प्रयोगवाद MCQ Quiz - Objective Question with Answer for प्रयोगवाद - Download Free PDF
Last updated on Jun 11, 2025
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प्रयोगवाद Question 1:
" 'अंधेरे में' कविता की अन्तिम पंक्तियाँ उस अस्मिता या आइडेंटिटी की खोज की ओर संकेत करती हैं जो आधुनिक मानव की सबसे ज्वलन्त समस्या है। निस्सन्देह इस कविता का मूल कथ्य है अस्मिता की खोज ।” 'अंधेरे में' कविता के विषय में यह कथन किसका है ?
Answer (Detailed Solution Below)
प्रयोगवाद Question 1 Detailed Solution
सही उत्तर है - नामवर सिंह
Key Points
- 'अंधेरे में' कविता की अन्तिम पंक्तियाँ उस अस्मिता या आइडेंटिटी की खोज की ओर संकेत करती हैं
- जो आधुनिक मानव की सबसे ज्वलन्त समस्या है। निस्सन्देह इस कविता का मूल कथ्य है अस्मिता की खोज।"
- 'अंधेरे में' कविता के विषय में यह कथन नामवर सिंह का है।
- उन्होंने गजानन माधव मुक्तिबोध की इस कविता का आलोचनात्मक विश्लेषण करते हुए यह टिप्पणी की थी।
- नामवर सिंह हिंदी साहित्य के प्रमुख आलोचक और विचारक हैं।
Important Pointsअंधेरे में -
- रचनाकार - गजानन माधव मुक्तिबोध जी
- विधा - कविता
- प्रकाशन वर्ष - 1964 ई.
- विषय -
- यह आत्म संघर्ष और सामाजिक संघर्ष तथा आत्म और अनात्म के संघर्ष से गुजरने वाली कविता है।
Additional Informationनामवर सिंह-
- (28 जुलाई 1926 - 19 फरवरी 2019)
- एक भारतीय साहित्यिक आलोचक, भाषाविद्, शिक्षाविद और सिद्धांतकार थे।
- उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की,
- कृतियाँ -
- पृथ्वीराज रासो की भाषा - 1956
- आधुनिक साहित्य की प्रवृत्तियाँ - 1954
- इतिहास और आलोचना - 1957
- कहानी : नयी कहानी - 1964
- कविता के नये प्रतिमान - 1968
- दूसरी परम्परा की खोज - 1982
- वाद विवाद संवाद - 1989
रामविलास शर्मा-
- (10 अक्टूबर 1912- 30 मई 2000 )
- आधुनिक हिन्दी साहित्य के सुप्रसिद्ध आलोचक, निबंधकार, विचारक एवं कवि थे।
- कृतियाँ -
- प्रगति और परंपरा (1949)
- साहित्य और संस्कृति (1949)
- प्रेमचंद और उनका युग (1952)
- प्रगतिशील साहित्य की समस्याएँ (1954)
- आस्था और सौंदर्य (1961)
- भाषा और समाज (1961)
निर्मला जैन-
- (जन्म 28 अक्टूबर 1932)
- हिन्दी साहित्य की एक महत्वपूर्ण आलोचक,
- अध्यापक और चर्चित आत्मकथा जमाने में हम की लेखिका है।
- कृतियाँ -
- रस सिद्धांत और सौंदर्यशास्त्र
- आधुनिक साहित्य : मूल्य और मूल्यांकन
- हिंदी आलोचना की बीसवीं सदी
- आधुनिक हिंदी काव्य : रूप और संरचना
- पाश्चात्य साहित्य चिंतन
- कविता का प्रतिसंसार
- कथा-समय में तीन हमसफ़र
विश्वनाथ त्रिपाठी-
- (16 फरवरी 1931)
- हिन्दी के वरिष्ठ आलोचक, कवि और गद्यकार हैं।
- कृतियाँ -
- हिन्दी आलोचना - 1970
- लोकवादी तुलसीदास - 1974
- प्रारम्भिक अवधी - 1975
- मीरा का काव्य - 1979
- हिन्दी साहित्य का संक्षिप्त इतिहास - 1986
- देश के इस दौर में (परसाई केन्द्रित) - 1989
प्रयोगवाद Question 2:
"अकाल में दूब" कविता में कवि ने दूब की खोज कहाँ-कहाँ की?
Answer (Detailed Solution Below)
प्रयोगवाद Question 2 Detailed Solution
उत्तर- परती-पराठ, कुओं, गली-चौराहों में
विश्लेषण: कवि ने दूब की खोज के लिए "परती-पराठ खोजता हूँ, कुओं में झाँकता हूँ, गली-चौराहे छान डालता हूँ" जैसे स्थानों का उल्लेख किया है, जो गाँव के विभिन्न हिस्सों को दर्शाता है।
प्रयोगवाद Question 3:
"अकाल में दूब" कविता में पिता ने अकाल के बारे में क्या कहा?
Answer (Detailed Solution Below)
प्रयोगवाद Question 3 Detailed Solution
उत्तर- ऐसा अकाल कभी नहीं देखा, जिसमें दूब तक झुलस जाए
Key Points
विश्लेषण:
- पिता कहते हैं, "ऐसा अकाल कभी नहीं देखा, ऐसा अकाल कि बस्ती में दूब तक झुलस जाए, सुना नहीं कभी," जो अकाल की अभूतपूर्वता और उसकी भयावहता को दर्शाता है।
प्रयोगवाद Question 4:
"अकाल में दूब" कविता में अकाल की भयावहता को सबसे पहले किनके पलायन से दर्शाया गया है?
Answer (Detailed Solution Below)
प्रयोगवाद Question 4 Detailed Solution
उत्तर - पक्षियों और चींटियों के पलायन से
विश्लेषण: कविता की शुरुआत में अकाल की भयावहता को पक्षियों और चीटियों के पलायन से दर्शाया गया है। "पक्षी छोड़कर चले गए हैं पेड़ों को, बिलों को छोड़कर चले गए हैं चीटें चीटियाँ" पंक्तियाँ इस बात को स्पष्ट करती हैं।
प्रयोगवाद Question 5:
“मैं रथ का टूटा हुआ पहिया हूँ, लेकिन मुझे फेंको मत।” – यह उक्ति किस रचनाकार की है?
Answer (Detailed Solution Below)
प्रयोगवाद Question 5 Detailed Solution
“मैं रथ का टूटा हुआ पहिया हूँ, लेकिन मुझे फेंको मत।” – यह उक्ति धर्मवीर भारती रचनाकार की है।
- यह पंक्तियाँ 'टूटा पहिया' कविता से ली गई है।
Key Pointsधर्मवीर भारती-
- जन्म-1926-1997 ई.
- इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश में इनका जन्म हुआ था।
- आधुनिक हिन्दी साहित्य के प्रमुख लेखक, कवि, नाटककार और सामाजिक विचारक थे।
- वे साप्ताहिक पत्रिका 'धर्मयुग' के प्रधान संपादक भी रहे।
- डॉ. धर्मवीर भारती को 1972 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया।
- दूसरा सप्तक के प्रमुख कवि है।
- काव्य रचनाएँ-
- ठंडा लोहा (1952 ई.)
- कनुप्रिया (1959 ई.)
- सात गीत वर्ष (1959 ई.)
- देशान्तर (1960 ई.) आदि।
Important Pointsसूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'-
- जन्म-1899-1961 ई.
- छायावादी प्रमुख रचनाकार है।
- काव्य रचनाएँ-
- अनामिका(1923 ई.)
- परिमल(1930 ई.)
- गीतिका(1936 ई.)
- तुलसीदास(1938 ई.)
- कुकुरमुत्ता(1942 ई.)
- नये पत्ते(1946 ई.) आदि।
महादेवी वर्मा -
-
- जन्म-1907-1987 ई.
- छायावाद की प्रसिद्ध कवियित्री है।
- 'यामा' काव्य कृति के लिए ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त है।
- उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान का भारत भारती पुरस्कार भी इन्हें मिला है।
- कविता संग्रह -
- निहार (1930 ई.)
- रश्मि (1932 ई.)
- सांध्यगीत (1936 ई.)
- दीपशिखा (1942 ई.)
- प्रथम आयाम (1974 ई.)
- अग्निरेखा (1990 ई.) आदि।
अज्ञेय-
- जन्म-1911-1987 ई.
- काव्य रचनाएँ-
- भग्नदूत (1933 ई.)
- चिंता (1942 ई.)
- हरी घास पर क्षण भर (1949 ई.)
- बावरा अहेरी (1954 ई.)
- आंगन के पार द्वार (1961 ई.)
- कितनी नावों में कितनी बार (1967 ई.) आदि।
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इनमें से कौन-सी कृति अज्ञेय की है?
Answer (Detailed Solution Below)
प्रयोगवाद Question 6 Detailed Solution
Download Solution PDFहरी घास पर क्षण भर कृति अज्ञेय की है। अन्य विकल्प असंगत है ।अतः सही उत्तर विकल्प 3 हरी घास पर क्षण भर होगा ।
Key Points
रचना |
रचनाकार |
संसद से सड़क तक |
धूमिल |
मछली घर |
सुशील कुमार |
हरी घास पर क्षण भर |
अज्ञेय |
साये में धूप |
दुष्यंत कुमार |
'हरी घास पर क्षण भर' किसकी कृति है?
Answer (Detailed Solution Below)
प्रयोगवाद Question 7 Detailed Solution
Download Solution PDFसही उत्तर है - अज्ञेय।
Key Pointsहरी घास पर क्षण भर-
- विधा-काव्य संग्रह
- संग्रहीत कविताएँ हैं-
- नदी के द्वीप,हरी घास पर क्षण भर आदि।
Additional Informationअज्ञेय-
- जन्म-1911-1987 ई.
- तार सप्तक(1943 ई.) के प्रवर्तक है।
- प्रयोगवादी काव्यधारा के कवि है।
- अन्य रचनाएँ-
- भग्नदूत(1933 ई.),चिंता(1942 ई.),इंद्रधनुष रौंदे हुए ये(1957 ई.),अरी ओ करुणा प्रभामय(1959 ई.),सुनहले शैवाल(1966 ई.) आदि।
- अज्ञेय की संपूर्ण कविताओं का संकलन ‘सदानीरा’ नाम से दो भागों में प्रकाशित हुआ है।
- अज्ञेय-
- "व्यक्ति समाज में स्वतंत्र है,समाज से नहीं।"
- "काव्य सबसे पहले शब्द है और सबसे बाद में भी यही बात बच जाती है कि काव्य शब्द हैं।"
निम्नलिखित मे से कौन-सी कृति मुक्तिबोध की नहीं है-
Answer (Detailed Solution Below)
प्रयोगवाद Question 8 Detailed Solution
Download Solution PDF2) शुद्ध कविता की खोज मुक्तिबोध की नहीं है। इसके लेखक रामधारीसिंह दिनकर हैं।Additional Information
- मुक्तिबोध का जन्म 13 नवम्बर,1917 को श्योपुर(मध्यप्रदेश) में हुआ। तारसप्तक के पहले कवि थे।
- हिंदी साहित्य के प्रमुख कवि,आलोचक,निबंधकार,कहानीकार तथा उपन्यासकार थे।
Important Points
इनकी अन्य रचनायें-
- चाँद का मुहँ टेढ़ा है(1964)
- काठ का सपना(1967)
- कामायनी: एक पुनर्विचार(1973)
- विपात्र(1970)
- सतह से उठता आदमी(1971)
- भूरी-भूरी खाक धूल(1980)
निम्नलिखित में से कौन-से अज्ञेय के काव्य हैं -
A. भग्नदूत
B. आत्मा की आंखें
C. आत्महत्या के विरुद्ध
D. चिंता
नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर चुनिये:
Answer (Detailed Solution Below)
प्रयोगवाद Question 9 Detailed Solution
Download Solution PDF"भग्न दूत और चिंता" अज्ञेय जी की रचना है। अतः उपर्युक्त विकल्पों में से विकल्प (2) A और D सही है तथा अन्य विकल्प असंगत हैं।
Key Points
- सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन 'अज्ञेय' (7 मार्च, 1911 - 4 अप्रैल, 1987)
- अज्ञेय प्रयोगवाद एवं नई कविता को साहित्य जगत में प्रतिष्ठित करने वाले कवि हैं।
- अनेक जापानी हाइकु कविताओं को अज्ञेय ने अनूदित किया।
- भग्नदूत :- 1933
- चिन्ता :- 1942
Important Points
- 1936-37 में सैनिक और विशाल भारत नामक पत्रिकाओं का संपादन किया।
- दिनमान साप्ताहिक, नवभारत टाइम्स, अंग्रेजी पत्र वाक् और एवरीमैंस जैसी प्रसिद्ध पत्र-पत्रिकाओं का संपादन किया।
सम्मान :-
अज्ञेय जी की रचनाएं निम्नलिखित हैं:-
'अज्ञेय' की रचना है:
Answer (Detailed Solution Below)
प्रयोगवाद Question 10 Detailed Solution
Download Solution PDFहरी घास पर क्षण भर, एक बेहतरीन काव्य संग्रह है, इसके लेखक हिंदी के अद्वितीय लेखक अज्ञेय है।
अत: यहाँ सही उत्तर 4) अज्ञेय है।
- अज्ञेय का पूरा नाम - सच्चिदानंद हीरानंद वात्सायन अज्ञेय
- हरी घास पर क्षण भर - कविता संग्रह - सन् 1949
- 1964 में आँगन के पार द्वार पर साहित्य अकादमी पुरस्कार
- 1979 में/कितनी नावों में कितनी बार पर भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त हुआ।
अन्य विकल्प-
- कुरुक्षेत्र, हुंकार - रामधारी सिंह दिनकर
- पवनदूत - अयोध्या सिंह 'हरिऔध'
'हरी घास पर क्षण भर' किस कवि का काव्य संग्रह है?
Answer (Detailed Solution Below)
प्रयोगवाद Question 11 Detailed Solution
Download Solution PDFसही उत्तर अज्ञेय है।
Key Points
- 'हरि घास पर क्षण भर' अज्ञेय जी का एक प्रमुख कविता संग्रह है।
- अज्ञेय जी की प्रमुख काव्य रचनाएँ हैं- आँगन के पार द्वार, अरी ओ करुणा प्रभामय
Additional Information
कवि | रचनाएँ |
मुक्तिबोध | मुक्तिबोध हिन्दी साहित्य के प्रमुख कवि, आलोचक, निबंधकार, कहानीकार तथा उपन्यासकार थे। चाँद का मुँह टेढ़ा है – (कविता संग्रह), नई कविता का आत्मसंघर्ष तथा अन्य निबंध (निबंध संग्रह), काठ का सपना (कहानी संग्रह) |
रामविलास शर्मा | डॉ॰ रामविलास शर्मा आधुनिक हिन्दी साहित्य के सुप्रसिद्ध आलोचक, निबंधकार, विचारक एवं कवि थे। चार दिन (उपन्यास), पाप के पुजारी (नाटक) |
भारतभूषण अग्रवाल | भारतभूषण अग्रवाल छायावादोत्तर हिंदी कविता के एक सशक्त हस्ताक्षर हैं। वे अज्ञेय द्वारा संपादित तारसप्तक के महत्वपूर्ण कवि हैं। छवि के बंधन, जागते रहो, ओ अप्रस्तुत मन, अनुपस्थित लोग प्रमुख काव्य रचनाएँ हैं |
'अज्ञेय' की 'असाध्य वीणा' किस प्रकार की काव्य कृति है?
Answer (Detailed Solution Below)
प्रयोगवाद Question 12 Detailed Solution
Download Solution PDFप्रलम्ब काव्य अथवा लम्बी कविता 'असाध्या वीणा' कृति के लिए उचित विकल्प है।
अत: यहाँ सही उत्तर 4) प्रलम्ब काव्य या लम्बी कविता ही होगा।
- असाध्या वीणा, अज्ञेय की अद्भुत लम्बी काव्य कृति-
- जापानी कथा पर आधारित कविता-
- आंगन के पर द्वार काव्य संग्रह में संकलित- 1964ई. में साहित्य अकादमी
- वज्रकीर्ति, प्रियचंद केश कंबली मुख्य पात्र-
'चाँद का मुँह टेढ़ा है' किसकी काव्य रचना है?
Answer (Detailed Solution Below)
प्रयोगवाद Question 13 Detailed Solution
Download Solution PDF'चाँद का मुँह टेढ़ा' के रचयिता गजानंद माधव मुक्तिबोध हैं। अत: सही उत्तर विकल्प 3 गजानंद माधव मुक्तिबोध है।
Key Points
- 'चाँद का मुँह टेढ़ा' गजानंद माधव मुक्तिबोध द्वारा रचित लम्बी कविता है।
Additional Information
- अन्य याद रखने योग्य रचनाएँ-
- भूल गलती - चाँद का मुँह टेढ़ा - 1964
- अँधेरे में (लम्बी कविता)- चाँद का मुँह टेढ़ा - 1964
- ब्रहमराक्षस 1957
'मैं तो डूब गया था स्वयं शून्य में', 'असाध्य वीणा' में यह उक्ति किसकी है?
Answer (Detailed Solution Below)
प्रयोगवाद Question 14 Detailed Solution
Download Solution PDFमैं तो डूब गया था स्वयं शून्य में', 'असाध्य वीणा' में यह उक्ति 'प्रियंवद की' है।
- पंक्ति का अर्थः- (जब प्रियंवद वीणा को बजाता है तो स्वयं को संपूर्ण समर्पण करके अलौकिक (शून्य) स्थिति में पहुँच जाता हैं, मानो उसमें डूब जाता हैं।)
Key Points
- असाध्य वीणा अज्ञेय की रचना है।
- असाध्य वीणा कविता आँगन के पार द्वारा (1961) कविता संग्रह में है।
- असाध्य वीणा एक लंबी कविता है, इसका मूल भाव अहं का विसर्जन है।
असाध्य वीणा कविता के प्रमुख पात्रः-
- प्रियंवद, राजा, रानी, अन्य जन।
अज्ञेय की अन्य प्रमुख रचनाएँ:-
- भग्नदूत (1933), चिंता (1942), इत्यलम् (1946), हरी घास पर क्षण भर (1949), इंद्रधनुष रौंदे हुए ये (1959) आदि।
Additional Information
असाध्य वीणा के प्रमुख तथ्यः-
कविता | संबंधित तथ्य |
असाध्य वीणा |
1) लूंगामिन नामक घाटी में एक विशाल किरी वृक्ष था। 2) जिसमे किसी जादूगर ने एक वीणा का निर्माण किया। 3) अनेक वाद्य कलाकार इस वीणा को नही बजा सके। 4) अंत में वीणा का नाम असाध्य पड़ गया। 5) तब जा कर प्रियंवद नाम के एक साधक ने उस विणा को साधा (बजाया)। |
'हरी घास पर क्षण भर' किसकी काव्य रचना है?
Answer (Detailed Solution Below)
प्रयोगवाद Question 15 Detailed Solution
Download Solution PDF- हरी घास पर क्षण भर, एक बेहतरीन काव्य संग्रह है, इसके लेखक हिंदी के अद्वितीय लेखक अज्ञेय है।
- अत: यहाँ सही उत्तर 3) अज्ञेय है।
- अज्ञेय का पूरा नाम - सच्चिदानंद हीरानंद वात्सायन अज्ञेय
- हरी घास पर क्षण भर - कविता संग्रह - सन् 1949
- 1964 में आँगन के पार द्वार पर साहित्य अकादमी पुरस्कार
- 1979 में/कितनी नावों में कितनी बार पर भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त हुआ।
Key Points
- अज्ञेय के काव्य संग्रह -
- इत्यलम् - 1946
- कितनी नावों में कितनी बार - 1967
- पहले में सन्नाटा बुनता हूं - 1973
- नदी की बांक छाया - 1981
- प्रयोगवाद के प्रवर्तक।
- अस्तित्ववाद में आस्था रखने वाले कवि।
अन्य महत्वपूर्ण काव्य संग्रह -
- भग्नदूत (प्रथम काव्य संग्रह) - 1933
- हरी घास पर क्षण भर - 1949
- बावरा अहेरी - 1954
- इन्द्रधनुष रौंदे हुए ये - 1957
- अरी ओ करुणा प्रभामय - 1959
- आंगन के पार द्वार - 1961
- सुनहले शैवाल - 1966
प्रमुख कविताएं -
- असाध्य वीणा (एक लम्बी कविता)
- कलगी बाजरे की
- नदी के द्वीप
- सांप
- हरी घास पर क्षण भर
- जितना तुम्हारा सच
- शब्द और सत्य
- यह दीप अकेला
- प्रयोगवाद तथा नई कविता के शलाका पुरुष
- तार सप्तक, दूसरा सप्तक, तीसरा सप्तक का संपादन किया।
- 1964 में आंगन के पर द्वार पर साहित्य अकादमी
- 1978 में कितनी नावों में कितनी बार पर भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार
- तार सप्तक के कवि (कालक्रमानुसार) -
- अज्ञेय
- रामविलास शर्मा
- गजानन माधव मुक्तिबोध
- प्रभाकर माचवे
- नेमिचन्द्र जैन
- गिरिजा कुमार माथुर
- भारत भूषण अग्रवाल