935
  2. हुंकार 1939
  3. रसवंती - 1940
  4. कुरुक्षेत्र - 1946
  5. रस्ग्मिरथी - 1952
  6. परशुराम की प्रतीक्षा - 1963

 

Additional Information

  • 1972 में उर्वशी पर ज्ञानपीठ पुरुस्कार।
  • कई विद्वानों ने इसकी समीक्षा की क्योंकि काम और अश्लीलता जैसे आरोप इस कृति पर लगे।

'पुष्प की अभिलाषा' नामक प्रसिद्ध कविता के रचयिता कौन हैं ? 

  1. बालकृष्ण शर्मा 'नवीन' 
  2. रामधारी सिंह 'दिनकर' 
  3. माखनलाल चतुर्वेदी 
  4. रामनरेश त्रिपाठी 

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : माखनलाल चतुर्वेदी 

उत्तर छायावाद Question 15 Detailed Solution

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'पुष्प की अभिलाषा' नामक प्रसिद्ध कविता के रचयिता माखनलाल चतुर्वेदी हैं, अन्य विकल्प असंगत है, अत: विकल्प 3 'माखनलाल चतुर्वेदी' सही उत्तर होगा।

  • माखनलाल चतुर्वेदी जी की विश्व प्रसिद्ध कविता पुष्प की अभिलाषा हर उस व्यक्ति के जुबान पर रहता है जो हिन्दी साहित्य में थोड़ी भी रूचि लेते हैं
  •  पुष्प की अभिलाषा कविता माखन लाल चतुर्वेदी जी की कलम यानी हिन्दी साहित्य के प्रति समर्पण की पराकाष्ठा है।

 

अन्य विकल्प

बालकृष्ण शर्मा 'नवीन' 

 विप्लव गायन,असिधारा पथ,ओस बिंदु   सम ढरके,प्राप्तव्य,फागुन,भिक्षा,मधुमय स्वप्न रंगीले आदि। 

रामधारी सिंह 'दिनकर' 

कुरुक्षेत्र, उर्वशी, रेणुका, रश्मिरथी आदि। 

रामनरेश त्रिपाठी 

 'पथिक', 'मिलन' और 'स्वप्न' (खण्ड काव्य), 'मानसी' (स्फुट कविता संग्रह), 'कविता-कौमुदी', 'ग्राम्य गीत' (सम्पादित), 'गोस्वामी तुलसीदास और उनकी कविता' (आलोचना)।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

  • माखनलाल चतुर्वेदी को 1955 मेें उनकी कृति 'हिम तरंगिणी' के लिए साहित्य अकादमी पुस्कार से सम्मानित किया गया। 
  • माखनलाल चतुर्वेदी को 1963 मेें पद्म भूषण  से सम्मानित किया गया। 
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